महाराणा प्रताप एपिसोड 480

  1. Before you continue to YouTube
  2. 10 बेस्ट महाराणा प्रताप की वीरता पर कविताएं
  3. महाराणा प्रताप की कहानी
  4. महाराणा प्रताप : मुगुलों को छटी का दूध याद दिलाने वाले वीर राजपूत देशभक्त
  5. महाराणा प्रताप जयंती पर कविता
  6. राणा उदयसिंह का इतिहास
  7. महाराणा प्रताप की कहानी
  8. राणा उदयसिंह का इतिहास
  9. Before you continue to YouTube
  10. महाराणा प्रताप : मुगुलों को छटी का दूध याद दिलाने वाले वीर राजपूत देशभक्त


Download: महाराणा प्रताप एपिसोड 480
Size: 44.72 MB

Before you continue to YouTube

We use • Deliver and maintain Google services • Track outages and protect against spam, fraud, and abuse • Measure audience engagement and site statistics to understand how our services are used and enhance the quality of those services If you choose to “Accept all,” we will also use cookies and data to • Develop and improve new services • Deliver and measure the effectiveness of ads • Show personalized content, depending on your settings • Show personalized ads, depending on your settings Non-personalized content and ads are influenced by things like the content you’re currently viewing and your location (ad serving is based on general location). Personalized content and ads can also include things like video recommendations, a customized YouTube homepage, and tailored ads based on past activity, like the videos you watch and the things you search for on YouTube. We also use cookies and data to tailor the experience to be age-appropriate, if relevant. Select “More options” to see additional information, including details about managing your privacy settings. You can also visit g.co/privacytools at any time.

10 बेस्ट महाराणा प्रताप की वीरता पर कविताएं

हम महाराणा प्रताप जैसे एक महान योद्धा की बहादुरी को कुछ शब्दों में बयाँ नहीं कर सकते हैं। हमारा प्रताप ऐसे महान योद्धा हुए, जिन्होंने कई कष्ट सहन कर लिए लेकिन मुगलों की गुलामी स्वीकार नहीं की। आज हम यहां पर महाराणा प्रताप कविता (Maharana Pratap Poem) शेयर कर रहे हैं। उम्मीद करते हैं आपको यह महाराणा प्रताप पर कविताएं पसंद आयेंगी। विषय सूची • • • • • • • • • • • • महाराणा प्रताप पर कविताएं | Maharana Pratap Poem in Hindi Poems On Maharana Pratap in Hindi महाराणा प्रताप पर कविता (Maharana Pratap Poem) – 1 SMALL POEM ON MAHARANA PRATAP IN HINDI वण्डोली है यही, यहीं पर है समाधि सेनापति की। महातीर्थ की यही वेदिका यही अमर–रेखा स्मृति की एक बार आलोकित कर हा यहीं हुआ था सूर्य अस्त। चला यहीं से तिमिर हो गया अन्धकार–मय जग समस्त आज यहीं इस सिद्ध पीठ पर फूल चढ़ाने आया हूँ। यह भी पढ़े: महाराणा प्रताप की कविता (maharana pratap kavita) – 2 राणा सांगा का ये वंशज, रखता था रजपूती शान। कर स्वतंत्रता का उद्घोष, वह भारत का था अभिमान। मानसींग ने हमला करके, राणा जंगल दियो पठाय। सारे संकट क्षण में आ गए, घास की रोटी दे खवाय। हल्दी घाटी रक्त से सन गई, अरिदल मच गई चीख-पुकार। हुआ युद्ध घनघोर अरावली, प्रताप ने भरी हुंकार। शत्रु समूह ने घेर लिया था, डट गया सिंह-सा कर गर्जन। सर्प-सा लहराता प्रताप, चल पड़ा शत्रु का कर मर्दन। मान सींग को राणा ढूंढे, चेतक पर बन के असवार। हाथी के सिर पर दो टापें, रख चेतक भरकर हुंकार। रण में हाहाकार मचो तब, राणा की निकली तलवार मौत बरस रही रणभूमि में, राणा जले हृदय अंगार। आंखन बाण लगो राणा के, रण में न कछु रहो दिखाय। स्वामिभक्त चेतक ले उड़ गयो, राणा के लय प्राण बचाय। मुकुट लगाकर ...

महाराणा प्रताप की कहानी

3/5 - (2 votes) Maharana Pratap In Hindi : महाराणा प्रताप उत्तर-पश्चिमी भारत के एक प्रसिद्ध राजपूत योद्धा (Rajput Warrior) और राजस्थान में स्थित मेवाड़ (Mewar) के राजा थे। वे सबसे महान राजपूत योद्धाओं में से एक थे जो अपने क्षेत्र को जीतने के लिए मुगल शासक अकबर के प्रयासों को असफल करने के लिए पहचाने जाते हैं। अन्य पड़ोसी राजपूत शासकों के विपरीत, महाराणा प्रताप ने बार-बार शक्तिशाली मुगलों से संधि करने से मना कर दिया और अंतिम सांस तक (Last Breath) वे साहसपूर्वक लड़ते रहे। वे परिश्रम और राजपूत वीरता (Rajput Gallantry) के प्रतीक माने जाने वाले एकमात्र राजपूत योद्धा थे, जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर से लोहा लिया। उन्हें राजस्थान में एक नायक के रूप में सम्मानित किया जाता है। Tabel Content • • • • • • • 1. महाराणा प्रताप का बचपन और प्रारंभिक जीवन – Childhood And Early Life Of Maharana Pratap In Hindi महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ किले (Kumbhalgarh Fort) में जयवंता बाई और उदय सिंह द्वितीय के यहाँ हुआ था। उनके तीन छोटे भाई और दो सौतेले भाई थे। उनके पिता, उदय सिंह द्वितीय, मेवाड़ के राजा (King Of Mewar) थे और उनकी राजधानी (Capital) चित्तौड़ थी। 1567 में, मुगल सेनाओं ने मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ को घेर लिया। मुगल सेनाओं से लड़ने के बजाय, उदय सिंह ने राजधानी छोड़ दी और अपने परिवार को गोगुंडा (Gogunda) स्थानांतरित कर दिया। हालाँकि प्रताप ने इस फैसले का विरोध (Resist) किया और वापस आने पर जोर दिया, लेकिन उनके बुजुर्गों ने उन्हें समझाया कि वह जगह छोड़ना सही निर्णय था। 1572 में, उदय सिंह के निधन (Demise) के बाद, रानी धीर बाई (Rani Dheer Bai) ने जोर देकर कहा कि उदय सिंह के बड़े ...

महाराणा प्रताप : मुगुलों को छटी का दूध याद दिलाने वाले वीर राजपूत देशभक्त

लेख सारिणी • • • • • • • • • • • महाराणा प्रताप का इतिहास – Maharana Pratap History महाराणा प्रताप के नाम से भारतीय इतिहास गुंजायमान हैं. यह एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने मुगुलों को छटी का दूध याद दिला दिया था. इनकी वीरता की कथा से भारत की भूमि गोरवान्वित हैं. महाराणा प्रताप मेवाड़ की प्रजा के राणा थे. वर्तमान में यह स्थान राजिस्थान में आता हैं.प्रताप राजपूतों में सिसोदिया वंश के वंशज थे.यह एक बहादुर राजपूत थे जिन्होंने हर परिस्थिती में अपनी आखरी सांस तक अपनी प्रजा की रक्षा की. इन्होने सदैव अपने एवम अपने परिवार से उपर प्रजा को मान दिया.एक ऐसे राजपूत थे जिसकी वीरता को अकबर भी सलाम करता था.महाराणा प्रताप युद्ध कौशल में तो निपूर्ण थे ही लेकिन वे एक भावुक एवम धर्म परायण भी थे उनकी सबसे पहली गुरु उनकी माता जयवंता बाई जी थी. महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा उदयसिंह के पुत्र थे | महाराणा प्रताप बचपन से ही वीर और साहसी थे| उन्होंने जीवन भर अपनी मातृभूमि की रक्षा और स्वाभिमान के लिए संघर्ष किया | जब पूरे हिन्दुस्तान में अकबर का साम्राज्य स्थापित हो रहा था,तब वे 16वीं शताब्दी में अकेले राजा थे जिन्होंने अकबर के सामने खड़े होने का साहस किया| वे जीवन भर संघर्ष करते रहे लेकिन कभी भी स्वंय को अकबर के हवाले नहीं किया | यह भी जरूर पढ़े – महाराणा प्रताप का कद साढ़े सात फुट एंव उनका वजन 110 किलोग्राम था| उनके सुरक्षा कवच का वजन 72 किलोग्राम और भाले का वजन 80 किलो था| कवच, भाला, ढाल और तलवार आदि को मिलाये तो वे युद्ध में 200 किलोग्राम से भी ज्यादा वजन उठाए लड़ते थे| आज भी महाराणा प्रताप का कवच, तलवार आदि वस्तुएं उदयपुर राजघराने के संग्रहालय में सुरक्षित रखे हुए है| महाराणा प्रताप जीवन कहानी – Maharana P...

महाराणा प्रताप जयंती पर कविता

Maharana Pratap Jayanti 2022: महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ में हुआ था। उनके पिता महाराणा उदय सिंह द्वितीय थे और उनकी मां का नाम रानी जीववंत कंवर था। महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने चित्तौर में अपनी राजधानी के साथ मेवार के राज्य पर शासन किया था। महाराणा प्रताप पच्चीस पुत्रों में से सबसे बड़े थे और इसलिए उन्हें राजा बनाया गया था| सिसोदिया राजपूतों की तर्ज पर वह मेवार के 54 वें शासक होने के लिए नियत थे। उनकी वीरता के किस्से से कोई अनजान नहीं हैं उन्होंने बहुत सी लड़ाइयां जीत कर अपने दुश्मनो के दांत खट्टे किये थे| उनके घोड़े चेतक व राणा प्रताप के साहस से जग वाकिफ था| आज हम आपके सामने पेश कर रहे हैं महाराणा प्रताप पोएम इन हिंदी, वीरता पर छोटी कविता, चेतक पर कविता, महाराणा प्रताप पर भाषण, महाराणा प्रताप स्लोगन, महाराणा प्रताप वीर कविता, चेतक की वीरता पर कविता आदि| जय राणा प्रताप – पृथ्वी का वीर योद्धा| आपकी जयंती पर आपको शत शत नमन| महाराणा प्रताप जयंती कविता धन्य हुआ रे राजस्थान,जो जन्म लिया यहां प्रताप ने। धन्य हुआ रे सारा मेवाड़, जहां कदम रखे थे प्रताप ने॥ फीका पड़ा था तेज़ सुरज का, जब माथा उन्चा तु करता था। फीकी हुई बिजली की चमक, जब-जब आंख खोली प्रताप ने॥ जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी। फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥ था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तु सवारी करता था। थी तुझमे कोई खास बात, कि अकबर तुझसे डरता था॥ हर मां कि ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा करे। देख के उसकी शक्ती को, हर दुशमन उससे डरा करे॥ करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है। तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है॥ हे प्रताप मुझे तु ...

राणा उदयसिंह का इतिहास

राणा उदयसिंह का इतिहास Udai Singh History In Hindi : मेवाड़ के 53 वें महाराणा उदय सिंह द्वितीय थे इनके पिता राणा सांगा और माँ बूंदी राजघराने की कर्णावती थी. खानवा युद्ध में घायल होने के बाद राणा सांगा का देहावसान हो गया तथा उनकी मृत्यु के बाद उदय सिंह का जन्म हुआ था. बाल्यावस्था में ही गुजरात के बहादुरशाह के आक्रमण के चलते माँ कर्णावती ने जौहर कर लिया था. आगे चलकर उदय सिंह के बेटे के रूप में राणा प्रताप ने जन्म लिया और मेवाड़ के गौरव को पुनः स्थापित किया. राणा उदयसिंह का इतिहास Udai Singh History In Hindi पूरा नाम ‌‌‌‌‌‌‌राणा उदयसिंह जन्म 4 अगस्त, 1522 ई. जन्म भूमि चित्तौड़गढ़, राजस्थान मृत्यु तिथि 28 फ़रवरी, 1572 ई. पिता राणा साँगा माता कर्णवती पत्नी सात पत्नियाँ संतान 24 लड़के उपाधि महाराणा शासन काल 1537 – 1572 ई. राजधानी उदयपुर उत्तराधिकारी महाराणा प्रताप उदयसिंह को बनवीर से बचाकर कुम्भलगढ़ के किले में रखा गया. यहीं मालदेव के सहयोग से 1537 ई में उसका राज्याभिषेक हुआ तथा 1540 ई में मावली उदयपुर के युद्ध में मालदेव के सहयोग से बनवीर की हत्या कर मेवाड़ की पैतृक सत्ता प्राप्त की. उदयसिंह ने अखेराज सोनगरा एवं खैरवा के ठाकुर जैत्रसिंह की पुत्रियों से विवाह कर अपनी स्थिति को मजबूत किया 1543 ई में शेरशाह के चित्तौड़ पर आक्रमण की खबर पाकर किले की कुंजियाँ शेरशाह के पास भिजवा दी. जिससे शेरशाह ने किले पर आक्रमण नहीं किया और ख्वास खां को चित्तौड़ में अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया. 1557 ई में उसने अजमेर के हाकिम हाजी खान पठान को परास्त किया. उदयसिंह ने 1559 ई में अरावली की उपत्यकाओं में उदयपुर नगर बसाकर उसे अपनी राजधानी बनाया. उदयपुर में उसने उदयसागर झील और मोती मगरी के सुंदर महलों का निर्म...

महाराणा प्रताप की कहानी

3/5 - (2 votes) Maharana Pratap In Hindi : महाराणा प्रताप उत्तर-पश्चिमी भारत के एक प्रसिद्ध राजपूत योद्धा (Rajput Warrior) और राजस्थान में स्थित मेवाड़ (Mewar) के राजा थे। वे सबसे महान राजपूत योद्धाओं में से एक थे जो अपने क्षेत्र को जीतने के लिए मुगल शासक अकबर के प्रयासों को असफल करने के लिए पहचाने जाते हैं। अन्य पड़ोसी राजपूत शासकों के विपरीत, महाराणा प्रताप ने बार-बार शक्तिशाली मुगलों से संधि करने से मना कर दिया और अंतिम सांस तक (Last Breath) वे साहसपूर्वक लड़ते रहे। वे परिश्रम और राजपूत वीरता (Rajput Gallantry) के प्रतीक माने जाने वाले एकमात्र राजपूत योद्धा थे, जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर से लोहा लिया। उन्हें राजस्थान में एक नायक के रूप में सम्मानित किया जाता है। Tabel Content • • • • • • • 1. महाराणा प्रताप का बचपन और प्रारंभिक जीवन – Childhood And Early Life Of Maharana Pratap In Hindi महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ किले (Kumbhalgarh Fort) में जयवंता बाई और उदय सिंह द्वितीय के यहाँ हुआ था। उनके तीन छोटे भाई और दो सौतेले भाई थे। उनके पिता, उदय सिंह द्वितीय, मेवाड़ के राजा (King Of Mewar) थे और उनकी राजधानी (Capital) चित्तौड़ थी। 1567 में, मुगल सेनाओं ने मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ को घेर लिया। मुगल सेनाओं से लड़ने के बजाय, उदय सिंह ने राजधानी छोड़ दी और अपने परिवार को गोगुंडा (Gogunda) स्थानांतरित कर दिया। हालाँकि प्रताप ने इस फैसले का विरोध (Resist) किया और वापस आने पर जोर दिया, लेकिन उनके बुजुर्गों ने उन्हें समझाया कि वह जगह छोड़ना सही निर्णय था। 1572 में, उदय सिंह के निधन (Demise) के बाद, रानी धीर बाई (Rani Dheer Bai) ने जोर देकर कहा कि उदय सिंह के बड़े ...

राणा उदयसिंह का इतिहास

राणा उदयसिंह का इतिहास Udai Singh History In Hindi : मेवाड़ के 53 वें महाराणा उदय सिंह द्वितीय थे इनके पिता राणा सांगा और माँ बूंदी राजघराने की कर्णावती थी. खानवा युद्ध में घायल होने के बाद राणा सांगा का देहावसान हो गया तथा उनकी मृत्यु के बाद उदय सिंह का जन्म हुआ था. बाल्यावस्था में ही गुजरात के बहादुरशाह के आक्रमण के चलते माँ कर्णावती ने जौहर कर लिया था. आगे चलकर उदय सिंह के बेटे के रूप में राणा प्रताप ने जन्म लिया और मेवाड़ के गौरव को पुनः स्थापित किया. राणा उदयसिंह का इतिहास Udai Singh History In Hindi पूरा नाम ‌‌‌‌‌‌‌राणा उदयसिंह जन्म 4 अगस्त, 1522 ई. जन्म भूमि चित्तौड़गढ़, राजस्थान मृत्यु तिथि 28 फ़रवरी, 1572 ई. पिता राणा साँगा माता कर्णवती पत्नी सात पत्नियाँ संतान 24 लड़के उपाधि महाराणा शासन काल 1537 – 1572 ई. राजधानी उदयपुर उत्तराधिकारी महाराणा प्रताप उदयसिंह को बनवीर से बचाकर कुम्भलगढ़ के किले में रखा गया. यहीं मालदेव के सहयोग से 1537 ई में उसका राज्याभिषेक हुआ तथा 1540 ई में मावली उदयपुर के युद्ध में मालदेव के सहयोग से बनवीर की हत्या कर मेवाड़ की पैतृक सत्ता प्राप्त की. उदयसिंह ने अखेराज सोनगरा एवं खैरवा के ठाकुर जैत्रसिंह की पुत्रियों से विवाह कर अपनी स्थिति को मजबूत किया 1543 ई में शेरशाह के चित्तौड़ पर आक्रमण की खबर पाकर किले की कुंजियाँ शेरशाह के पास भिजवा दी. जिससे शेरशाह ने किले पर आक्रमण नहीं किया और ख्वास खां को चित्तौड़ में अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया. 1557 ई में उसने अजमेर के हाकिम हाजी खान पठान को परास्त किया. उदयसिंह ने 1559 ई में अरावली की उपत्यकाओं में उदयपुर नगर बसाकर उसे अपनी राजधानी बनाया. उदयपुर में उसने उदयसागर झील और मोती मगरी के सुंदर महलों का निर्म...

Before you continue to YouTube

We use • Deliver and maintain Google services • Track outages and protect against spam, fraud, and abuse • Measure audience engagement and site statistics to understand how our services are used and enhance the quality of those services If you choose to “Accept all,” we will also use cookies and data to • Develop and improve new services • Deliver and measure the effectiveness of ads • Show personalized content, depending on your settings • Show personalized ads, depending on your settings Non-personalized content and ads are influenced by things like the content you’re currently viewing and your location (ad serving is based on general location). Personalized content and ads can also include things like video recommendations, a customized YouTube homepage, and tailored ads based on past activity, like the videos you watch and the things you search for on YouTube. We also use cookies and data to tailor the experience to be age-appropriate, if relevant. Select “More options” to see additional information, including details about managing your privacy settings. You can also visit g.co/privacytools at any time.

महाराणा प्रताप : मुगुलों को छटी का दूध याद दिलाने वाले वीर राजपूत देशभक्त

लेख सारिणी • • • • • • • • • • • महाराणा प्रताप का इतिहास – Maharana Pratap History महाराणा प्रताप के नाम से भारतीय इतिहास गुंजायमान हैं. यह एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने मुगुलों को छटी का दूध याद दिला दिया था. इनकी वीरता की कथा से भारत की भूमि गोरवान्वित हैं. महाराणा प्रताप मेवाड़ की प्रजा के राणा थे. वर्तमान में यह स्थान राजिस्थान में आता हैं.प्रताप राजपूतों में सिसोदिया वंश के वंशज थे.यह एक बहादुर राजपूत थे जिन्होंने हर परिस्थिती में अपनी आखरी सांस तक अपनी प्रजा की रक्षा की. इन्होने सदैव अपने एवम अपने परिवार से उपर प्रजा को मान दिया.एक ऐसे राजपूत थे जिसकी वीरता को अकबर भी सलाम करता था.महाराणा प्रताप युद्ध कौशल में तो निपूर्ण थे ही लेकिन वे एक भावुक एवम धर्म परायण भी थे उनकी सबसे पहली गुरु उनकी माता जयवंता बाई जी थी. महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा उदयसिंह के पुत्र थे | महाराणा प्रताप बचपन से ही वीर और साहसी थे| उन्होंने जीवन भर अपनी मातृभूमि की रक्षा और स्वाभिमान के लिए संघर्ष किया | जब पूरे हिन्दुस्तान में अकबर का साम्राज्य स्थापित हो रहा था,तब वे 16वीं शताब्दी में अकेले राजा थे जिन्होंने अकबर के सामने खड़े होने का साहस किया| वे जीवन भर संघर्ष करते रहे लेकिन कभी भी स्वंय को अकबर के हवाले नहीं किया | यह भी जरूर पढ़े – महाराणा प्रताप का कद साढ़े सात फुट एंव उनका वजन 110 किलोग्राम था| उनके सुरक्षा कवच का वजन 72 किलोग्राम और भाले का वजन 80 किलो था| कवच, भाला, ढाल और तलवार आदि को मिलाये तो वे युद्ध में 200 किलोग्राम से भी ज्यादा वजन उठाए लड़ते थे| आज भी महाराणा प्रताप का कवच, तलवार आदि वस्तुएं उदयपुर राजघराने के संग्रहालय में सुरक्षित रखे हुए है| महाराणा प्रताप जीवन कहानी – Maharana P...