मानव अधिकार किसे कहते हैं

  1. मानव अधिकार का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, सिद्धांत
  2. मानव अधिकार « प्रशासन
  3. मानव अधिकार
  4. मानव अधिकार क्या है
  5. मानव अधिकार किसे कहतें हैं? मानव अधिकार की परिभाषा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कार्यकाल व संरचना, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य और शक्तियॉ।
  6. मानव अधिकार के परिप्रेक्ष्य में प्रवासी हिंदी कविता का अनुशीलन


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मानव अधिकार का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, सिद्धांत

मानव अधिकारों से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से हैं जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए है। यह अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किए गए हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं। इसके अलावा ऐसे अधिकार जो अन्तर्राष्ट्रीय समझौते के फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा स्वीकार किए गए हैं और देश के न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं, को मानव अधिकार माना जाता है। मानव अधिकार शब्द हिन्दी का युग्म शब्द है जो दो शब्दो मानव + अधिकार से मिलकर बना है। मानव अधिकारों से आशय मानव के अधिकार से है। मानव अधिकार शब्द को पूर्णत: समझने के पूर्व हमें अधिकार शब्द को समझना होगा - हैराल्ड लास्की के अनुसार, ‘‘अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियाँ है जिसके बिना आमतौर पर कोई व्यक्ति पूर्ण आत्म-विकास की आशा नहीं कर सकता।’’ अधिकार वे सुविधाएँ है जो व्यक्ति को जीने के लिए, उसके व्यक्तित्व को पुष्पित और पल्लवित करने के लिए आवश्यक है। मानव अधिकार का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। इसकी परिधि के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के नागरिक, राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों का समावेश है। अपनी व्यापक परिधि के कारण मानव अधिकार शब्द का प्रयोग भी अत्यंत व्यापक विचार-विमर्श का विषय बन गया है। आर.जे. विसेंट का मत है कि‘‘मानव अधिकार वे अधिकार है जो प्रत्येक व्यक्ति को मानव होने के कारण प्राप्त है। इन अधिकारों का आधार मानव स्वभाव में निहित है।’’ ए.ए. सईद के अनुसार, ‘‘मानव अधिकारों का सम्बन्ध व्यक्ति की गरिमा से है एवं आत्म-सम्मान का भाव जो व्यक्तिगत पहचान को रेखांकित करता है तथा मानव समाज को आगे बढाता है।’’ डेविड सेलवाई का विचार है कि‘‘मानव अधिकार सं...

मानव अधिकार « प्रशासन

• मानव अधिकार मानिसको रूपमा जन्मेकै कारण मानव मात्रले पाउने नैसर्गिक अधिकार हो। यो मानवलाई यथोचित मानवीय मर्यादा सहित सम्मान पुर्वक बाँच्न, आत्मसम्मानका साथ समाजमा अस्तित्वमा रहन तथा जीवन निर्वाह गर्नका लागि बाँचुन्जेल आवश्यक पर्दछ। मानव अधिकार अन्तराष्ट्रिय कानूनद्दारा सिर्जना गरिन्छ भने राष्ट्रिय कानुनद्दारा कार्यान्वयन गरिन्छ। • मानव अधिकार कसैको दया, माया र कृपाबाट प्राप्त हुने अधिकार नभई मानिसले प्राप्त गर्ने जन्मसिद्ध,नैसर्गिक, सर्वमान्य, अविभाज्य, अहरणीय, अपरीहार्य, प्राकृतिक एवम् आधारभूत अधिकार हो। जसलाई सामाजिक न्याय, मानवीय सुरक्षा र स्वतन्त्रताको आधारस्तम्भको रुपमा लिईन्छ। • राष्ट्रिय मानव अधिकार ऐन, 2068 ले व्यक्तिको जीवन स्वतन्त्रता, समानता र मर्यादासँग सम्बन्धित संविधान तथा अन्य प्रचलित कानुनद्वारा प्रदान गरिएका अधिकार तथा नेपाल पक्ष भएको मानवअधिकार सम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रिय सन्धि, सम्झौतामा निहित अधिकारलाई मानवअधिकार भनी परिभाषित गरेको छ । मानव अधिकार भित्र निम्न कुराहरु पर्दछन्। • प्रकृति प्रदत्त अधिकार • जन्मसिद्ध अधिकार • व्यक्तिका आधारभूत अधिकारहरु र स्वतन्त्रता • मानवीय मर्यादासँग सम्बन्धी अधिकार • कानुनी तथा मौलीक अधिकार। मानव अधिकारको अवधारणा • मानव अधिकारको पहिलो जननी दस्तावेज सन् १२१५ को म्याग्नाकार्टा हो । जसमा कसैलाई पनि देश निकाला गर्न नपाईने, स्वतन्त्रताको अधिकार, निस्पक्ष पुर्पक्षको अधिकार, सम्पत्तिको अधिकार, निवारक नजरबन्द विरुद्दको अधिकारको व्यवस्था गरिएको थियो । • नजरबन्द विरुद्दको अधिकारको व्यवस्था गरिएको थियो । • १६८९ मा बेलायतमा राजाहरु र संसदकाबिचमा फेरी भएको सम्झौता bill of right हो । जसले नागरिकहरु कानुनको दृष्टिमा समान हुने, संसदको स्व...

मानव अधिकार

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मानव अधिकार क्या है

human rights in hindi in hindi what is definition in india and violations मानव अधिकार क्या है | मानव अधिकार की परिभाषा किसे कहते है | मानव अधिकारों का महत्व विशेषता ? सिद्धांत निबन्ध लिखिए | प्रस्तावना आज हम मानव अधिकारों के संबंध में चर्चाएं सुनते हैं, उसके बारे में अध्ययन करते हैं परन्तु क्या आप जानते हैं कि इन अधिकारों की उपज बहुत पहले ही पश्चिमी देशों में हो चुकी थी जिस पर उनकी तीखी पकड़ एवं वे प्राधिकारिक रूप से उनका व्यापक रूप से प्रयोग करते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि मानव अधिकारों से वे लोग बहुत पहले से परिचित हैं। इसके अतिरिक्त यह एक अलग बात हो सकती है कि अधिकार कमोबेस सभी संस्कृतियों और परम्पराओं में मौजूद रहे हैं। परन्तु यह भी सच है कि मानव अधिकारों की संकल्पना उनका मानकीकरण तथा उन पर विचार-विवेचना व विश्लेषण का जो महत्वपूर्ण कार्य संपन्न हुआ है वह विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह पश्चिम पद्धति की महान देन है कि जिसने उदार एवं बहुत गहरी नींव पर मानव अधिकारों की पहचान करते हुए उन्हें व्यवस्थित रूप से विश्व के समक्ष रखे हैं। फिर भी हमारा यह मानना है कि जिस तरह से मानव अधिकारों के मूल्यों को आंका गया है वह अभी न तो समुचित है और न ही इन पर कार्य अभी पूर्ण हुआ है। आज विश्व में राजनीति एवं आर्थिक व्यवस्था में बुनियादी बदलाव आए हैं इसलिए मानव अधिकारों के संतुलित परिप्रेक्ष्य में गहन विवेचन एवं निष्पक्ष परीक्षा का व्यापक कार्य पूरा करना बाकी है। मानव अधिकारों को जो वास्तव में उन्हें महत्व मिलना अपेक्षित है वह केवल निम्नलिखित अध्यायों में प्रस्तुत विश्लेषण के माध्यम से ही समझा जा सकता है। तब ही उनके वास्तविक महत्व एवं उनकी आवश्यकताओं को समुचित रूप से आंका जा सकता है। इसलिए ...

मानव अधिकार किसे कहतें हैं? मानव अधिकार की परिभाषा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कार्यकाल व संरचना, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य और शक्तियॉ।

मानव अधिकार किसे कहतें हैं? मानव अधिकार की परिभाषा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कार्यकाल व संरचना, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य और शक्तियॉ। "Knowledge with Ishwar" मानव अधिकार का अर्थः- मानव अधिकारों का अर्थ उन प्राकृतिक अधिकारों से है जिनके अभाव में मनुष्य के लिये जीवन निर्वाह कठिन होता है। इसके साथ ही वे सब अधिकार जो मनुष्य को सक्षम एवं समृद्ध बनाते है। मानव अधिकार कहलाते है। मानव अधिकार के अंतर्गत व्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता, सामाजिक न्याय आदि प्राप्त होते है। दूसरे शब्दों में- मानव अधिकार जन्मजात होते हैं। जो जीवन के अभिन्न अंग होते हैं। यह अधिकार मानव के विकास के लिए आधारभूत होते हैं। मानव अधिकार को प्रत्येक राज्य द्वारा अपने संविधान में मानव की प्राथमिक आवश्यताओं और मॉगों के रूप में सम्मिलित किया जाना चाहिए। संक्षेप में- मानव अधिकार मानव के अस्तित्व और उसक विकास व सम्मान के लिए आवश्यक अधिकार है, जिनकी अवेहलना नहीं की जानी चाहिए। "Knowledge with Ishwar" मानव अधिकार की परिभाषाः- 1. लोगों को उनकें मानव अधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है। 2. आर.जे. विसेट के शब्दों में- ’’मानव अधिकार वे अधिकार हैै जो प्रत्येक व्यक्ति को मानव होने के कारण प्राप्त हैै। इन अधिकारों का आधार मानव स्वभाव में निहित है।’’ इस प्रकार यदि किसी व्यक्ति के साथ भाषा, जाति, रंग, रूप, लिंग, क्षेत्रवाद आदि के आधार पर भेदभाव किया जाता है तो वह मानव अधिकार के हनन के अंतर्गत आता है। मानव अधिकारों का सार्वभौमिक घोषणा पत्रः- संयुक्त राष्ट्र ने अपन उत्तरदायित्वों और जिम्मेदारियों को पुरा करन के लिए अपनी एक इकाई को आर्थिक और सामाजिक परिषद् को यह जिम्मेदारी सौंपी कि वह मानव अधिकारों की ...

मानव अधिकार के परिप्रेक्ष्य में प्रवासी हिंदी कविता का अनुशीलन

सारांश : प्रत्येक व्यक्ति एक मनुष्य है और इसी कारण उसे जो अधिकार प्रकृतित: प्राप्त होते हैं, उन्हें मानव अधिकार कहा जाता है। इनमें स्वतंत्रता, समता, बंधुता, न्याय को वरीयता दी गई है। वंश, वर्ण, भाषा, धर्म, राष्ट्र, लिंग, संपत्ति, जन्म जैसे आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव न करते हुए विश्व के सभी मानवों को जो समान अधिकार प्राप्त होते हैं, वे मानव अधिकार हैं। प्रस्तुत शोध-निबंध में मानव अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में प्रवासी हिंदी कविताओं का अनुशीलन किया गया है। प्रवासी भारतीय साहित्य की संकल्पना व्यापक है। जो लोग मूल रूप में भारतीय हैं तथा नौकरी, रोजगार या अन्य किसी कारणवश विदेशों में स्थायी रूप से रहते हैं, उन्हें प्रवासी भारतीय कहा जाता है। ये प्रवासी अमेरिका, यू.के., कैनाडा, दक्षिणी आफ्रीका, आखाती देश, जापान, मॉरिशस जैसे विश्व के विविध देशों में स्थायी रूप से रहते हैं। वहाँ के युगीन परिवेश को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का प्रयास करते हैं। प्रवासियों के हिंदी भाषा में अभिव्यक्त साहित्य को प्रवासी हिंदी साहित्य कहा जाता है। प्रवासी हिंदी कविताओं में मानव अधिकारों की अभिव्यक्ति हुई है। स्त्री-पुरुष समता, भ्रष्टाचार एवं हिंसाचार उन्मूलन, शोषण और अत्याचार का विरोध, समता, धर्मनिरपेक्षता, व्यक्तित्व विकास, मानवता की जययात्रा की अनुगूँज के रूप में प्रवासी हिंदी कविताओं में मानव अधिकारों का प्रतिबिंब दिखाई देता है। प्रवासियों की वेदना, मानव अधिकारों के हनन से संबंधित घटनाओं का चित्रण उनके काव्य में हुआ है। मिथक, प्रतीक, बिंब, छंद, अलंकार जैसे साहित्यिक अभिव्यक्ति के उपादानों के तहत प्रवासी हिंदी कविता का शैली पक्ष निखर उठा है। एक मानव विश्व के किसी भी मानव के साथ मानवता से युक्त व्यवहार...