महाभारत का किस्सा

  1. किस्सा : 'महाभारत' बनाने वाले BR Chopra का, पहली ही फिल्म में दिवालिया हो गया था परिवार, करनी पड़ी नौकरी
  2. संपूर्ण महाभारत की पूरी कहानी
  3. जानिए महाभारत धारावाहिक बनने का किस्सा
  4. Mahabharat Katha: अपने ही भाई युधिष्ठिर के खून का क्यों प्यासा हो गया था अर्जुन
  5. महाभारत की संक्षिप्त कथा


Download: महाभारत का किस्सा
Size: 7.11 MB

किस्सा : 'महाभारत' बनाने वाले BR Chopra का, पहली ही फिल्म में दिवालिया हो गया था परिवार, करनी पड़ी नौकरी

• • Entertainment Hindi • किस्सा : 'महाभारत' बनाने वाले BR Chopra का, पहली ही फिल्म में दिवालिया हो गया था परिवार, करनी पड़ी नौकरी किस्सा : 'महाभारत' बनाने वाले BR Chopra का, पहली ही फिल्म में दिवालिया हो गया था परिवार, करनी पड़ी नौकरी BR Chopra : यश अपने भाई से अलग हो गए और खुद की पहली फिल्म 'दाग' का निर्देशन किया. यश का उनसे अलग होना बीआर चोपड़ा के लिए सबसे बड़ा झटका था. BR Chopra Birth Anniversary : फिल्म निर्माता और निर्देशक बीआर चोपड़ा उर्फ बलदेव राज चोपड़ा को सिनेमा जगत के प्रेमी बहुत अच्छे से जानते हैं. अगर आप 90 के हैं तो आपने दूरदर्शन पर हर रविवार सुबह आने वाला ‘महाभारत’ को तो देखा ही होगा. ‘महाभारत’ के निर्माता बीआर चोपड़ा ही थे, जिन्होंने रविवार के दिन को फैमिली डे बना दिया था. उस समय पूरा परिवार एक-साथ बैठकर ‘महाभारत’ देखा करता था. आज यानी 22 अप्रैल को बीआर चोपड़ा की 106वीं बर्थ एनिवर्सरी है. अगर वो आज जिंदा होते तो अपना 106वां जन्मदिन मना रहे होते. वो बीआर चोपड़ा ही थे जिन्होंने अपने भाई-बहन को फिल्म निर्माण के बारे में सब कुछ सिखाया था. जिंदगी भर रहा भाई से अलग होने का गम बीआर चोपड़ा अपने समय के सबसे बेस्ट डायरेक्टर्स में से एक थे, वो हमेशा आगे की सोचते थे. बॉलीवुड के रोमांटिक डायरेक्टर कहे जाने वाले दिवंगत निर्देशक यश चोपड़ा ने भी बीआर चोपड़ा से ही फिल्में बनानी सीखी. बीआर चोपड़ा के साथ उन्होंने ‘धर्मपुत्र’, ‘धूल का फूल’, ‘वक्त’ और ‘इत्तेफाक’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया. हालांकि बाद में यश अपने भाई से अलग हो गए और खुद की पहली फिल्म ‘दाग’ का निर्देशन किया. यश का उनसे अलग होना बीआर चोपड़ा के लिए सबसे बड़ा झटका था. वह अपने भाई से अलग होने के दुख से कभी उबर नह...

संपूर्ण महाभारत की पूरी कहानी

परिचय ⇒ महाभारत हिन्दुओ का एक महान ग्रन्थ है| यह एक सबसे महान काव्य है इसे केवल भारत भी कहा जाता है यह विश्व का सबसे लम्बा ग्रन्थ है इसके मुख पात्र भगवान श्री कृष्ण, युधिष्ठिर अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव और दुर्योधन है| महाभारत की पूरी कहानी के रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है. वेदव्यास जी को महाभारत लिखने में पूरे … Categories Tags

जानिए महाभारत धारावाहिक बनने का किस्सा

बलदेव राज चोपड़ा यानी बी. आर. चोपड़ा आधुनिक युग के नामचीन फिल्म निर्माता रहे। वी. शांताराम के अतिरिक्त वह शायद अकेले ऐसे फिल्मकार थे, जिन्हें किसी विश्वविद्यालय ने डी.लिट की मानद उपाधि से नवाजा और अपनी इस उपलब्धि पर उन्हें गर्व भी था। मुंबई के उसी उपनगर सांताक्रुज में उनका आवास था, जहां मैं रहता था और मेरे ही अपार्टमेंट में चूंकि उनके सिनेमाटोग्राफर महेंद्र नाथ मल्होत्रा रहते थे। उनसे मिलने चोपड़ा वहां आते रहते थे, इससे मेरे साथ भी उनका अच्छा-खासा घरोपा स्थापित हो गया था। बात तब की है, जब उन्होंने अपने टीवी सीरियल महाभारत का निर्माण शुरू किया था। महाभारत की कथा-पटकथा राही मासूम रजा ने तैयार की थी, जो मेरे अग्रज तुल्य मित्र थे। जब कभी चोपड़ा से मिलने वह उनके आवास या कार्यालय जाते, तो रास्ते में होने के कारण अक्सर मेरे फ्लैट की घंटी भी बज जाती और फिर अगर मेरे पास कोई दूसरा काम नहीं होता, तो मैं उनके साथ हो लेता। ऐसे ही किसी मौके पर मैंने चोपड़ा साहब से कहा था, `यह क्या गजब कर रहे हैं भाईजान। बचपन में मैंने यह कहते लोगों को सुना था कि किसी घर में महाभारत की पोथी नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि वैसा करने से असमय ही लोगों के बीच लड़ाई-झगड़ा शुरू हो सकता है। आप हैं कि उसे घर की चारदीवारी से निकाल कर पूरे देश में फैलाने की कोशिशों में रत हैं। ऐसा करने से क्या हमारा मुल्क आपस की मारकाट में नहीं लग जाएगा?’ `तुम्हारे मुंह में घी-शक्कर।' चोपड़ा ने तपाक से जवाब दिया था। `महाभारत शांति स्थापना का महाग्रंथ है और उस शांति को हम क्रांति के माध्यम से ही अर्जित कर सकते हैं। निश्चित ही उस युद्व में विनाश की संभावनाएं निहित हैं, लेकिन विनाश ऐसे ही लोगों का होगा, जो शांति की स्थापना में बाधक होंगे। राही मासू...

Mahabharat Katha: अपने ही भाई युधिष्ठिर के खून का क्यों प्यासा हो गया था अर्जुन

कर्ण ने युधिष्ठिर को किया था घायल महाभारत युद्ध के दौरान जब कर्ण ने सेनापति की कमान संभाली थी तब उनका पहला लक्ष्य अर्जुन (अर्जुन के किन्नर बनने की कहानी) ही थे। लकिन बीच में युधिष्ठिर आ गए और कर्ण को उनसे युद्ध करना पड़ा। कर्ण ने युधिष्ठिर को बुरी तरह घायल कर दिया। घायल युधिष्ठिर वापस अपने शिविर में चले। जब अर्जुन को यह बात पता चली तो अर्जुन अपने भाई युधिष्ठिर से मिलने पहुंचे। इसे जरूर पढ़ें: कौन था कीचक जिसको भीम ने महाभारत युद्ध से पहले दे दी थी भयंकर मौत युधिष्ठिर को आया क्रोध जब अर्जुन और श्री कृष्ण युधिष्ठिर से मिलने गए तो युधिष्ठिर को लगा कि अर्जुन उनके पामान का बदला लेकर उन्हें कर्ण की हार की सूचना देने आए हैं। लेकिन जब युधिष्ठिर को पता चला कि अर्जुन तो मात्र उनके घायल होने की बात सुन उनसे मिलने आए हैं तब युधिष्ठिर क्रोधित हो उठे। गुस्से में युधिष्ठिर ने अर्जुन को अपने शस्त्र किसी को दान में देने की बात कह डाली। अर्जुन की भीषण प्रतिज्ञा यही बात सुन अर्जुन ने तलवार से युधिष्ठिर पर वार कर दिया। तब श्री कृष्ण (अट्रैक्टिव पर्सनैलिटी के लिए कृष्ण मंत्र) ने अर्जुन को रोकते हुए उनसे ऐसे व्यवहार का कारण पूछा। अर्जुन ने बताया कि उन्होंने प्रतिज्ञा ली थी कि जब भी कोई उन्हें उनके शस्त्र किसी और को देने को कहेगा तो वह उस व्यक्ति का सिर धड़ से अलग कर देंगे। इसी कारण से युधिष्ठिर के ऐसा बोलते ही अर्जुन ने अपने ही भाई पर तलवार तान दी। इसे जरूर पढ़ें: श्री कृष्ण ने बचाई जान तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को रोकते हुए इसका तोड़ बताया। श्री कृष्ण ने कहा कि अगर अर्जुन युधिष्ठिर का अपमान कर दें तो यह उनकी हत्या करने के बराबर ही होगा क्योंकि किसी सम्मानित व्यक्ति के लिए उसका आदर ही सब कुछ होता है। ...

महाभारत की संक्षिप्त कथा

अनुक्रम • 1 चन्द्रवंश से कुरुवंश तक की उत्पत्ति • 2 पाण्डु का राज्य अभिषेक • 3 कर्ण का जन्म, लाक्षाग्रह षड्यंत्र तथा द्रौपदी स्वयंवर • 4 इन्द्रप्रस्थ की स्थापना • 5 पाण्डवों की विश्व विजय और उनका वनवास • 6 शांति दूत श्रीकृष्ण, युद्ध की शुरुवात तथा श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को उपदेश • 7 भीष्म द्रोण वध • 8 कर्ण और शल्य वध • 9 दुर्योधन वध और महाभारत युद्ध की समाप्ति • 10 यदुकुल का संहार और पांडवों का स्वर्गगमन • 11 कुरुवंश वृक्ष चन्द्रवंश से कुरुवंश तक की उत्पत्ति [ ] पुराणो के अनुसार पाण्डु का राज्य अभिषेक [ ] धृतराष्ट्र जन्म से ही अन्धे थे अतः उनकी जगह पर पाण्डु को राजा बनाया गया, इससे धृतराष्ट्र को सदा अपनी नेत्रहीनता पर क्रोध आता और पाण्डु से द्वेषभावना होने लगती। पाण्डु ने सम्पूर्ण भारतवर्ष को जीतकर कुरु राज्य की सीमाओ का यवनो के देश तक विस्तार कर दिया। एक बार राजा पाण्डु अपनी दोनों पत्नियों - कुन्ती तथा माद्री - के साथ आखेट के लिये वन में गये। वहाँ उन्हें एक मृग का मैथुनरत जोड़ा दृष्टिगत हुआ। पाण्डु ने तत्काल अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। मरते हुये मृगरुपधारी निर्दोष ऋषि ने पाण्डु को शाप दिया, "राजन! तुम्हारे समान क्रूर पुरुष इस संसार में कोई भी नहीं होगा। तूने मुझे मैथुन के समय बाण मारा है अतः जब कभी भी तू मैथुनरत होगा तेरी मृत्यु हो जायेगी।" इस शाप से पाण्डु अत्यन्त दुःखी हुये और अपनी रानियों से बोले, "हे देवियों! अब मैं अपनी समस्त वासनाओं का त्याग कर के इस वन में ही रहूँगा तुम लोग हस्तिनापुर लौट जाओ़" उनके वचनों को सुन कर दोनों रानियों ने दुःखी होकर कहा, "नाथ! हम आपके बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकतीं। आप हमें भी वन में अपने साथ रखने की कृपा कीजिये।" पाण्डु ने ...