महाभारत काल में मत्स्य जनपद का शासक कौन था

  1. Mahabharata: महाभारत काल में बकासुर कौन था? वह किसके हाथों मारा गया? जानें
  2. मौर्य कालीन सभ्यता और संस्कृति
  3. Mahabharat Mahabharata Who Was Shikhandi The Cause Of Death Of Bhishma Pitamah Was Made In The War Of Mahabharata
  4. मत्स्य राज
  5. महाभारत काल में भारत के जनपद कौन से थे, जानिए...
  6. महाजनपद काल (600 ई.पू. से 325 ई.पू.) – Study Material
  7. मत्स्य
  8. महाजनपद काल (600 ई.पू. से 325 ई.पू.) – Study Material
  9. महाभारत काल में भारत के जनपद कौन से थे, जानिए...


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Mahabharata: महाभारत काल में बकासुर कौन था? वह किसके हाथों मारा गया? जानें

महाभारत काल में बकासुर एक नरभक्षी असुर था. वह एकचक्रा नामक नगरी के समीप एक गुफा में अपने कुनबे समेत रहता था. Mahabharata: आपने बकासुर के बारे में सुना है? यदि कभी आपने महाभारत पढ़ा होगा तो यह जानते होंगे कि बकासुर एक नरभक्षी राक्षस था. वह एकचक्रा नामक नगरी के समीप एक गुफा में अपने कुनबे समेत रहता था. वर्तमान में एकचक्रा नगरी उत्तर प्रदेश के जिले प्रतापगढ़ शहर के दक्षिण में स्थित द्वैतवन में पड़ती है, जिसे चकवड़ के नाम से जाना जाता है. यहीं पर महाभारतकाल की निशानियां मिलती हैं. बकासुर बेहद क्रूर स्वभाव का था, उसे इंसानों का मांस खाना पसंद था. उसका वध महाबली भीमसेन ने किया था. बात उस समय की है, जब भीमसेन समेत सभी पांचों भाई अपनी मां कुंती के साथ कौरवों के लाक्षागृह षड्यंत्र से बचकर निकले थे और हस्तिनापुर से बहुत दूर पहचान छुपाकर रह रहे थे. यह भी पढ़ें: क्या है भगवान गणेश का स्वास्तिक रूप? वास्तु दोषों को करता है दूर यह भी पढ़ें: घर में रखना है एक्वेरियम तो जानें इसके लिए सही दिशा और नियम पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि जब वे एकचक्रा नगरी में पहुंचे तो एक ब्राह्मण ने उन्‍हें अपने घर में आश्रय दिया. उस नगरी के पास ही बकासुर रहता था. उस नगरी का शासक दुर्बल था, जो नगर वासियों को छोड़कर भाग गया था. फिर बकासुर के प्रकोप से वहां हाहाकार मच गया था. तब नगरवासियों ने बकासुर से विनती की और तय किया कि वहां के निवासी गृहस्थ बारी-बारी से उसके एक दिन के भोजन का प्रबंध करेंगे. उसको रोजाना 20 खारी अगहनी के चावल, पकवान, 2 बैल व एक मनुष्य पहुंचाए जाते थे, जिन्‍हें असुर खा जाता था. उस दिन बारी पांडवों के आश्रयदाता ब्राह्मण की थी. उस ब्राह्मण के परिवार में पति-पत्नी, एक पुत्र तथा एक पुत्री थ...

मौर्य कालीन सभ्यता और संस्कृति

3 राजस्थान में जनपद ( District in Rajasthan ) मौर्य काल ( Maurya Empire ) चंद्रगुप्त मौर्य के समय से ही मौर्यों की सत्ता इस क्षेत्र में फैल गई। कोटा जिले के कणसावा गांव से मिले शिलालेख से यह पता चलता है कि वहां मौर्य वंश के राजा धवल का राज्य था बैराठ से अशोक के दो अभिलेख मिले हैं मौर्य काल में राजस्थान सिंध, गुजरात तथा कोकण का क्षेत्र अपर जनपद अथवा पश्चिमी जनपद कहलाता था अशोक का बैराठ का शिलालेख तथा उसके उतराधिकारी कुणाल के पुत्र सम्प्रति द्वारा बनवाये गये मन्दिर मौर्यों के प्रभाव की पुष्टि करते हैं कुमारपाल प्रबंध अन्य जैन ग्रंथ से अनुमानित है कि चित्तौड़ का किला व चित्रांग तालाब मौर्य राजा चित्रांग द्वारा बनवाया हुआ है चित्तौड़ से कुछ दूर मानसरोवर नामक तालाब पर राजा मान का जो मौर्यवंशी माना जाता हैं मौर्य कालीन सभ्यता और संस्कृति | मौर्य कालीन सामाजिक जीवन 1 विक्रम संवत 770 का शिलालेख कर्नल टॉड को मिला जिसमें माहेश्वर, भीमभोज और मानचार नाम क्रमशः दिये है इन प्रमाणों से मौर्यों का राजस्थान में अधिकार और प्रभाव स्पष्ट होता है। राजस्थान में मौर्य वंश ( Maurya dynasty in Rajasthan ) मौर्य युग में मत्स्य जनपद का भाग मौर्य शासकों के अधीन आ गया था। इस संदर्भ में अशोक का भाब्रू शिलालेख अति-महत्त्वपूर्ण है, जो राजस्थान में मौर्य शासन तथा अशोक के बौद्ध होने की पुष्टि करता है। इसके अतिरिक्त अशोक के उत्तराधिकारी कुणाल के पुत्र सम्प्रति द्वारा बनवाये गये मंदिर इस वंश के प्रभाव की पुष्टि करते है। कुमारपाल प्रबंध तथा अन्य जैन ग्रन्थों से अनुमानित है कि चित्तौड़ का किला व एक चित्रांग तालाब मौर्य राजा चित्रांग का बनवाया गया है। चित्तौड़ से कुछ दूर मानसरोवर नामक तालाब पर मौर्यवंशी राजा मा...

Mahabharat Mahabharata Who Was Shikhandi The Cause Of Death Of Bhishma Pitamah Was Made In The War Of Mahabharata

Mahabharat story: महाभारत का युद्ध सबसे विनाशकारी युद्धों में से एक माना जाता है. इस युद्ध में कौरवों का सब कुछ नष्ट हो गया. धतृराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्रों को जान गंवानी पड़ी. महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला. महाभारत के युद्ध में जब कौरवों की सेना पांडवों की सेना पर भारी पड़ने लगी तो पांडवों को हार जाने का डर सताने लगा क्योंकि भीष्म पितामह पांडवों की सेना पर लगातार भारी पड़ते जा रहे थे. श्रीकृष्ण के मन में तब एक युक्ति आई और उन्होंने भीष्म पितामह को परास्त करने के लिए शिखंडी का सहारा लिया. शिखंडी महाभारत में एक रहस्मय पात्र के रूप में नजर आता है. शिखंडी पुर्नजन्म में स्त्री था. अगले जन्म में भी शिखंडी स्त्री के रूप में जन्म लेता है, लेकिन वह पुरूष बन जाता है. शिखंडी कौन था भीष्म पितामह ने शिखंडी के बारे में दुर्योधन को बताया था कि जिस समय हस्तिनापुर के राजा उनके छोटे भाई विचित्रवीर्य थे. उस समय उनके विवाह के लिए मैं काशीराज की तीन पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका को हर लाया था. लेकिन जब पता चला कि अंबा राजा शाल्व को प्यार करती है, तब अंबा को पूरे सम्मान के साथ राजा शाल्व के पास भेज दिया. वहीं राजा शाल्व ने अंबा को अपनाने से इनकार कर दिया. इसके बाद अंबा ने भीष्म से बदला लेने की ठान ली. अंबा की स्थिति के बारे में जब नाना राजर्षि होत्रवाहन को पता चला तो उन्होंने अंबा को परशुरामजी से मिलने के लिए कहा. अंबा ने अपने साथ हुई घटना की पूरी जानकारी परशुराम को बताई. तब परशुरामजी ने भीष्म को अंबा से विवाह करने के लिए कहा लेकिन भीष्म ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. परशुराम को यह बात बहुत खराब लगी और इसके बाद उन्होंने भीष्म से युद्ध किया लेकिन वे भीष्म से पराजित गए. उधर युद्ध समाप्त ...

मत्स्य राज

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (अक्टूबर 2022) स्रोत खोजें: · · · · मत्स्य जनपद एक राजस्थान का जनपद था यह यहां मत्स्य लोग रहते है जो आज सन्दर्भ [ ]

महाभारत काल में भारत के जनपद कौन से थे, जानिए...

दार्द, हूण हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कम्बोज, गान्धार, कैकय, वाल्हीक बलख, अभिसार (राजौरी), कश्मीर, मद्र, यदु, तृसु, खांडव, सौवीर सौराष्ट्र, शल्य, कुरु, पांचाल, कोसल, शूरसेन, किरात, निषाद, मत्स, चेदि, उशीनर, वत्स, कौशाम्बी, विदेही, अंग, प्राग्ज्योतिष (असम), घंग, मालवा, अश्मक, कलिंग, कर्णाटक, द्रविड़, चोल, शिवि शिवस्थान-सीस्टान-सारा बलूच क्षेत्र, सिंध का निचला क्षेत्र दंडक महाराष्ट्र सुरभिपट्टन मैसूर, आंध्र तथा सिंहल सहित लगभग 200 जनपद महाभारत में वर्णित हैं। इनमें से प्रमुख 30 ने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था। इनमें से आभीर अहीर, तंवर, कंबोज, यवन, शिना, काक, पणि, चुलूक चालुक्य, सरोस्ट सरोटे, कक्कड़, खोखर, चिन्धा चिन्धड़, समेरा, कोकन, जांगल, शक, पुण्ड्र, ओड्र, मालव, क्षुद्रक, योधेय जोहिया, निषाद, शूर, तक्षक व लोहड़ आदि आर्य धर्म का पालन करने वाले लोगों ने भाग लिया था। बाद में महाभारत के अनुसार भारत को मुख्‍यत: 16 जनपदों में स्थापित किया गया। जैन 'हरिवंश पुराण' में प्राचीन भारत में 18 महाराज्य थे। पालि साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ 'अंगुत्तरनिकाय' में भगवान बुद्ध से पहले 16 महाजनपदों का नामोल्लेख मिलता है। इन 16 जनपदों में से एक जनपद का नाम कंबोज था। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार कंबोज जनपद सम्राट अशोक महान का सीमावर्ती प्रांत था। भारतीय जनपदों में राज्याणि, दोरज्जाणि और गणरायाणि शासन था अर्थात राजा का, दो राजाओं का और जनता का शासन था। *राम के काल 5114 ईसा पूर्व में नौ प्रमुख महाजनपद थे जिसके अंतर्गत उप जनपद होते थे। ये नौ इस प्रकार हैं- 1.मगध, 2.अंग (बिहार), 3.अवन्ति (उज्जैन), 4.अनूप (नर्मदा तट पर महिष्मती), 5.सूरसेन (मथुरा), 6.धनीप (राजस्थान), 7.पांडय (तमिल), 8. विन्ध्य (मध्यप्...

महाजनपद काल (600 ई.पू. से 325 ई.पू.) – Study Material

• सिंधु घाटी सभ्यता (3300–1300 ई.पू) • हड़प्पा सभ्यता (2300 - 1750 ई. पू.) • मोहन जोदड़ो सभ्यता (2700 ई. पू. से 1900 ई.) • लोथल सभ्यता (2400 ई.पू.) • कालीबंगा सभ्यता (2400-2250 ई.पू.) • चन्हुदडो सभ्यता (4000 से 1700 ई.) • बनवाली सभ्यता (2600 ई.पू. से 1900 ई.पू.) • रोपड़ सभ्यता • धोलावीरा सभ्यता (2650-2100 ई.पू.) • सुरकोटड़ा सभ्यता (1800 ई.पू.- 1700 ई.पू.) • मौर्यकाल (321-185 ई.पू.) • चन्द्रगुप्त मौर्य (322-298 ई. पू.) • बिन्दुसार (298 ई.पू-272 ई.पू.) • सम्राट अशोक (273-232 ई.पू.) • अरबों का आक्रमण (712 ई०) • गुप्तोत्तर काल • प्रभाकरवर्धन (583 - 604 ई.) • राज्यवर्धन • हर्षवर्धन (606-647 ई.) • भारत पर विदेशी आक्रमण • पौरूष का युद्ध (326 ई. पू.) • सिकंदर का भारत अभियान (326 ई.पू.) • भारतीय दर्शन • महाजनपद काल (600 ई.पू. से 325 ई.पू.) • दक्षिण भारत का इतिहास • बौद्ध धर्म • गौतम बुद्ध (563-483 ई.पू.) • तुर्कों का आक्रमण • सुबुक्तगीन (977-997 ई.) • महमूद गजनवी (998-1030 ई.) • अलप्तगीन (961-963 ई.) • मौर्योत्तर काल (185 ई.पू. - 300 ई.) • कुषाण राजवंश (78 ई. पू. से 44 ई. पु.) • सातवाहन राजवंश (60 ई.पू. से 240 ई.) • शुंग राजवंश (185 ई.पू. से 73 ई.पू.) • कण्व राजवंश (73 ई. पू.-28 ई. पू.) • वैदिक काल प्राचीन भारतमें राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को महाजनपद कहा जाता था।उत्तर वैदिक कालमें कुछ प्रमुख जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्धग्रंथों में भी इनका कई बार उल्लेख हुआ है। ईसापूर्व6वीं-5वींशताब्दी को प्रारम्भिक भारतीय इतिहास में एक मुख्य मोड़ के रूप में माना जाता है जहाँसिन्धु घाटी सभ्यताके पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आन्दोलनों (बौद्ध पन्थऔरजैन पन्थसहित) का उदय ह...

मत्स्य

• Raychaudhuri, Hemchandra (1953). Political History of Ancient India: From the Accession of Parikshit to the Extinction of Gupta Dynasty. • मत्स्य जनपद मग 4000 ई.पू. आर्यों का अपने मूल स्थान से भारत में प्रवेश हआ और धीरे-धीरे भारत में फैलते चले गये । भारत में प्रारम्भिक आर्य संक्रमण के बाद राजस्थान में आर्य नों का प्रवेश हुआ और मत्स्य जनपद उन जनपदों में से एक था। इस प्रकार यह जनपद एकप्राचीन जनपद था। मत्स्य जनपद जयपुर-अलवर-भरतपुर के मध्यवर्ती क्षेत्र में फैला हआ ऐसा अनुमान है कि इसका विस्तार चम्बल की पहाड़ियों से पंजाब में सरस्वती नदी के सीमावर्ती जंगल तक था। मत्स्य जनपद ऋग्वेद में मत्स्यों का एक प्रमुख आर्य समूह के रूप में उल्लेख किया गया है। कौषितकी उपनिषद् और शतपथ ब्राह्मण ग्रन्थों में भी इस महाजनपद का उल्लेख मिलता है। शतपथ ब्राह्मण में ध्वसन द्वैतवन को मत्स्यों का राजा कहा गया है। इस राजा ने सरस्वती नदी के तट पर हुए अश्वमेध यज्ञ में भाग लिया था। अतः प्राचीनकाल में मत्स्य महाजनपद एक महत्वपूर्ण महाजनपद था। महाभारतकाल में विराट नामक राजा मत्स्य महाजनपद का शासक था। ऐसी मान्यता है कि इसी ने जयपुर से 85 किलोमीटर की दूरी पर विराटनगर अथवा विराटपुर (वर्तमान बैराठ) बसाया था और इस नगर को मत्स्य जनपद की राजधानी बनाया। महाभारत के विवरणानुसार पाण्डवों ने अपने अज्ञातवास का अन्तिम वर्ष छद्मवेष में विराट राजा की सेवा में व्यतीत किया था। मत्स्य महाजनपद में दीर्घावधि तक राजतन्त्र बना रहा और उसकी शासन व्यवस्था वैदिक युग के अन्य राजतन्त्रात्मक जनपदों की भाँति ही रही होगी। मत्स्यों के पड़ोस में शाल्व बसे हुए थे। शाल्व जनपद वर्तमान अलवर क्षेत्र में फैला हुआ था। मत्स्य महाजनपद को प्रारम्भ से ...

प्रश्नसमुच्चय

सामग्री • १ पूर्व मध्यकालीन भारत (उत्तर भारत) • २ मराठा राज्य • ३ मध्यकालीन भारत • ४ आधुनिक भारत का इतिहास • ५ किसान व मजदूर आंदोलन • ६ स्वतंत्रता आंदोलन • ७ भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन • ८ प्रागैतिहासिक काल पूर्व मध्यकालीन भारत (उत्तर भारत) [ ] • राजपूत काल कब से कब तक माना जाता है — छठी सदी से बारहवीं सदी तक • 712 ई. में सिंध पर मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण के समय वहाँ का शासक कौन था — दाहिर • सर्वप्रथम जजिया कर लगाने का श्रेय किसे दिया जाता है — मोहम्मद बिन कासिम • ‘दिल्लिका’ किसका पुराना नाम है — दिल्ली का • ‘पृथ्वीराजरासों’ की रचना किसने की — चंद्रबरदई ने • प्रसिद्ध दिलवाड़ा जैन मंदिर कहाँ स्थित है — माउंट आबू पर • खजुराहो में स्थित मंदिरों का निर्माण किसने कराया — चंदेल शासकों ने • विजय स्तंभ कहाँ स्थित है — चित्तौड़गढ़ • महमूद गजनवी ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किये — 17 बार • महमूद गजनवी का प्रसिद्ध आक्रमण कौन-सा था — सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण • मुहम्मद गजनवी ने गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर को कब लूटा — 1025 ई. • सोमनाथ मंदिर पर मुहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय गुजरात का शासक कौन था — भीमदेव I • किस नाटक के कुछ अंश ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ नामक मस्जिद पर लिखे हैं — हरिकेलि • रानी पद्मनी का नाम खिलजी की चित्तौड़ विजय से जोड़ा जाता है। रानी पद्मनी किसकी पत्नी थीं — राणा रतन सिंह • विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की — धर्मपाल • ‘गीत गोविंद’ किसने लिखी — जयदेव • जयदेव किसकी सभा को अलंकृत करते थे — लक्ष्मण सेन • किसने सोमपुर महाविहार का निर्माण कराया — धर्मपाल • भारत पर सर्वप्रथम अरब आक्रमण किसने किया — मुहम्मद बिन कासिम • जगन्नाथ मंदिर किस राज्य में है — ओड़िशा • कोणार्क में...

महाजनपद काल (600 ई.पू. से 325 ई.पू.) – Study Material

• सिंधु घाटी सभ्यता (3300–1300 ई.पू) • हड़प्पा सभ्यता (2300 - 1750 ई. पू.) • मोहन जोदड़ो सभ्यता (2700 ई. पू. से 1900 ई.) • लोथल सभ्यता (2400 ई.पू.) • कालीबंगा सभ्यता (2400-2250 ई.पू.) • चन्हुदडो सभ्यता (4000 से 1700 ई.) • बनवाली सभ्यता (2600 ई.पू. से 1900 ई.पू.) • रोपड़ सभ्यता • धोलावीरा सभ्यता (2650-2100 ई.पू.) • सुरकोटड़ा सभ्यता (1800 ई.पू.- 1700 ई.पू.) • मौर्यकाल (321-185 ई.पू.) • चन्द्रगुप्त मौर्य (322-298 ई. पू.) • बिन्दुसार (298 ई.पू-272 ई.पू.) • सम्राट अशोक (273-232 ई.पू.) • अरबों का आक्रमण (712 ई०) • गुप्तोत्तर काल • प्रभाकरवर्धन (583 - 604 ई.) • राज्यवर्धन • हर्षवर्धन (606-647 ई.) • भारत पर विदेशी आक्रमण • पौरूष का युद्ध (326 ई. पू.) • सिकंदर का भारत अभियान (326 ई.पू.) • भारतीय दर्शन • महाजनपद काल (600 ई.पू. से 325 ई.पू.) • दक्षिण भारत का इतिहास • बौद्ध धर्म • गौतम बुद्ध (563-483 ई.पू.) • तुर्कों का आक्रमण • सुबुक्तगीन (977-997 ई.) • महमूद गजनवी (998-1030 ई.) • अलप्तगीन (961-963 ई.) • मौर्योत्तर काल (185 ई.पू. - 300 ई.) • कुषाण राजवंश (78 ई. पू. से 44 ई. पु.) • सातवाहन राजवंश (60 ई.पू. से 240 ई.) • शुंग राजवंश (185 ई.पू. से 73 ई.पू.) • कण्व राजवंश (73 ई. पू.-28 ई. पू.) • वैदिक काल प्राचीन भारतमें राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को महाजनपद कहा जाता था।उत्तर वैदिक कालमें कुछ प्रमुख जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्धग्रंथों में भी इनका कई बार उल्लेख हुआ है। ईसापूर्व6वीं-5वींशताब्दी को प्रारम्भिक भारतीय इतिहास में एक मुख्य मोड़ के रूप में माना जाता है जहाँसिन्धु घाटी सभ्यताके पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आन्दोलनों (बौद्ध पन्थऔरजैन पन्थसहित) का उदय ह...

महाभारत काल में भारत के जनपद कौन से थे, जानिए...

दार्द, हूण हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कम्बोज, गान्धार, कैकय, वाल्हीक बलख, अभिसार (राजौरी), कश्मीर, मद्र, यदु, तृसु, खांडव, सौवीर सौराष्ट्र, शल्य, कुरु, पांचाल, कोसल, शूरसेन, किरात, निषाद, मत्स, चेदि, उशीनर, वत्स, कौशाम्बी, विदेही, अंग, प्राग्ज्योतिष (असम), घंग, मालवा, अश्मक, कलिंग, कर्णाटक, द्रविड़, चोल, शिवि शिवस्थान-सीस्टान-सारा बलूच क्षेत्र, सिंध का निचला क्षेत्र दंडक महाराष्ट्र सुरभिपट्टन मैसूर, आंध्र तथा सिंहल सहित लगभग 200 जनपद महाभारत में वर्णित हैं। इनमें से प्रमुख 30 ने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था। इनमें से आभीर अहीर, तंवर, कंबोज, यवन, शिना, काक, पणि, चुलूक चालुक्य, सरोस्ट सरोटे, कक्कड़, खोखर, चिन्धा चिन्धड़, समेरा, कोकन, जांगल, शक, पुण्ड्र, ओड्र, मालव, क्षुद्रक, योधेय जोहिया, निषाद, शूर, तक्षक व लोहड़ आदि आर्य धर्म का पालन करने वाले लोगों ने भाग लिया था। बाद में महाभारत के अनुसार भारत को मुख्‍यत: 16 जनपदों में स्थापित किया गया। जैन 'हरिवंश पुराण' में प्राचीन भारत में 18 महाराज्य थे। पालि साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ 'अंगुत्तरनिकाय' में भगवान बुद्ध से पहले 16 महाजनपदों का नामोल्लेख मिलता है। इन 16 जनपदों में से एक जनपद का नाम कंबोज था। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार कंबोज जनपद सम्राट अशोक महान का सीमावर्ती प्रांत था। भारतीय जनपदों में राज्याणि, दोरज्जाणि और गणरायाणि शासन था अर्थात राजा का, दो राजाओं का और जनता का शासन था। *राम के काल 5114 ईसा पूर्व में नौ प्रमुख महाजनपद थे जिसके अंतर्गत उप जनपद होते थे। ये नौ इस प्रकार हैं- 1.मगध, 2.अंग (बिहार), 3.अवन्ति (उज्जैन), 4.अनूप (नर्मदा तट पर महिष्मती), 5.सूरसेन (मथुरा), 6.धनीप (राजस्थान), 7.पांडय (तमिल), 8. विन्ध्य (मध्यप्...