मेरी अश्वन भीगे साड़ी आ जाओ कृष्ण मुरारी

  1. Bhajan Lyrics, Bhagwat Katha, Satsang
  2. aa jao krishan murari bhajan lyrics
  3. चल भगता तेरी वारी आयी,उठ भगता तेरी वारी आयी
  4. ~महाभारत कथा, कृष्ण भजन और कविता (11.1.17) – रजनी की रचनायें
  5. Lyrics Jai Mata Di Jai Mata Di Makar Sankranti Mela Bhagwati Jagran
  6. ।रक्षाबंधन पर मेरे एहसास और इसका इतिहास। 6.8.17 – रजनी की रचनायें


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Bhajan Lyrics, Bhagwat Katha, Satsang

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aa jao krishan murari bhajan lyrics

मेरी अश्वन भीगे साड़ी आ जाओ कृष्ण मुरारी.... मैं पांच पति की नारी जुए में बाजी हारी, दुशासन खींचे साड़ी, आ जाओ कृष्ण मुरारी..... करो बचन याद बनवारी जब उंगली कटी तुम्हारी, मैंने फाड़ के, हो मैंने फाड़कर बांधी साड़ी, आ जाओ कृष्ण मुरारी.... जब याद बचन कि आई प्रभु दौड़े दौड़े आए, साड़ी में, हो साड़ी में छुपे बनवारी, आ जाओ कृष्ण मुरारी.... साड़ी का ढेर लगाया दुष्टों का मान घटाया, मैं आया शरण तुम्हारी द्रोपदी की लाज बचाई.....

चल भगता तेरी वारी आयी,उठ भगता तेरी वारी आयी

Details • • चल भगता तेरी वारी आयी, उठ भगता तेरी वारी आयी भागा भरया दिन एह आया, अज्ज मईया ने आप बुलाया, दर्शन दी रुत प्यारी आई, चल भगता तेरी वारी आयी, उठ भगता तेरी वारी आयी जेहड़ा आया कर्मा वाला, माँ दे देखे रूप निराला, पौड़ी पौड़ी चढ़दा जाए, जय माता दी करदा जाए, नैना विच खुमारी आयी, उठ भगता तेरी वारी आयी, चल भगता तेरी वारी आयी, उठ भगता तेरी वारी आयी बचड़े तुर पये बन के टोले, हर कोई जय माता दी बोले, हर कोई माँ दिया भेंटा गावे, हर कोई माँ दा दर्शन चाहवे, हर इक नर ते नारी आई, उठ भगता तेरी वारी आयी, चल भगता तेरी वारी आयी, उठ भगता तेरी वारी आयी विच गुफा दे पिंडी रानी, जग जननी अम्बे वरदानी, सब दे उत्ते मेहरा करदी, सब दी खाली झोली भरदी, मईया आद कुवारी आई, उठ भगता तेरी वारी आयी, चल भगता तेरी वारी आयी, उठ भगता तेरी वारी आयी भगता झोली भर के लै जा, जो लेना है अड़ के लै जा, मईया दे नाल लड़ के लै जा, माँ दा पल्ला फड़ के लै जा, खुले ने मईया दे द्वारे, खोल के बैठी माँ भंडारे, करके शेर सवारी आई, उठ भगता तेरी वारी आयी, चल भगता तेरी वारी आयी, उठ भगता तेरी वारी आयी चल भगता तेरी वारी आयी, उठ भगता तेरी वारी आयी • • • • • • chal bhagata teri vaari aayi, uth bhagata teri vaari aayee Bhajan Lyrics chal bhagata teri vaari aayi, uth bhagata teri vaari aayee bhaaga bharaya din eh aaya, ajj meeya ne aap bulaaya, darshan di rut pyaari aai, chal bhagata teri vaari aayi, uth bhagata teri vaari aayee jehada aaya karma vaala, ma de dekhe roop niraala, paudi paudi chadahada jaae, jay maata di karada jaae, naina vich khumaari aayi, uth bhagata teri vaari aayi, chal bhagata teri vaari aayi, uth bhagata teri ...

~महाभारत कथा, कृष्ण भजन और कविता (11.1.17) – रजनी की रचनायें

महाभारत में वर्णन हुआ है कि जब द्रोपदी का चिर हरण दुशासन ने किया तो द्रोपती ने कृष्ण को पुकारा जो कृष्ण को अपना भाई मानती थी। मेरे विचार में भगवान एक कल्पना है। मनुष्य के विचार ही भगवान है। कुविचार ही आज राक्षस प्रवृत्ति का दुशासन है। आज जो बहन के लाज के रखवाले है। वही कलयुग में द्रोपदी का भाई कृष्ण है। अपने खून के रिस्ते या एक कोरव का जन्मा ही केवल भाई-बहन नहीं होता। और जो बहन के लाज के लुटेरे है वही आजकल दुशासन है। जैसा की हम पढ़ते सुनते और जानते है कि रक्षा बन्धन क्यों मानया जाता है। रानी कर्मावती रक्षा सूत्र यानी (राखी) भेजकर हुमायूं से सहायता माँगी थी। तो यहाँ यह भी स्पष्ट हो जाता है कि बहन के रखवाले जाति-पाति या किसी धर्म का मोहताज नहीं है। हमने अपने माँ-बहनो और बड़ो से यह गाना सुना है जब द्रोपती ने कृष्ण को पुकारा है- ( भजन) मेरी अंसुवन भीगे साड़ी आ जाओ कृष्ण मुरारी। अरे पाँच पति वाली पत्नी हूँ, और पाँचों के पाँच अनाड़ी (हाय कैसे हाय कैसे ) जुवे में हारी। आ जाओ कृष्ण मुरारी। यहाँ बैठै भिष्म बलशाली और, बैठी सभा है सारी दुशासन करे उघारी। आ जाओ कृष्ण मुरारी। मेरी अँसुवन ………………………….. जो तुम नहीं आवोगे जाएगी लाज हमारी, तब हँसेगी दुनिया सारी आ जाओ कृष्ण मुरारी। मेरी अँसुवन भीगे………………………. जरा याद करो बनवारी जब अंगुली कटी तुम्हारी (मैने फाड़ी मैंने फाड़ी) रेशमी साड़ी आ जाओ कृष्ण मुरारी। मेरी अँसुवन –––––– . जब बढ़ने लगी है साड़ी दुशासन गया है हारी। मैने जान लिया पहचान लिया साड़ी में छुपे मुरारी। आ जाओ कृष्ण मुरारी। मेरी अँसुवन –––––––––– ।आ जावो कृष्ण मुरारी। इस गाने से स्पष्ट हो जाता अच्छे विचार वाले जब बहन की रक्षा करने पर उतरते है तो बुरे विचार रूपी दुशासन की हार ही होती है। अतः...

Lyrics Jai Mata Di Jai Mata Di Makar Sankranti Mela Bhagwati Jagran

Jai Mata Di Jai Mata Di Jai Mata Di Jai Mata Di Jai Kara Sherawali Maayi Da Bol Sanche Darbar Ki Jai Maa Chintpurani Shanti Do Maa Jwala Maiya Tej Do Kangade Me kare Gungaan Hum Aagaye Tere Charno Me Aaj Maa Sarswati Kripa Karo Harday Me Karo Niwas Harday Me Karo Niwas Harday Me Karo Niwas Jai Kara Sherawali Maayi Da Bol Sanche Darbar Ki Jai Jai Kara Kangadewali Maayi Da Bol Sanche Darbar Ki Jai Jai Ho Jai Ho Mai Dar Tere Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Mann Me Aash Umange Laayi O Meri Sherawali Maayi Mai Dar Tere Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Mann Me Aash Umange Laayi O Meri Sherawali Maayi Mai Dar Tere Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Mann Me Aash Umange Laayi O Meri Sherawali Maayi Jai Ho Jai Ho Sherawali Meharawali Deti Bhakto Ko Khushhaali Deti Bhakto Ko Khushhaali Deti Bhakto Ko Khushhaali Sherawali Meharawali Deti Bhakto Ko Khushhaali Deti Bhakto Ko Khushhaali Deti Bhakto Ko Khushhaali Sabke Bigade Kaam Banati Sabke Soye Bhaag Jagati Sabke Soye Bhaag Jagati Sabke Soye Bhaag Jagati Ye Soch Ke Aayi Re Jai Ho Ye Soch Ke Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Mann Me Aash Umange Laayi O Meri Sherawali Maayi Mai Dar Tere Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Mai Dar Tere Aayi Re Jai Ho Jai Ho Ghar Me Teri Jyot Jagau Nit Din Tera Dhyan Lagau Nit Din Tera Dhyan Lagau Nit Din Tera Dhyan Lagau Ghar Me Teri Jyot Jagau Nit Din Tera Dhyan Lagau Nit Din Tera Dhyan Lagau Nit Din Tera Dhyan Lagau Jab Jab...

।रक्षाबंधन पर मेरे एहसास और इसका इतिहास। 6.8.17 – रजनी की रचनायें

महाभारत में वर्णन हुआ है कि जब द्रोपदी का चिर हरण दुशासन ने किया तो द्रोपती ने कृष्ण को पुकारा जो कृष्ण को अपना भाई मानती थी। मेरे विचार में भगवान एक कल्पना है। मनुष्य के विचार ही भगवान है। कुविचार ही आज राक्षस प्रवृत्ति का दुशासन है। आज जो बहन के लाज के रखवाले है। वही कलयुग में द्रोपदी का भाई कृष्ण है। अपने खून के रिस्ते या एक कोरव का जन्मा ही केवल भाई-बहन नहीं होता। और जो बहन के लाज के लुटेरे है वही आजकल दुशासन है। जैसा की हम पढ़ते सुनते और जानते है कि रक्षा बन्धन क्यों मानया जाता है। रानी कर्मावती रक्षा सूत्र यानी (राखी) भेजकर हुमायूं से सहायता माँगी थी। तो यहाँ यह भी स्पष्ट हो जाता है कि बहन के रखवाले जाति-पाति या किसी धर्म का मोहताज नहीं है। हमने अपने माँ-बहनो और बड़ो से यह गाना सुना है जब द्रोपती ने कृष्ण को पुकारा है- ( भजन) मेरी अंसुवन भीगे साड़ी आ जाओ कृष्ण मुरारी। अरे पाँच पति वाली पत्नी हूँ, और पाँचों के पाँच अनाड़ी (हाय कैसे हाय कैसे ) जुवे में हारी। आ जाओ कृष्ण मुरारी। यहाँ बैठै भिष्म बलशाली और, बैठी सभा है सारी दुशासन करे उघारी। आ जाओ कृष्ण मुरारी। मेरी अँसुवन ………………………….. जो तुम नहीं आवोगे जाएगी लाज हमारी, तब हँसेगी दुनिया सारी आ जाओ कृष्ण मुरारी। मेरी अँसुवन भीगे………………………. जरा याद करो बनवारी जब अंगुली कटी तुम्हारी (मैने फाड़ी मैंने फाड़ी) रेशमी साड़ी आ जाओ कृष्ण मुरारी। मेरी अँसुवन –––––– . जब बढ़ने लगी है साड़ी दुशासन गया है हारी। मैने जान लिया पहचान लिया साड़ी में छुपे मुरारी। आ जाओ कृष्ण मुरारी। मेरी अँसुवन –––––––––– ।आ जावो कृष्ण मुरारी। इस गाने से स्पष्ट हो जाता अच्छे विचार वाले जब बहन की रक्षा करने पर उतरते है तो बुरे विचार रूपी दुशासन की हार ही होती है। अतः...