Mahabharat mein inmein se kis yodha ne kurukshetra yudh ke dauran chakravyuh ki rachna ki thi

  1. महाभारत से मिलते हैं ये 25 सबक, आपने जान लिए तो जीत जाएंगे जिंदगी की जंग
  2. Kurukshetra: Land Of Mahabharat War & Bhagwad Gita
  3. abhimanyu mahabharat ka yudh
  4. महाभारत का युद्ध कब और कहाँ हुआ था?


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महाभारत से मिलते हैं ये 25 सबक, आपने जान लिए तो जीत जाएंगे जिंदगी की जंग

महाभारत की शिक्षा हर काल में प्रासंगिक रही है। महाभारत को पढ़ने के बाद इससे हमें जो शिक्षा या सबक मिलता है, उसे याद रखना भी जरूरी है। तो आओ हम जानते हैं ऐसी ही 25 तरह की शिक्षाएं, जो हमें महाभारत, युगंधर और मृत्युंजन पढ़ने पर मिलती हैं। हालांकि यह भी सच है कि आप महाभारत पढ़ेंगे तो हो सकता है कि आपको कुछ अलग शिक्षा या सबक मिले। 1.जीवन हो योजनाओं से भरा : जीवन के किसी भी क्षेत्र में बेहतर रणनीति आपके जीवन को सफल बना सकती है और यदि कोई योजना या रणनीति नहीं है तो समझो जीवन एक अराजक भविष्य में चला जाएगा जिसके सफल होने की कोई गारंटी नहीं। भगवान श्रीकृष्ण के पास पांडवों को बचाने का कोई मास्टर प्लान नहीं होता तो पांडवों की कोई औकात नहीं थी कि वे कौरवों से किसी भी मामले में जीत जाते। 2.संगत और पंगत हो अच्‍छी : कहते हैं कि जैसी संगत वैसी पंगत और जैसी पंगत वैसा जीवन। आप लाख अच्छे हैं लेकिन यदि आपकी संगत बुरी है, तो आप बर्बाद हो जाएंगे। लेकिन यदि आप लाख बुरे हैं और आपकी संगत अच्छे लोगों से है और आप उनकी सुनते भी हैं, तो निश्‍चित ही आप आबाद हो जाएंगे। कौरवों के साथ शकुनि जैसे लोग थे जो पांडवों के साथ कृष्ण। शकुनि मामा जैसी आपने संगत पाल रखी है तो आपका दिमाग चलना बंद ही समझो। 3.अधूरा ज्ञान घातक : कहते हैं कि अधूरा ज्ञान सबसे खतरनाक होता है। इस बात का उदाहरण है अभिमन्यु। अभिमन्यु बहुत ही वीर और बहादुर योद्धा था लेकिन उसकी मृत्यु जिस परिस्थिति में हुई उसके बारे में सभी जानते हैं। मुसीबत के समय यह अधूरा ज्ञान किसी भी काम का नहीं रहता है। आप अपने ज्ञान में पारंगत बनें। किसी एक विषय में तो दक्षता हासिल होना ही चाहिए। 4.दोस्त और दुश्मन की पहचान करना सीखें : महाभारत में ऐसे कई मित्र थे जिन्हों...

Kurukshetra: Land Of Mahabharat War & Bhagwad Gita

Kurukshetra is the second word in the most popular of Indian scriptures – Bhagwad Gita. It is a place that we associate with the Mahabharat war between Kauravas and Pandavas. Anyone who grew up in India or even knows India a bit – has heard of it. Apart from the war, it is also the place where Bhagwad Gita was first spoken making it a Dharmakshetra – the land of Dharma. Dharmakshetra is indeed the first word of the Bhagwad Gita. I visited the place as a kid. I visited it again recently and this post is primarily based on that visit. What is Kurukshetra Krishna gave Gita Gyan to Arjun during Mahabharat War Kurukshetra literally means the region of Kuru. Kuru was a king of the Bharat dynasty, whose descendants were Kauravas and Pandavas. Kshetra means region and not a city or town. The town that we know today is a post-1947 creation. It was a refugee camp that was named so and the camp became a city. The old town that is identified with the Mahabharat war is Thanesar – from Sthaneshwar, based on the ancient Shiva temple of the same name. Scriptures As per the scriptures, this holy place is the area bounded by the following: South of Turghana (was it named after Shatrughana?) or modern-day Sirhind in Punjab North of Khandava or modern-day Delhi East of Maru (meaning desert) or modern-day Rajasthan West of Parin ( no idea what it means) River Saraswati used to flow through this region. In fact, some sources define the region of Kurukshetra as the region between Saraswati and D...

abhimanyu mahabharat ka yudh

1.कृष्ण की चाल : भगवान श्रीकृष्ण की नीति के चलते अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को चक्रव्यूह को भेदने का आदेश दिया गया। यह जानते हुए भी कि अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदना तो जानते हैं, लेकिन उससे बाहर निकलना नहीं जानते। अभिमन्यु के चक्रव्यूह में जाने के बाद उन्हें चारों ओर से घेर लिया गया। घेरकर उनकी जयद्रथ सहित 7 योद्धाओं द्वारा निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई, जो कि युद्ध के नियमों के विरुद्ध था। कहते हैं कि श्रीकृष्ण यही चाहते थे। जब नियम एक बार एक पक्ष तोड़ देता है, तो दूसरे पक्ष को भी इसे तोड़ने का मौका मिलता है। 2.अन्य योद्धा अभिमन्यु के साथ नहीं जा पाए : प्रारंभ में यही सोचा गया था कि अभिमन्यु व्यूह को तोड़ेगा और उसके साथ अन्य योद्धा भी उसके पीछे से चक्रव्यूह में अंदर घुस जाएंगे। लेकिन जैसे ही अभिमन्यु घुसा और व्यूह फिर से बदला और पहली कतार पहले से ज्यादा मजबूत हो गई तो पीछे के योद्धा, भीम, सात्यकि, नकुल-सहदेव कोई भी अंदर घुस ही नहीं पाए। युद्ध में शामिल योद्धाओं में अभिमन्यु के स्तर के धनुर्धर दो-चार ही थे यानी थोड़े ही समय में अभिमन्यु चक्रव्यूह के और अंदर घुसता तो चला गया, लेकिन अकेला, नितांत अकेला। उसके पीछे कोई नहीं आया। 3.लड़ते-लड़ते थक जाना : जैसे-जैसे अभिमन्यु चक्रव्यूह के सेंटर में पहुंचते गए, वैसे-वैसे वहां खड़े योद्धाओं का घनत्व और योद्धाओं का कौशल उन्हें बढ़ा हुआ मिला, क्योंकि वे सभी योद्धा युद्ध नहीं कर रहे थे बस खड़े थे जबकि अभिमन्यु युद्ध करता हुआ सेंटर में पहुंचता है। वे जहां युद्ध और व्यूहरचना तोड़ने के कारण मानसिक और शारीरिक रूप से थके हुए थे, वहीं कौरव पक्ष के योद्धा तरोताजा थे। ऐसे में अभिमन्यु के पास चक्रव्यूह से निकलने का ज्ञान होता, तो वे बच जाते या उनके पीछे ...

महाभारत का युद्ध कब और कहाँ हुआ था?

महाभारत का युद्ध महाभारत का युद्ध दुनिया के इतिहास में सबसे भयंकर युद्धों में से एक था. इतिहास में यह उल्लेख मिलता है कि महाभारत के युद्ध के बाद सिर्फ 18 योद्धा ही जीवित बचे थे जिनमे से 3 कौरवों की तरफ से थे और 15 पांडवों की ओर से थे. यह युद्ध इतना विकराल और भयंकर था कि इससे मानव धन का नुकसान तो हुआ ही उसके साथ साथ भारत से संस्कृति, धर्म, समाज, सभ्यता और अन्य कई चीज़ों का भी पतन हो गया. महाभारत का युद्ध कब हुआ था? महाभारत का युद्ध कब हुआ था इसके बारे में सही से बता पाना बहुत मुश्किल हैज्यादातर विद्वान यह मानते हैं कि यह युद्ध 1000 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व में हुआ था. भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट के अनुसार यह युद्ध 18 फ़रवरी 3102 ईसा पूर्व हुआ था. पुराणों के अनुसार यह युद्ध 1900 ईसा पूर्व हुआ था वहीँ यूरोपीय विद्वान मानते हैं कि यह युद्ध 1200 ईसा पूर्व हुआ था. महाभारत के युद्ध की सही तिथि के बारे में कोई सटीक प्रमाण नहीं मिलें हैं. महाभारत का युद्ध जिसका नाम राजा कुरु के नाम पर पड़ा था. यह स्थान आज भारत के हरियाणा राज्य में है. कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध होने के पीछे भी एक कारण है जिसके अनुसार देवराज इंद्र ने राजा कुरु को यह वरदान दिया था कि जो भी कोई इस स्थान पर युद्ध करता हुआ मारा जायेगा तो उसे स्वर्ग प्राप्त होगा इसीलिए महाभारत के युद्ध के लिए इस स्थान को चुना गया था.