मछला हरण का आठवां भाग

  1. महाभारत की कहानियाँ हिन्दी में Mahabharat Stories in Hindi (महाभारत कथा)
  2. माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ Maa Durga Stories in Hindi
  3. कोणार्क सूर्य मंदिर
  4. महाभारत की कहानियाँ हिन्दी में Mahabharat Stories in Hindi (महाभारत कथा)
  5. कोणार्क सूर्य मंदिर
  6. माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ Maa Durga Stories in Hindi
  7. माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ Maa Durga Stories in Hindi
  8. कोणार्क सूर्य मंदिर
  9. महाभारत की कहानियाँ हिन्दी में Mahabharat Stories in Hindi (महाभारत कथा)


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महाभारत की कहानियाँ हिन्दी में Mahabharat Stories in Hindi (महाभारत कथा)

Table of Content • • • • • • • • • • • • • महाभारत कथा क्या है? What is Mahabharat Story in Hindi? महाभारत कथा प्राचीन भारत का रामायण के जैसा ही एक महाकाव्य है। महाभारत महाकाव्य का मूल रूप संस्कृत भाषा में है जिसे महाभारतम् कहा जाता है। इस महाकाव्य का नाम महाभारत इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें भारत के प्राचीन इतिहास का सबसे बड़े युद्ध का वर्णन किया गया है जो कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था। महाभारत के दौरान ही [amazon bestseller=”mahabharata in hindi” items=”2″] आईये शुरू करते हैं – महाभारत की अनसुनी कहानियां भाग में… महाभारत की कहानियाँ जो पूर्ण महाभारत की कथा को बताते हैं 11 Best Mahabharat Stories in Hindi… 1. अर्जुन और चिड़िया की आँख कहानी Arjun and the Bird’s Eye Story in Hindi एक बार की बात है, द्रोणाचार्य को कौरव दुर्योधन मैं हमेशा अर्जुन का पक्ष लेने का प्रश्न उठाया। तब द्रोणाचार्य ने दुर्योधन के प्रश्न का जवाब देने के लिए सबसे एक परीक्षा लिया। द्रोणाचार्य ने एक लकड़ी की चिड़िया को एक पेड़ की डाली पर रख दिया। सबसे पहले द्रोणाचार्य ने जेष्ठ भाई युधिष्ठिर से प्रश्न किया – युधिष्ठिर तुम्हें पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है? युधिष्ठिर ने उत्तर दिया – गुरु जी मुझे पेड़ पर वह लकड़ी की चिड़िया, टहनियां, पत्ते और कुछ अन्य चिड़िया दिख रहे हैं। तभी द्रोणाचार्य जी ने युधिष्ठिर को निशाना लगाने के लिए मना कर दिया। इसी प्रकार द्रोणाचार्य जी ने एक-एक करके सबसे एक ही प्रश्न पूछा कि उन्हें पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है? परंतु किसी को फिर नजर आता तो किसी को डाली नजर आती या फिर किसी को पास में दूसरा पेड़। जब द्रोणाचार्य मैं अर्जुन से प्रश्न किया – अर्जुन तुम्हें क्या दिखाई दे रह...

माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ Maa Durga Stories in Hindi

Table of Content • • • • • • • • • • माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ Maa Durga Stories in Hindi (Stories of 9 Durgas) माँ दुर्गा के 9 रूप हैं जिनकी कहानियाँ आप इस पोस्ट में पद सकते हैं – 1. शैलपुत्री Shailaputri शैलपुत्री देवी दुर्गा का प्रथम रूप है। वह पर्वतों के राजा – हिमालय की पुत्री हैं। राजा हिमालय और उनकी पत्नी मेनाका ने कई तपस्या की जिसके फल स्वरुप माता दुर्गा उनकी पुत्री के रूप में पृथ्वी पर उतरी। तभी उनका नाम शैलपुत्री रखा गया यानी (शैल = पर्वत और पुत्री = बेटी)। माता शैलपुत्री का वाहन है बैल तथा उनके दायें हाँथ में होता है त्रिशूल और बाएं हाँथ में होता है कमल का फूल। दक्ष यज्ञ में पवित्र माँ ने सती के रूप में अपने शरीर को त्याग दिया। उसके पश्चात माँ दोबारा 2. ब्रह्मचारिणी Brahmacharini (ब्रह्म = तपस्या), माता दुर्गा इस रूप में वह अपने दायें हाथ में एक जप माला पकड़ी रहती है और बाएं हाथ में एक कमंडल। मुक्ति प्राप्त करने के लिए माता शक्ति ने ब्रह्म ज्ञान को ज्ञात किया और उसी कारण से उनको ब्रह्मचारिणी के नाम से पूजा जाता है। माता अपने भक्तों को सर्वोच्च पवित्र ज्ञान प्रदान करती हैं। 3. चन्द्रघंटा Chandraganta यह माता दुर्गा का तीसरा रूप है। चंद्र यानी की चंद्र की रोशनी। यह परम शांति प्रदान करने वाला माँ का रूप है। मां की आराधना करने से सुख शांति मिलता है। वह तेज़ स्वर्ण के समान होता है और उनका वाहन सिंह होता है। उनके दस हाँथ हैं और कई प्रकार के अस्त्र-शस्त्र जैसे कडग, बांड, त्रिशूल, पद्म फूल उनके हांथों में होते हैं। माँ चन्द्रघंटा की पूजा आराधना करने से पाप और मुश्किलें दूर होती हैं उनकी घाटियों की भयानक आवाज़ से राक्षस भाग खड़े होते हैं। 4. कुष्मांडा Kushmanda कुष...

कोणार्क सूर्य मंदिर

सूर्य मंदिर की मुख्य संरचना स्थान प्रकार सांस्कृतिक i, iii, vi सन्दर्भ 19°53′15″N 86°5′41″E / 19.88750°N 86.09472°E / 19.88750; 86.09472 19°53′15″N 86°5′41″E / 19.88750°N 86.09472°E / 19.88750; 86.09472 शिलालेखित इतिहास शिलालेख 1984 (आठवां कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के भारतीय सांस्कृतिक विरासत के लिए इसके महत्व को दर्शाने के लिए (बाएँ) मन्दिर का मूलरूप तथा अवशेष वर्तमान रूप (हल्के पीले में); (दाएँ) मन्दिर का आधार (प्लान) कोणार्क शब्द, 'कोण' और 'अर्क' शब्दों के मेल से बना है। अर्क का अर्थ होता है सूर्य, जबकि कोण से अभिप्राय कोने या किनारे से रहा होगा। प्रस्तुत कोणार्क सूर्य-मन्दिर का निर्माण लाल रंग के बलुआ पत्थरों तथा काले बिरंचि-नारायण कहते थे। मुख्य मन्दिर तीन मंडपों में बना है। इनमें से दो मण्डप ढह चुके हैं। तीसरे मण्डप में जहाँ मूर्ती थी, अंग्रेज़ों ने स्वतंत्रता से पूर्व ही रेत व पत्थर भरवा कर सभी द्वारों को स्थायी रूप से बंद करवा दिया था ताकि वह मन्दिर और क्षतिग्रस्त ना हो पाए। • बाल्यावस्था-उदित सूर्य- ८ फीट • युवावस्था-मध्याह्न सूर्य- ९.५ फीट • प्रौढ़ावस्था-अपराह्न सूर्य-३.५ फीट इसके प्रवेश पर दो सिंह हाथियों पर आक्रामक होते हुए रक्षा में तत्पर दिखाये गए हैं। दोनों हाथी, एक-एक मानव के ऊपर स्थापित हैं। ये प्रतिमाएं एक ही पत्थर की बनीं हैं। ये २८ टन की ८.४फीट लंबी ४.९ फीट चौड़ी तथा ९.२ फीट ऊंची हैं। मंदिर के दक्षिणी भाग में दो सुसज्जित घोड़े बने हैं, जिन्हें कोणार्क जहां पत्थरों की भाषा मनुष्य की भाषा से श्रेष्ठतर है। तेरहवीं सदी का मुख्य सूर्य मंदिर, एक महान रथ रूप में बना है, जिसके बारह जोड़ी सुसज्जित पहिए हैं, एवं सात घोड़ों द्वारा खींचा जाता है। एक कथा के अनुसार, ध...

महाभारत की कहानियाँ हिन्दी में Mahabharat Stories in Hindi (महाभारत कथा)

Table of Content • • • • • • • • • • • • • महाभारत कथा क्या है? What is Mahabharat Story in Hindi? महाभारत कथा प्राचीन भारत का रामायण के जैसा ही एक महाकाव्य है। महाभारत महाकाव्य का मूल रूप संस्कृत भाषा में है जिसे महाभारतम् कहा जाता है। इस महाकाव्य का नाम महाभारत इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें भारत के प्राचीन इतिहास का सबसे बड़े युद्ध का वर्णन किया गया है जो कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था। महाभारत के दौरान ही [amazon bestseller=”mahabharata in hindi” items=”2″] आईये शुरू करते हैं – महाभारत की अनसुनी कहानियां भाग में… महाभारत की कहानियाँ जो पूर्ण महाभारत की कथा को बताते हैं 11 Best Mahabharat Stories in Hindi… 1. अर्जुन और चिड़िया की आँख कहानी Arjun and the Bird’s Eye Story in Hindi एक बार की बात है, द्रोणाचार्य को कौरव दुर्योधन मैं हमेशा अर्जुन का पक्ष लेने का प्रश्न उठाया। तब द्रोणाचार्य ने दुर्योधन के प्रश्न का जवाब देने के लिए सबसे एक परीक्षा लिया। द्रोणाचार्य ने एक लकड़ी की चिड़िया को एक पेड़ की डाली पर रख दिया। सबसे पहले द्रोणाचार्य ने जेष्ठ भाई युधिष्ठिर से प्रश्न किया – युधिष्ठिर तुम्हें पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है? युधिष्ठिर ने उत्तर दिया – गुरु जी मुझे पेड़ पर वह लकड़ी की चिड़िया, टहनियां, पत्ते और कुछ अन्य चिड़िया दिख रहे हैं। तभी द्रोणाचार्य जी ने युधिष्ठिर को निशाना लगाने के लिए मना कर दिया। इसी प्रकार द्रोणाचार्य जी ने एक-एक करके सबसे एक ही प्रश्न पूछा कि उन्हें पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है? परंतु किसी को फिर नजर आता तो किसी को डाली नजर आती या फिर किसी को पास में दूसरा पेड़। जब द्रोणाचार्य मैं अर्जुन से प्रश्न किया – अर्जुन तुम्हें क्या दिखाई दे रह...

कोणार्क सूर्य मंदिर

सूर्य मंदिर की मुख्य संरचना स्थान प्रकार सांस्कृतिक i, iii, vi सन्दर्भ 19°53′15″N 86°5′41″E / 19.88750°N 86.09472°E / 19.88750; 86.09472 19°53′15″N 86°5′41″E / 19.88750°N 86.09472°E / 19.88750; 86.09472 शिलालेखित इतिहास शिलालेख 1984 (आठवां कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के भारतीय सांस्कृतिक विरासत के लिए इसके महत्व को दर्शाने के लिए (बाएँ) मन्दिर का मूलरूप तथा अवशेष वर्तमान रूप (हल्के पीले में); (दाएँ) मन्दिर का आधार (प्लान) कोणार्क शब्द, 'कोण' और 'अर्क' शब्दों के मेल से बना है। अर्क का अर्थ होता है सूर्य, जबकि कोण से अभिप्राय कोने या किनारे से रहा होगा। प्रस्तुत कोणार्क सूर्य-मन्दिर का निर्माण लाल रंग के बलुआ पत्थरों तथा काले बिरंचि-नारायण कहते थे। मुख्य मन्दिर तीन मंडपों में बना है। इनमें से दो मण्डप ढह चुके हैं। तीसरे मण्डप में जहाँ मूर्ती थी, अंग्रेज़ों ने स्वतंत्रता से पूर्व ही रेत व पत्थर भरवा कर सभी द्वारों को स्थायी रूप से बंद करवा दिया था ताकि वह मन्दिर और क्षतिग्रस्त ना हो पाए। • बाल्यावस्था-उदित सूर्य- ८ फीट • युवावस्था-मध्याह्न सूर्य- ९.५ फीट • प्रौढ़ावस्था-अपराह्न सूर्य-३.५ फीट इसके प्रवेश पर दो सिंह हाथियों पर आक्रामक होते हुए रक्षा में तत्पर दिखाये गए हैं। दोनों हाथी, एक-एक मानव के ऊपर स्थापित हैं। ये प्रतिमाएं एक ही पत्थर की बनीं हैं। ये २८ टन की ८.४फीट लंबी ४.९ फीट चौड़ी तथा ९.२ फीट ऊंची हैं। मंदिर के दक्षिणी भाग में दो सुसज्जित घोड़े बने हैं, जिन्हें कोणार्क जहां पत्थरों की भाषा मनुष्य की भाषा से श्रेष्ठतर है। तेरहवीं सदी का मुख्य सूर्य मंदिर, एक महान रथ रूप में बना है, जिसके बारह जोड़ी सुसज्जित पहिए हैं, एवं सात घोड़ों द्वारा खींचा जाता है। एक कथा के अनुसार, ध...

माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ Maa Durga Stories in Hindi

Table of Content • • • • • • • • • • माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ Maa Durga Stories in Hindi (Stories of 9 Durgas) माँ दुर्गा के 9 रूप हैं जिनकी कहानियाँ आप इस पोस्ट में पद सकते हैं – 1. शैलपुत्री Shailaputri शैलपुत्री देवी दुर्गा का प्रथम रूप है। वह पर्वतों के राजा – हिमालय की पुत्री हैं। राजा हिमालय और उनकी पत्नी मेनाका ने कई तपस्या की जिसके फल स्वरुप माता दुर्गा उनकी पुत्री के रूप में पृथ्वी पर उतरी। तभी उनका नाम शैलपुत्री रखा गया यानी (शैल = पर्वत और पुत्री = बेटी)। माता शैलपुत्री का वाहन है बैल तथा उनके दायें हाँथ में होता है त्रिशूल और बाएं हाँथ में होता है कमल का फूल। दक्ष यज्ञ में पवित्र माँ ने सती के रूप में अपने शरीर को त्याग दिया। उसके पश्चात माँ दोबारा 2. ब्रह्मचारिणी Brahmacharini (ब्रह्म = तपस्या), माता दुर्गा इस रूप में वह अपने दायें हाथ में एक जप माला पकड़ी रहती है और बाएं हाथ में एक कमंडल। मुक्ति प्राप्त करने के लिए माता शक्ति ने ब्रह्म ज्ञान को ज्ञात किया और उसी कारण से उनको ब्रह्मचारिणी के नाम से पूजा जाता है। माता अपने भक्तों को सर्वोच्च पवित्र ज्ञान प्रदान करती हैं। 3. चन्द्रघंटा Chandraganta यह माता दुर्गा का तीसरा रूप है। चंद्र यानी की चंद्र की रोशनी। यह परम शांति प्रदान करने वाला माँ का रूप है। मां की आराधना करने से सुख शांति मिलता है। वह तेज़ स्वर्ण के समान होता है और उनका वाहन सिंह होता है। उनके दस हाँथ हैं और कई प्रकार के अस्त्र-शस्त्र जैसे कडग, बांड, त्रिशूल, पद्म फूल उनके हांथों में होते हैं। माँ चन्द्रघंटा की पूजा आराधना करने से पाप और मुश्किलें दूर होती हैं उनकी घाटियों की भयानक आवाज़ से राक्षस भाग खड़े होते हैं। 4. कुष्मांडा Kushmanda कुष...

माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ Maa Durga Stories in Hindi

Table of Content • • • • • • • • • • माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ Maa Durga Stories in Hindi (Stories of 9 Durgas) माँ दुर्गा के 9 रूप हैं जिनकी कहानियाँ आप इस पोस्ट में पद सकते हैं – 1. शैलपुत्री Shailaputri शैलपुत्री देवी दुर्गा का प्रथम रूप है। वह पर्वतों के राजा – हिमालय की पुत्री हैं। राजा हिमालय और उनकी पत्नी मेनाका ने कई तपस्या की जिसके फल स्वरुप माता दुर्गा उनकी पुत्री के रूप में पृथ्वी पर उतरी। तभी उनका नाम शैलपुत्री रखा गया यानी (शैल = पर्वत और पुत्री = बेटी)। माता शैलपुत्री का वाहन है बैल तथा उनके दायें हाँथ में होता है त्रिशूल और बाएं हाँथ में होता है कमल का फूल। दक्ष यज्ञ में पवित्र माँ ने सती के रूप में अपने शरीर को त्याग दिया। उसके पश्चात माँ दोबारा 2. ब्रह्मचारिणी Brahmacharini (ब्रह्म = तपस्या), माता दुर्गा इस रूप में वह अपने दायें हाथ में एक जप माला पकड़ी रहती है और बाएं हाथ में एक कमंडल। मुक्ति प्राप्त करने के लिए माता शक्ति ने ब्रह्म ज्ञान को ज्ञात किया और उसी कारण से उनको ब्रह्मचारिणी के नाम से पूजा जाता है। माता अपने भक्तों को सर्वोच्च पवित्र ज्ञान प्रदान करती हैं। 3. चन्द्रघंटा Chandraganta यह माता दुर्गा का तीसरा रूप है। चंद्र यानी की चंद्र की रोशनी। यह परम शांति प्रदान करने वाला माँ का रूप है। मां की आराधना करने से सुख शांति मिलता है। वह तेज़ स्वर्ण के समान होता है और उनका वाहन सिंह होता है। उनके दस हाँथ हैं और कई प्रकार के अस्त्र-शस्त्र जैसे कडग, बांड, त्रिशूल, पद्म फूल उनके हांथों में होते हैं। माँ चन्द्रघंटा की पूजा आराधना करने से पाप और मुश्किलें दूर होती हैं उनकी घाटियों की भयानक आवाज़ से राक्षस भाग खड़े होते हैं। 4. कुष्मांडा Kushmanda कुष...

कोणार्क सूर्य मंदिर

सूर्य मंदिर की मुख्य संरचना स्थान प्रकार सांस्कृतिक i, iii, vi सन्दर्भ 19°53′15″N 86°5′41″E / 19.88750°N 86.09472°E / 19.88750; 86.09472 19°53′15″N 86°5′41″E / 19.88750°N 86.09472°E / 19.88750; 86.09472 शिलालेखित इतिहास शिलालेख 1984 (आठवां कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के भारतीय सांस्कृतिक विरासत के लिए इसके महत्व को दर्शाने के लिए (बाएँ) मन्दिर का मूलरूप तथा अवशेष वर्तमान रूप (हल्के पीले में); (दाएँ) मन्दिर का आधार (प्लान) कोणार्क शब्द, 'कोण' और 'अर्क' शब्दों के मेल से बना है। अर्क का अर्थ होता है सूर्य, जबकि कोण से अभिप्राय कोने या किनारे से रहा होगा। प्रस्तुत कोणार्क सूर्य-मन्दिर का निर्माण लाल रंग के बलुआ पत्थरों तथा काले बिरंचि-नारायण कहते थे। मुख्य मन्दिर तीन मंडपों में बना है। इनमें से दो मण्डप ढह चुके हैं। तीसरे मण्डप में जहाँ मूर्ती थी, अंग्रेज़ों ने स्वतंत्रता से पूर्व ही रेत व पत्थर भरवा कर सभी द्वारों को स्थायी रूप से बंद करवा दिया था ताकि वह मन्दिर और क्षतिग्रस्त ना हो पाए। • बाल्यावस्था-उदित सूर्य- ८ फीट • युवावस्था-मध्याह्न सूर्य- ९.५ फीट • प्रौढ़ावस्था-अपराह्न सूर्य-३.५ फीट इसके प्रवेश पर दो सिंह हाथियों पर आक्रामक होते हुए रक्षा में तत्पर दिखाये गए हैं। दोनों हाथी, एक-एक मानव के ऊपर स्थापित हैं। ये प्रतिमाएं एक ही पत्थर की बनीं हैं। ये २८ टन की ८.४फीट लंबी ४.९ फीट चौड़ी तथा ९.२ फीट ऊंची हैं। मंदिर के दक्षिणी भाग में दो सुसज्जित घोड़े बने हैं, जिन्हें कोणार्क जहां पत्थरों की भाषा मनुष्य की भाषा से श्रेष्ठतर है। तेरहवीं सदी का मुख्य सूर्य मंदिर, एक महान रथ रूप में बना है, जिसके बारह जोड़ी सुसज्जित पहिए हैं, एवं सात घोड़ों द्वारा खींचा जाता है। एक कथा के अनुसार, ध...

महाभारत की कहानियाँ हिन्दी में Mahabharat Stories in Hindi (महाभारत कथा)

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