महाभारत कथा pdf

  1. सम्पूर्ण महाभारत हिंदी {महाग्रंथ}
  2. [Lyrics & PDF] अथ श्री महाभारत कथा गीत
  3. [PDF] संपूर्ण महाभारत खण्ड 1,2,3,4,5,6


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सम्पूर्ण महाभारत हिंदी {महाग्रंथ}

Ved Vyas was a great and known poet during time of Mahabharat. He was the son of Satyawati and also was a step son of King Shantanu of Hastinapur. He wrote the book Mahabharata in which he told about the great war which happened almost 5000 years ago from now. He was also the writer of Shiva Purana and Vishnu Purana which were very important books in Hinduism. He was given the degree of Ved Vyasa. पास आया और मके चरणोंमें नमस्कार किया। आचार्यने शिष्योंने कहा-'भगवन्! वह तो गाय चराने गया है।' का, 'मेरा उपमन्यु ! मैं तुमारी सारी भिक्षा ले लेता | आचार्यने कहा-' पमन्युके खाने-पीने सभी दरवाये दूसरी बार तुम माँगते नहीं, फिर भी तुम सुनते हो; | बंद कर दिये। मसे होय आ गया होगा। पी तो अब क्या माते-पीते हो?' उपमन्युने कहा, 'भगवन् । मैं इन अबतक नहीं लौटा। चलो, असे ।' आचार्य शिष्य के साथ गौओंके से अपना जीवन निर्वाह कर लेता है। आचार्य में गये और ओरसे पुकारा, पमन्यु ! तुम माँ है? कहा, 'बेटा ! मेरी शाके बिना गौओंकाय पी ले अघित| आओ बेव !' आचार्यको आवाज पहबानका या जोरसे हो।' आने इनकी हा भी स्वीकार की और फिर बोला, 'मैं इस ऐसे गिर पड़ा।' आचार्य पूण कि 'य | गौरी अराकर झामको उनकी सेवामें उपस्थित ऐका नमस्कार में कैसे गिो ?' उसने कहा, 'आकके पते लाकर मैं , किया। आभावी पण-घेव! तुमने मेरी आमासे अंधा हो गया और इस की गिर पड़ा।' आचार्य भिक्षाकी तो बात है कौन, दूध पीना भी दिया; फिर क्या 'तुम देवताओंके किसक अश्विनीकुमारकी स्तुति कये। वे खाते-पीते हे ?" पमन्यने कहा, 'भगवन् ! में मारे अपनी] तुम्हारी में ट्रक का देंगे।' म उपमन्यु वेदक पकि इनसे दूध पीते समय शे फेन शाल देते । ही में पी | मासे अधिनीकुमारकी स्तुत...

[Lyrics & PDF] अथ श्री महाभारत कथा गीत

अगर आप गीत के लिरिक्स को ऑफलाइन पढना चाहते है तो आप इसे PDF में भी डाउनलोड कर सकते है | PDF Download करने का लिंक नीचे दिया गया है | Old Mahabharat Title Song Lyrics in Hindi अथ श्री महाभारत कथा, महाभारत कथा । कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा, ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि । महाभारत.. महाभारत.. महाभारत.. आ.. आ.. आ.. अथ श्री महाभारत कथा, अथ श्री महाभारत कथा, महाभारत कथा, महाभारत कथा । कथा है पुरुषार्थ की ये, स्वार्थ की परमार्थ की, सारथि जिसके बने, श्री कृष्ण महारत पार्थ की, शब्द दिग्घोषित हुआ जब, सत्य सार्थक सर्वथा, शब्द दिग्घोषित हुआ । यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् । परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे । भारत की है कहानी, सदियो से भी पुरानी, है ज्ञान की ये गंगा, ऋषियो की अमर वाणी । ये विश्व भारती है, वीरो की आरती है, है नित नयी पुरानी, भारत की ये कहानी । महाभारत.. महाभारत.. महाभारत.. वचन दिया सोचा नही, होगा क्या परिणाम, सोच समझ कर कीजिये, जीवन में हर काम । आस कह रही श्वास से, धीरज धरना सीख, मांगे मिले मोती ना, मांगे मिले ना भीख । सीखे हम बीते युगो से, नए युग का करे स्वागत, करे स्वागत, करे स्वागत, करे स्वागत । Old Mahabharat Title Song Hindi Lyrics PDF Ath Shri Mahabharat Katha Lyrics in English Ath Shri Mahabharat Katha, Mahabharat Katha. Karmanyevadhikaraste, Ma Phaleshu Kadachan, Ma Karmaphalaheturbhoorma, Te Sangostvakarmani. Mahabharat.. Mahabharat.. Mahabharat.. Aa.. Aa.. Aa.. Ath Shri Mahabharat Katha, Ath Shri Mahabharat Katha, Mahabharat Katha, Mahabharat Katha...

[PDF] संपूर्ण महाभारत खण्ड 1,2,3,4,5,6

महाभारत पुस्तक के बारे में महर्षि वेदव्यास रचित सभी खंडो को पंडित रामनारायण दत्त ने सरल भाषा में अनुवाद किया है जिसको यह प्रस्तुत किया है। महाभारत आर्य-संस्कृति तथा भारतीय सनातनधर्मका एक अत्यन्त आदरणीय और महान प्रमुख ग्रन्थ है। यह अनन्त अमूल्य रत्नोंका अपार भण्डार है। भगवान् वेदव्यास स्वयं कहते हैं कि ‘इस महाभारत में मैंने वेदोंके रहस्य और विस्तार, उपनिषदों के सम्पूर्ण सार, इतिहास-पुराणोंके उन्मेष और निमेष, चातुर्वर्ण्य के विधान, पुराणों के आशय, ग्रह-नक्षत्र-तारा आदिके परिमाण, न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, दान, पाशुपत ( अन्तर्यामीकी महिमा), तीर्थों, पुण्य देशों, नदियों, पर्वतों, वनों तथा समुद्रोंका भी वर्णन किया है।’ अतएव महाभारत महाकाव्य है, गूढ़ार्थमय ज्ञान-विज्ञान शास्त्र है, धर्मग्रन्थ है, राजनीतिक दर्शन है, निष्काम कर्मयोग-दर्शन है, भक्ति-शास्त्र है, अध्यात्म शास्त्र है, आर्यजातिका इतिहास है और सर्वार्थसाधक तथा सर्वशास्त्र संग्रह है। सबसे अधिक महत्त्व की बात तो यह है कि इसमें एक, अद्वितीय, सर्वज्ञ, सर्वशक्ति मान्, सर्वलोकमहेश्वर, परमयोगेश्वर, अचिन्त्यानन्त गुणगणसम्पन्न, सृष्टि-स्थिति प्रलयकारी, विचित्र लीलाविहारी, भक्त-भक्तिमान्, भक्त-सर्वस्व, निखिलरसामृतसिन्धु, अनन्तप्रेमाधार, प्रेमधनविग्रह, सच्चिदानन्दघन, वासुदेव भगवान श्रीकृष्णके गुण-गौरवका मधुर गान है। इसकी महिमा अपार है। औपनिषद ऋषिने भी इतिहास-पुराणको पञ्चम वेद बताकर महाभारतकी सर्वोपरि महत्ता स्वीकार की है। इस महाभारतके हिंदीमें कई अनुवाद इससे पहले प्रकाशित हो चुके हैं, परंतु इस समय संस्कृत मूल तथा हिंदी अनुवादसहित सम्पूर्ण ग्रन्थ शायद उपलब्ध नहीं है। मूल तथा हिंदी अनुवाद पृथक्-पृथक् तो प्राप्त होते हैं, परंतु उनका मू...