माउंट एवरेस्ट का तापमान

  1. लाशों का पहाड़ एवरेस्ट
  2. Melting Glaciers Rising Heat On Everest And Traffic Jams What Is The Cause Of The Death Of Mountain Climbers Abpp
  3. माउंट एवरेस्ट के इलाके की जलवायु में आ रहा है भारी बदलाव: खुलासा
  4. माउंट एवरेस्ट कहाँ स्थित है? एवं इसका सम्पूर्ण इतिहास एवं जानकारी
  5. माउंट एवरेस्ट के बारे में जानकारी


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लाशों का पहाड़ एवरेस्ट

मगर अगले ही पल उसके कानों में 'समिट-समिट' का शोर पड़ता है और वह एक आधे ख्वाब से जाग उठता है. उसके कुछ फीट नीचे ही लोगों की एक लंबी कतार है. सभी शिखर पर पहुंचना चाहते हैं. वह एक पल के लिए अपना ऑक्सीजन मास्क हटाता है और फटाफट सेल्फी कैमरे से अपना एक वीडियो बना लेता है. एक घूंट पानी पीकर वह लौटना शुरू करता है तो 'चोरी हो गया, चोरी हो गया' का शोर उसे हजारों मीटर की ऊंचाई से मानो सीधे जमीन पर ला पटकता है. ''क्या चोरी हो गया?'' वह सोचता है. उसे पता पड़ता है कि किसी चढ़ाई के दौरान किसी क्लाइंबर का ऑक्सीजन कनस्तर चोरी हो गया. माउंट एवरेस्ट पर भीड़ का मंजर देखिए, यहां चोरियां तक हो रही हैं. माउंटेनियर, एवरेस्ट ब्लॉगर और एक्सपर्ट ऐलेन आर्नेट के पॉडकास्ट सुनते हुए यकीन होता है कि ऐसा दृश्य सचमुच 'टॉप ऑफ द वर्ल्ड' पर घट सकता है. एवरेस्ट फतह कर चुका पर्वतारोही अब धीरे धीरे नीचे उतरता है, न सिर्फ अगले कैंप की ओर, बल्कि असल दुनिया की ओर. मुमकिन है लौटते हुए उसे एक से अधिक डेड बॉडी बर्फ में पड़ी दिखें जिनके इंसान होने का प्रमाण उनके कपड़े और चटख रंग के बूट्स हों. समिट का अर्थ होता है ऊंचा, ऊंचाई या शिखर. माउंटेनियरिंग की दुनिया में समिट पूरी करने का अर्थ होता है किसी पहाड़ की चोटी तक पहुंच उसे फतह करना. एवरेस्ट को तिब्बत (उत्तर) और नेपाल (दक्षिण), दोनों तरफ से चढ़ा जा सकता है. एवरेस्ट चढ़ने का सीजन अप्रैल और मई होता है. कई साल से अप्रैल की शुरुआत में पर्वतारोही एवरेस्ट पहुंचते हैं और 15 से 30 मई के बीच समिट की खबरें दुनिया भर में आती हैं. साल 1996 में उत्तरी तरफ से इस पहाड़ पर चढ़ने वालों को भ्रूण की तरह सिमटी एक डेड बॉडी दिखी. मृतक ने हरे रंग के बूट पहने हुए थे. अगले 18 साल तक नॉर्थ रूट ...

Melting Glaciers Rising Heat On Everest And Traffic Jams What Is The Cause Of The Death Of Mountain Climbers Abpp

पृथ्वी पर सबसे ऊंचे स्थान माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने की कोशिश में 12 पर्वतारोहियों की मौत हो गयी है. इससे पहले 2019 में 11 लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञों का कहना है कि तिब्बती पठार जहां माउंट एवरेस्ट स्थित है, वहां पर तापमान 1979 के बाद से 40 सालों में 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या जलवायु परिवर्तन माउंट एवरेस्ट के रास्ते में हो रही मौतों का कारण बन रहा है? इस साल एवरेस्ट पर मरने वाले 12 लोग गर्मियों से पहले एवरेस्ट पर चढ़ने या उतरने के दौरान मारे गए हैं. इनमें से तीन लोगों की मौत बर्फ गिरने से हो गयी. एवरेस्ट पर चढ़ाई का मौसम खत्म हो गया है और अब तक पांच लोग लापता हैं. दूसरी तरफ नेपाल में रिकॉर्ड संख्या में चढ़ाई परमिट जारी किए जाने के बाद पर्वत पर भीड़भाड़ बढ़ी है. जो परेशानी पैदा कर रही है. रॉयटर्स के मुताबिक चीन की ओर से पर्वतारोहियों का नेतृत्व करने वाले अमेरिका स्थित एल्पेंगलो एक्सपेडिशन्स के एड्रियन बैलिंगर ने कहा 'नेपाल की ओर से कुछ कंपनियां पर्वतारोहियों को एवरेस्ट पर ले जा रही हैं, लेकिन उनके पास उनकी सुरक्षा के लिए व्यापक उपाय नहीं हैं. उनके पास मृत्यु क्षेत्र को नेविगेट करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. एवरेस्ट अभियान नेपाल के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है. विदेशी पर्वतारोही नेपाल सरकार की आलोचना भी करते हैं. उनका कहना है कि नेपाल की सरकार पैसे कमाने के लिए अनुमति देती है. जबकि नेपाल सरकार इससे इनकार करती है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी देशों के कई पर्वातारोहियों नेनेपाल सरकार की आलोचना करते हुए कहा" नौ लाख रूपये देकर कोई भी व्यक्ति परमिट ले सकता है. हिमस्खलन से हुई मौतें हिमालयन ...

माउंट एवरेस्ट के इलाके की जलवायु में आ रहा है भारी बदलाव: खुलासा

माउंट एवरेस्ट पृथ्वी पर सबसे ऊंचा पर्वत है जिसके एक ओर चीन तो दूसरी ओर नेपाल है। यह अत्यधिक ग्लेशियरों और विविध परिदृश्यों के लिए जाना जाता है। माउंट एवरेस्ट के इलाके जलवायु परिवर्तन को लेकर सबसे संवेदनशील इलाकों में से एक माने जाते हैं। हिंद महासागर में बहने वाली लगभग सभी नदियां हिमालय के उत्तरी ढलान से निकलती हैं, जो लगभग 3000 से 4000 मीटर की गहराई के साथ घाटी से बहते हुए आगे बढ़ती हैं। ये नदियां महत्वपूर्ण भू-पारिस्थितिकी के रूप में जानी जाती हैं, हिमालय क्षेत्रीय जलवायु और हिंदू-कुश-हिमालय में पर्यावरणीय परिवर्तनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) के नॉर्थवेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ इको-एनवायरनमेंट एंड रिसोर्सेज के शोधकर्ताओं और उनके सहयोगियों ने माउंट एवरेस्ट क्षेत्र में हाल के शोधकर्ताओं ने बताया कि यह अध्ययन नवीनतम आंकड़ों और मॉडलिंग पर आधारित है। माउंट एवरेस्ट के इलाकों में बर्फ के कोर और पेड़ के छल्ले से पुनर्निर्मित ऐतिहासिक तापमान रिकॉर्ड के अनुसार, शोधकर्ताओं ने 20वीं शताब्दी के दौरान माउंट एवरेस्ट के इलाकि में तापमान में बढ़ोतरी पाई। अध्ययनकर्ता प्रो. कांग शिचांग ने कहा, माउंट एवरेस्ट क्षेत्र में 1961 से 2018 तक मौसम संबंधी बदलावों के आधार पर 1960 से हर दशक के बाद तापमान लगभग 0.33 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि माउंट एवरेस्ट के इलाके में आमतौर पर भविष्य में (2006-2099 के दौरान) बढ़ते तापमान की प्रवृत्ति को दिखाता है। सर्दियों में तापमान बढ़ने की दर गर्मियों में प्रतिनिधि एकाग्रता मार्ग या रिप्रेजेन्टेटिव कंसंट्रेशन पाथवे 4.5 और 8.5 के विभिन्न परिदृश्यों की तुलना में अधिक है। उन्होंने आगे बताया कि माउंट एवरेस्ट ...

माउंट एवरेस्ट कहाँ स्थित है? एवं इसका सम्पूर्ण इतिहास एवं जानकारी

माउंट एवरेस्ट कहाँ स्थित है? माउंट एवरेस्ट एशिया में हिमालय में तिब्बत और नेपाल के बीच की सीमा पर स्थित है. माउंट एवरेस्ट तिब्बती पठार पर महालंगुर रेंज में स्थित है जो क़िंग जांग गायायुआन के नाम से जाना जाता है. शिखर सीधे तिब्बत और नेपाल के बीच है.माउंट एवरेस्ट कुछ लंबी कंपनी रखती है. महालंगुर रेंज पृथ्वी के छह सबसे ऊंची चोटी का घर है. पृष्ठभूमि में माउंट एवरेस्ट की तरह. नेपाल के लिए पहली बार टाइमर अक्सर सचमुच यकीन नहीं करते कि कौन सा पहाड़ एवरेस्ट है जब तक कि कोई उनके लिए स्पष्टीकरण न दे नेपाली तरफ, माउंट एवरेस्ट सोलखुंबू जिले के सगममाथा राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है. तिब्बती तरफ, माउंट एवरेस्ट ज़िगज़ क्षेत्र में टिंगरी काउंटी में स्थित है, जो चीन एक स्वायत्त क्षेत्र और चीन के जनवादी गणराज्य का हिस्सा मानता है.राजनीतिक प्रतिबंधों और अन्य कारकों के कारण, एवरेस्ट का नेपाली पक्ष सबसे अधिक सुलभ और अक्सर स्पॉटलाइट में होता है. जब कोई कहता है कि वे ” एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा ” करने जा रहे हैं, तो वे नेपाल में 17,598 फीट पर दक्षिण बेस शिविर के बारे में बात कर रहे हैं. माउंट एवरेस्ट की खोज़ किसने किया- आज भी इसे कई अलग अलग नामो से जाना जाता है जैसे- नेपाल में इसे सागरमाथा जिसका अर्थ है आकाश में माथा है और तिब्बती के मूल निवासी इसे चोमोलुंगमा कहते है जिसका अर्थ “पहाड़ों की देवी माँ” के नाम से जाना जाता है Sir George Everest एक ब्रिटिश नागरिक के साथ साथ एक महान सर्वेक्षक भी थे. ये एवरेस्ट की झलक देखने वाले पहले व्यक्ति थे, इनकी म्रत्यु 1 December 1866 में England में हुई. शुरुआत में माउंट एवरेस्ट को Peak-15 के नाम से जाना जाता था| 1856 में ब्रिटिश इंडिया के सर्वेक्षण के द्वारा इसक...

माउंट एवरेस्ट के बारे में जानकारी

माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है, जो नेपाल और तिब्बत की सीमा पर महालंगुर हिमालय के उप-समूह में स्थित है। यह समुद्र स्‍तर से 29,032 फुट (8,849 मीटर) की ऊँचाई पर खड़ा है। पर्वत को ब्रिटिश सर्वेक्षक सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया था, जो भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकतम हिस्सा का मापन और नक्शा बनाने में संलग्न थे। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना शिखर पर पहुंचने के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण कदमों में से एक कहलाता है, और हर साल कई चढ़ाई करने वाले शिखर की ओर अपनी यात्रा शुरू करते हैं। 2. एवरेस्ट पर्वत को नेपाल के लोग सागरमाथा कहते है। यह नाम नेपाल के इतिहासकार बाबुराम आचार्य ने 1930 के दशक में रखा था। सागरमाथा का अर्थ होता है – स्वर्ग का शीर्ष। 3. देवगिरि और तिब्बत में सदियों से चोमोलंगमा अर्थात् पर्वतों की रानी के नाम से जाना जाता रहा है। 4. एवरेस्ट पर्वत का अंग्रेज़ी नाम इंग्लैंड के जार्ज एवरेस्ट पर रखा गया है। वह एक वैज्ञानिक थे जिन्होंने 1830 से 1843 की बीच भारत की ऊँची चोटियों का सर्वेक्षण किया था। 5. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का सबसे अच्छा समय मार्च से मई के बीच माना जाता है। इस दौरान बर्फ़ ताजा होती है, बारिश भी ना के बराबर होती है और अच्छी धूप की वजह से मौसम भी गुनगुना रहता है। 6. अब तक करीब 5000 लोग माऊंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचने में सफल रहे हैं, जिनमें एक 13 साल का लड़का, एक अंधा व्यक्ति और 73 साल की एक जापानी महिला बुजुर्ग भी शामिल है। 7. सागरमाथा पर चढ़ाई करने वाले पर्वतारोहयों को पहले 25,000 डॉलर (करीब 15.56 लाख रूपए) फीस देनी होती थी, पर वर्ष 2015 में नेपाली सरकार ने इसे कम करके 11,000 डॉलर (करीब 6.82 लाख रूपए) कर दिया। 8. आपको जानकर हैरानी होगी कि 1974 के बाद साल 20...