Maharishi valmiki biography in hindi

  1. महर्षि वाल्मीकि की प्रेरणादायी जीवनी कहानी Maharshi Valmiki Biography in Hindi
  2. महर्षि वाल्मीकि की जीवन कथा
  3. Biography Of Maharshi Valmiki In Hindi (2022), महर्षि वाल्मीकि जयंती 2022, Valmiki Jyanti In 2022 » INDIAN FESTIVALS & CULTURE
  4. Ek Ghatana se Daaku Ratnaakar bane Maharshi Valmiki वाल्मीकि
  5. Pt Vinod Pandey: महर्षि वाल्मीकि जी कौन थे? महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय हिन्दी में
  6. Valmiki Jayanti 2017: महर्षि वाल्मीकि ने की थी संस्कृत के पहले श्लोक की रचना, जानिए क्या है पहला श्लोक
  7. रामायण के रचयिता "महर्षि वाल्मीकि" का जीवन परिचय
  8. Maharishi Valmiki Biography in Hindi : लुटेरे से महर्षि का सफर » OurCity


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महर्षि वाल्मीकि की प्रेरणादायी जीवनी कहानी Maharshi Valmiki Biography in Hindi

Maharshi Valmiki महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय – Maharshi Valmiki Ki Jeevani Hindi Me महर्षि वाल्मीकि अयोध्या के समीप तमसा नदी के किनारे तपस्या करते थे. वह प्रतिदिन प्रातः स्नान के लिए नदी में जाया करते थे. एक दिन जब वह सुबह स्नान करके वापस लौट रहे थे, तो उन्होंने एक क्रौच पक्षी के जोड़े को खेलते हुए देखा. वाल्मीकि उन्हें देखकर आनंद ले रहे थे, तभी अचानक एक संस्कृत श्लोक-: मा निषाद प्रतिष्ठाम त्वमगम: शाश्वती: समा: । यात्क्रौचंमिथुनादेकं अवधी: काम मोहितं ।। हिन्दी अनुवाद-: हे शिकारी ! तुमने काम में मोहित क्रौच पक्षी के जोड़े में से एक को मार दिया है, इसलिए तुम कभी भी प्रतिष्ठा और शांति को प्राप्त नहीं कर सकोगे. इन्ही वाल्मीकि ने आगे चलकर विश्वप्रसिद्ध “रामायण” की रचना की. महर्षि वाल्मीकि का जन्म हजारो वर्ष पूर्व भारत में हुआ था.वह कब और कहाँ जन्मे इस बारे में कुछ भी निश्चत नहीं कहा जा सकता. बचपन में महर्षि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था. ईश्वरीय प्रेरणा से वह सांसारिक तपस्या में वे इतने लीन हो गए की उनके पूरे शरीर में दीमक ने अपनी वल्मीक बना लिया. इसी कारण इनका नाम वाल्मीकि पड़ा. यह भी पढ़े- तमसा नदी के किनारे अपने आश्रम में रहकर उन्होंने कई रचनाये की जिसमे प्रसिद्ध ग्रन्थ रामायण भी शामिल है. रामायण में वर्णित कथा जैसा सुन्दर,स्पष्ट और भक्ति-भावपूर्ण वर्णन दुसरे कवि के काव्य में नहीं मिलता है.वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य का आदि कवि माना जाता है. वाल्मीकि रामायण में सात खंड है. उन्होंने अपनी इस रचना में सिर्फ भगवान राम का ही नहीं बल्कि उस समय के समाज की दशा,सभ्यता,शासन-व्यवस्था तथा लोगो के रहन-सहन का भी वर्णन किया है. रामायण को त्रेता युग का इतिहास-ग्रन्थ भी माना जाता है. महर्षि वाल्म...

महर्षि वाल्मीकि की जीवन कथा

• • महर्षि वाल्मीकि की जीवन कथा | Maharshi Valmiki ki katha | वाल्मीकि की कहानी | valmiki ki kahani | कैसे डाकू से साधु बने वाल्मीकि वाल्मीकि एक लुटेरा था, जो आने जाने वाले राहगीरों को लूटा करता था। एक दिन उसने ऐसे राहगीर को लूटने का प्रयास किया जिसके पास कुछ भी नहीं था। राहगीर कहने लगा,”मैं नारद हूं। तुम लोगों को लूटने का पाप क्यों करते हो? “ लुटेरे ने कहा, “मुझे अपने परिवार का खर्चा चलाना होता है।” नारद ने कहा, ” जाकर अपने परिवार से पूछो कि क्या वे लोग तुम्हारे पास में भी भागीदार बनने को तैयार है”। Maharshi Valmiki ki katha लुटेरे ने घर जाकर अपने पिता से पूछा, “मैं लोगों को लूट कर रुपया पैसा लाता हूं। क्या आप मेरे पाप में भागीदार बनेंगे? “उसका पिता यह सुनकर गुस्सा हो पड़ा और चिल्लाया, दूर हो जा, लुटेरे, कहीं के! उसकी मां भी नाराज होते हुए बोली, “मैं क्यों तुम्हारे पास में भागीदार बनू? मैंने पूरे जीवन में कभी कुछ नहीं चुराया।” उसकी पत्नी कहने लगी, “मेरी जिम्मेदारी उठाना तो तुम्हारा कर्तव्य है।” लूटेरा लौटकर नारद के पास आया तो नारद बोले, “हर कोई इस दुनिया में अकेला है। ईश्वर की पूजा करो। वही हमेशा तुम्हारे साथ रहता है।” लुटेरे ने कई साल तक तपस्या की। एक दिन उसे आकाशवाणी सुनाई दी, “तुम्हारा नया नाम वाल्मीकि होगा तुम राम कथा लिखोगे।” वाल्मीकि ने ही रामायण की रचना की थी। यहाँ पढ़ें : महर्षि वाल्मीकि की जीवन कथा | Life Story Of Adikavi Valmiki Rushi | How did Valmiki become Rishi?

Biography Of Maharshi Valmiki In Hindi (2022), महर्षि वाल्मीकि जयंती 2022, Valmiki Jyanti In 2022 » INDIAN FESTIVALS & CULTURE

आज हम जानेंगे महर्षि वाल्मीकि जयंती 2022, महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय, उनकी जीवनी (Eassy), महान रचियता और उनके जीवन परिचय में उनसे जुडी कुछ अहम् कथायें Maharishi Valmiki Image महर्षि वाल्मीकि जी एक महान काव्य रचियता थे। उन्हें अदिकवि भी कहा जाता है। उन्होंने अपने जीवन में संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की थी। जिसे वाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है। उनकी रचना भगवान श्री राम के जीवन पर आधारित थी। वाल्मीकि जी के संस्कृत भाषा के प्रथम महाकाव्य रामायण की रचना की जिस करण उन्हें आदिकवि कहा जाने लगा। उनके जीवन से हम बहुत कुछ सीख सकते है। महर्षि जी अपनी जीविका चलने के लिए डाकू बनना पड़ा और उसके बाद अपने जीवन में आने वाले उतर चढाव और कुछ बातों सी प्रभावित होकर एक एक महान रचयिता बन जाते है। उनके जीवन के कुछ पहलुओं को देख हम उनके जीवन से बहुत सी शिक्षा ले सकते है। Table of Contents • • • • • • • • • • • वाल्मीकि जयंती 2022 में कब है? (Valmiki Jyanti kab hai 2022) वाल्मीकि जी का जन्म अश्विन मास के पूर्णिमा के दिन हुआ था जो की इस साल यानि 2022 में 9 अक्तूबर 2022 (9 Oct. 2022) को मनाया जाना है। महर्षि वाल्मीकि कौन हैं? (Maharishi Valmiki kon hai) वाल्मीकि जी का वास्तविक नाम रत्नाकर था। वह ब्राह्मण प्रचेता के पुत्र थे उनका जन्म अश्विन पूर्णिमा के दिन हुआ था किन्तु एक दिन एक भील महिला ने उन्हें बचपन में अगवाह कर लिया और भील समाज में ले गयी और उनका पालन पोषण वहीं किया। भीलों में उनका पालन पोषण होने के करण अपनी आजीविका चलाने के लिए वह डाकू बन गए। उसके बाद वह एक महान आदि कवि बने। Mahrishi Valmiki ji ka jeevan prichay(वाल्मीकि का जीवन परिचय अर्थात जीवनी) वाल्मीकि जी ने रामायण लिखी और ज...

Ek Ghatana se Daaku Ratnaakar bane Maharshi Valmiki वाल्मीकि

1.2.10 वाल्मीकि जाति कौन सी कैटेगरी में आती है? महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय, जयंती, निबंध | Maharshi Valmiki Biography in Hindi महर्षि वाल्मीकि ( Maharshi Valmiki ) द्वारा रचित रामायण एक ऐसा महान ग्रंथ है जो कि लोगों को उसकी मर्यादा, त्याग, सत्य, प्रेम, मित्रत्व एवम सेवक जैसे धर्मों की सीख देता है। ऐसे पवित्र रामायण के रचयिता वाल्मीकि ( Maharshi Valmiki ) के बारे में हर कोई जानता है। रामायण में जब माता सीता अपने घर को त्याग करके वन जाती है तो वहां पर वाल्मीकि के आश्रम में शरण लेती हैं और वहीं पर लव कुश का लालन-पालन भी होता है। वाल्मीकि लव कुश के गुरु थे, जिन्होंने लव कुश को रामायण का पाठ सुनाया था। लेकिन क्या आपको पता है कि रामायण के रचयिता वाल्मीकि का नाम पहले रत्नाकर था और इन्हें आदिकवि भी कहा जाता है। महर्षि वाल्मीकि परिचय (Maharshi Valmiki Introduction) इसके अतिरिक्त इनके जीवन से जुड़ी कई बातें हैं जो आपको प्रेरणा देगी। तो चलिए महर्षि वाल्मीकि Maharshi Valmiki के जीवन कथा के बारे में और कुछ जानते हैं। Ek Ghatana se Daaku Ratnaakar bane Maharshi Valmiki | उस एक घटना से डाकू रत्नाकर बने महर्षि वाल्मीकि कौन थे महर्षि वाल्मीकि (Who is Maharshi Valmiki) महर्षि वाल्मीकि जी का व्यक्तित्व साधारण नहीं था। ये पहले डाकू थे लेकिन अपने जीवन में हुई एक घटना के बाद उन्होंने अपना पथ बदला और महान कवि बने। महर्षि वाल्मीकि का जन्म अश्विनी महीने की पूर्णिमा के दिन त्रेता युग में हुआ था। वाल्मीकि के माता का नाम प्रचेता था। इनके पिता का नाम कश्यप था। कहा जाता है कि बचपन में उन्हें भील जाति के लोगों ने चुरा लिया था उसके बाद उनका लालन-पालन भीलों ने ही किया। वाल्मीकि के पिता का नाम कश्यप होन...

Pt Vinod Pandey: महर्षि वाल्मीकि जी कौन थे? महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय हिन्दी में

भगवान वाल्मीकि जी के पिता का नाम वरुण तथा मां का नाम चार्षणी था। वह अपने माता-पिता के दसवें पुत्र थे। उनके भाई ज्योतिषाचार्य भृगु ऋषि थे। महर्षि कश्यप तथा अदिति के नौवीं संतान थे पिता वरुण। वरुण का एक नाम प्रचेता भी हैं, इसलिए वाल्मीकि जी प्राचेतस नाम से भी विख्यात हैं। मत्स्य पुराण में भगवान वाल्मीकि जी को भार्गवसप्तम् नाम से स्मरण किया जाता हैं, तथा भागवत में उन्हें महायोगी कहा गया हैं। सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित दशमग्रन्थ में वाल्मीकि जी को ब्रह्मा का प्रथम अवतार कहा गया हैं। Maharishi Valmiki परम्परा में महर्षि वाल्मीकि जी को कुलपति कहा गया हैं। कुलपति उस आश्रम प्रमुख को कहा जाता था जिनके आश्रम में शिष्यों के आवास, भोजन, वस्त्र, शिक्षा आदि का प्रबंध होता था। वाल्मीकि जी का आश्रम गंगा नदी के निकट बहने वाली तमसा नदी के किनारे पर स्थित था। वाल्मीकि जी का नाम वाल्मीकि जी कैसे पड़ा इसकी एक रोचक कथा हैं। वाल्मीकि जी ने पूरी तरह़ भगवान से लौ लगाई तथा ईश्वर में लीन रहने लगे। एक बार जब वह घोर तपस्या में लीन थे, उनके समाधिस्थ शरीर पर दीमकों ने अपनी बाम्बियां बना लीं। दीमकों की बाम्बियों को संस्कृत में वाल्मीक कहा जाता हैं। किन्तु वाल्मीकि जी को इसका आभास तक नहीं हुआ तथा वह तपस्या में मगन रहे तथा उसी अवस्था में आत्मज्ञानी हो गए। अन्ततः, आकाशवाणी हुई, ‘ तुमने ईश्वर के दर्शन कर लिए हैं। तुम्हें तो इसका ज्ञान तक नहीं हैं कि दीमकों ने तुम्हारी देह पर अपनी बाम्बियां बना ली हैं। तुम्हारी तपस्या पूर्ण हुई। अब से तुम्हें संसार में वाल्मीकि जी के नाम से जाना जाएगा। भगवान वाल्मीकि जी के जीवन में दो महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं जिन्होंने न केवल उनके अन्तर्मन को हिला कर रख दिया क...

Valmiki Jayanti 2017: महर्षि वाल्मीकि ने की थी संस्कृत के पहले श्लोक की रचना, जानिए क्या है पहला श्लोक

एक पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि बनने से पहले वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था। एक बार रत्नाकर अपने परिवार के पोषण के लिए जंगलों में भटक रहे थे तब उनकी मुलाकात नारद मुनि से हुई। इसके बाद नारद मुनि से रत्नाकर को ज्ञान दिया लेकिन वो समझ नहीं पाए, नारद मुनि ने उन्हें कुछ ऐसी बातें कही कि वो परेशान हो गए। इसके बाद असमंजस में पड़े रत्नाकर ने नारद मुनि को पास ही एक पेड़ से बांधा और अपने घर उस प्रश्न का उत्तर जानने हेतु पहुंच गए| उन्हें जानकर बहुत ही निराशा हुई कि उनके परिवार का एक भी सदस्य उनके कर्मों का उत्तरदायी बनने को तैयार नहीं था। सबने कहा कि कर्म वो कर रहे हैं तो उत्तरदायी भी वही होंगे। घरवालों काे जवाब सुनने के बाद रत्नाकर वापस लौटे, नारद मुनि को खोला और उनके चरणों पर गिर गए। तत्पश्चात नारद मुनि ने उन्हें सत्य के ज्ञान से परिचित करवाया और उन्हें परामर्श दिया कि वह राम-राम का जाप करें। राम नाम जपते-जपते ही रत्नाकर महर्षि बन गए और आगे जाकर महान महर्षि वाल्मीकि के नाम से विख्यात हुए। महर्षि वाल्मीकि भारतीय महाकाव्य रामायण का रचयिता हैं। माना जाता है कि संस्कृत के पहले श्लोक की रचना महर्षि वाल्मीकि ने ही की थी। महर्षी वाल्मीकि के काव्य रचना की प्रेरणा के बारे में उन्होंने खुद लिखा है। हुआ यूँ कि एक बार महर्षि क्रौंच पक्षी के मैथुनररत जोड़े को निहार रहे थे। वो जोड़ा प्रेम में लीन था तभी उनमें से एक पक्षी को किसी बहेलिये का तीर आकर लग गया और उसकी वहीं मृत्यु हो गई। ये देख महर्षि बहुत ही दुखी और क्रोधित हुए। इस पीड़ा और क्रोध में अपराधी के लिए महर्षि के मुख से एक श्लोक फूटा जिसे संस्कृत का पहला श्लोक माना जाता है। वो श्लोक नीचे यूं है- मां निषाद प्रतिष्ठां त्वगम: शाश्वती: समा: । यत्क्र...

रामायण के रचयिता "महर्षि वाल्मीकि" का जीवन परिचय

Maharishi Valmiki Biography In Hindi : हमारा भारत देश ऋषि मुनियों, सन्तों तथा अनेक प्रकार के धर्मों वाला देश है। भारतवर्ष हमेशा से ही महापुरुषों का देश कहलाया है, भारत की पवित्र भूमि पर अनेक महापुरुषों, पराक्रमियों ने जन्म लेकर भारत भूमि को गौरवान्वित किया है। आदि काल से भारत भूमि पर ऐसे प्रसिद्ध महाकाव्यों व ग्रन्थों की रचना हुई है, जिसके समानांतर कोई साहित्य ही नहीं हुआ, यही कारण है कि भारत देश की शिक्षा व ज्ञान की चर्चा देश विदेश में की जाती रही है। ये भी पढ़े ⇓• भारत देश में होने वाले प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों की श्रेणी में महर्षि वाल्मीकि जी को प्रथम स्थान प्राप्त है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत भाषा के आदि कवि व हिन्दुओं के प्रसिद्ध काव्य ग्रन्थ ‘रामायण’ के रचयिता के रूप में विख्यात हैं। इनकी महान रचना रामायण एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमें हमें मर्यादा, सत्य, प्रेम, मितृत्व आदि गुणधर्मों के बारे में सीख मिलती है। रामायण श्री राम जी के जीवन पर आधारित काव्य है। कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि जी पहले एक डाकू थे, परन्तु उन्होंने अपने जीवन की एक घटना से प्रेरित होकर अपना जीवन पथ बदल दिया। आइए जानते हैं कि कैसे महर्षि वाल्मीकि जी एक डाकू से प्रसिद्ध कवि बने , तो आज हम आपको महर्षि वाल्मीकि के जीवन के बारे में विस्तार से बताते हैं। महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त जीवन परिचय : नाम – : महर्षि वाल्मीकि वास्तविक नाम – : अग्नि शर्मा (रत्नाकर) जन्म दिवस – : अश्विनी माह की पूर्णिमा को (त्रेतायुग) पिता का नाम – : वरुण (प्रचेता) माता का नाम – : चर्षणी भाई का नाम – : भ्रगु पेशा – : डाकू , बाद में महाकवि रचना –: श्री राम चरित मानस जाति – : कश्यप धर्म – : हिन्दू महर्षि वाल्मीकि का वास्तविक नाम...

Maharishi Valmiki Biography in Hindi : लुटेरे से महर्षि का सफर » OurCity

maharishi valmiki biography in hindi आपका आज फिरसे स्वागत हे हमारी website Ourcity.in में , आशा हे की आप सब स्वस्थ और सुरक्षित होंगे ,मित्रो आज बात करते हे महर्षि वाल्मीकि के बारे में। महर्षि वाल्मीकि जिन्होंने रामायण की रचना करी , जिन्होंने कई श्लोक और काव्यो की रचना करी। वाल्मीकि की जिनका बचपन में ही अपहरण कर लिया गया था। तो चलिए मित्रो आज पढ़ते हे महर्षि वाल्मीकि के जीवन के बारे में , ये एक ऐसा हमारा इतिहास हे एक ऐसी कहानी जिसे पढ़कर आप भी अचंभित रह जाओगे तो Post पूरी पढ़िएगा मित्रो। Maharishi Valmiki Biography in Hindi Table of Contents • • • • • • • • • Maharishi Valmiki Biography in Hindi मित्रो माना जाता हे की Maharishi Valmiki Maharishi Kashyap और Aditi के नौवे पुत्र प्रचेता के संतान हे . उनके पिता का नाम वरुण और माता का नाम चर्षणी था। बचपन में भील समुदाय के लोग उन्हें चुराकर ले गए थे और उनकी परवरिश भील समाज में ही हुई। वाल्मीकि से पहले उनका नाम डाकू रत्नाकर हुआ करता था. रत्नाकर जंगल से जो भी गुज़रते उन्हें लूटने का काम करते थे। इन्ही चीज़ो के चलते हुए Maharishi Valmiki पहले एक बहोत बड़े डाकू बने और अपना बहोत लम्बा जीवन जंगल में बिताया। एक समय ऐसा भी आया जब उनके नामसे सब कांपते थे और जंगल में जाने से भी डरते थे। रत्नाकर से Maharishi Valmiki तक का सफर भील प्रजाति में पीला बढे लोग डाकू बनकर लोगो को लूटकर अपना गुज़ारा करते थे , कई बार तो वे लोगो की हत्या भी कर देते थे। एक बार हुआ कुछ यूंकि जंगल में शिकार की खोज में एक रत्नाकर जा रहा था. तब उन्हें नारद मुनि मिल गए। लूटने के इरादे से उस रत्नाकर ने नारद मुनि को बंदी बना लिया। नारदजी ने उनसे बस एक ही प्रश्न पूछा की तुम ये...