मध्य पुरा पाषाण क्षेत्र

  1. भारतीय इतिहास (पाषाण काल
  2. प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Era)
  3. पुरापाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं
  4. Purapashan kaal
  5. पुरापाषाण काल के औजार कैसे थे? – ElegantAnswer.com
  6. प्रागैतिहासिक काल (The Pre
  7. भारत का इतिहास पाषाण काल
  8. Purapashan kaal
  9. भारत का इतिहास पाषाण काल
  10. पुरापाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं


Download: मध्य पुरा पाषाण क्षेत्र
Size: 72.14 MB

भारतीय इतिहास (पाषाण काल

कालक्रम से लगाएं- पूर्वपाषाण युग, नवपाषाण युग, कांस्य युग, लौह युग भारत में पूर्व प्रस्तर युग के अधिकांश औजार बने थे? स्फटिक पत्थर के शल्कों से बने औजार किस काल से सम्बन्धित हैं ? मध्य पाषाण काल से परिष्कृत औजारों का युग माना जाता है- उच्च पुरापाषाण युग फलक व तक्षणी (Blade and burin culture) संस्कृति थी? उच्च पुरा पाषाण काल पुरापाषाण युग का प्रमुख औजार क्या था? हस्तकुठार हैण्ड ऐक्स (Hand-Axe) क्लीवर (Cliver) आदि उपकरण किस पाषाणकालीन परंपरा के परिचायक हैं? निम्न पुरापाषाण काल लघु-पाषण उपकरण अधोलिखित किस संस्कृति के प्रमुख उद्योग हैं? मध्य पाषाणकालीन संस्कृति सर्वाधिक संख्या में हस्तकुठार (हैंडएक्स) और क्लीवर प्राप्त होते हैं- निम्न पुरापाषाण काल में मनुष्य ने सर्वप्रथम किस धातु का प्रयोग किया ? तांबा मानव के द्वारा बनाया जाने वाला प्रथम औजार क्या था?कुल्हाड़ी भारत मे मध्यपाषाणकालीन उपकरणों की सर्वप्रथम खोज कहाँ हुई? विन्ध्य क्षेत्र में 1867 प्राचीन मानव प्रजाति है – आस्ट्रेलोपिथिकस आधुनिक मानव ‘होमोसैपियन’ संबद्ध है- ब्लेड से भारत में नवपाषाण काल का निम्नांकित में से कौन-सा स्थान था जहां बड़ी संख्या में हड्डी से बने औजार प्राप्त हुए हैं? चिरांद किस नवपाषाणिक स्थल से पशु वाड़े का प्रमाण मिला है? महगड़ा ब्लेड-ब्यूरिन प्रकार के उपकरण निम्नलिखित में से किस परंपरा के परिचायक लक्षण हैं? उच्च पूर्वपाषाण काल ब्लेड और ब्यूरिन चारित्रिक उपकरण हैं- उच्च पुरापाषाणिक संस्कृति के पाषाण काल के तीनों चरणों का साक्ष्य किस स्थान से प्राप्त हुआ? बेलन घाटी इलाहाबाद से मध्यपाषाणिक प्रसंग में पशुपालन के प्रमाण जहां मिले, वह स्थान है- आदमगढ़ किस स्थल से हड्डी के उपकरण प्राप्त हुए हैं? महदहा से हड...

प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Era)

वह काल जिसमें मानव किसी भी प्रकार की लिपि (Script) अथवा लेखन कला से परिचित नहीं था, उसे प्रागैतिहासिक काल व प्रस्तर युग (पाषाण काल) के नाम से भी जाना जाता है। प्रागैतिहासिक काल के अंतर्गत मानव उत्पत्ति से लेकर लगभग 3000 ई.पू. के मध्य का समय आता है। पाषाण काल एवं ताम्र पाषाण काल का अध्ययन इसी काल के अंतर्गत किया जाता है। भारत में वर्ष 1863 ई. में सर्वप्रथम राबर्ट ब्रूस फुट (भू-वैज्ञानिक) द्वारा में पाषाण कालीन सभ्यता की खोज की गई। ने पहला पुरा पाषाण कालीन उपकरण मद्रास के पास पल्लवरम् नामक स्थान से प्राप्त किया था। पाषाण काल को अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से तीन कालों में विभाजित किया गया है। • पुरा पाषाण काल (Paleolithic Age) – (5 लाख ई.पू. से 10 हजार ई.पू.) • मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age) – (10 हजार ई.पू. से 4 हजार ई.पू.) • नवपाषाण काल (Neolithic Age) – (7 हजार ई.पू. से 1 हजार ई.पू) Table of Contents • • • • • • • पुरा पाषाण काल (Paleolithic Age) पुरा पाषाण काल (Paleolithic Age) को अध्ययन की दृष्टि से पुनः तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है – • निम्न पुरापाषाण काल • मध्य पुरापाषाण काल • उच्च पुरापाषाण काल या उत्तर पुरापाषाण काल (Upper Paleolithic Age) निम्न पुरापाषाण काल • 5,00,000 ई.पू. से लेकर 50,000 ई.पू. तक के काल को निम्न पुरापाषाण काल माना जाता है। • इस काल में मानव का जीवन अस्थिर था। वह समूह बनाकर रहता था तथा अपना जीवन निर्वाह गुफओं में रहकर, आखेट करके व खाद्य पदार्थों का संग्रहण करके करता था। • हैंड ऐक्स, चापर-चापिंग एवं पेबुल इस काल के प्रमुख उपकरण थे। भारत में निम्न पुरापाषाण कालीन संस्कृति को दो वर्गों में विभाजित किया गया है – चापर-चापिंग या पेबुल संस्कृति ...

पुरापाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं

पुरापाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं मानव ने अपनी आवश्यकता के अनुरूप औजार बनाने की प्रक्रिया संभवत: लकड़ी तथा अन्य कार्बनयुक्त पदार्थ के औजार बनाने से शुरू की जो आज उपलब्ध नहीं है। परन्तु जब उसने पाषाण उपकरण बनाने शुरू किए तब से हमें पुरातात्विक प्रमाण उपलब्ध होने लगे। ये उपकरण मानव ने अपनी जरूरतों के अनुसार तथा उनके कार्य के अनुरूप निर्मित किए थे। जैसे मांस काटने तथा छीलने के लिए चॉपर (Chapper) तथा खुरचंनी (Scrapers) का निर्माण किया पुरापाषाण काल को तीन अवस्थाओं में विभाजित किया गया है:- 1. निम्न पुरा पाषाण काल में औजार - इस काल का मानव कोर (Core) निर्मित औजारों का प्रयोग करता था जिस पत्थर का औजार बनता था उसके फलक (Flake) उतार कर फेंक दिए जाते थे तथा बीच के हिस्से का ही औजार बनता था। इस काल के बने उपकरणों में चॉपर/चौंपिग औजार, हस्त कुल्हाड़ियो, विदारणी, खुरचमियां इत्यादि प्रमुख थे। इनसे मानव काटने, खाल साफ करने इत्यादि कार्यो के लिए तथा मिट्टी से जड़ें और कन्दमूल आदि निकालने के काम में लाता था। 2. निम्न पुरा पाषाण काल का विस्तार क्षेत्र - इस काल के मानव के उपकरण हमें सर्वप्रथम अफ्रीका से प्राप्त हुए। यहां मध्य-पूर्वी अफ्रीका के ओल्डुवई गर्ज की प्रथम तह से ये औजार मिले हैं। इसके अलावा मोरोक्को से भी इनकी प्राप्ति हुई है। यूरोप के लगभग सभी देशों से ये उपकरण मिले हैं, इनमें फ्रांस के सोम घाटी में स्थित अब्बेविल (Abbeville) जहां से हाथ की कुल्हाड़ियों की प्राप्ति हुई। इंग्लैड में थेमस नदी पर स्थित स्वान्सकोम्ब (Swanscombe) फ्रांस का अमीन्स (Amiens), जर्मनी का स्टेनहीम (Steinheim), हंगरी के वर्टिजोलुस गुफा प्रमुख है। एशिया में साइबेरिया को छोड़कर सभी प्रदेशों से इन उपकरणों की प्र...

Purapashan kaal

भू वैज्ञानिक दृष्टि से पृथ्वी लगभग 4.8 अरब वर्ष प्राचीन है। एवं इस पर जीवन का आरंभ 3.5 अरब वर्ष पूर्व हुआ। पृथ्वी की भूवैज्ञानिक समय सारणी को महाकल्पों में विभाजित किया जाता है , तथा प्रत्येक महाकल्प को अनेक कल्पों में तथा प्रत्येक कल्प को अनेक युगों में विभाजित किया जाता है। मानव, भू-वैज्ञानिक इतिहास के अंतिम महाकल्प नूतनजीव या Cenozoic महाकल्प के चतुर्थ चरण में रह रहा है। इसे क्वार्टनरी (Quartenary) कहा जाता है। इसके तहत तीन युग हैं― ये तीन युग निम्न हैं : 1. अति नूतन (Pliocene) : 1 करोड़ से 20 लाख वर्ष पूर्व तक 2. अत्यंत नूतन (Pleistocene) : 20 लाख वर्ष पूर्व तक 3. नूतनतम (Holocene) : 10,000 वर्ष पूर्व तक ◆ अत्यंत नूतन युग या Pleistocene युग में तीन बड़े-बड़े स्तनधारी परिवार का आविर्भाव हुआ। ये आधुनिक घोड़े, हाथी तथा मवेशियों के पूर्वज थे | इन पशु प्रारूपों को सामूहिक रूप से विलाफ्रांसीसी जंतु समूह कहा जाता है। ◆ लगभग 2 करोड़ वर्ष पूर्व महाकपि का एक समूह, जो‘ रामपिथेकस‘ के नाम से जाना जाता था, वह दो समूहों में विभाजित हो गया। ◆ इसकी एक शाखा जंगलों में रह गई, परन्तु दूसरी शाखा ने खुले घास के मैदान में रहना पसंद किया। इसे ऑस्ट्रेलोपिथेकस के नाम से जाना जाने लगा। यह मानव का आदि पूर्वज था। ◆ आगे चलकर इससे इरेक्टस , नियान्डरथेल , क्रोमैगनन– एवं अंत में 30 हजार वर्ष पूर्व आधुनिक मानव (होमोसेपियन) का विकास हुआ। ◆ भारत में आदि मानव के जीवाश्म प्राप्त नहीं होते हैं। ◆ भारत में मानव के प्राचीनतम अस्तित्व के संकेत पत्थर के औजारों से मिलते हैं जिनका काल लगभग 5 लाख ईसा से 2.5 लाख ईसा पूर्व निर्धारित किया गया है। ◆ किंतु हाल में बोरी नामक स्थान पर मानव की उपस्थिति लगभग 14 लाख वर्ष पूर...

पुरापाषाण काल के औजार कैसे थे? – ElegantAnswer.com

पुरापाषाण काल के औजार कैसे थे? इसे सुनेंरोकेंनिम्न पुरा पाषाण काल में औजार – इस काल का मानव कोर (Core) निर्मित औजारों का प्रयोग करता था जिस पत्थर का औजार बनता था उसके फलक (Flake) उतार कर फेंक दिए जाते थे तथा बीच के हिस्से का ही औजार बनता था। इस काल के बने उपकरणों में चॉपर/चौंपिग औजार, हस्त कुल्हाड़ियो, विदारणी, खुरचमियां इत्यादि प्रमुख थे। पूर्व पाषाण काल को कितने भागों में बांटा गया है? इसे सुनेंरोकेंपाषाण काल को तीन भागों में बांटा गया है पहला पुरापाषाण काल दूसरा मध्य पाषाण काल तीसरा नवपाषाण काल। पाषाण का मतलब होता है पत्थर। इससे प्रस्तर युग भी कहते हैं। नव पाषाण काल कब से कब तक था? इसे सुनेंरोकेंपहिये का आविष्कार नवपाषाण काल की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। दक्षिण भारत में नवपाषाण काल की तिथि 2500 ई. पू. से 1000 ई. पाषाण काल में औजार भोजन और घर कैसे थे? इसे सुनेंरोकेंवह पत्थर के औजारों से पशुओं का शिकार करता था। शिकार से प्राप्त माँस ही उसका मुख्य भोजन था। कन्दमूल तथा फल भी उसके भोजन में सम्मिलित थे। थोड़े समय बाद मानव ने गुफाओं में रहना प्रारम्भ कर दिया क्योंकि उसे तब तक घर बनाना नहीं आता था। भारत में पाया गया पहला पाषाणकालीन स्थान कौन सा है? इसे सुनेंरोकेंपाषाणकालीन संस्कृति: भारत में पाषाणकालीन सभ्यता का अनुसंधान सर्वप्रथम 1863 ई॰ में प्रारम्भ हुआ जबकि भारतीय भूतत्व सर्वेक्षण विभाग के विद्वान् राबर्ट ब्रूस फुट ने मद्रास के पास स्थित पल्लवरम् नामक स्थान से पूर्व पाषाण काल का एक पाषाणोपकरण प्राप्त किया । पूर्व पाषाण काल क्या है? इसे सुनेंरोकेंपुरापाषाण काल (अंग्रेजी Palaeolithic) प्रौगएतिहासिक युग का वह समय है जब मानव ने पत्थर के औजार बनाना सबसे पहले आरम्भ किया। यह काल आधुन...

प्रागैतिहासिक काल (The Pre

Contents • 1 भूमिका • 2 पुरापाषाण काल (25,00000-10,000 ई.पू.) • 3 मध्य पाषाण काल (9000-4000 ई.पू.) • 4 नव पाषाण काल (6,000-1000 ई.पू.) • 4.1 पिकलीहल • 4.2 मेहरगढ़ • 4.3 भीमबेटका • 4.4 आमदगढ़ एवं बागोर • 4.5 बुर्जहोम एवं गुफ्फकराल • 4.6 चिराँद • 5 ताम्र-पाषाण : कृषक संस्कृतियाँ • 5.1 दक्षिण-पूर्वी राजस्थान • 5.2 पश्चिमी मध्य प्रदेश • 5.3 पश्चिमी महाराष्ट्र • 6 Related Links प्रागैतिहासिक काल (The Pre-Historic Time) प्राचीन भारत (ANCIENT INDIA) भूमिका • इतिहास पूर्व विषय मानव की कहानी है जो दूर अतीत से शुरू होती है. जब मनुष्य ने अपने पशु-पूर्वजों से सम्बन्ध विच्छेद किया और उस समय तक चलती है जब उसने अपने अस्तित्व का ऐसा रिकार्ड छोड़ा है जहां से ऐतिहासिक अन्वेषक वास्तविक जगत में पहुंच जाता है. • आर. ब्रूस फुट ने 1863 ई. में मद्रास के पास पल्लवरम् में पाषाणकालीन मानवों की खोज की. इस महत्वपूर्ण कार्य की प्रगति में धन की कमी के कारण बाधा आयी. किन्तु अब इस काल के विषय में हमें पर्याप्त जानकारी प्राप्त है. • प्रागैतिहासिक काल को सामान्यतः तीन भागों में बाँटा जाता है. • पुरापाषाण काल • मध्य पाषाण काल तथा • नव या उत्तर पुरा पाषाण काल . पुरापाषाण काल (25,00000-10,000 ई.पू.) • इस काल को भी तीन अवस्थाओं में बाँटा जाता है • निम्न पुरापाषाण (25,00000–1,00000 ई.पू.) • मध्यपुरापाषाण (1,00000-40,000 ई.पू.) • उच्च पुरापाषाण (40,000-10,000 ई.पू.) • सर्वप्रथम पाषाणकालीन सभ्यता तथा संस्कृति का अन्वेषण ब्रूस फूट महोदय ने 1862 ई. में किया. • अधिकांश हिमयुग निम्न या आरंभिक पुरापाषाण युग में ही बीता. • इस काल के लक्षण हैं-कुल्हाड़ी या हस्तकुठार (हैंड-एक्स), विदारिणी (क्लीवर) और खंडक (गैडासा) के प्रय...

भारत का इतिहास पाषाण काल

7000-3300 ई.पू 1700-1300 ई.पू 700–300 ई.पू 545–320 ई.पू 230 ई.पू-199 ई. 321–184 ई.पू 184–123 ई.पू 123 ई.पू–200 ई. 60–240 ई. पूर्व मध्यकालीन भारत- 240 ई.पू– 800 ई. 250 ई.पू- 1070 ई. 280–550 ई. 750–1174 ई. 830–963 ई. 900–1162 ई. 1206–1526 ई. 1206-1290 ई. 1290-1320 ई. 1320-1414 ई. 1414-1451 ई. 1451-1526 ई. 1526–1857 ई. 1490–1596 ई. 1358-1518 ई. 1490-1565 ई. 1040-1565 ई. 736-973 ई. 1040–1346 ई. 1083-1323 ई. 1326-1565 ई. 1674-1818 ई. सिख राज्यसंघ 1716-1849 ई. 1760-1947 ई. समस्त • प्राक्इतिहास या प्रागैतिहासिक काल Prehistoric Age • आद्य ऐतिहासिक काल Proto-historic Age • ऐतिहासिक काल Historic Age प्राक् इतिहास या प्रागैतिहासिक काल मुख्य लेख: इस काल में मनुष्य ने घटनाओं का कोई लिखित विवरण नहीं रखा। इस काल में विषय में जो भी जानकारी मिलती है वह पाषाण के उपकरणों, मिट्टी के बर्तनों, खिलौने आदि से प्राप्त होती है। आद्य ऐतिहासिक काल इस काल में लेखन कला के प्रचलन के बाद भी उपलब्ध लेख पढ़े नहीं जा सके हैं। ऐतिहासिक काल मानव विकास के उस काल को इतिहास कहा जाता है, जिसके लिए लिखित विवरण उपलब्ध है। मनुष्य की कहानी आज से लगभग दस लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ होती है, पर ‘ज्ञानी मानव‘ होमो सैपियंस Homo sapiens का प्रवेश इस धरती पर आज से क़रीब तीस या चालीस हज़ार वर्ष पहले ही हुआ। पाषाण काल यह काल मनुष्य की सभ्यता का प्रारम्भिक काल माना जाता है। इस काल को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। - • पुरा पाषाण काल Paleolithic Age • मध्य पाषाण काल Mesolithic Age एवं • नव पाषाण काल अथवा उत्तर पाषाण काल Neolithic Age पुरापाषाण काल यूनानी भाषा में Palaios प्राचीन एवं Lithos पाषाण के अर्थ में प्रयुक्त होता थ...

Purapashan kaal

भू वैज्ञानिक दृष्टि से पृथ्वी लगभग 4.8 अरब वर्ष प्राचीन है। एवं इस पर जीवन का आरंभ 3.5 अरब वर्ष पूर्व हुआ। पृथ्वी की भूवैज्ञानिक समय सारणी को महाकल्पों में विभाजित किया जाता है , तथा प्रत्येक महाकल्प को अनेक कल्पों में तथा प्रत्येक कल्प को अनेक युगों में विभाजित किया जाता है। मानव, भू-वैज्ञानिक इतिहास के अंतिम महाकल्प नूतनजीव या Cenozoic महाकल्प के चतुर्थ चरण में रह रहा है। इसे क्वार्टनरी (Quartenary) कहा जाता है। इसके तहत तीन युग हैं― ये तीन युग निम्न हैं : 1. अति नूतन (Pliocene) : 1 करोड़ से 20 लाख वर्ष पूर्व तक 2. अत्यंत नूतन (Pleistocene) : 20 लाख वर्ष पूर्व तक 3. नूतनतम (Holocene) : 10,000 वर्ष पूर्व तक ◆ अत्यंत नूतन युग या Pleistocene युग में तीन बड़े-बड़े स्तनधारी परिवार का आविर्भाव हुआ। ये आधुनिक घोड़े, हाथी तथा मवेशियों के पूर्वज थे | इन पशु प्रारूपों को सामूहिक रूप से विलाफ्रांसीसी जंतु समूह कहा जाता है। ◆ लगभग 2 करोड़ वर्ष पूर्व महाकपि का एक समूह, जो‘ रामपिथेकस‘ के नाम से जाना जाता था, वह दो समूहों में विभाजित हो गया। ◆ इसकी एक शाखा जंगलों में रह गई, परन्तु दूसरी शाखा ने खुले घास के मैदान में रहना पसंद किया। इसे ऑस्ट्रेलोपिथेकस के नाम से जाना जाने लगा। यह मानव का आदि पूर्वज था। ◆ आगे चलकर इससे इरेक्टस , नियान्डरथेल , क्रोमैगनन– एवं अंत में 30 हजार वर्ष पूर्व आधुनिक मानव (होमोसेपियन) का विकास हुआ। ◆ भारत में आदि मानव के जीवाश्म प्राप्त नहीं होते हैं। ◆ भारत में मानव के प्राचीनतम अस्तित्व के संकेत पत्थर के औजारों से मिलते हैं जिनका काल लगभग 5 लाख ईसा से 2.5 लाख ईसा पूर्व निर्धारित किया गया है। ◆ किंतु हाल में बोरी नामक स्थान पर मानव की उपस्थिति लगभग 14 लाख वर्ष पूर...

भारत का इतिहास पाषाण काल

7000-3300 ई.पू 1700-1300 ई.पू 700–300 ई.पू 545–320 ई.पू 230 ई.पू-199 ई. 321–184 ई.पू 184–123 ई.पू 123 ई.पू–200 ई. 60–240 ई. पूर्व मध्यकालीन भारत- 240 ई.पू– 800 ई. 250 ई.पू- 1070 ई. 280–550 ई. 750–1174 ई. 830–963 ई. 900–1162 ई. 1206–1526 ई. 1206-1290 ई. 1290-1320 ई. 1320-1414 ई. 1414-1451 ई. 1451-1526 ई. 1526–1857 ई. 1490–1596 ई. 1358-1518 ई. 1490-1565 ई. 1040-1565 ई. 736-973 ई. 1040–1346 ई. 1083-1323 ई. 1326-1565 ई. 1674-1818 ई. सिख राज्यसंघ 1716-1849 ई. 1760-1947 ई. समस्त • प्राक्इतिहास या प्रागैतिहासिक काल Prehistoric Age • आद्य ऐतिहासिक काल Proto-historic Age • ऐतिहासिक काल Historic Age प्राक् इतिहास या प्रागैतिहासिक काल मुख्य लेख: इस काल में मनुष्य ने घटनाओं का कोई लिखित विवरण नहीं रखा। इस काल में विषय में जो भी जानकारी मिलती है वह पाषाण के उपकरणों, मिट्टी के बर्तनों, खिलौने आदि से प्राप्त होती है। आद्य ऐतिहासिक काल इस काल में लेखन कला के प्रचलन के बाद भी उपलब्ध लेख पढ़े नहीं जा सके हैं। ऐतिहासिक काल मानव विकास के उस काल को इतिहास कहा जाता है, जिसके लिए लिखित विवरण उपलब्ध है। मनुष्य की कहानी आज से लगभग दस लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ होती है, पर ‘ज्ञानी मानव‘ होमो सैपियंस Homo sapiens का प्रवेश इस धरती पर आज से क़रीब तीस या चालीस हज़ार वर्ष पहले ही हुआ। पाषाण काल यह काल मनुष्य की सभ्यता का प्रारम्भिक काल माना जाता है। इस काल को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। - • पुरा पाषाण काल Paleolithic Age • मध्य पाषाण काल Mesolithic Age एवं • नव पाषाण काल अथवा उत्तर पाषाण काल Neolithic Age पुरापाषाण काल यूनानी भाषा में Palaios प्राचीन एवं Lithos पाषाण के अर्थ में प्रयुक्त होता थ...

पुरापाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं

पुरापाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं मानव ने अपनी आवश्यकता के अनुरूप औजार बनाने की प्रक्रिया संभवत: लकड़ी तथा अन्य कार्बनयुक्त पदार्थ के औजार बनाने से शुरू की जो आज उपलब्ध नहीं है। परन्तु जब उसने पाषाण उपकरण बनाने शुरू किए तब से हमें पुरातात्विक प्रमाण उपलब्ध होने लगे। ये उपकरण मानव ने अपनी जरूरतों के अनुसार तथा उनके कार्य के अनुरूप निर्मित किए थे। जैसे मांस काटने तथा छीलने के लिए चॉपर (Chapper) तथा खुरचंनी (Scrapers) का निर्माण किया पुरापाषाण काल को तीन अवस्थाओं में विभाजित किया गया है:- 1. निम्न पुरा पाषाण काल में औजार - इस काल का मानव कोर (Core) निर्मित औजारों का प्रयोग करता था जिस पत्थर का औजार बनता था उसके फलक (Flake) उतार कर फेंक दिए जाते थे तथा बीच के हिस्से का ही औजार बनता था। इस काल के बने उपकरणों में चॉपर/चौंपिग औजार, हस्त कुल्हाड़ियो, विदारणी, खुरचमियां इत्यादि प्रमुख थे। इनसे मानव काटने, खाल साफ करने इत्यादि कार्यो के लिए तथा मिट्टी से जड़ें और कन्दमूल आदि निकालने के काम में लाता था। 2. निम्न पुरा पाषाण काल का विस्तार क्षेत्र - इस काल के मानव के उपकरण हमें सर्वप्रथम अफ्रीका से प्राप्त हुए। यहां मध्य-पूर्वी अफ्रीका के ओल्डुवई गर्ज की प्रथम तह से ये औजार मिले हैं। इसके अलावा मोरोक्को से भी इनकी प्राप्ति हुई है। यूरोप के लगभग सभी देशों से ये उपकरण मिले हैं, इनमें फ्रांस के सोम घाटी में स्थित अब्बेविल (Abbeville) जहां से हाथ की कुल्हाड़ियों की प्राप्ति हुई। इंग्लैड में थेमस नदी पर स्थित स्वान्सकोम्ब (Swanscombe) फ्रांस का अमीन्स (Amiens), जर्मनी का स्टेनहीम (Steinheim), हंगरी के वर्टिजोलुस गुफा प्रमुख है। एशिया में साइबेरिया को छोड़कर सभी प्रदेशों से इन उपकरणों की प्र...