महाभारत युद्ध में कितनी सेना थी

  1. महाभारत युद्ध के 18 दिनों का रहस्य, जानिए
  2. कुरुक्षेत्र युद्ध
  3. Mahabharat War Time Period These Soldier Were Killed In Mahabharat Yudh
  4. महाभारत युद्ध में कितनी सेना थी
  5. महाभारत के युद्ध में कितनी सेना थी?
  6. महाभारत के युद्ध में कितने सैनिक मारे गए थे?


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महाभारत युद्ध के 18 दिनों का रहस्य, जानिए

शोधानुसार जब महाभारत का युद्ध हुआ, तब श्रीकृष्ण की आयु 83 वर्ष थी। महाभारत युद्ध के 36 वर्ष बाद उन्होंने देह त्याग दी थी। इसका मतलब 119 वर्ष की आयु में उन्होंने देहत्याग किया था। भगवान श्रीकृष्ण द्वापर के अंत और कलियुग के आरंभ के संधि काल में विद्यमान थे। ज्योतिषिय गणना के अनुसार कलियुग का आरंभ शक संवत से 3176 वर्ष पूर्व की चैत्र शुक्ल एकम (प्रतिपदा) को हुआ था। वर्तमान में 1936 शक संवत है। इस प्रकार कलियुग को आरंभ हुए 5112 वर्ष हो गए हैं। इस प्रकार भारतीय मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण विद्यमानता या काल शक संवत पूर्व 3263 की भाद्रपद कृ. 8 बुधवार के शक संवत पूर्व 3144 तक है। भारत का सर्वाधिक प्राचीन युधिष्ठिर संवत जिसकी गणना कलियुग से 40 वर्ष पूर्व से की जाती है, उक्त मान्यता को पुष्ट करता है। कलियुग के आरंभ होने से 6 माह पूर्व मार्गशीर्ष शुक्ल 14 को महाभारत का युद्ध का आरंभ हुआ था, जो 18 दिनों तक चला था। आओ जानते हैं महाभारत युद्ध के 18 दिनों के रोचक घटनाक्रम को। महाभारत युद्ध से पूर्व पांडवों ने अपनी सेना का पड़ाव कुरुक्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र में सरस्वती नदी के दक्षिणी तट पर बसे समंत्र पंचक तीर्थ के पास हिरण्यवती नदी (सरस्वती नदी की सहायक नदी) के तट पर डाला। कौरवों ने कुरुक्षेत्र के पूर्वी भाग में वहां से कुछ योजन की दूरी पर एक समतल मैदान में अपना पड़ाव डाला। कौरवों की ओर थे सहयोगी जनपद:- गांधार, मद्र, सिन्ध, काम्बोज, कलिंग, सिंहल, दरद, अभीषह, मागध, पिशाच, कोसल, प्रतीच्य, बाह्लिक, उदीच्य, अंश, पल्लव, सौराष्ट्र, अवन्ति, निषाद, शूरसेन, शिबि, वसति, पौरव, तुषार, चूचुपदेश, अशवक, पाण्डय, पुलिन्द, पारद, क्षुद्रक, प्राग्ज्योतिषपुर, मेकल, कुरुविन्द, त्रिपुरा, शल, अम्बष्ठ, कैतव, यवन...

कुरुक्षेत्र युद्ध

तिथि विभिन्न तिथियाँ, ५६०० ईसा पूर्व-१००० ईसा पूर्व स्थान परिणाम कौरवों की पराजय, पाण्डवों को सत्ता प्राप्त योद्धा सेनानायक शक्ति/क्षमता 7 १५,३०,९०० सैनिक 11 २४,०५,७०० सैनिक मृत्यु एवं हानि सभी योद्धाओ में से केवल 8 ज्ञात वीर ही बचे-पाँचों पाण्डव, कृष्ण, सात्यकि, युयुत्सु सभी योद्धाओ में से केवल ३ ज्ञात वीर ही शेष -अश्वत्थामा, कृपाचार्य, कृतवर्मा कुरुक्षेत्र युद्ध [ युद्ध की ऐतिहासिकता विद्वानों की चर्चा का विषय बनी हुई है। [ अनुक्रम • 1 पृष्ठभूमि • 2 ऐतिहासिकता • 3 श्रीकृष्ण द्वारा शांति का अंतिम प्रयास [26] • 4 युद्ध की तैयारियाँ और कुरुक्षेत्र की ओर प्रस्थान [27] • 5 सेना विभाग एवं संरचनाएँ, हथियार और युद्ध सामग्री • 5.1 दोनों पक्षों की सेनाएँ [28] • 5.2 सेना विभाग • 5.3 हथियार और युद्ध सामग्री • 5.4 सैन्य संरचनाएँ • 5.5 महाभारत काल के सबसे शक्तिशाली योद्धा [35] • 6 युद्ध का प्रारम्भ और अंत • 6.1 युद्ध का विवरण एवं घटनाक्रम • 7 कुरुक्षेत्र युद्ध के परिणाम • 8 सन्दर्भ • 9 टीका एवं स्रोत • 10 इन्हेंभीदेखें • 11 सन्दर्भ • 12 बाहरी कड़ियाँ पृष्ठभूमि [ ] • महाभारत युद्ध को आमतौर पर • विश्व विख्यात भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ • विश्व विख्यात भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ • • • अधिकतर पश्चिमी यूरोपीय विद्वानों जैसे मायकल विटजल के अनुसार भारत युद्ध • कुछ पश्चिमी यूरोपीय विद्वानों जैसे पी वी होले महाभारत में वर्णित ग्रह-नक्षत्रों की आकाशीय स्थितियों का अध्ययन करने के बाद इसे • अधिकतर भारतीय विद्वान् जैसे बी ऐन अचर, एन एस राजाराम, के. सदानन्द, सुभाष काक ग्रह-नक्षत्रों की आकाशीय गणनाओं के आधार पर इसे • भारतीय विद्वान् पी वी वारटक • कुछ विद्वानों जैसे पी वी वारटक • मोहनजोदड़ो में १९२७ ...

Mahabharat War Time Period These Soldier Were Killed In Mahabharat Yudh

Mahabharat: कौरवों और पांडवों के बीच हुआ महाभारत युद्ध सबसे विनाशकारी युद्ध माना जाता है. महाभारत के युद्ध में कौरव अर्धम और पांडव धर्म के साथ कुरुक्षेत्र के मैदान में लड़े. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में लड़े गए इस विशाल युद्ध में देश-दुनिया की सेनाओं ने भाग लिया था. इसे उस दौर का प्रथम विश्व युद्ध भी कहा जाता है. क्या आप जानते हैं महाभारत युद्ध कितने दिनों तक चला था, इसमें कितने सैनिक और योद्धा मारे गए थे. आइए जानते हैं महाभारत युद्ध की महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी. कितने दिन तक चला था महाभारत युद्ध ? (Mahabharat War Time) कुरुक्षेत्र के करीब 40 किमी दायरे में लड़ा गया महाभारत युद्ध 18 दिनों तक चला था. इस युद्ध में स्वयं भगवान कृष्ण भी शामिल थे. लेकिन उन्होंने हथियार न उठाने का प्रण लिया था इसलिए वह अर्जुन के सारथी बने. आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 18 फ़रवरी 3102 ईसा पूर्व हुआ था. महाभारत युद्ध में मारे गए थे इतने सैनिक (Mahabharat War Soldier) महाभारत युद्ध के दौरान ऐसा कोई राजा नहीं बचा था जो इस भीषण युद्ध का हिस्सा न बना हो. यहां तक कि रानियां भी अपने स्तर से इस युद्ध में शामिल हुईं. महाभारत युद्ध में करीब सवा करोड़ योद्धा-सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे. इनमें करीब 70 लाख कौरव पक्ष से तो 44 लाख लोग पांडव सेना से मारे गए थे. महाभारत युद्ध को लेकर कहा जाता है कि यहां इतना खून बहा कि अब तक वहां की मिट्टी लाल है. महाभारत युद्ध में बचे महज इतने लोग महाभारत युद्ध के अंत में पांडवों की ओर से पांचों भाइयों समेत 14 लोग लोग जीवित बचे. वहीं कौरवों की तरफ से जीवित रहने वालों में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा, कृत वर्मा और कौरवों और पांडवों के गुरु कृपाचार्य थे. साथ ही धृतराष्ट्र और ए...

महाभारत युद्ध में कितनी सेना थी

विषयसूची Show • • • • 18 अक्षौहिणी सेना : महाभारत के आदिपर्व और सभापर्व अनुसार महाभारत के युद्ध में कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी तथा पांडवों के पास 7 अक्षौहिणी सेना थी। कौरवों के पास ज्यादा सैन्य बल और महारथी होने के बाद भी वे जीत नहीं सके। अक्षौहिणी सेना के चार भाग होते हैं- हाथी सवार, रथी, घुड़सवार और पैदल सैनिक। Mahabharata War : महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से ग्यारह अक्षुणी सेना और पांडवों की ओर से सात अक्षुणी सेनाओं ने भाग लिया था। यानि इस युद्ध में सभी महारथियों और सेनाओं को मिलाकर करीब 50 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया था। लेकिन यहां अब सवाल ये उठता है कि इतनी विशालकाय सेना के लिए युद्ध के दौरान भोजन कौन बनाता था? और कैसे ये सब प्रबंध करता था? और सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब हर दिन हजारों लोग मारे जाते थे तो शाम को किस हिसाब से खाना बनता था। आइए जानते है… महाभारत का युद्ध प्रथम विश्व युद्ध! महाभारत को हम सही मायने में विश्व का प्रथम विश्व युद्ध भी कह सकते है। क्योंकि उस समय शायद ही ऐसा कोई राज्य था जिसने इस युद्ध में भाग लिया हो। उस काल में आर्यवर्त के समस्त राजा या कौरव अथवा पांडव के पक्ष में खड़े दिख रहे थे। हम सभी जानते है की श्री बलराम और रूकमी ये दो ही व्यक्ति ऐसे थे, जिन्होंने इस युद्ध में भाग नहीं लिया था। किन्तु एक और राज्य ऐसा था जो युद्ध क्षेत्र में होते-होते ही युद्ध से विरक था और वो राज्य था दक्षिण का उडीपी राज्य राजा ने कृष्ण से किया था निवेदन महाभारत (Mahabharata War) में वर्णीत कथा के अनुसार जब इस राज्य के राजा अपनी सेना के साथ कुरूक्षेत्र पहुंचे तो कौरव और पांडव दोनों ने उन्हें अपने अपने पक्ष में लेने प्रयत्न करने लगे। लेकिन उडीपी के राजा बहुत दूरर्शी...

अतीत

प्राचीन समय से लेकर आज तक भारत में युद्ध ने अनेक प्रकार के दृश्य दिखाये हैं। प्राचीन भारत के जातीय जीवन में युद्ध एक मामूली बात थी। पहले भारत में आते ही। आर्यजाति को अनेक युद्ध करने पड़े। उन्हें यहाँ के प्राचीन निवासियों के साथ तो लड़ना ही पड़ा, पर परस्पर भी उनमे खूब युद्ध होता था। ऋग्वेद में वसिष्ठ और विश्वामित्र के युद्ध का वर्णन इस बात का प्रमाण है। आर्य-जाति ने युद्धो ही मे परास्त करके यहाँ के प्राचीन निवासियों को अपना दास बनाया। दास के जो कार्य निर्दिष्ट हैं वे इन लोगो के ऊपर हमारी जीत की इस समय भी गवाही दे रहे हैं। आर्यों को, राक्षस और दानव कहे जाने वाले बाहरी शत्रुओं से भी खूब लड़ना पड़ा! उन्होंने इन लोगों के साथ कई बार बड़े-बड़े युद्ध किये। इनका वर्णन वेदों तक में पाया जाता है। राक्षसों के साथ श्रआर्य जाति को निरन्तर युद्ध करना पड़ा। इसीसे उस समय आर्यों को अपना समुदाय तीन भागों में विभक्त करना पड़ा-पहला ब्राह्मण, दूसरा क्षत्रिय नाम से अभिहित हुआ। ब्राह्मणों का कार्य देश में शान्ति स्थापना और क्षत्रियों का अपने देश की रक्षा शत्रुओं से करना निश्चित हुआ। [ आर्यों के वैदिक देवता भी बड़े युद्ध-प्रिय थे। युद्ध करना उनका स्वाभाविक काम थ। युद्ध मे इन्द्र की अच्छी प्रतिष्ठा थी। युद्ध ही में विजय पाने के कारण इन्द्रदेव इन्द्रासन के मालिक हुए है। आप देवराज भी, इसी कारण, कहलाये है। इन्द्र ने बड़े बड़े राक्षसों का वध किया है। वृत्रासुर, विप्रु और संवर आदि के अतिरिक्त और भी अनेक राक्षसों का आपने नाश किया है। हमारे प्राचीन कवियों ने इन्द्र के इस बड़े भारी महत्व के कारण अपनी कविताओं में इनके इन गुणों का खूब ही वर्णन किया है। वेदो में इन्द्र की अनेक स्तुतियां है। अग्नि, मित्र, वरुण...

महाभारत के युद्ध में कितनी सेना थी?

विषयसूची Show • • • • • • • • अक्षौहिणी प्राचीन भारत में सेना का एक माप हुआ करता था। महाभारत के युद्ध में कुल १८ अक्षौहिणी सेना लड़ी थी। जिसमें से कौरवों के पास ११ अक्षौहिणी सेना थी और पाण्डवों के पास ७ अक्षौहिणी सेना थी। लेकिन वास्तव में एक अक्षौहिणी सेना कितनी होती है? इसके लिए, हम महाभारत के प्रमाणों से जानने की कोशिश करेंगे कि एक अक्षौहिणी सेना में कुल कितने पैदल, घुड़सवार, रथसवार और हाथीसवार होते है? मुख्य अंग प्राचीन भारत में, एक अक्षौहिणी सेना के चार अंग होते थे। जिस सेना में ये चारों अंग होते थे, वह चतुरंगिणी सेना कहलाती थी। वह चार अंग निम्नलिखित होती थी- • १. सैनिक (पैदल सिपाही) • २. घोड़े (घुड़सवार) • ३. गज (हाथी सवार) • ४. रथ (रथ सवार) अब यदि घोड़े की बात करे, तो एक घोड़े पर एक सवार बैठा था। ऐसे ही हाथी पर कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है, एक तो पीलवान (हाथी हाँकने वाला) और दूसरा लड़ने वाला योद्धा। इसी प्रकार एक रथ में दो मनुष्य और काम से काम तीन-चार घोड़े रहे होंगे। यह सब मिल कर एक चतुरंगिणी सेना कहलाती है। अक्षौहिणी सेना के भाग महाभारत के आदिपर्व अध्याय २ के श्लोक १७ से २२ तक में अक्षौहिणी सेना के भाग पर विस्तार से बताया गया है। अतः उन श्लोकों के अनुसार एक अक्षौहिणी सेना नौ भागों में विभक्त है। उनका नाम कर्मशः इस प्रकार है - पत्ति, सेनामुख, गुल्म, गण, वाहिनी, पृतना, चमू, अनीकिनी और अक्षौहिणी। सौतिरुवाच- एको रथो गजश्चैको नराः पञ्च पदातयः। त्रयश्च तुरगास्तज्ज्ञैः पत्तिरित्यभिधीयते॥१९॥ पत्तिं तु त्रिगुणामेतामाहुः सेनामुखं बुधाः। त्रीणि सेनामुखान्येको गुल्म इत्यभिधीयते॥२०॥ त्रयो गुल्मा गणो नाम वाहिनी तु गणास्त्रयः। स्मृतास्तिस्रस्तु वाहिन्यः पृतनेति विचक्ष...

महाभारत के युद्ध में कितने सैनिक मारे गए थे?

Mahabharat : महाभारत मानव इतिहास का सबसे विध्वंसक और पूरी दुनिया को योद्धाओं से खाली कर देने वाला युद्ध माना गया है. यहां महज 18 दिन में देश-दुनिया के मिलाकर सवा करोड़ योद्धा-सैनिक मारे गए थे. इनमें करीब 70 लाख कौरव पक्ष से तो 44 लाख लोग पांडव सेना के वीरगति को प्राप्ति हुए. कुरुक्षेत्र के करीब 40 किमी दायरे में लड़े गए इस युद्ध के कुछ चिह्न आज भी हरियाणा के कुरुक्षेत्र बचे हुए हैं. विषयसूची Show • • • • • • • भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 18 फ़रवरी 3102 ईसा पूर्व हुआ था, जबकि ताजा शोधानुसार ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ. मनीष पंडित ने महाभारत में वर्णित 150 खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को होना बताया था. युद्ध से पहले पांडवों ने सेना का पड़ाव कुरुक्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र में समंत्र पंचक तीर्थ के पास सरस्वती की सहायक हिरण्यवती नदी के तट पर डाला. कौरवों ने कुरुक्षेत्र के पूर्वी भाग में वहां से कुछ दूर समतल मैदान में पड़ाव डाला था. दोनों सेनाओं के बीच युद्ध के लिए 5 योजन यानी करीब 40 किमी परिधि में जगह रखी गई थी. विष्णु पुराण अनुसार चालीस किमी यानी चार कोस का घेरा छोड़ा गया था. दोनों तरफ के शिविरों में सैनिकों के भोजन और घायलों के इलाज की व्यवस्था थी. हाथी, घोड़े और रथों की अलग व्यवस्था थी. हजारों शिविरों में प्रचुर भोजन, अस्त्र-शस्त्र, यंत्र और कई वैद्य-शिल्पी वेतनभोगी रखे गए. ऐसे रखी गई थी सेनाएं महायुद्ध में दोनों पक्षों से कुल 18 अक्षौहिणी सेनाएं लड़ी थीं. महाभारत के अनुसार एक अक्षौहिणी में 21,870 रथ, 21,870 हाथी, 65,610 घुड़सवार एवं 1,09,350 पैदल सैनिक होते थे. हर रथ में चार घोड़े और सारथी होता थो, ...