मेरे पास के त्वचा चिकित्सक

  1. स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर
  2. त्वचा की स्थिति: प्रकार, कारण और उपचार
  3. चेहरे पर सफेद दाग होते क्यों हैं? सफेद दाग होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
  4. स्वस्थ रहने के 30 सरल उपाय
  5. गुंडा: जयशंकर प्रसाद की कहानी
  6. त्वचा का कैंसर: जानिए इसके 10 लक्षण और प्रकार
  7. धर्म के 10 लक्षण जो मनुष्य को उन्नत और महान बना देते हैं । Dharm Ke Lakshan – MyBapuji


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स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर

आज का युग आधुनिक युग है और इस समय में हर कोई अपनी सुंदरता को लेकर काफी जागरूक रहता है। अगर किसी को एक छोटी सी भी स्किन से जुड़ी समस्या हो जाती है तो लोग उससे परेशान हो जाते हैं यही कारण है कि इस समय स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर का दायरा बढ़ता जा रहा है। हमारे आज के इस ब्लॉग स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर कैसे बने में हम आपको स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर कैसे बनते हैं? स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनने के लिए प्रवेश प्रक्रिया, करियर विकल्प और टॉप कॉलेज आदि के बारे में बताएगे। चलिए जानते है स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनने की संपूर्ण जानकारी। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • • स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर कौन होते हैं? स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर के बारे में कई सारी मुख्य बाते हैं जिनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है। • त्वचा विज्ञान चिकित्सा में अध्ययन की एक शाखा है जो त्वचा, खोपड़ी, बालों, नाखूनों की समस्याओं से संबंधित है । • आज के युग में जहां प्रदूषण का स्तर प्रतिदिन बढ़ रहा है लोगों को त्वचा और बालों से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इसलिए त्वचा विशेषज्ञों (स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर) की मांग भी बढ़ रही है। • त्वचा विशेषज्ञ प्रशिक्षित चिकित्सक होते हैं जो विभिन्न में उन मरीज़ों का इलाज करते हैं जो त्वचा, बालों, नाखूनों की समस्याओं से पीड़ित हैं। • अगर आप एक स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनना चाहते हैं, तो आपको डर्मेटोलॉजी की पढ़ाई करनी होगी। • डर्मेटोलॉजी में आपको स्किन, बाल और नाखून आदि के बारे में पढ़ाया जाता है। • इसे पढ़ने के बाद आप एक स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर यानी डर्मेटोलॉजिस्ट बन सकते हैं। • आपको बता दें कि डर्मेटोलॉजी (त्वचाविज्ञान) त्वचा, बालों और नाखून रोगों से निपट...

त्वचा की स्थिति: प्रकार, कारण और उपचार

अवलोकन सौम्य त्वचा के घाव (मोल्स, झाई, त्वचा टैग, सौम्य लेंटिगिन्स, सेबोरहाइक केराटोसिस) क्या हैं? कई त्वचा के घाव बहुत सामान्य होते हैं और लगभग हमेशा सौम्य (गैर-कैंसरयुक्त) होते हैं। इन स्थितियों में मोल्स, झाईयां, त्वचा टैग, सौम्य लेंटिगिन्स और सेबोरहाइक केराटोज़ शामिल हैं। हालांकि, यदि परिवर्तनों का पता लगाया जाता है, तो कैंसर के लिए मोल्स की सबसे अधिक जांच की जाती है। एक तिल क्या है? तिल त्वचा पर होने वाली वृद्धि है जो आमतौर पर भूरे या काले रंग की होती है। तिल त्वचा पर कहीं भी, अकेले या समूहों में दिखाई दे सकते हैं। अधिकांश तिल बचपन में और किसी व्यक्ति के जीवन के पहले 20 वर्षों के दौरान दिखाई देते हैं। कुछ तिल जीवन में बाद तक प्रकट नहीं हो सकते हैं। वयस्कता तक 10 से 40 तिल होना सामान्य है। जैसे-जैसे साल बीतते हैं, तिल आमतौर पर धीरे-धीरे बदलते हैं, उभरे हुए और हल्के रंग के हो जाते हैं। अक्सर तिल पर बाल विकसित हो जाते हैं। कुछ तिल बिल्कुल नहीं बदलेंगे, जबकि अन्य धीरे-धीरे समय के साथ गायब हो जाएंगे। मेरे तिल की जांच करते समय मुझे क्या देखना चाहिए? अधिकांश तिल सौम्य होते हैं। केवल वे मस्से जो चिकित्सीय चिंता का विषय हैं, वे अन्य मौजूदा मस्सों से अलग दिखते हैं या जो पहली बार 20 साल की उम्र के बाद दिखाई देते हैं। यदि आप तिल के रंग, ऊंचाई, आकार या आकार में परिवर्तन देखते हैं, तो आपको त्वचा विशेषज्ञ (त्वचा चिकित्सक) होना चाहिए ) इसका मूल्यांकन करें। आपको मस्सों की भी जांच करवानी चाहिए, अगर उनमें खून आता है, रिसता है, खुजली होती है, पपड़ीदार दिखाई देते हैं या कोमल या दर्दनाक हो जाते हैं। शीशे से अपनी त्वचा की जांच करें या किसी से आपकी मदद करने के लिए कहें। अपनी त्वचा के उन क्षे...

चेहरे पर सफेद दाग होते क्यों हैं? सफेद दाग होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?

यह एक ऑटो इम्यून डिज़ीज़ है, जिसमें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता उसकी त्वचा को नुकसान पहुंचाने लगती है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम की कार्य प्रणाली में होने वाली गड़बड़ी का परिणाम है। ऐसी स्थिति में त्वचा की रंगत निर्धारित करने वाले मेलेनोसाइट्स नामक सेल्स धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं, नतीजतन त्वचा पर सफेद धब्बे नज़र आने लगते हैं। Contents • 1 सफ़ेद दाग क्या होते हैं? (What is White Patches?) • 2 सफेद दाग क्यों होते हैं? (Causes of White Patches) • 3 सफेद दाग होने के लक्षण (Symptoms of White Patches) • 4 सफेद दाग से बचने के उपाय (Prevention Tips for White Patches) • 4.1 क्या न खायें- • 5 सफेद दाग के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies for White Patches on Face) • 5.1 तांबे के बर्तन से पानी पीने से सफेद दाग से मिलती है राहत (Intake of Water in Copper Vessel Beneficial for White Patches on Face in Hindi) • 5.2 हल्दी और सरसों का तेल सफेद दाग से राहत दिलाने में फायदेमंद (Turmeric and Mustard Oil Beneficial for White Patches on Face in Hindi) • 5.3 नीम की पत्ती और शहद सफेद दाग से राहत दिलाने में फायदेमंद (Neem and Honey Beneficial for White Patches on Face in Hindi) • 5.4 बथुआ सफेद दाग से राहत दिलाने में फायदेमंद (Bathua Beneficial for White Patches on Face in Hindi) • 6 डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When to See a Doctor?) सफ़ेद दाग क्या होते हैं? (What is White Patches?) वैसे तो सभी प्रकार के त्वचा रोग त्रिदोषज होते हैं फिर भी दोषों के अपने निजी लक्षणों से उनकी सबलता तथा निर्बलता की समीक्षा कर तदानुसार चिकित्सा की जाती है। जिस दोष के लक्षण को विशेष रूप से उभरा एवं बढ़ा हुआ देखे त...

स्वस्थ रहने के 30 सरल उपाय

सदा स्वस्थ रहने के लिए नीचे दिये गये 30 नियमों का पालन करें। 1). ‘मेरे पास बीमार रहने का टाईम नहीं है, यह विचार रखनेवाला इंसान उन लोगों से कम बीमार रहता है, जो लोग बिना लक्ष्य लेकर जी रहे हैं इसलिए स्वस्थ जीवन जीने के लिए सबसे पहले अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित करें। 2). हम अपनी काया में रोज परिवर्तन ला रहे हैं, उसे मंदिर बनाकर या खंडहर बनाकर तो क्यों न इसे होश के साथ पवित्र मंदिर बनाया जाय। इसके लिए भोजन अधिक से अधिक सादा और सरल होना चाहिए। भोजन में अधिकांश भाग ताजे फल, कच्ची और भाप से पकी तरकारियों का होना चाहिए तथा भोजन में दूध, दही, मेवों का समावेश भी होना चाहिए। सुबह के नाश्ते में अपने शरीर की प्रकृति के अनुसार ताजे फल या फलों के साथ दूध भी ले सकते हैं। 3). दोपहर के खाने में दाल, चावल, रोटी, सब्जी के साथ कच्ची तरकारियाँ जैसे टमाटर, गाजर, पत्तागोभी, प्याज, पालक, मूली लें। यह न मिले तो मौसमी फल लें और साथ में थोड़ा अखरोट, बादाम, मूंगफली या 250 ग्राम दही या अधिक अंकुरित मूंग या चना लें। 4). शाम को भाप से पकी 2-3 तरकारियाँ, चोकर समेत आटे की रोटी और साथ में थोड़ा घी, मक्खन लें। ज्यादा चरबीवाले लोग तेल, घी, मक्खन, पनीर से बचें तथा हमेशा स्किम्ड मिल्क- बिना मलाई, चिकनाईवाला दूध ही लें। 5). भोजन तभी करें जब भूख लगी हो। यदि भोजन के समय भूख न हो तो भोजन बिलकुल न करें या कम करें। चालीस साल की उम्र के बाद सुपाच्य, साधा, सात्विक आहार लें, 2 वक्त के भोजन को 6 हिस्सों में यानी दिन में 6 बार थोड़ा-थोड़ा लें। भोजन हल्का होना चाहिए। मसालेदार, तला हुआ या ज्यादा मीठा न लें। 6). भोजन के पहले भूख लगे तो पानी, कोई फल, टमाटर या गाजर का 200 ग्राम रस पी लें। इन तरल पेयों, रसों को छोड़कर भोजन के...

गुंडा: जयशंकर प्रसाद की कहानी

भारत की अग्रणी हिंदी महिला वेबसाइट Femina.in/hindi को सब्स्क्राइब करें. फ़ेमिना भारतीय महिलाओं के मन को समझने का काम कर रही है और इन्हीं महिलाओं के साथ-साथ बदलती रही है, ताकि वे पूरी दुनिया को ख़ुद जान सकें, समझ सकें. और यहां यह मौक़ा है आपके लिए कि आप सितारों से लेकर फ़ैशन तक, सौंदर्य से लेकर सेहत तक और लाइफ़स्टाइल से लेकर रिश्तों तक सभी के बारे में ताज़ातरीन जानकारियां सीधे अपने इनबॉक्स में पा सकें. इसके अलावा आप पाएंगे विशेषज्ञों की सलाह, सर्वे, प्रतियोगिताएं, इन्टरैक्टिव आर्टिकल्स और भी बहुत कुछ! लेखक: जयशंकर प्रसाद वह पचास वर्ष से ऊपर था. तब भी युवकों से अधिक बलिष्ठ और दृढ़ था. चमड़े पर झुर्रियाँ नहीं पड़ी थीं. वर्षा की झड़ी में, पूस की रातों की छाया में, कड़कती हुई जेठ की धूप में, नंगे शरीर घूमने में वह सुख मानता था. उसकी चढ़ी मूँछें बिच्छू के डंक की तरह, देखनेवालों की आँखों में चुभती थीं. उसका साँवला रंग, साँप की तरह चिकना और चमकीला था. उसकी नागपुरी धोती का लाल रेशमी किनारा दूर से ही ध्यान आकर्षित करता. कमर में बनारसी सेल्हे का फेंटा, जिसमें सीप की मूठ का बिछुआ खुँसा रहता था. उसके घुँघराले बालों पर सुनहले पल्ले के साफे का छोर उसकी चौड़ी पीठ पर फैला रहता. ऊँचे कन्धे पर टिका हुआ चौड़ी धार का गँड़ासा, यह भी उसकी धज! पंजों के बल जब वह चलता, तो उसकी नसें चटाचट बोलती थीं. वह गुंडा था. ईसा की अठारहवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में वही काशी नहीं रह गयी थी, जिसमें उपनिषद् के अजातशत्रु की परिषद् में ब्रह्मविद्या सीखने के लिए विद्वान ब्रह्मचारी आते थे. गौतम बुद्ध और शंकराचार्य के धर्म-दर्शन के वाद-विवाद, कई शताब्दियों से लगातार मंदिरों और मठों के ध्वंस और तपस्वियों के वध के कारण, ...

त्वचा का कैंसर: जानिए इसके 10 लक्षण और प्रकार

त्वचा का कैंसर मुख्य रूप से धूप के संपर्क में आने वाले हिस्सों पर विकसित होता है। इसमें सिर ,चेहरा, होंठ, कान, गर्दन, छाती और हाथ शामिल हैं। महिलाओं को ये पैरों में भी हो सकता है। यह उन हिस्सों पर भी हो सकता है जो शायद ही कभी धूप के संपर्क में आते हों। जैसे आपकी हथेलियां, नाखूनों, पैर की उंगलियों के नीचे और आपके जननांग के नीचे के हिस्से में भी हो सकता है। स्किन कैंसर किसी भी स्किन टोन के लोगों को हो सकता है। इसमें गहरे रंग वाले लोग भी शामिल हैं। त्वचा का कैंसर (Skin cancer) का एक प्रकार मेलेनोमा गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों में होता है। और पढ़ें: त्वचा का कैंसर (Skin cancer) होने पर दिखते हैं ये लक्षण Skin cancer • त्वचा का कैंसर ​शरीर के किसी भी तिल में हो सकता है • तिल का आकार बड़ा होता जाता है • तिल की जगह घाव होने पर खुजली हो सकती है • हर तरह के तिल में ऐसा नहीं होता है • आम तौर पर स्किन कैंसर (Skin cancer) होने पर • इसके अलावा मोतीदार उठा हुआ घाव भी दिख सकता है • शरीर पर एक खुरदरा या लाल पैच हो सकता है, जो पपड़ीदार या खून भरा होता है • त्वचा के ​निचले हिस्सों पर एक गांठ दिख सकती है • त्वचा पर खुले घाव दिख सकते हैं जो कभी ​गायब हो जाएंगे तो कभी फिर से दिखने लगेंगे • त्वचा का कैंसर (Skin cancer) कितने प्रकार का होता है? अगर आप धूप की तेज किरणों के संपर्क में आने से बचते हैं तो त्वचा का कैंसर (Skin cancer) के लक्षणों को कम कर सकते हैं। त्वचा में बदलाव दिखे तो ये कैंसर के शुरुआती लक्षणों में से एक हो सकता है। जितनी जल्दी स्किन कैंसर (Skin cancer) का पता चलेगा, उतनी जल्दी इलाज करना संभव हो पाएगा। स्किन कैंसर के तीन प्रकार होते हैं। • • स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा • बेसल सेल का...

धर्म के 10 लक्षण जो मनुष्य को उन्नत और महान बना देते हैं । Dharm Ke Lakshan – MyBapuji

धर्म के १० लक्षण मनुष्य को उन्नत कर देते हैं । स्वायंभुव मनुजी ने मनुष्यों को बताया है कि तुम लोग मेरे मेरी संतान हो और पिता-पितामह की सम्पदा संतान में आती है, इसलिए कम-से-कम इन दस बातों का तुम ख्याल रखा करो : धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः । धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम् ।। (मनुस्मृति : ६.९२) ~धर्म के 10 लक्षण (१) धैर्य :पहली बात यह है कि यदि कभी तुम्हारे ऊपर कोई संकट आये, विपत्ति आये तो तुम घबराया न करो,किंतु तुम तो मेरे बेटे होकर भी जरा-सा संकट आया नहीं, विपत्ति आयी नहीं कि बेहद घबरा जाते हो । यह हमारे वंश के अनुरूप नहीं है । देखो, यह बात मनुजी ने यों ही नहीं कही । एक बार वे अपनी पत्नी शतरूपा के साथ सुनन्दा नदी के तट पर तपस्या कर रहे थे । उनको देखकर राक्षस लोग उनको खाने के लिए दौडे लेकिन वे बिल्कुल घबराये नहीं, अचल हो गये और ‘ईशावास्य उपनिषद्” के इस मंत्र का जप करने लगे – ‘ईशावास्यमिदं सर्वम् । भगवान ने देखा कि ये तो अपने धर्म का ठीक-ठीक पालन कर रहे हैं और राक्षस लोग इन्हें मार डालना चाहते हैं, तब वे सुदर्शन चक्रधारी भगवान आये और उन्होंने मनु-शतरूपा की रक्षा की । इसलिए हमारी जो घबराहट है, यह मानव-धर्म के विपरीत है । मनुष्य का जो पहला धर्म है, वह अपने धैर्य को कायम रखना है । किसी भी हालत में अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए । जीवन में रात आती है, दिन आता है; रोग आता है, आरोग्य आता है; सुख आता है, दुःख आता है; हम जिससे मिलना चाहते हैं, कभी वह मिलता है और जिससे नहीं मिलना चाहते, कभी वह मिलता है । किसी भी अवस्था में घबडाना नहीं चाहिए । हमारे जीवन की जो गाडी है, वह बिल्कुल ठीक-ठीक चलनी चाहिए । यही धर्म है, इसीको ‘मनुस्मृति में ‘धृति के नाम से कहा गया है । धृत...