महाभारत कथा भाग 1

  1. महाभारत (मराठी) : चिपळूणकर मंडळी व भारत गौरव ग्रंथमाला : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive
  2. सम्पूर्ण महाभारत भाग 1
  3. महाभारत कथा – भाग १ – हिंदी पटल – हिन्दी की उत्कृष्ट रचनाएँ
  4. NCERT Solutions for Class 7 Hindi Bal Mahabharat Katha (Chapter 1 to 40) बाल महाभारत कथा


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महाभारत (मराठी) : चिपळूणकर मंडळी व भारत गौरव ग्रंथमाला : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive

भारतीय प्राचीन वाङ्‌मयात महाभारताचे स्थान वेदांचे खलोखाल असून त्याला पंचमवेद असेही म्हटले जाते. ऐतिहासिक महाकाव्य म्हणून नावाजलेला हा ग्रंथ धर्मग्रंथ तसेच राजनीतिग्रंथ झालेला आहे. ’यद् इह नास्ति तद् अन्यत्र नास्ति’ इतके याचे महत्त्व मानले जाते. इथे उपलब्ध असलेले सर्वच ग्रंथ DLI Hyderabad, DLI Bangalore etc. ठिकाणावरून घेतलेले आहेत. यातील काही भाग ’चिपळूणकर मंडळी’ व काही भाग श्री म. न. कुळकर्णी यांच्या ’भारत गौरव ग्रंथमाला’ इथून प्रकाशित झालेले आहेत. अप्पाशास्त्री राशिवेकर, चिंतामणि गंगाधर भानु, क्रिष्णाजी नीळकंठ द्रविड, महादेव हरि मोडक, रामचंद्र भिकाजी दातार, बाळकष्णशात्री उपासनी इ. पंडितजन या कार्याचे संपादक, लेखक व कर्ते आहेत. संबंधित साहित्य एकत्र मिळावे म्हणून श्री बाळशास्त्री हरिदास यांची महाभारतावरील तसेच भगवान् श्रीकृष्ण यांवरील प्रवचने देखील आहेत. Download च्या सोईसाठी मोठ्या पर्वांचे विभाग केलेले आहेत. Archive.org वर - https://archive.org/details/Mahabharat-Shantiparva-Part-1-Marathi - इथे (असेच Part-2, 3, 4 व 5) महाभारत शान्तिपर्व (मोक्षपर्व) याचे Audios आहेत.

सम्पूर्ण महाभारत भाग 1

परिचय ⇒ महाभारत हिन्दुओ का एक महान ग्रन्थ है| यह एक सबसे महान काव्य है इसे केवल भारत भी कहा जाता है यह विश्व का सबसे लम्बा ग्रन्थ है इसके मुख पात्र भगवान श्री कृष्ण, युधिष्ठिर अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव और दुर्योधन है| महाभारत की पूरी कहानी के रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है. वेदव्यास जी को महाभारत लिखने में पूरे तीन वर्ष लगे थे यह ग्रन्थ अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतिक है| वेदव्यास जी ने मन ही मन में मनन करके योग में स्थित होकर महाभारत की सम्पूर्ण घटनाओं का ज्ञान कर लिया था लेकिन इसके बाद उनके पास एक समस्या आ खड़ी हो गयी थी की वो कैसे काव्य के ज्ञान को साधारण जन तक पहुचाये क्यूंकि यह बहुत जटिल और बहुत लम्बा था तो इसके लिए उनको किसी व्यक्ति की जरूरत पड़ी जो की बिना गलती के वेदव्यास जी को सुनकर लिखता चला जाए. वेदव्यास जी ब्रह्मा जी के कहने पर भगवान गणेश जी के पास गये और गणेश जी मान गये परन्तु गणेश जी ने यह शर्त रखी की अगर वो एक बार कलम उठा लेंगे तो फिर जब तक काव्य पूर्ण नही होगा तब तक वो कलम नीचे नही रखेंगे. वेदव्यास जी ने थोड़ी चालाकी दिखाई उन्होंने भी गणेश जी से शर्त रखी की जब वे कोई भी शलोक बोलेंगे तो गणेश जी को उस पर विचार करना होगा तो जब गणेश जी श्लोक पर विचार करते थे तब वेदव्यास जी और शोलोक सोच लेते थे| परिणाम यह निकला की वेदव्यास जी ने सर्वप्रथम मनवो के उपाख्यानो सहित एक लाख श्लोकों का आदी भारत ग्रंथ बनाया| परन्तु उपाख्यानो को छोडकर चोबीस हजार श्लोकों की भारत सहिंता बनाई इसके बाद वेदव्यास जी ने 60 लाख श्लोकों की भारत सहिंता बनाई जिसके तीस लाख शलोक देवलोक में, प्रन्द्रह लाख शलोक पितृ लोक में तथा चोदह लाख शलोक गन्धर्व लोक में समाद्रित हुए. महाभारत में अठारह पर्व है और स...

महाभारत कथा – भाग १ – हिंदी पटल – हिन्दी की उत्कृष्ट रचनाएँ

भाग १ * भाग २* भाग ३* भाग ४* भाग ५* भाग ६* भाग ७* भाग ८ * भाग ९ चन्द्रवंश से कुरुवंश तक की उत्पत्ति पुराणो के अनुसार ब्रह्मा जी से अत्रि, अत्रि से चन्द्रमा, चन्द्रमा से बुध, और बुध से इलानन्दन पुरूरवा का जन्म हुआ। पुरूरवा से आयु, आयु से राजा नहुष, और नहुष से ययाति उत्पन्न हुए। ययाति से पुरू हुए। पूरू के वंश में भरत और भरत के कुल में राजा कुरु हुए। कुरु के वंश में शान्तनु का जन्म हुआ। शान्तनु से गंगानन्दन भीष्म उत्पन्न हुए। उनके दो छोटे भाई और थे – चित्रांगद और विचित्रवीर्य। ये शान्तनु से सत्यवती के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। शान्तनु के स्वर्गलोक चले जाने पर भीष्म ने अविवाहित रह कर अपने भाई विचित्रवीर्य के राज्य का पालन किया।भीष्म महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। ये महाराजा शांतनु के पुत्र थे। अपने पिता को दिये गये वचन के कारण इन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था। इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। एक बार हस्तिनापुर नरेश दुष्यंत आखेट खेलने वन में गये। जिस वन में वे शिकार के लिये गये थे उसी वन में कण्व ऋषि का आश्रम था। कण्व ऋषि के दर्शन करने के लिये महाराज दुष्यंत उनके आश्रम पहुँच गये। पुकार लगाने पर एक अति लावण्यमयी कन्या ने आश्रम से निकल कर कहा, “हे राजन्! महर्षि तो तीर्थ यात्रा पर गये हैं, किन्तु आपका इस आश्रम में स्वागत है।” उस कन्या को देख कर महाराज दुष्यंत ने पूछा, “बालिके! आप कौन हैं?” बालिका ने कहा, “मेरा नाम शकुन्तला है और मैं कण्व ऋषि की पुत्री हूँ।” उस कन्या की बात सुन कर महाराज दुष्यंत आश्चर्यचकित होकर बोले, “महर्षि तो आजन्म ब्रह्मचारी हैं फिर आप उनकी पुत्री कैसे हईं?” उनके इस प्रश्न के उत्तर में शकुन्तला ने कहा, “वास्तव में मेरे माता-पिता मेनका और...

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Bal Mahabharat Katha (Chapter 1 to 40) बाल महाभारत कथा

Board CBSE Textbook NCERT Class Class 7 Subject Hindi Bal Mahabharat Chapter Chapter 1 Chapter Name बाल महाभारत Number of Questions Solved 20 Category NCERT Solutions for Class 7 Hindi Bal Mahabharat Katha (Chapter 1 to 40) बाल महाभारत कथा पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. गंगा ने शांतनु से कहा-“राजन्! क्या आप अपना वचन भूल गए?” तुम्हारे विचार से शांतनु ने गंगा को क्या वचन दिया होगा? उत्तर शांतनु ने गंगा की शर्त के अनुसार यह वचन दिया था कि उसके किसी भी कार्य में शांतनु को बोलने का अधिकार नहीं होगा। इसी वचन के आधार पर गंगा ने एक-एक करके सात पुत्र नदी में फेंक दिए किंतु शांतनु सदा चुप रहे। वचन बद्ध होने के कारण ही उन्होंने कभी कुछ न कहा। प्रश्न 2. महाभारत के समय में बड़े पुत्र को अगला राजा बनाने की परंपरा को ध्यान में रखते हुए बताओ कि तुम्हारे अनुसार किसे राजा बनाया जाना चाहिए था— युधिष्ठिर या दुर्योधन को? अपने उत्तर का कारण भी बताओ। उत्तर- महाभारत के समय में राजा के बड़े पुत्र को अगला राजा बनाने की परंपरा थी। इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए हमारे अनुसार युधिष्ठिर को ही रोजा बनाया जाना चाहिए था, क्योंकि हस्तिनापुर की गद्दी के उत्तराधिकारी पांडु थे। अतः उनके बड़े पुत्र को ही गद्दी मिली चाहिए थी। यदि हम यह भी मान लेते हैं कि धृतराष्ट्र भी राजा थे, तो भी युधिष्ठिर गद्दी के दावेदार थे, क्योंकि वे दुर्योधन से बड़े थे। प्रश्न 3. महाभारत के युद्ध को जीतने के लिए कौरवों और पांडवों ने अनेक प्रयास किए। तुम्हें दोनों के प्रयासों में जो उपयुक्त लगे हों, उनके कुछ उदाहरण दो। उत्तर महाभारत युद्ध के कुछ अनुचित प्रयासों को छोड़ दिया जाए तो दोनों पक्षों के प्रयास उपयुक्त लगे। कुछ उदाहरण ...