मानवीकरण अलंकार

  1. मानवीकरण अलंकार की परिभाषा, पहचान, कविता और उदाहरण
  2. Manvikaran Alankar In Sanskrit
  3. मानवीकरण अलंकार किसे कहते है, परिभाषा और उदाहरण
  4. Arthalankar in Hindi
  5. अलंकार
  6. मानवीकरण अलंकार क्या है? मानवीकरण अलंकार के 10 उदाहरण, परिभाषा, भेद manvikaran alankar in hindi, definition, examples
  7. Alankar In Hindi / अलंकार
  8. मानवीकरण अलंकार


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मानवीकरण अलंकार की परिभाषा, पहचान, कविता और उदाहरण

जहां चेतन,अचेतन अवस्था को मनुष्य के क्रियाकलापों से जोड़ा जाए वहां मानवीकरण अलंकार होता है। इस लेख में आप मानवीकरण अलंकार की परिभाषा, पहचान, कविता और उदाहरण का विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे। मानवीकरण अलंकार को समझाने के लिए तथा स्पष्टीकरण के लिए प्रश्न-उत्तर भी दिए गए हैं। इस लेख को पढ़कर आप अनेकों प्रकार से मानवीकरण अलंकार को समझ सकेंगे। आशा है इस लेख के अध्ययन से आपकी समझ विकसित होगी तथा अलंकार को विस्तृत रूप से जानने तथा पहचाने मैं समर्थ होंगे। Table of Contents • • • • • • मानवीकरण अलंकार की परिभाषा परिभाषा :- जहां काव्य में चेतन-अचेतन अवस्था का संबंध तथा क्रियाकलापों को , मनुष्य के व्यवहार से जोड़कर प्रस्तुत किया जाता है वहां मानवीकरण अलंकार होता है। जहां बेजुबान में जान होने का संकेत मिले वहां मानवीकरण अलंकार की उपलब्धता होती है। हम जानते हैं कि अलंकार काव्य की शोभा को बढ़ाते हैं। अलंकारों के प्रयोग से काव्य की शोभा में वृद्धि होती है। मानवीकरण अलंकार का प्रयोग हिंदी साहित्य में स्वतंत्रता से पूर्व अधिक देखने को मिलता है। मुख्यतः छायावादी कवियों ने मानवीकरण अलंकार का अधिक प्रयोग किया है। स्वतंत्रता के समय किसी भी साहित्य को खुलकर नहीं लिखा जा सकता था। अभिव्यक्ति की आजादी सीमित थी। अतः छायावादी कवियों ने प्रकृति तथा अन्य माध्यमों को अपनाकर मनुष्य को आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया। ‘बीती विभावरी जाग री’ कविता को पढ़ने से स्पष्ट होता है कि कवि सखी को जागने के लिए नहीं अपितु देशवासियों को जागृत करने का प्रयत्न कर रहा है। ऐसी अनेकों कविताएं तथा लेखनी हिंदी साहित्य में उपलब्ध है , जहां मानवीकरण अलंकार का उदाहरण देखने को मिलता है। manvikaran alankar in hindi मा...

Manvikaran Alankar In Sanskrit

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मानवीकरण अलंकार किसे कहते है, परिभाषा और उदाहरण

मानवीकरण अलंकार की परिभाषा, प्रमुख उदाहरण मानवीकरण अलंकार किसे कहते है? मानवीकरण अलंकार की परिभाषा – जहाँ अचेतन वस्तु का चेतन अथवा जीवित (प्राणी) के समान वर्णन किया जाये अर्थात जब प्रकृति के पदार्थो पर मानवीय क्रियाकलापों का आरोप कर दिया अथवा प्रकृति की वस्तुओं को मनुष्य की तरह कार्य करते हुए प्रकट किया जाये, वहां मानवीकरण अलंकार होता है। जब अचेतन प्रकृति में कवि चेतना आरोपित करता है अर्थात प्रकृति पर मानवीय क्रियाकलाप आरोपित किया जाता है तब वहां मानवीकरण अलंकार होता है। उदाहरण – 1. बीती विभावरी जाग री। अंबर पनघट में डुबो रही तारा नागरी। व्याख्या –उपर्युक्त उदाहरण में ‘उषा’ पर ‘ नगरी’ का आरोप होने के आरोप है। मानवीकरण अलंकार के उदाहरण – Manvikaran Alankar 2. प्रकृति के यौवन का शृंगार, करेंगे कभी न बासी फूल। व्याख्या - उपर्युक्त उदहारण में प्रकृति को एक ऐसी नवयुवती के रूप में दिखाया गया है जो अपनी युवावस्था को स्वच्छ और ताजे फूलों से सजाती है। 3. धीरे-धीरे हिम आच्छादन, हटने लगा धरातल से। लगी वनस्पतियां अलसाई, मुख धोती शीतल जल से। ये भी पढ़ें – अलंकार की परिभाषा, भेद, 50 उदाहरण सहित | Alankar in Hindi Related Posts – अनुप्रास अलंकार यमक अलंकार श्लेष अलंकार उत्प्रेक्षा अलंकार विभावना अलंकार अतिशयोक्ति अलंकार अनंवय अलंकार दृष्टांत अलंकार अपँहुति अलंकार ब्याज स्तुति अलंकार • Click to share on Facebook (Opens in new window) • Click to share on Twitter (Opens in new window) • Click to share on Telegram (Opens in new window) • Click to share on WhatsApp (Opens in new window) • Click to share on Tumblr (Opens in new window) • Click to share on Pinterest (Opens in new window) • Click...

Arthalankar in Hindi

Arthalankar ki Paribhasha अर्थालंकार की परिभाषा ‘अर्थालंकार’ अर्थ द्वारा उत्पन्न सौन्दर्य पर कार्य करते हैं | अर्थालंकारों को समझने के लिए कुछ आधारभूत बातों को समझ लेना चाहिए | अर्थालंकार से संबंधित आधारभूत बातें – • काव्य में कवि किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करता है और उसकी समानता किसी बाहरी व्यक्ति या वस्तु से दिखाता है | कवि जिस व्यक्ति / वस्तु का वर्णन करता है , वह कवि के लिए प्रस्तुत होता है और जिस बाहरी व्यक्ति या वस्तु से उसकी समानता दिखाई जाती है , उसे अप्रस्तुत कहते हैं | • इस तरह समस्त काव्य ‘प्रस्तुत’ तथा ‘अप्रस्तुत’ के बीच ही चलता है | कभी कवि प्रस्तुत तथा अप्रस्तुत की तुलना करता है , कभी प्रस्तुत तथा अप्रस्तुत की समानता बताता है , कभी प्रस्तुत पर अप्रस्तुत का आरोप करता है , तो कभी प्रस्तुत में अप्रस्तुत की संभावना करता है | • इन्हीं सब प्रक्रियाओं के कारण विभिन्न प्रकार के अर्थालंकार सामने आते हैं | • अलंकार शास्त्र में ‘प्रस्तुत’ को उपमेय तथा अप्रस्तुत को उपमान भी कहा जाता है | अर्थालंकार के भेद- Arthalankar ke Bhed • उपमा अलंकार • रूपक अलंकार • उत्प्रेक्षा अलंकार • अतिशयोक्ति अलंकार • मानवीकरण अलंकार उपमा अलंकार Upma Alankar Upma Alankar ki paribhasha जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं में समान गुण / धर्मों के कारण समानता बताई जाती है , वहाँ ‘ उपमा अलंकार ’ होता है | जैसे – ‘सीता के आँखें मृग के समान चंचल हैं |’ इस पंक्ति में सीता की आँखों की चंचलता मृग के समान बताई गई है | अतः यहाँ सीता के आँखे ‘प्रस्तुत’ होंगी और मृग ‘अप्रस्तुत’ | Upma Alankar ke Udaharan • दो वस्तुओं के बीच जब समानता बताई जाती है तब चार वस्तुएँ हमारे समक्ष आती हैं – • प्रस्तुत या उपमेय – जिस व...

अलंकार

विषय सूची • 1 भेद • 1.1 1.शब्दालंकार • 1.2 2.अर्थालंकार • 1.3 आधुनिक/पाश्चात्य अलंकार • 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 3 संबंधित लेख अलंकार को दो भागों में विभाजित किया गया है:- • शब्दालंकार- शब्द पर आश्रित अलंकार • अर्थालंकार- अर्थ पर आश्रित अलंकार • आधुनिक/पाश्चात्य अलंकार- आधुनिक काल में पाश्चात्य साहित्य से आये अलंकार 1.शब्दालंकार मुख्य लेख: • जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार स्पष्ट हो, वहाँ अर्थालंकार माना जाता है। प्रकार • • • • • • • • • • • • • • • • • • आधुनिक/पाश्चात्य अलंकार अलंकार लक्षण\पहचान चिह्न उदाहरण\ टिप्पणी मानवीकरण अमानव (प्रकृति, पशु-पक्षी व निर्जीव पदार्थ) में मानवीय गुणों का आरोपण जगीं वनस्पतियाँ अलसाई, मुख धोती शीतल जल से। ( ध्वन्यर्थ व्यंजना ऐसे शब्दों का प्रयोग जिनसे वर्णित वस्तु प्रसंग का ध्वनि-चित्र अंकित हो जाय। चरमर-चरमर- चूँ- चरर- मरर। जा रही चली भैंसागाड़ी। (भगवतीचरण वर्मा) विशेषण - विपर्यय विशेषण का इस करुणाकलित हृदय में अब विकल रागिनी बजती। ( यहाँ 'विकल' विशेषण रागिनी के साथ लगाया गया है जबकि कवि का हृदय विकल हो सकता है रागिनी नहीं। पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख

मानवीकरण अलंकार क्या है? मानवीकरण अलंकार के 10 उदाहरण, परिभाषा, भेद manvikaran alankar in hindi, definition, examples

विषय-सूचि • • • इसलेखमेंहमनेंअलंकारकेभेदमानवीकरणअलंकारकेबारेमेंचर्चाकीहै। अलंकारकामुख्यलेखपढ़नेंकेलिएयहाँक्लिककरें– मानवीकरणअलंकारकीपरिभाषा जबप्राकृतिकवस्तुओंकैसेपेड़,पौधेबादलआदिमेंमानवीयभावनाओंकावर्णनहोयानीनिर्जीवचीज़ोंमेंसजीवहोनादर्शायाजाएतबवहांमानवीकरणअलंकारआताहै। जैसे: मानवीकरणअलंकारकेउदाहरण : • फूलहँसेकलियाँमुसकाई। जैसाकिऊपरदिएगएउदाहरणमेंदियागयाहैकीफूलहंसरहेहैंएवंकलियाँमुस्कुरारहीहैं।जैसाकीहमजानतेहैंकीहंसनेएवंमुस्कुरानेकीक्रियाएंकेवलमनुष्यहीकरसकतेहैंप्राकृतिकचीज़ेंनहीं।येअसलियतमेंसंभवनहींहैएवंहमयहभीजानतेहैंकीजबसजीवभावनाओंकावर्णनचीज़ोंमेंकियाजाताहैतबयहमानवीकरणअलंकारहोताहै। अतःयहउदाहरणमानवीकरणअलंकारकेअंतर्गतआएगा। • मेघआयेबड़ेबन-ठनकेसंवरके। ऊपरकेउदाहरणमेंदियागयाहैकिबादलबड़ेसजकरआयेलेकिनयेसबक्रियाएंतोमनुष्यकिहोतीहैंनकिबादलोंकी।अतएवयहउदाहरणमानवीकरणअलंकारकेअंतर्गतआएगा।येअसलियतमेंसंभवनहींहैएवंहमयहभीजानतेहैंकीजबसजीवभावनाओंकावर्णनचीज़ोंमेंकियाजाताहैतबयहमानवीकरणअलंकारहोताहै। अतःयहउदाहरणमानवीकरणअलंकारकेअंतर्गतआएगा। • मेघमयआसमानसेउतररहीहैसंध्यासुन्दरीपरीसीधीरेधीरेधीरे | ऊपरदीगयीपंक्तियोंमेंबतायागयाहैकिसंध्यासुन्दरपरीकीतरहधीरेधीरेआसमानसेनीचेउतररहीहै।इसवाक्यमेंसंध्याकितुलनाएकसुन्दरपारीसेकीहै।एकनिर्जीवकीसजीवसे।येअसलियतमेंसंभवनहींहैएवंहमयहभीजानतेहैंकीजबसजीवभावनाओंकावर्णनचीज़ोंमेंकियाजाताहैतबयहमानवीकरणअलंकारहोताहै। अतएवयहउदाहरणमानवीकरणअलंकारकेअंतर्गतआएगा। • उषासुनहरेतीरबरसाती, जयलक्ष्मी-सीउदितहुई। ऊपरदिएगएउदाहरणमेंउषायानीभोरकोसुनहरेतीरबरसातीहुईनायिकाकेरूपमेंदिखायाजारहाहै।यहाँभीनिर्जीवोंमेंमानवीयभावनाओंकाहोनादिखरहाहै।हमजानतेहैंकीनायिकाएकमनुष्यहोतीहैंनाकीएकनिर्जीवअतःयहसंभवनहींहै।हमयहभीजानतेहैंकीज...

Alankar In Hindi / अलंकार

अलंकार शब्द का अर्थ ‘आभूषण’ होता है। अलंकार शब्द ‘अलम्+कार’ यह दो शब्द को जोड़कर बना है। जिसमे ‘अलम्’ शब्द का अर्थ ‘भूषण’ होता है। जिस प्रकार अलंकार स्री के सौंदर्य को बढ़ाता है। उसी प्रकार काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्द को अलंकार कहते है। अलंकार से काव्य में रोचकता और सुंदरता उभरकर आती है। अलंकार को काव्य की आत्मा भी कहा जाता है। अलंकार काव्य के साथ जुड़कर उसकी सुन्दरता को दुगनी कर देता है। अलंकार को संक्षेप में कहा जाए तो यह भाषा को सुंदर शब्दार्थ से सुज्जित करता है। यह भाषा और काव्य के रूप को सुंदर और मधुर बना देता है। संस्कृत भाषा में ‘अलंकरोति इति अलंकारः’ कहा है। जिसका अर्थ जो अलंकृत करता है उसे अलंकार कहते है। भारतीय साहित्य के अनुसार किसी भी भाषा में अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिशयोक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख और इनके अलावा अन्य अलंकार भी है। काव्य में कथनीय वस्तू को अच्छे रूप में अभिव्यक्ति देने के लिए अलंकार का उपयोग होता है। काव्य में अलंकार का विचार गुण, रस, ध्वनि, प्रसंग को ध्यान में रखकर किया जाता है। अलंकार के भेद / Types Of Alankar In Hindi जिस अलंकार में शब्दों का उपयोग करके काव्य में चमत्कार उत्पन्न होता है उसे ‘शब्दालंकार’ कहते है। और उन शब्दो पर समानर्थी शब्द रखा जाए तो यह चमत्कार समाप्त हो जाता है। शब्दालंकार मुख्यतः दो शब्दों से बनता है-‘शब्द+अलंकार’ उसके दो रूप होते है ‘ध्वनी और अर्थ’ उसका अर्थ किसी काव्य को शब्दों के माध्यम से अलंकृत करना होता है। इस अलंकार में कविता और काव्य में शब्दों के आधार पर वर्णन किया जाता है। शब्दालंकार के भेद / Shabdalankar Ke Bhed In Hindi • छेकानुप्रास अलंकार • वृत्यानुप्रास अलंकार • लाटानुप्...

मानवीकरण अलंकार

काव्य में जहाँ पर जड़ में चेतन का आरोप होता है, तो वहाँ पर ‘मानवीकरण अलंकार’ होता है। अर्थात जहाँ पर जड़ प्रकृति पर मानवीय भावनाओं तथा क्रियाओं का आरोप होता है, वहाँ पर ‘मानवीकरण अलंकार’ होता है। मानवीकरण अलंकार की परिभाषा – जहाँ निर्जीव पर मानव सुलभ गुणों और क्रियाओं का आरोप किया जाता है,वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।उदाहरण – मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के। । मानवीकरण अलंकार के उदाहरण- ✦ नेत्र निमीलन करती मानो प्रकृति प्रबुद्ध लगी होने।' स्पष्टीकरण - यहाँ आँखें खोलती हुई प्रकृति में मानवीय कियाओं के आरोपण से मानवीकरण अलंकार है। ✦ ऊषा उदास आती है। मुख पीला ले जाती है॥ ✦ संध्या घन माला की सुंद ओढ़े रंग-बिरंगी छींट। ✦ उषा सुनहरे तीर बरसाती, जय लक्ष्मी-सी उदित हुई। ✦ बीती विभावरी जाग री अंबर पनघट में डुबो रही तारा घट उषा नागरी। ✦ गुलाब खिल कर बोला-मैं आग का गोला नहीं प्रीत की कविता हूं। ✦ और सरसों की ना पूछो हो गई सबसे सयानी।स्पष्टीकरण – सरसों के पौधे को नवयुवती माना है जिस पर पीले फूल आने से ऐसे प्रतीत हो रहे हैं जैसे विवाह से पूर्व उसे हल्दी लगा दी गई हो। ✦ यह हरा ठीगना चना, बांधे मुरैठा शीश पर।स्पष्टीकरण – चने के पौधे को आदमी माना हे और उसके फली को मुरेठा/ टोपी मान कर मानव के समान दिखया गया है। ✦ मैं तो मात्र मृत्तिका हूं कुंभ और कलश बनकर।जल लाती तुम्हारी अंतरंग प्रिया हो जाती हूं। ।स्पष्टीकरण – मृतिका अर्थात मिट्टी कह रही है कि मैं कलश या कुंभ बनकर कार्य करती हूं ,जिसमें मदिरा या जल आदि को भरकर अंतरंग अर्थात अकेलेपन की साथी या प्रिया बन जाती हूं। ✦ छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए,मत झुको अनर्थ पर, भले ही व्योम फट जाए। । ✦ चल रे चल – मेरे पागल बादल। ।स्पष्टीकरण – बादल को पागल के...