Mansik mapan ke kshetra mein kiska karya pramukh hai

  1. मापन, मूल राशियां एवं मूल मात्रक क्या हैं
  2. मानसिक रोग के लक्षण, कारण, उपचार, इलाज, और बचाव
  3. मानसिक रोग के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज
  4. Dr Renu Johri
  5. मानसिक रोग के लक्षण, कारण और प्रकार
  6. भारतीय दण्ड संहिता 1860
  7. भारत का इतिहास, History of India in Hindi, प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत का इतिहास


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मापन, मूल राशियां एवं मूल मात्रक क्या हैं

किसी भौतिक राशि की माप ज्ञात करने के लिए उस भौतिक राशि के एक निश्चित परिमाण (हिस्से) को मानक मान लेते हैं। तथा इस मानक को व्यक्त करने के लिए एक नाम दे देते हैं जिसे मात्रक कहते हैं। तथा इस पूरी प्रक्रिया को मापन कहते हैं। उदाहरण – मान लिजिए आपके पास एक बड़ा सा पत्थर है, और आपको उसका भार ज्ञात करना है तो आप कैसे करेंगे। पत्थर के एक छोटे से टुकड़े को मानक मान लेंगे और उस छोटे से टुकड़े को एक नाम दे देंगे जैसे 100 ग्राम। तो अब इस टुकड़े से पूरे पत्थर का भार हम ज्ञात कर सकते हैं। ” किसी दी गई भौतिक राशि को उसके मात्रक से तुलना करने को ही मापन कहते हैं। “ मूल राशियां एवं मूल मात्रक ” कुछ भौतिक राशियां स्वतंत्र होती हैं इनको किसी दूसरी राशि के पदों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, ऐसी राशियों को मूल राशियां कहते हैं एवं इन मूल राशियों के मात्रक को मूल मात्रक कहते हैं।” अन्य राशियों जैसे – क्षेत्रफल, वेग, चाल, घनत्व, बल, कार्य आदि मूल राशियों की सहायता से ही व्यक्त की जाती हैं। यांत्रिकी में लंबाई, समय और द्रव्यमान यह तीन ऐसी राशियां हैं जिनसे यांत्रिकी संबंधित सभी भौतिक राशियों को व्यक्त किया जा सकता है। विभिन्न भौतिक राशियों को देखने से ऐसा लगता है कि इन सभी राशियों को मापने के लिए इतनी ही मात्रकों की जरूरत होगी। परंतु मापन की जाने वाली राशियों की संख्या काफी अधिक है इस कारण इनके मात्रकों की संख्या भी बहुत अधिक हो जाएगी जिसे याद करना भी असंभव हो जाएगा। हम यह तो जानते ही हैं कि अनेक राशियां परस्पर एक दूसरे से संबंधित हैं। जैसे – (1) चाल, दूरी तथा समय से संबंधित है। तो इसकी मापन के लिए हमें नए मात्रक की जरूरत नहीं होगी, इसे दूरी (मीटर) तथा समय (सेकंड) के पदो में ही व्यक्त किया जा सक...

मानसिक रोग के लक्षण, कारण, उपचार, इलाज, और बचाव

मानसिक रोग क्या है – what is Mental Illness in Hindi एक ऐसी स्थिति जो व्यक्ति की महसूस करने और सोचने की क्षमता को प्रभावित करती है मानसिक रोग कहलाती है। मानसिक बीमारी (Mental Illness), मानसिक स्वास्थ्य की अनेक स्थितियों को प्रभावित करती है। इसके अंतर्गत वे विकार आते है जो व्यक्ति की मनोदशा, सोच और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। मानसिक बीमारी के उदाहरणों में डिप्रेशन (depression), चिंता विकार, सिजोफ्रेनिया (schizophrenia) (एक प्रकार का पागलपन), भोजन में अव्यवस्था और नशे की लत आदि विकार शामिल हैं। एक मानसिक रोग (Mental Illness) किसी व्यक्ति के लिए दुखदायक हो सकता है, और सम्बंधित व्यक्ति के जीवन सम्बन्धी दैनिक कार्यों जैसे स्कूल, काम-काज या निजी संबंधों में समस्याएं पैदा कर सकता है। मानसिक रोग के ज्यादातर मामलों में, दवाओं और टॉक थेरेपी (मनोचिकित्सा) (talk therapy) की मदद से इसके लक्षणों रोक लगाई जा सकता है। (और पढ़े – मानसिक रोग के लक्षण – Mental Illness Symptoms in Hindi दिमागी विकार, हालत (circumstances) और अन्य कारकों के आधार पर मानसिक बीमारी (Mental Illness) के लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। इस रोग के लक्षण मानवीय भावनाओं, विचारों और व्यवहार को बहुत अधिक प्रभावित कर सकते हैं। मानसिक रोग के लक्षणों में शामिल हैं: • बुरे स्वप्न आना, भ्रम उत्पन्न होना या पागलपन की स्थिति पैदा होना • उदासी की भावना (Feeling sad) आना • • सोचने ओर समझने में उलझन महसूस होना या एकाग्रता में कमी आना • दैनिक समस्याओं और तनाव से निपटने में असमर्थ होना, • दोस्तों और परिवार के साथ लगातार लड़ना-झगड़े या बहस करना, • अत्यधिक भय या चिंता, या अपराध की भावनाएं आना • दोस्तों और गतिविधियों से अलग हो जाना • • से...

मानसिक रोग के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

मानसिक रोग क्या है ? मानसिक रोग, कई मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को संदर्भित करता है - ऐसे विकार जो आपकी मनोदशा, सोच और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। मानसिक रोग के उदाहरण हैं - डिप्रेशन (अवसाद), चिंता, स्किज़ोफ़्रेनिया और खाने के विकार। कई लोगों को समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं लेकिन यह मानसिक बीमारी बन जाती हैं जब इसके लक्षण अक्सर तनाव पैदा करते हैं और कार्य करने की आपकी क्षमता को प्रभावित करते हैं। एक मानसिक बीमारी आपको बहुत दुखी कर सकती है और अपने दैनिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकती है, जैसे कि स्कूल या काम या रिश्तों में समस्याएं। ज्यादातर मामलों में, लक्षण दवाओं और टॉक थेरेपी (मनोचिकित्सा) के संयोजन के साथ प्रबंधित किये जा सकते हैं। मानसिक बीमारियां कौन कौन सी हैं? मानसिक रोग कई प्रकार के होते हैं। इसके कुछ प्रकार निम्नलिखित हैं - • • • • • • • • • • • लत्त सम्बन्धी विकार (और पढ़ें - • • • • • • • • • myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Manamrit Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। मानसिक रोग के लक्षण क्या होते हैं ? मानसिक रोग के लक्षण, उसके प्रकार, परिस्थितियों और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। मानसिक बीमारी के लक्षण भावनाओं, विचारों और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। इसके निम्नलिखित लक्षण होते हैं - • उदास महसूस करना। • व्याकुल होना या ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी। • अत्यधिक भय या चिंताएं या अपराध की भावना...

Dr Renu Johri

Publications: Book published:- 2004 81-7054-3827 "Bhartiya saangeetik jagat mein varanasi ka yogdan" Shri B.K Taneja Classical Publishing Company, 28 Shopping Center, Karampura New Delhi-110015 Articles: Published in National Journals:- 1. "Banaras Ke Gaurav Padma Vibhushan Pt Kishan Maharaj", Sep.2008 Page No-135 to 139, National Journal"Research Link" Indore Kala, Samaj, Vigyan Evam Vanijya, issue No.54, ISSN.09731628 2. "Sangeet Chikitsa: Vyavhar Janya Asantulan Ke Upchar Hetu Ek Sashakta Madhyam", Sep.2009 Page No-114 to 117, A National Registered & Recognized Research Monthly Journal "Research Link" Indore Issue No.66, ISSN.09731628 3. "Taalon Ka Manovaigyanik Prabhav", April 2010 Page No-45 to 49, The Oldest National referred Journal "Sangeet" from Hathras U.P 4. "Padma Bhushan Pt.Samta Prasad Gudai Maharaj : Mithak Prateek", June 2011,Page No-44 to 48, The Oldest National referred Journal "Sangeet" from Hathras U.P 5. "Vadyon Ki Prateek Dharmita (Avanadh Vadyon Ke Vishesh Sandarbh Mein)", October 2012, Page no -19-22,28, The Oldest National referred Journal "Sangeet" from Hathras U.P 6. "Ravindra nath ki sahitya- sangeet sandarbhit ardhnarishwar avadharna", May 2012, Page no 116-118, Research link Indore ISSN.09731628 Articles: Published In International Journal:- 1."Great tabla maestro padam vibhushan Pt Samta Prasad", Aug-2010, Page No 7-8, International journal (Jaipur) "Research and Evaluation"ISSN no- 97534-86 2. 'Madhya kal ka aitihasik pariprekshya mein sange...

मानसिक रोग के लक्षण, कारण और प्रकार

हमारे शरीर से कहीं अधिक जटिल हमारा मन है। शायद यही कारण है कि हम मन को समझने में अकसर भूल करते हैं। हम शरीर दर्द को तो आसानी से समझ लेते हैं और हम उसका जल्द ही इलाज भी शुरू कर देते हैं, लेकिन मन के दर्द को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, और जब हम मन के दर्द को महसूस करते हैं, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। और वो किसी मानसिक रोग में बदल जाती है और हमारा व्यवहार सामान्य से असामान्य हो जाता है | धीरे-धीरे हमारे आसपास के लोग इन बदलावों के बारे में हमे बताने लगते है, पर उनका यकीन ना करते हुए ज्यादातर पीड़ित उसे अनदेखा कर देते है | आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में मन को समझने का समय भी ज्यादातर लोगो के पास नहीं होता। आज की जबरदस्त प्रतिस्पर्धा और व्यस्त दिनचर्या में भावनाओं तथा संवेदनाओं को समझने की चेष्टा भला कौन करता है ? वैसे तो समस्याएँ पहले भी थीं, लेकिन उन समस्याओं का सामना करने में हर व्यक्ति को समाज से सहयोग मिलता था। पर आज इस सपोर्ट का आभाव है, खासतौर से शहरी जीवन में ऐसे में आज मानसिक तनाव, डिप्रेशन, एंग्जाइटी, स्किजोफ्रेनिया आदि मानसिक बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति से आज ज्यादातर मानसिक रोग जैसे (एंग्जाइटी), डिप्रेशन, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, स्किजोफ्रेनिया आदि का उपचार संभव हो गया है। अगर मानसिक रोगियो को सही समय पर इलाज दिया जाए तो वे सामान्य जीवन बिता सकते हैं। जीवन में सिर्फ शारीरिक सुंदरता और अच्छा स्वास्थ्य ही जरुरी नहीं हैं बल्कि एक स्वस्थ मानसिक संतुलन का होना भी बहुत जरुरी होता है, इसलिए मानसिक बीमारियों के प्रति आपको जागरूक बनाने के लिए इस पोस्ट को हम अपनी वेबसाइट पर पब्लिश कर रहे है और आगे भी समय-समय पर इस जरुरी विषय ...

भारतीय दण्ड संहिता 1860

भारतीय दण्ड संहिता (इंडियन पीनल कोड) किसे कहते है? भारतीय दंड संहिता (IPC) भारत का आधिकारिक आपराधिक कोड है। यह एक व्यापक कोड है जो भारतीय समाज को क़ानूनी रूप से व्यवस्थित रखने के लिए सन 1860 में लॉर्ड थॉमस बबिंगटन मैकाले की अध्यक्षता में चार्टर एक्ट 1833 के तहत भारतीय दंड संहिता बनाई गई थी। और यह 1862 की शुरुआत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रिटिश भारत में लागू हुआ। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) भारत की मुख्य आपराधिक कोड है। इस संहिता में भारतीय संविधान की विभिन्न आपराधिक धाराओं और उनकीसजा का उल्लेख किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर ( भारतीय दण्ड संहिता की महत्वपूर्ण धाराएं और सजा की सूची: आईपीसी धारा अपराध सजा 13 जुआ खेलना/सट्टा लगाना 1 वर्ष की सजा और 1000 रूपये जुर्माना 34 सामान आशय - 99 से106 व्यक्तिगत प्रतिरक्षा के लिए बल प्रयोग का अधिकार - 110 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है तीन वर्ष 120 षडयंत्र रचना - 141 विधिविरुद्ध जमाव - 147 बलवा करना 2 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों 156 (3) स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना। आर्थिक दंड 156 स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना। आर्थिक दंड 161 रिश्वत लेना/देना 3 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों 171 चुनाव में घूस लेना/देना 1 वर्ष की सजा/500 रुपये जुर्माना 177 सरकारी कर्मचारी/पुलिस को गलत सूचना देना 6 माह की सजा/1000 रूपये जुर्माना 186 सरकारी काम में बाधा पहुँचाना 3 माह की सजा/500 रूपये जुर्माना 1...

भारत का इतिहास, History of India in Hindi, प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत का इतिहास

भारतीय इतिहास भारत के इतिहास को अगर विश्व के इतिहास के महान अध्यायों में से एक कहा जाए तो इसे अतिश्योक्ति नहीं कहा जा सकता। इसका वर्णन करते हुए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा था, ‘‘विरोधाभासों से भरा लेकिन मजबूत अदृश्य धागों से बंधा’’। भारतीय इतिहास की विशेषता है कि वो खुद को तलाशने की सतत् प्रक्रिया में लगा रहता है और लगातार बढ़ता रहता है, इसलिए इसे एक बार में समझने की कोशिश करने वालों को ये मायावी लगता है। इस अद्भुत उपमहाद्वीप का इतिहास लगभग 75,000 साल पुराना है और इसका प्रमाण होमो सेपियंस की मानव गतिविधि से मिलता है। यह आश्चर्य की बात है कि 5,000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के वासियों ने कृषि और व्यापार पर आधारित एक शहरी संस्कृति विकसित कर ली थी। युगों के अनुसार भारत का इतिहास इस प्रकार हैः पूर्व ऐतिहासिक काल पाषाण युगः पाषाण युग 500,000 से 200,000 साल पहले शुरू हुआ था और तमिलनाडु में हाल ही में हुई खोजो में इस क्षेत्र में सबसे पहले मानव की उपस्थिति का पता चलता है। देश के उत्तर पश्चिमी हिस्से से 200,000 साल पहले के मानव द्वारा बनाए हथियार भी खोजे गए हैं। कांस्य युगः भारतीय उपमहाद्वीप में कांस्य युग की शुरुआत लगभग 3,300 ईसा पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता के साथ हुई थी। प्राचीन भारत का एक ऐतिहासिक हिस्सा होने के अलावा यह मेसोपोटामिया और प्राचीन मिस्त्र के साथ साथ विश्व की शुरुआती सभ्यताओं में से एक है। इस युग के लोगों ने धातु विज्ञान और हस्तशिल्प में नई तकनीक विकसित की और तांबा, पीतल, सीसा और टिन का उत्पादन किया। प्रारंभिक ऐतिहासिक काल वैदिक कालः भारत पर हमला करने वालों में पहले आर्य थे। वे लगभग 1,500 ईसा पूर्व उत्तर से आए थे और अपने साथ मजबूत सांस्कृतिक परंपरा ल...