Mahabharat ka yuddh

  1. महाभारत का युद्ध और युद्ध के 18 दिन (Mahabharat Ka Yuddh Aur Yuddh Ke 18 Din)
  2. Mahabharat Ka Yuddh कौरवों का वो योद्धा जो हमेशा कर्ण और दुर्योधन का तोड़ता था मनोबल!
  3. हल्दीघाटी का युद्ध


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महाभारत का युद्ध और युद्ध के 18 दिन (Mahabharat Ka Yuddh Aur Yuddh Ke 18 Din)

सनातन धर्म में बहुत सारे ग्रन्थ है जिनमें से एक है महर्षि वेदव्यास जी द्वारा रचित “ महाभारत“। अपने धर्म, संस्कृति और ग्रंथो के बारे में कौन नहीं जानता और महाभारत के युद्ध के बारे में भी सब जानते है पर क्या आप जानते है कि महाभारत का युद्ध पूरे 18 दिनों तक चला था। महाभारत का युद्ध “ मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की 14वीं तिथि” को आरम्भ हुआ था। अब, हम आपको बतलायेंगे कि, प्रत्येक दिन के अनुसार महाभारत के युद्ध के 18 दिनों में क्या-क्या हुआ? आइये शुरू करते है : महाभारत युद्ध का पहला दिन : (Mahabharat Yuddh Ka Pahla Din) महाभारत युद्ध के पहले दिन, पांडवों तथा उनकी सेना को भारी हानि का सामना करना पड़ा। जहाँ एक तरफ विराट नरेश के सुपुत्र “उत्तर” को शल्य ने मार डाला वहीँ दूसरी तरफ “श्वेत” को गंगा पुत्र भीष्म ने मार डाला। पांडवों के कई सैनिक भीष्म के हांथो मारे गए। इस युद्ध का पहला दिन कौरवों के लिए उत्साहपूर्ण और पांडवों के लिए काफी दुखद था। महाभारत युद्ध का दूसरा दिन : (Mahabharat Yuddh Ka Dusara Din) महाभारत युद्ध के दूसरे दिन, पांडवों तथा उनकी सेना को अधिक नुक्सान का सामना नहीं करना पड़ा। धृष्टद्युम्न को गुरु द्रोणाचार्य ने कई बार हराया तथा भीष्म ने भी अर्जुन को कई बार घायल किया परन्तु अर्जुन ने भीष्म को युद्ध में रोक कर रखा था ताकि भीष्म पांडवों की सेना का अंत न कर दें। गदाधारी भीम ने अकेले ही कई ‘ कलिंग तथा निषाद ’ को मार गिराया। महाभारत युद्ध का तीसरा दिन : (Mahabharat Yuddh Ka Tisara Din) महाभारत यूद्ध के तीसरे दिन, गदाधारी भीम ने अपने पुत्र घटोत्कच के साथ मिलकर दुर्योधन की समस्त सेना को युद्ध में पीछे खदेड़ दिया पर दुर्योधन की सेना से भीष्म पांडवों की सेना के बहुत से योद्धाओं ...

Mahabharat Ka Yuddh कौरवों का वो योद्धा जो हमेशा कर्ण और दुर्योधन का तोड़ता था मनोबल!

Mahabharat Ka Yuddh: कौरवों का वो योद्धा, जो हमेशा कर्ण और दुर्योधन का तोड़ता था मनोबल! Mahabharat Ka Yuddh महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि कौरवों की सेना में एक योद्धा ऐसा भी था जो हमेशा कर्ण दुर्योधन समेत अन्य युद्धाओं का मनोबल तोड़ता था। आइए पढ़ते हैं उनकी ​कथा। Mahabharat Ka Yuddh: महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया। दोनों ही सेनाओं की ओर से एक से बढ़कर एक पराक्रमी और शूर वीर थे। 18 दिनों तक चले इस भीषण युद्ध में सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गवां दी। पांडवों की तरफ से तो भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी मात्र थे, लेकिन पूरा संचालन वे ही कर रहे थे। कौरवों की ओर से भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण जैसे धुरंधर थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि कौरवों की सेना में एक योद्धा ऐसा भी था, जो हमेशा कर्ण, दुर्योधन समेत अन्य युद्धाओं का मनोबल तोड़ता था। आइए पढ़ते हैं उनकी ​कथा। मद्रदेश के राजा और पांडु के साले राजा शल्य के पास उस समय बहुत बड़ी सेना थी और वे स्वयं बहुत बड़े रथी थे। उनके समान रथ चलाने वाला कोई और न था। वे पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के भाई तथा नकुल-सहदेव के सगे मामा थे। जब कौरवों और पांडवों में युद्ध की घोषणा हुई, तो पांडवों को पूर्ण विश्वास था कि राजा शल्य उनकी ओर से लड़ेंगे। लेकिन एक बार की बात है। राजा शल्य अपनी विशाल सेना के साथ हस्तिनापुर आ रहे थे। तब उस समय रास्ते में हर जगह उनकी सेना के ठहराव और भोजन का बढ़िया प्रबंध किया गया था। उनकी सेना और अपनी आवभगत से वे बेहद खुश हुए। जब वे हस्तिनापुर के पास पहुंचे तो वहां उन्होंने सेना के लिए बहुत बड़ा विश्राम स्थल देखा तथा भोजन का प्रबंध देखा तो बहुत खुश हुए। वे ...

हल्दीघाटी का युद्ध

[[chitr:Haldighati-Udaipur.jpg|maharana pratap ki pratima, yuddh dinaank sthan parinam aisa mana jata hai ki is yuddh mean n to akabar jit saka aur n hi rana hare sanbandhit lekh any janakari 'haldighati ka yuddh' haldighati ka yuddh mugal akraman udayasianh varsh 1541 ee. mean 'haldighati ka yuddh' jahaangir se sangharsh haldighati ke is pravesh dvar par apane chune hue sainikoan ke sath rana pratap shatru ki pratiksha karane lage. donoan or ki senaoan ka samana hote hi bhishan roop se yuddh shuroo ho gaya aur donoan taraf ke shooravir yoddha ghayal hokar zamin par girane lage. pratap apane gho de par savar hokar drutagati se shatru ki sena ke bhitar pahuanch gaye aur rajapootoan ke shatru manasianh ko khojane lage. vah to nahian mila, parantu pratap us jagah par pahuanch gaye, jahaan par 'salim' ( rajapootoan ka balidan is samay yuddh atyant bhayanak ho utha tha. salim par rana pratap ke akraman ko dekhakar asankhy