Main kalam se likhta hun sanskrit mein anuvad

  1. Sanskrit me anuvad । संस्कृत में अनुवाद पाठ
  2. हिन्दी से संस्कृत translate
  3. अनुवाद का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप एवं सीमाएं
  4. हिन्दी से संस्कृत translate
  5. Sanskrit me anuvad । संस्कृत में अनुवाद पाठ


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Sanskrit me anuvad । संस्कृत में अनुवाद पाठ

अनुवाद शब्द का सामान्य अर्थ है किसी एक भाषा के वाक्यों को दूसरी भाषा में बदलना। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद सीखने के लिए कुछ बिन्दुओं का ज्ञान होना आवश्यक है, जिनके बिना अनुवाद नहीं सीखा जा सकता है। ये बिन्दु निम्न हैं- 1. लिंग 2. वचन 3. पुरुष 4. क्रिया 1. लिंग लिंग शब्द का सामान्य अर्थ है पहचान । संस्कृत में तीन प्रकार के लिंग होते हैं- (I). पुल्लिंग (II). स्त्रीलिंग (III). नपुंसकलिंग (I). पुल्लिंग- पुल्लिंग शब्द सामान्यत: पुरुष जाति का बोध कराते हैं, जैसे- राम:, बालक:, हरि:, गुरु: आदि। (II). स्त्रीलिंग- स्त्रीलिंग शब्द सामान्यत: स्त्री जाति का बोध कराते हैं, जैसे- रमा, लता, सीता, नदी, वधू आदि। (III). नपुंसकलिंग- नपुंसकलिंग शब्द सामान्यत: नपुंसक जाति का बोध कराते हैं , जैसे- फलम्, वस्त्रम्, पुस्तकम्, गृहम् आदि। 2. वचन- शब्द के जिस रूप से उसके एक, दो या बहुत होने का ज्ञान हो, उसे वचन कहते हैं। संस्कृत में वचन तीन प्रकार के होते हैं- (I). एकवचन (II). द्विवचन (III). बहुवचन (I). एकवचन- शब्द के जिस रूप से उसके एक होने का ज्ञान हो, उसे एकवचन कहते हैं। (II). द्विवचन- शब्द के जिस रूप से उसके दो होने का ज्ञान हो, उसे द्विवचन कहते हैं। (III). बहुवचन- शब्द के जिस रूप से उसके तीन या तीन से अधिक होने का ज्ञान हो, उसे बहुवचन कहते हैं। 3. पुरुष- वाक्य को बोलने वाला, सुनने वाला और कोई अन्य, इनको पुरुष कहते हैं। संस्कृत में तीन पुरुष होते हैं- (I). प्रथम पुरुष (II). मध्यम पुरुष (III). उत्तम पुरुष (I). प्रथम पुरुष- किसी भी बात को बोलने वाला जिन संज्ञा या सर्वनामों का प्रयोग किसी अन्य के लिए करता है, अर्थात् न खुद के लिए करता है और न ही सुनने वाले के लिए करता है, उसे प्रथम पुरुष कहते हैं। ...

हिन्दी से संस्कृत translate

ट्रांसलेशन क्या है : किसी एक भाषा को दूसरी अन्य भाषा में समझना ही ट्रांसलेशन कहलाता है। उदहारण के लिए - हिंदी से अंग्रेजी में बदलना, अंग्रेजी के शब्दों को उर्दू में बदलना इत्यादि। हिन्दी से संस्कृत Translate : अगर आप हिंदी से संस्कृत में ट्रांसलेशन करना चाहते है तो Google की मदद ले सकते है। Google आपको जितना बेहतर हो सके उतना बेहतर परिणाम दिखाने की कोशिश करेगा। जैसे यहाँ हिन्दी से संस्कृत अनुवाद के कुछ उदाहरण हम आपको बता रहे है, जो इस प्रकार है.... 1. बालक विद्यालय जाता है। - बालकः विद्यालयं गच्छति। 2. झरने से अमृत को मथता है। - सागरं सुधां मथ्नाति। 3. राम के सौ रुपये चुराता है। - रामं शतं मुष्णाति। 4. राजा से क्षमा माँगता है। - नृपं क्षमां याचते। 5. सज्जन पाप से घृणा करता है। - सज्जनः पापाद् जुगुप्सते। 6. विद्यालय में लड़के और लड़कियाँ है। - विद्यालये बालकाः बालिकाश्च वर्तन्ते। 7. मैं कंघे से बाल सँवारता हूँ। - अहं कंकतेन केशप्रसाधनं करोमि। 8. बालिका जा रही है। - बालिका गच्छन्ती अस्ति। 9. यह रमेश की पुस्तक है। - इदं रमेशस्य पुस्तकम् अस्ति। 10. बालक को लड्डू अच्छा लगता है। - बालकाय मोदकं रोचते।

अनुवाद का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप एवं सीमाएं

हिन्दी में अनुवाद के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले अन्य शब्द हैं : छाया, टीका, उल्था, भाषान्तर आदि। अन्य भारतीय भाषाओं में‘अनुवाद’ के समानान्तर प्रयोग होने वाले शब्द हैं : भाषान्तर(संस्कृत, कन्नड़, मराठी), तर्जुमा (कश्मीरी, सिंधी, उर्दू), विवर्तन, तज्र्जुमा(मलयालम), मोषिये चण्र्यु(तमिल), अनुवादम्(तेलुगु), अनुवाद (संस्कृत, हिन्दी, असमिया, बांग्ला, कन्नड़, ओड़िआ, गुजराती, पंजाबी, सिंधी)। अंग्रेजी विद्वान मोनियर विलियम्स ने सर्वप्रथम अंग्रेजी में‘translation’ शब्द का प्रयोग किया था।‘अनुवाद’ के पर्याय के रूप में स्वीकृत अंग्रेजी‘translation’ शब्द, संस्कृत के‘अनुवाद’ शब्द की भाँति, लैटिन के‘trans’ तथा‘lation’ के संयोग से बना है, जिसका अर्थ है‘पार ले जाना’-यानी एक स्थान बिन्दु से दूसरे स्थान बिन्दु पर ले जाना। यहाँ एक स्थान बिन्दु‘स्रोत-भाषा’ या 'Source Language’ है तो दूसरा स्थान बिन्दु‘लक्ष्य-भाषा’ या‘Target Language’ है और ले जाने वाली वस्तु‘मूल या स्रोत-भाषा में निहित अर्थ या संदेश होती है। ऐसे ही‘वैब्स्टर डिक्शनरी’ का कहना है-’Translation is a rendering from one language or representational system into another. Translation is an art that involves the recreation of work in another language, for readers with different background.’ अनुवाद के इस दोहरी क्रिया को निम्नलिखित आरेख से आसानी से समझा जा सकता है : भारतीय संदर्भ में, अनुवाद पाली, प्राकृत, देवनागरी और अन्य क्षेत्राीय भाषाओं में पवित्रा ग्रंथों के अनुवाद के साथ शुरू हुआ। यह दुनिया भर में नैतिक मूल्यों, लोकाचार, परंपरा, मान्यताओं और संस्कृति के संचारण करने में मदद करता है। अनुवाद के क्षेत्र आज की दुनिया में अनुवाद का क्षेत्र...

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ट्रांसलेशन क्या है : किसी एक भाषा को दूसरी अन्य भाषा में समझना ही ट्रांसलेशन कहलाता है। उदहारण के लिए - हिंदी से अंग्रेजी में बदलना, अंग्रेजी के शब्दों को उर्दू में बदलना इत्यादि। हिन्दी से संस्कृत Translate : अगर आप हिंदी से संस्कृत में ट्रांसलेशन करना चाहते है तो Google की मदद ले सकते है। Google आपको जितना बेहतर हो सके उतना बेहतर परिणाम दिखाने की कोशिश करेगा। जैसे यहाँ हिन्दी से संस्कृत अनुवाद के कुछ उदाहरण हम आपको बता रहे है, जो इस प्रकार है.... 1. बालक विद्यालय जाता है। - बालकः विद्यालयं गच्छति। 2. झरने से अमृत को मथता है। - सागरं सुधां मथ्नाति। 3. राम के सौ रुपये चुराता है। - रामं शतं मुष्णाति। 4. राजा से क्षमा माँगता है। - नृपं क्षमां याचते। 5. सज्जन पाप से घृणा करता है। - सज्जनः पापाद् जुगुप्सते। 6. विद्यालय में लड़के और लड़कियाँ है। - विद्यालये बालकाः बालिकाश्च वर्तन्ते। 7. मैं कंघे से बाल सँवारता हूँ। - अहं कंकतेन केशप्रसाधनं करोमि। 8. बालिका जा रही है। - बालिका गच्छन्ती अस्ति। 9. यह रमेश की पुस्तक है। - इदं रमेशस्य पुस्तकम् अस्ति। 10. बालक को लड्डू अच्छा लगता है। - बालकाय मोदकं रोचते।

Sanskrit me anuvad । संस्कृत में अनुवाद पाठ

अनुवाद शब्द का सामान्य अर्थ है किसी एक भाषा के वाक्यों को दूसरी भाषा में बदलना। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद सीखने के लिए कुछ बिन्दुओं का ज्ञान होना आवश्यक है, जिनके बिना अनुवाद नहीं सीखा जा सकता है। ये बिन्दु निम्न हैं- 1. लिंग 2. वचन 3. पुरुष 4. क्रिया 1. लिंग लिंग शब्द का सामान्य अर्थ है पहचान । संस्कृत में तीन प्रकार के लिंग होते हैं- (I). पुल्लिंग (II). स्त्रीलिंग (III). नपुंसकलिंग (I). पुल्लिंग- पुल्लिंग शब्द सामान्यत: पुरुष जाति का बोध कराते हैं, जैसे- राम:, बालक:, हरि:, गुरु: आदि। (II). स्त्रीलिंग- स्त्रीलिंग शब्द सामान्यत: स्त्री जाति का बोध कराते हैं, जैसे- रमा, लता, सीता, नदी, वधू आदि। (III). नपुंसकलिंग- नपुंसकलिंग शब्द सामान्यत: नपुंसक जाति का बोध कराते हैं , जैसे- फलम्, वस्त्रम्, पुस्तकम्, गृहम् आदि। 2. वचन- शब्द के जिस रूप से उसके एक, दो या बहुत होने का ज्ञान हो, उसे वचन कहते हैं। संस्कृत में वचन तीन प्रकार के होते हैं- (I). एकवचन (II). द्विवचन (III). बहुवचन (I). एकवचन- शब्द के जिस रूप से उसके एक होने का ज्ञान हो, उसे एकवचन कहते हैं। (II). द्विवचन- शब्द के जिस रूप से उसके दो होने का ज्ञान हो, उसे द्विवचन कहते हैं। (III). बहुवचन- शब्द के जिस रूप से उसके तीन या तीन से अधिक होने का ज्ञान हो, उसे बहुवचन कहते हैं। 3. पुरुष- वाक्य को बोलने वाला, सुनने वाला और कोई अन्य, इनको पुरुष कहते हैं। संस्कृत में तीन पुरुष होते हैं- (I). प्रथम पुरुष (II). मध्यम पुरुष (III). उत्तम पुरुष (I). प्रथम पुरुष- किसी भी बात को बोलने वाला जिन संज्ञा या सर्वनामों का प्रयोग किसी अन्य के लिए करता है, अर्थात् न खुद के लिए करता है और न ही सुनने वाले के लिए करता है, उसे प्रथम पुरुष कहते हैं। ...

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