Mahakavya kise kahate hain

  1. Mahakavya
  2. खंड काव्य किसे कहते हैं? » Khand Kavya Kise Kehte Hain
  3. महाकाव्य
  4. महाकाव्य कितने हैं


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Mahakavya

महाकाव्य (Maha kavya) में किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है। उदाहरणस्वरूप: पद्मावत, रामचरितमानस, कामायनी, साकेत आदि महाकाव्य हैं। चंदबरदाई कृत पृथ्वीराज रासो को पद्मावत‘, ‘ रामचरितमानस‘, ‘ साकेत‘, ‘ प्रियप्रवास‘, ‘ कामायनी‘, ‘ उर्वशी‘, ‘ लोकायतन‘ आदि। परिभाषा एवं अर्थ महाकाव्य का शाब्दिक अर्थ “ महान काव्य” होता है, अर्थात ऐसा काव्य जिसकी कथावस्तु, नायकत्व, देशकाल एवं वातावरण और भाषा शैली महान हो उसे महान काव्य कहते हैं। सर्वप्रथम आदिकवि वाल्मीकि रचित ‘रामायण’ में महाकाव्य के लक्षणों को उजागर किया गया है। अग्निपुराण में महाकाव्य की परिभाषा देते हुए कहा गया है, “ सर्गबन्धो महाकाव्यम्“। अर्थात जिस सर्वप्रथम आचार्य भामह ने ‘ काव्यालंकार‘ में महाकाव्य की परिभाषा देते हुए लिखा है, “महाकाव्य सर्गबद्ध होता है, वह महानता का द्योतक होता है, उसमें निर्दोष शब्दार्थ, अलंकार और सद्वस्तु होनी चाहिए; उसमें विचार-विमर्श, दूत, प्रयाण, युद्ध, नायक का अभ्युदय – यह पांच संधियाँ हों। बहुत गूढ़ न हो, उत्कर्षयुक्त हो। चतुर्वर्ग-आदेश होने पर भी प्रधानत: अर्थ उपादिष्ट हो। लोग स्वभाव का वर्णन और सभी रसों का पृथक चित्रण हो। नायक के कुल, बल, शास्त्र-ज्ञान आदि का उत्कर्ष जताकर और किसी के उत्कर्ष के लिए नायक का वध नहीं करना चाहिए।” आचार्य दंडी ने ‘ काव्यादर्श‘ में महाकाव्य की परिभाषा देते हुए लिखा है, “जिसका कथानक इतिहास सम्मत अथवा प्रसिद्ध कथानक हो, जिसका नायक चतुर तथा उदात्त हो, जो विविध अलंकारों तथा रसों से पूर्ण हो, वृहद तथा पंचसंधियों से युक्त हो, उसे महाकाव्य कहते हैं।” रुद्रट के अनुसार, “महाकाव्य का नायक द्विजकुल-सम्पन्न, सर्वगुण संपन्न, महान, उदात्त,...

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महाकाव्य

अनुक्रम • 1 महाकाव्य के लक्षण • 2 महाकाव्य के सम्बन्ध में पश्चिमी मत • 2.1 कथावस्तु • 2.2 पात्र • 2.3 प्रयोजन और प्रभाव • 2.4 भाषा, शैली और छंद • 3 सारांश • 4 संस्कृत महाकाव्यों की उत्पत्ति एवं विकास • 5 संस्कृत के महाकाव्य • 6 प्राकृत और अपभ्रंश के महाकाव्य • 7 हिंदी के महाकाव्य • 8 तमिल के महाकाव्य • 9 इन्हें भी देखें • 10 बाहरी कड़ियाँ महाकाव्य के लक्षण [ ] जिसमें सर्गों का निबंधन हो वह महाकाव्य कहलाता है। महाकाव्य में आचार्य विश्वनाथ का उपर्युक्त निरूपण महाकाव्य के स्वरूप की वैज्ञानिक एवं क्रमबद्ध परिभाषा प्रस्तुत करने के स्थान पर उसकी प्रमुख और गौण विशेषताओं का क्रमहीन विवरण उपस्थित करता है। इसके आधार पर संस्कृत काव्यशास्त्र में उपलब्ध महाकाव्य के लक्षणों का सार इस प्रकार किया जा सकता है: कथानाक - महाकाव्य का कथानक ऐतिहासिक अथवा इतिहासाश्रित होना चाहिए। विस्तार - कथानक का कलवेर जीवन के विविध रूपों एवं वर्णनों से समृद्ध होना चाहिए। ये वर्णन प्राकृतिक, सामाजिक और राजीतिक क्षेत्रों से इस प्रकार संबंद्ध होने चाहिए कि इनके माध्यम से मानव जीवन का पूर्ण चित्र उसके संपूर्ण वैभव, वैचित्र्य एवं विस्तार के साथ उपस्थित हो सके। इसीलिए उसका आयाम (अष्टाधिक सर्गों में) विस्तृत होना चाहिए। विन्यास - कथानक की संघटना नाट्य संधियों के विधान से युक्त होनी चाहिए अर्थात् महाकाव्य के कथानक का विकास क्रमिक होना चाहिए। उसकी आधिकारिक कथा एवं अन्य प्रकरणों का पारस्परिक संबंध उपकार्य-उपकारक-भाव से होना चाहिए तथा इनमें औचित्यपूर्ण पूर्वापर अन्विति रहनी चाहिए। नायक - महाकाव्य का नायक देवता या सदृश क्षत्रिय हो, जिसका चरित्र धीरोदात्त गुणों से समन्वित हो - अर्थात् वह महासत्त्व, अत्यंत गंभीर, क्षमावान...

महाकाव्य कितने हैं

संस्कृत के महाकाव्य[] • रामायण (वाल्मीकि) • महाभारत (वेद व्यास) • बुद्धचरित (अश्वघोष) • कुमारसंभव (कालिदास) • रघुवंश (कालिदास) • किरातार्जुनीयम् (भारवि) • शिशुपाल वध (माघ) • नैषधीय चरित (श्रीहर्ष) रघुवंश, कुमारसम्भव, कीरातार्जुनीयम्, शिशुपालवध और नैषधचरित को 'पंचमहाकाव्य' कहा जाता है। प्राकृत और अपभ्रंश के महाकाव्य[] • रावण वही (रावण वध) • लीलाबई (लीलावती) • सिरिचिन्हकव्वं (श्री चिन्ह काव्य) • उसाणिरुद्म (उषानिरुद्ध) • कंस वही (कंस वध) • पद्मचरित • रिट्थणेमिचरिउ • महापुराण • नागकुमार चरित • यशोधरा चरित हिंदी के महाकाव्य[] • 1. चंदबरदाईकृतपृथ्वीराज रासो को हिंदी का प्रथम महाकाव्य कहा जाता है। • 2. मलिक मुहम्मद जायसी - पद्मावत • 3. तुलसीदास - रामचरितमानस • 4. आचार्य केशवदास - रामचंद्रिका • 5. मैथिलीशरण गुप्त - साकेत • 6. अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' - प्रियप्रवास • 7. द्वारका प्रसाद मिश्र - कृष्णायन • 8. जयशंकर प्रसाद - कामायनी • 9. रामधारी सिंह 'दिनकर' - उर्वशी • 10. रामकुमार वर्मा - एकलव्य • 11. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' - उर्मिला • 12. गुरुभक्त सिंह - नूरजहां, विक्रमादित्य • 13. अनूप शर्मा - सिद्धार्थ, वर्द्धमान • 14. रामानंद तिवारी - पार्वती • 15. गिरिजा दत्त शुक्ल 'गिरीश' - तारक वध तमिल के महाकाव्य[] • शिलप्पादिकारम • मणिमेकलै • जीवक चिन्तामणि • वलैयापति • कुण्डलकेसि