महाकालेश्वर उज्जैन दर्शन का समय 2022

  1. mahashivratri 2022 know about Ujjain Mahakaleshwar temple
  2. Ujjain Mahakal Darshan Update: सावन में शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर, उज्जैन महाकाल के करने हैं दर्शन, तो जानें नया अपडेट
  3. उज्जैन महाकालेश्वर दर्शन
  4. उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर कब और कैसे जाये, कहाँ घूमे
  5. How To Reach Ujjain Mahakaleshwar Temple And Other Travelling Spots In Ujjain
  6. Interesting Facts related to Mahakaleshwar temple know how to reach here
  7. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के पहले जान लें ये जरूरी बातें
  8. Sawan 2022: The Arrangement Of Mahakaleshwar Temple Will Change In The Month Of Sawan, Know The New Arrangements Ann
  9. बाबा महाकाल का दर्शन करने से पहले पढ़ें यह खबर: बदला दर्शन का समय और नियम, होली के दिन से होंगे लागू, ujjaain baba mahakal aarti time change rules and timing will be applicable from day of holi


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mahashivratri 2022 know about Ujjain Mahakaleshwar temple

उज्जैन महाकालेश्वर में मिलेंगे दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के दर्शन, मंदिर से जुड़ें हैं ये रहस्य, क्या आप जानते हैं? 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर। इस मंदिर में लोगों को दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन होते हैं। महाकालेश्वर मंदिर मुख्य रूप से तीन हिस्सों में बटा हुआ है। जिसके ऊपरी... 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर। इस मंदिर में लोगों को दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन होते हैं। महाकालेश्वर मंदिर मुख्य रूप से तीन हिस्सों में बटा हुआ है। जिसके ऊपरी हिस्से में नाग चंद्रेश्वर, नीचे ओंकारेश्वर और सबसे नीचे महाकाल मुख्य ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजित नजर आते हैं। यहां भगवान शिव के साथ गणेश, कार्तिके और माता पार्वती की मुर्तियों के भी दर्शन होते हैं। इस मंदिर को लेकर कई मान्यता हैं। इसी के साथ मंदिर से जुड़े कुछ रहस्य भी हैं। अगर आप इस बार महाशिवरात्रि के दौरान महाकाल दर्शन करने के बारे में सोच रहे हैं तो जाने से पहले यहां से जुड़ी कुछ बातें जानिए... कुंड में नहाने से दूर होते हैं पाप मंदिर के पास एक कुंड है, ऐसा माना जाता है की इसमें नहाने से सभी पाप धुल जाते हैं। मान्यताओं के मुताबित उज्जैन महाकाल के प्रकट होने से जुड़ी एक कथा है। जिसमें दूषण नामक असुर से प्रांत के लोगों की रक्षा के लिए महाकाल यहां प्रकट हुए थे। फिर जब दूषण का वध करने के बाद भक्तों ने शिवजी से उज्जैन में ही रहने की प्रार्थना की तो भगवान शिव महाकाल ज्योतिर्लिंगों के रूप में प्रकट हुए। सिर्फ महाकाल में देखने मिलती है भस्म आरती उज्जैन को प्राचीनकाल से धार्मिक नगरी कहा गया है। आज भी यहां दूर दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। भगवान महाकाल की भस्म आरती ...

Ujjain Mahakal Darshan Update: सावन में शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर, उज्जैन महाकाल के करने हैं दर्शन, तो जानें नया अपडेट

• • Faith Hindi • Ujjain Mahakal Darshan Update: सावन में शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर, उज्जैन महाकाल के करने हैं दर्शन, तो जानें नया अपडेट Ujjain Mahakal Darshan Update: सावन में शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर, उज्जैन महाकाल के करने हैं दर्शन, तो जानें नया अपडेट सावन का महीना चल रहा है और शिव भक्तों के लिए अच्छी खबर है. अब श्रावण में सोमवार को छोड़कर प्रात: पांच बजे से रात्रि नौ बजे तक प्रीबुकिंग से भगवान महाकाल के दर्शन एवं विशेष दर्शन हो सकेंगे. श्रावण में प्रत्येक सोमवार को सुबह पांच बजे से 11 बजे तक एवम शाम सात से रात्रि नौ बजे तक प्रीबुकिंग से ही दर्शन होंगे. इस अवधि में 250 रुपये वाले विशेष दर्शन बन्द रहेंगे. बता दें कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण मंदिरों में दर्शन पर रोक लगा दी गई थी, फिर हालात सुधरे तो पहले चार, फिर छह और उसके बाद 50 दर्शनार्थियों को एक बार में दर्शन की अनुमति दी गई. श्रावण मास के दौरान श्रद्धालुओं की दर्शन अभिलाषा को पूरा करने के लिए प्रशासन की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं. उसी क्रम में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन का समय दो घंटे बढ़ा दिया गया है. (एजेंसी से इनपुट)

उज्जैन महाकालेश्वर दर्शन

हिंदू मान्यता के अनुसार सप्त ऋषि भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र हैं। सप्तऋषियों के गुरु भगवान शिव हैं। पद्म पुराण, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण आदि सनातन मान्यता के ग्रंथों में सप्तऋषियों का उल्लेख मिलता है। सप्तऋषियों के समस्त क्रियाकलाप सृष्टि के संतुलन, चराचर जगत की मर्यादा, सुरक्षा, सुख व शांति को समर्पित रहे हैं। कश्यप - सप्त ऋषियों में प्रथम नाम महर्षि कश्यप का आता है। महर्षि कश्यप का प्रथम उल्लेख ऋग्वेद में प्राप्त होता है, ऐतरेय ब्राह्मण में इनका संबंध जन्मेजय से बताया गया है महर्षि कश्यप का विवाह दक्ष प्रजापति की 17 कन्याओं से किया गया। उनकी आदिती नामक पत्नी से समस्त देवगण, दिति नामक पत्नी से दैत्यगण तथा शेष पत्नियों से विभिन्न जीवों की सृष्टि हुई । इस प्रकार महर्षि कश्यप सृष्टि के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाले ऋषि हुए। महर्षि अत्रि - महर्षि अत्रि का नाम सप्तऋषि क्रम में दूसरे स्थान पर - आता है। ऋग्वैदिक ऋषि अत्रि का उल्लेख रामायण में प्राप्त होता है, अयोध्या नरेश श्री राम वनवास के समय अपने पत्नी और बंधु लक्ष्मण के साथ अत्रि ऋषि के आश्रम चित्रकूट में गए थे

उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर कब और कैसे जाये, कहाँ घूमे

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरोमें से एक है जो भगवान शिव को समर्पित है। सच कहा जाए तो यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसे सबसे पवित्र शिव मंदिरो में से एकहोना चाहिए। उज्जैन में स्थित, रुद्र सागर झील के पक्ष में व्यवस्थित किया गया है, जिसमें शिव की प्रत्यक्ष देवत्व लिंगम संरचना में है जिसे अन्यथा स्वयंभू कहा जाता है। महाकालेश्वर का प्रतीक दक्षिणामूर्ति के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह दक्षिण का सामना कर रहा है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में एक उल्लेखनीय घटक है। गर्भगृह के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में गणेश, पार्वती और कार्तिकेय के चित्र पेश किए गए हैं। दक्षिण की ओर भगवान शिव के वाहन नंदी की तस्वीर है। श्री महाकालेश्वर उज्जैन शहर का सबसे महत्वपूर्ण मंदिरहै और इसी तरह इसकी भस्म आरती के लिए भी जाना जाता है। महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन का एक आकर्षक इतिहास है। कहा जाता है कि राजा चंद्रसेन ने अतीत में उज्जैन शहर पर शासन किया था। राजा भगवान शिव के परम भक्त थे। श्रीखर, एक युवक, उसके समर्पण से प्रेरित था और उसकी प्रार्थनाओं में भाग लेना चाहता था। दुर्भाग्य से, शाही घुड़सवार सेना ने उसे ठुकरा दिया। महाकालेश्वर मंदिर संयोग से, उस समय कई पड़ोसी राजा उज्जैन पर हमले की तैयारी कर रहे थे। जब श्रीखर और ग्राम पुजारी वृधि को यह पता चला, तो वे उत्साहपूर्वक प्रार्थना करने लगे। भगवान शिव ने उनकी विनती सुनी और हमेशा के लिए एक लिंगम के रूप में शहर की रक्षा करने का फैसला किया। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर तब शासक राजा और उनके वंशजों द्वारा बनाया गया था। उज्जैन महाकाल मंदिर पर कई बार हमला किया गया और अंततः क्षतिग्रस्त और ध्वस्त हो गया। ह...

How To Reach Ujjain Mahakaleshwar Temple And Other Travelling Spots In Ujjain

Ujjain Mahakaleshwar Temple: मध्य प्रदेश के उज्जैन में पीएम मोदी ने महाकालेश्वर मदिंर के लोक कोरिडोर का उद्घाटन कर दिया है. 900 मीटर के इस कोरिडोर से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) टूरिज्म को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है, साथ ही, श्रद्धालुओं को भी इससे मंदिर (Temple) के दर्शन में आसानी होगी. अगर आप महाकालेश्वर मंदिर दर्शन करने के लिए जा रहे हैं तो उज्जैन तक किस तरह पहुंचा जाए आपको इस लेख के माध्यम से पता चलेगा. साथ ही, उज्जैन में और कहां-कहां घूमने जा सकते हैं यह भी जानें. अगर आप दिल्ली (Delhi) से उज्जैन जा रहे हैं तो बस, ट्रेन, फ्लाइट या फिर कार से भी जा सकते हैं. दिल्ली से सबसे सस्ता आपको ट्रेन का सफर पड़ेगा जिसमें आपको पहले नगड़ा जंक्शन और उसके बाद उज्जैन जंक्शन जाना होगा. इस सफर में आपको 22 घटों के आसपास का समय लग सकता है. सबसे जल्दी फ्लाइट से जा सकतेहैं. नई दिल्ली से देवी अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट और उसके बाद उज्जैन तक की कैब करनी होगी. बस से उज्जैन पहुंचने में आपको 16 घंटों तक समय लग सकता है. आगरा से उज्जैन आगरा से उज्जैन की सीधी बस जाती है जिसमें 16 घंटो तक का समय लगेगा और किराया 3 हजार से शुरू होगा. इंदोर से उज्जैन इंदोर से उज्जैन (Ujjain) जाने में 19 घंटे 29 मिनट तक का समय लग सकता है और किराया 1500 से शुरू होता है. उत्तर प्रदेश से उज्जैन आपको उत्तर प्रदेश का बोर्डर पार करके उज्जैन पहुंचने में बस से 14 घंटों के करीब समय लगेगा.उज्जैन पहुंचने के बाद आप बस या किसी भी अवेलेबल सवारी से महाकलेश्वर मंदिर पहुंच सकते हैं. उज्जैन में घूमने की जगहें • उज्जैन जाकर आप राम घाट (Ram Ghat) पर बोट राइड ले सकते हैं. यहां शिपरा नदी में आपको बोटिंग करने का आनंद आएगा और नदी के घाट...

Interesting Facts related to Mahakaleshwar temple know how to reach here

भारत में कई ऐसे मंदिर है जिनसे अलग तरह के रहस्य जुड़े हुए हैं। महाकालेश्वर मंदिर उन्ही में से एक है। ये भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो उज्जैन शहर में स्थापित है। अगर आप महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो यहां जानिए उज्जैन कैसे पहुंचें। इसके अलावा यहां जानिए मंदिर से जुड़े कुछ रहस्य। नाम से जुड़ा है रहस्य इस मंदिर के नाम के पीछे कई रहस्य है। कहते हैं महाकाल का शिवलिंग तब प्रकट हुआ था, जब राक्षस को मारना था। उस समय भगवान शिव राक्षस के लिए काल बनकर आए थे। फिर उज्जैन के लोगों ने महाकाल से वहीं रहने को कहा, और वह वहीं स्थापित हो गए। ऐसे में शिवलिंग काल के अंत तक यही रहेंगे इसलिए भी महाकालेश्वर नाम दे दिया गया। इसके अलावा काल का मतलब मृत्यु और समय दोनों होता है। माना जाता है कि प्रचीन काल में पूरी दुनिया का मनक समय यही से निर्धारित होता था इसलिए इसे महाकालेश्वर नाम दे दिया था। भस्म आरती से जुड़ा है रहस्य प्राचीन काल में राजा चंद्रसेन शिव के बहुत बड़े उपासक माने जाते थे। एक दिन राजा के मुख से मंत्रो का जाप सुन एक किसान का बेटा भी उनके साथ पूजा करने गया, लेकिन सिपाहियों ने उसे दूर भेज दिया। इसके बाद वह जंगल के पास जाकर पूजा करने लगा और वहां उसे अहसास हुआ कि दुश्मन राजा उज्जैन पर अक्रमण करने जा रहे हैं। ऐसे में उसने प्रार्थना के दौरान ये बात पुजारी को बता दी। धीरे-धीरे बात पूरे में फैल गई और उस समय विरोधी राक्षस दूषण का साथ लेकर उज्जैन पर आक्रमण कर रहे थे। दूषण को भगवान ब्रह्मा का वर्दान था कि वो दिखाई नहीं देगा। उस समय पूरी प्रजा भगवान शिव की पूजा में लीन थी। तभी अपने भक्तों की पुकार सुनकर महाकाल प्रकट हुए और दूषण का वध कर दिया। फिर उसकी राख से ...

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के पहले जान लें ये जरूरी बातें

*काल के दो अर्थ होते हैं- एक समय और दूसरा मृत्यु। महाकाल को 'महाकाल' इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'महाकालेश्वर' रखा गया है। पौराणिक कथा के अनुसार इस शिवलिंग की स्थापना राजा चन्द्रसेन और गोप-बालक की कथा से जुड़ी है। *महाकाल के दर्शन करने के बाद जूना महाकाल के दर्शन जरूर करना चाहिए। कुछ लोगों के अनुसार जब मुगलकाल में इस शिवलिंग को खंडित करने की आशंका बढ़ी तो पुजारियों ने इसे छुपा दिया था और इसकी जगह दूसरा शिवलिंग रखकर उसकी पूजा करने लगे थे। बाद में उन्होंने उस शिवलिंग को वहीं महाकाल के प्रांगण में अन्य जगह स्थापित कर दिया जिसे आज 'जूना महाकाल' कहा जाता है। हालांकि कुछ लोगों के अनुसार असली शिवलिंग को क्षरण से बचाने के लिए ऐसा किया गया। *उज्जैन का एक ही राजा है और वह है महाकाल बाबा। विक्रमादित्य के शासन के बाद से यहां कोई भी राजा रात में नहीं रुक सकता। जिसने भी यह दुस्साहस किया है, वह संकटों से घिरकर मारा गया। पौराणिक तथा और सिंहासन बत्तीसी की कथा के अनुसार राजा भोज के काल से ही यहां कोई राजा नहीं रुकता है। वर्तमान में भी कोई भी राजा, मुख्‍यमंत्री और प्रधानमंत्री आदि यहां रात नहीं रुक सकता। राजा महाकाल श्रावण मास में प्रति सोमवार नगर भ्रमण करते हैं।

Sawan 2022: The Arrangement Of Mahakaleshwar Temple Will Change In The Month Of Sawan, Know The New Arrangements Ann

Mahakaleshwar Temple News: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर (Mahakal Temple) में सावन (Sawan 2022) के महीने में श्रद्धालुओं को लेकर नई व्यवस्था लागू कर दी गई है. अब श्रद्धालुओं को की सुविधा और परंपराओं को दृष्टिगत रखते हुए महाकालेश्वर मंदिर रात 2:30 बजे से लेकर अगले रात 10.30 बजे तक चालू रहेगा. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सावन के महीने में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं. इसी को दृष्टिगत रखते हुए महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखकर हर साल नए इंतजाम किए जाते हैं. इस बार भी महाकालेश्वर मंदिर समिति ने परंपराओं को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं के दर्शन व्यवस्था को सुविधाजनक बनाने का दावा किया है. महाकालेश्वर मंदिर की समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती का समय भी परिवर्तित हो गया है. अब रात 2:30 बजे मंदिर के पट खुल जाएंगे. महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के बाद सतत दर्शन की व्यवस्था लागू रहेगी. यह व्यवस्था अगले दिन रात 10.30 बजे पट होने बंद होने के पहले तक तक चलती रहेगी. श्री जूनवाल के मुताबिक महाकालेश्वर मंदिर में आम श्रद्धालुओं को सावन के महीने में आधे घंटे के भीतर दर्शन करवाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा सावन के सोमवार को 1 घंटे के अंदर साधारण द्वार से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को भी भगवान का आशीर्वाद मिल सकेगा. महाकालेश्वर मंदिर में सुरक्षा के विशेष इंतजाम महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि सावन के महीने में श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक संख्या में मंदिर पहुंचती है. इसी को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम क...

बाबा महाकाल का दर्शन करने से पहले पढ़ें यह खबर: बदला दर्शन का समय और नियम, होली के दिन से होंगे लागू, ujjaain baba mahakal aarti time change rules and timing will be applicable from day of holi

महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में प्रतिदिन होने वाली आरती का समय बदलने जा रहा है. यह बदलाव होली के दिन से शुरू होगा. बाबा महाकाल को अब भस्म आरती में ठंडे जल से स्नान काराया जायेगा जो आश्विन पूर्णिमा तक जारी रहेगा. कोरोना को लेकर मिली छूट के बाद इस बार महाकाल मंदिर प्रांगण में होलिका दहन भी धूम-धाम से मनाया जाएगा. ठंडे जल से होगा बाबा महाकाल का स्नान इस बार 17 मार्च को होलिका दहन है. परंपरा के अनुसार मंदिर में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से आरती के समय में परिवर्तन होगा और भगवान श्री महाकाल को ठंडे जल से स्रान कराया जाएगा. बाबा महाकाल का गर्म पानी से स्नान कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दर्शी रूप चौदस के दिन से शुरू होकर होली के दिन तक चलता है. अब होली के बाद यानी की चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अश्विन पूर्णिमा तक भगवान महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाएगा. उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन सबसे पहले मनाने की परम्परा है. इससे पहले संध्या आरती में होली के पर्व से एक दिन पहले बाबा महाकाल के आंगन में पुजारी और श्रद्धालु एक साथ गुलाल उड़ाएंगे. अगले दिन 18 मार्च को धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा. मंदिर परिसर में पूर्णिमा पर संध्या आरती के पश्चात विधिवत पूजन-अर्चन एवं गुलाल अर्पित कर होलिका दहन होगा. इसी दिन महाकाल मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों द्वारा मिलन समारोह एवं फूलों की होली का आयोजन होगा. VIDEO:पंचमुखी रूप में दिए बाबा महाकाल ने दर्शन, जानें कब निभाई जाती है यह परंपरा बाबा महाकाल की आरती का समय महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष गुरू ने बताया कि, आरती के समय में आधा घंटा समय का परिवर्तन होता है. प्रथम भस्म आरती- प्रात: 4 से 6 बजे तक, द्वितीय दद्योदक आरती- प्रात:7 से 7: 45 बजे तक, तृतीय भोग आरती- प...