महाराणा प्रताप का चरित्र चित्रण

  1. ‘शौर्य, साहस, स्वाभिमान के प्रतीक थे महाराणा प्रताप’
  2. Maharana Pratap Story in Hindi: महाराणा प्रताप की प्रेरक कहानी
  3. CM approves formation of Shiromani Maharana Pratap Board
  4. UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट – UP Board Solutions
  5. महाराणा प्रताप की जीवनी Biography of Maharana Pratap in Hindi
  6. महाराणा प्रताप का इतिहास
  7. Maharana Pratap Story in Hindi: महाराणा प्रताप की प्रेरक कहानी
  8. महाराणा प्रताप की जीवनी Biography of Maharana Pratap in Hindi
  9. ‘शौर्य, साहस, स्वाभिमान के प्रतीक थे महाराणा प्रताप’
  10. महाराणा प्रताप का इतिहास


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‘शौर्य, साहस, स्वाभिमान के प्रतीक थे महाराणा प्रताप’

महाराणा प्रताप परम प्रतापी, प्रचंड शक्तिशाली और सिसौदिया वंश के सूर्य व भारत भूमि के गौरव थे। महाराणा प्रताप की वीरता, युद्ध कौशल की चर्चा चारों ओर फैली हुई थी। संपूर्ण मुगल सल्तनत एवं मुगल सम्राट भी महाराणा प्रताप की वीरता के प्रशंसक थे। महाराणा प्रताप का चरित्र चित्रण, वीरता अद्वितीय है, जो इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। आज हमें भी इन जैसे राष्ट्रभक्त बनने और युवाओं को इनके जैसा बनाने की आवश्यकता है। यह बात विधायक दिलीपसिंह परिहार ने कही। गुरुवार को ग्वालटोली स्थिति महाराणा प्रताप सर्कल पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि मनाई गई। महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर पुष्पमाला अर्पित कर उन्हें नमन किया गया। आयोजित श्रृद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक दिलीपसिंह परिहार ने कहा कि महाराणा प्रताप को दुनिया भर में वीर योद्धा और शौर्य के प्रतीक के तौर पर आज भी याद किया जाता है और सदियों तक याद किया जाता रहेगा। कार्यक्रम को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित करते हुए महाराणा प्रताप के बताए पदचिन्हों पर चलकर राष्ट्रसेवा करने की बात कहीं। इस अवसर पर भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हेमंत हरित, मंडल अध्यक्ष मोहन सिंह राणावत, योगेश जैन, अर्जुनसिंह सिसोदिया, सांसद प्रतिनिधि वीरेंद्र पाटीदार, पार्षद योगेश कवीश्वर, कमल शर्मा, रामचंद्र धनगर, आलोक शर्मा, लोकेश चांगल, सतीश हांस सहित कार्यकर्ता व गणमान्यजन उपस्थित थे।

Maharana Pratap Story in Hindi: महाराणा प्रताप की प्रेरक कहानी

“महाराणा प्रताप की गिनती उन शूरवीरों में होती हैं जिन्होंने अपने पराक्रम से भारत का मस्तक ऊँचा रखा हुआ है। वह न सिर्फ राजपूत समाज का गौरव हैं, बल्कि चारित्रिक द्रढ़ता, शौर्य, प्रचंड संकल्प और प्रतिबद्धता का ज्वलंत प्रतीक भी हैं।” महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप की इस प्रेरक स्टोरी में आज हम आपको उनके जीवन की दो प्रेरक कहानियों के माध्यम से इस महान शूरवीर के उद्दात चरित्र के बारे में बतायेंगे। उनके बारे में विस्तार से जानने के लिये आप महाराणा प्रताप की जीवन गाथा को पढ़ सकते हैं। पर यहाँ हमारा उद्देश्य आपको उनके जीवन के महत्वपूर्ण तथ्यों से परिचित कराना नहीं, बल्कि उनके त्याग भरे आदर्श को दिखाना है। Maharana Pratap and Maan Singh Story in Hindi यह कहानी उस वक्त की है जब वह कमलमीर में प्रवास कर रहे थे। एक दिन उन्हें अकबर के नवरत्नों में से एक, राजा मानसिंह के आने की सूचना मिली जो शोलापुर के युद्ध में जीतकर राजधानी लौट रहा था। रास्ते में उसने सोचा क्यों न महाराणा से भी मिल लिया जाय, इसीलिये उसने एक दूत भेजकर महाराणा प्रताप को अपने आने का सन्देश भेजा। हालाँकि वह मानसिंह से मिलने के बिल्कुल भी इच्छुक नहीं थे, फिर भी उन्होंने शिष्टाचारवश उससे उदयगिरी में मिलने का प्रबंध किया। महाराणा प्रताप ने उससे मिलकर कुशल क्षेम पूछा और भोजन करने के लिये कहा। लेकिन जब भोजन-स्थल पर महाराणा प्रताप की जगह उनका पुत्र अमर सिंह दिखायी दिया तो मानसिंह ने उनके न आने का कारण पूछा। अमरसिंह ने जवाब दिया –“सिर में दर्द होने के कारण पिताजी नहीं आ सकते हैं, इसीलिये उन्होंने मुझे भेजा है।” अकबर की गुलामी करने के कारण राजा मानसिंह की राजपूत समाज में बड़ी बुराई हो रही थी और इसे वह भी अच्छी तरह से जानता था, इसीलिय...

CM approves formation of Shiromani Maharana Pratap Board

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिरोमणि महाराणा प्रताप बोर्ड के गठन को मंजूरी दे दी है। इस बोर्ड के जरिए महाराणा प्रताप से जुड़े इतिहास का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। महाराणा प्रताप की प्रतिबद्धता, देशभक्ति, दानशीलता, जनसेवा और कर्तव्य परायणता का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप बोर्ड का गठन किया जाएगा। बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा 7 अन्य सदस्य होंगे। बोर्ड में सचिव एवं कार्यकारी स्टाफ अलग से होगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने उदयपुर में 22 मई को कालजयी योद्धा महाराणा प्रताप की स्मृति में बोर्ड गठित करने की घोषणा की थी। इस बोर्ड के गठन का उद्देश्य नई पीढ़ी को महाराणा प्रताप के महान चरित्र का अनुगामी बनाना, उन पर आधारित पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण एवं नव-निर्माण, भारत की विभिन्न भाषाओं में रचित प्राचीन साहित्य के संकलन, संरक्षण, शोध, प्रकाशन एवं प्रचार-प्रसार, सम्बन्धित पाठ्यक्रम सामग्री का निर्धारण समावेशन करना है।

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट (व्यथित हृदय) are part of Board UP Board Textbook NCERT Class Class 11 Subject Sahityik Hindi Chapter Chapter 5 Chapter Name राजमुकुट (व्यथित हृदय) Number of Questions Category UP Board Solutions UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट (व्यथित हृदय) प्रश्न 1: श्री व्यथित हृदय द्वारा लिखित ‘राजमुकुट नाटक का सारांश अथवा कथा-सार संक्षेप में लिखिए। या ‘राजमुकुट’ नाटक की कथावस्तु (कथानक) संक्षेप में लिखिए। या ‘राजमुकुट’ नाटक के द्वितीय अंक का कथा-सार लिखिए। या ‘राजमुकुट’ नाटक के तृतीय अंक का कथा-सार संक्षेप में लिखिए। या ‘राजमुकुट नाटक के प्रथम अंक की कथा अपने शब्दों में लिखिए। या ‘राजमुकुट नाटक के किसी एक अंक की कथा संक्षेप में लिखिए। या ‘राजमुकुट’ नाटक के अन्तिम (चतुर्थ) अंक की कथा संक्षिप्त रूप में लिखिए। या “राजमुकुट नाटक की कथा एवं अन्तर्कथाओं पर अपने विचार व्यक्त कीजिए। या ‘राजमुकुट नाटक के आधार पर महाराणा प्रताप और अकबर की भेंट का वर्णन कीजिए। उत्तर: ‘राजमुकुट’ नाटक, नाटककार श्री व्यथित हृदय का एक ऐतिहासिक नाटक है। इस नाटक में * महाराणा प्रताप की वीरता, बलिदान और त्याग की कथा अंकित है। कथा का प्रारम्भ महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक से तथा कथा का अन्त महाराणा प्रताप की मृत्यु पर होता है। महाराणा प्रताप इस नाटक के नायक हैं। प्रथम अंक– प्रस्तुत नाटक के प्रथम अंक की कथा मेवाड़ के राणा जगमल के महल से आरम्भ होती है। राणा जगमल एक विलासी और क्रूर शासक है। वह अपनी मर्यादा का निर्वाह करना भूल गया था तथा सुरा-सुन्दरी में डूबा रहता था। ऐसे ही समय में राष्ट्रनायक कृष्णजी चन्दावत, राजस...

महाराणा प्रताप की जीवनी Biography of Maharana Pratap in Hindi

1. महाराणा प्रताप की जीवनी एवं इतिहास: परम प्रतापी, प्रचंड शक्तिशाली, परम पराक्रमी, मेधावी, कठोर से कठोर आघात को वीरतापूर्वक सहन करने की अद्भुत क्षमता के प्रतीक, सिसोदिया वंश के सूर्य, भारत भूमि के गौरव महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई 1540 को मेवाड़ प्रान्त में हुआ था। महाराणा प्रताप की वीरता, युद्ध कौशल, अपार शक्ति के धनी एवं उनके युद्ध कौशल में प्रवीण सहयोगी चेतक को दुनिया आज भी सलाम करती है। सम्पूर्ण मुग़ल सल्तनत एवं मुग़ल सम्राट अकबर भी महाराणा प्रताप की वीरता के प्रशंसक थे। महाराणा प्रताप का जीवन परिचय एवं महाराणा प्रताप का चरित्र चित्रण इतिहास कुछ इस प्रकार से है-Itihas ke amar saput Maharana Pratap:- महाराणा प्रताप की जीवनी महाराणा प्रताप का संक्षिप्त इतिहास वास्तविक नाम महाराणा प्रताप बचपन का नाम कीका जन्मतिथि 9 मई 1540 (शुक्ल पक्ष तृतीया रविवार विक्रम संवत 1597) जन्म स्थान उदयपुर, मेवाड कुम्भलगढ दुर्ग परिवार पिता महाराणा उदयसिंह माता महारानी जैवन्ताबाई महाराणा प्रताप की 11 पत्नियां एवं पुत्रों का विवरण 1. महारानी अजब्दे पंवार :- अमरसिंह और भगवानदास 2. अमरबाई राठौर :- नत्था 3. शहमति बाई हाडा :-पुरा 4. अलमदेबाई चौहान:- जसवंत सिंह 5. रत्नावती बाई परमार :-माल,गज,क्लिंगु 6. लखाबाई :- रायभाना 7. जसोबाई चौहान :-कल्याणदास 8. चंपाबाई जंथी :- कल्ला, सनवालदास और दुर्जन सिंह 9. सोलनखिनीपुर बाई :- साशा और गोपाल 10. फूलबाई राठौर :-चंदा और शिखा 11. खीचर आशाबाई :- हत्थी और राम सिंह मरण प्रताप की प्रथम पत्नी महारानी अजब्दे पंवार महाराणा प्रताप के पुत्र जगमाल, शक्ति सिंह, सागर सिंह कुल/वंश सिसोदिया राजबंश धर्म सनातन राज्याभिषेक गोगुन्दा में शारीरिक आँकड़े और अधिक सेंटीमीटर - 222 मीटर -2....

महाराणा प्रताप का इतिहास

महाराणा प्रताप का इतिहास की जानकारी | Maharana Pratap History In Hindi: वो आजादी का रखवाला महाराणा प्रताप ही थे जिन्होंने अपनी मायड धरा मेवाड़ की स्वतंत्रता की खातिर जीवनभर संघर्ष करते रहे, मगर कभी मुगलों की गुलामी को स्वीकार नही किया. राजस्थान के महान सपूतों में महाराणा प्रताप का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. राजीय एशो आराम की बजाय जंगल में भूखे प्यासे भटकने वाले महाराणा प्रताप अपने और मेवाड़ धरा के स्वाभिमान के रखवाले थे. इनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह था. Maharana Pratap History In Hindi इतिहास बिंदु महाराणा प्रताप इतिहास पिता राणा उदयसिंह माता जैवन्ता बाई सोनगरा पत्नी अजब दे जन्म 9 मई 1540 मृत्यु 29 जनवरी 1597 पुत्र अमर सिंह घोड़ा चेतक समाधि चावंड Story Biography Jivani History Of Maharana Pratap In Hindi: महाराणा प्रताप का इतिहास, जीवन परिचय, जीवनी, कहानी, फोटो, वीडियो, जयंती, मेवाड़ का इतिहास जानने के लिए हमे यह पूरा लेख पढ़ना पड़ेगा. अनूठी आन बान और शान वाला या राजस्थान प्रान्त शक्ति, भक्ति और अनुरक्ति की त्रिवेणी माना जाता हैं. यहाँ का इतिहास और शौर्य एवं औदार्य के लिए विश्वविख्यात हैं. ऐसी देशभक्ति और वीरता से कुटकुट भरी मेवाड़ धरा पर स्वतन्त्रता प्रेमी और महान नायकमहाराणा प्रताप का जन्म भूमि रही हैं. इस प्रदेश में जान तथा प्राण से बढ़कर प्रण की शाश्वत परम्परा रही हैं. राजस्थान की इसी तपोभूमि कुछ ऐसी विशेषताएं रही हैं, जो अन्यत्र दुर्लभ हैं. यहाँ के वीरो ने धरती, धर्म, स्त्री और असहायों की रक्षार्थ मरने को मंगल माना, यहाँ की विरागनाओ ने अपनी कंचन जैसी काया का मोह त्यागते हुए अपने हाथों अपना शीश काटकर अपने पतियों का प्रण पालन किया हैं. Telegram Group यहाँ के संतो ...

Maharana Pratap Story in Hindi: महाराणा प्रताप की प्रेरक कहानी

“महाराणा प्रताप की गिनती उन शूरवीरों में होती हैं जिन्होंने अपने पराक्रम से भारत का मस्तक ऊँचा रखा हुआ है। वह न सिर्फ राजपूत समाज का गौरव हैं, बल्कि चारित्रिक द्रढ़ता, शौर्य, प्रचंड संकल्प और प्रतिबद्धता का ज्वलंत प्रतीक भी हैं।” महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप की इस प्रेरक स्टोरी में आज हम आपको उनके जीवन की दो प्रेरक कहानियों के माध्यम से इस महान शूरवीर के उद्दात चरित्र के बारे में बतायेंगे। उनके बारे में विस्तार से जानने के लिये आप महाराणा प्रताप की जीवन गाथा को पढ़ सकते हैं। पर यहाँ हमारा उद्देश्य आपको उनके जीवन के महत्वपूर्ण तथ्यों से परिचित कराना नहीं, बल्कि उनके त्याग भरे आदर्श को दिखाना है। Maharana Pratap and Maan Singh Story in Hindi यह कहानी उस वक्त की है जब वह कमलमीर में प्रवास कर रहे थे। एक दिन उन्हें अकबर के नवरत्नों में से एक, राजा मानसिंह के आने की सूचना मिली जो शोलापुर के युद्ध में जीतकर राजधानी लौट रहा था। रास्ते में उसने सोचा क्यों न महाराणा से भी मिल लिया जाय, इसीलिये उसने एक दूत भेजकर महाराणा प्रताप को अपने आने का सन्देश भेजा। हालाँकि वह मानसिंह से मिलने के बिल्कुल भी इच्छुक नहीं थे, फिर भी उन्होंने शिष्टाचारवश उससे उदयगिरी में मिलने का प्रबंध किया। महाराणा प्रताप ने उससे मिलकर कुशल क्षेम पूछा और भोजन करने के लिये कहा। लेकिन जब भोजन-स्थल पर महाराणा प्रताप की जगह उनका पुत्र अमर सिंह दिखायी दिया तो मानसिंह ने उनके न आने का कारण पूछा। अमरसिंह ने जवाब दिया –“सिर में दर्द होने के कारण पिताजी नहीं आ सकते हैं, इसीलिये उन्होंने मुझे भेजा है।” अकबर की गुलामी करने के कारण राजा मानसिंह की राजपूत समाज में बड़ी बुराई हो रही थी और इसे वह भी अच्छी तरह से जानता था, इसीलिय...

महाराणा प्रताप की जीवनी Biography of Maharana Pratap in Hindi

1. महाराणा प्रताप की जीवनी एवं इतिहास: परम प्रतापी, प्रचंड शक्तिशाली, परम पराक्रमी, मेधावी, कठोर से कठोर आघात को वीरतापूर्वक सहन करने की अद्भुत क्षमता के प्रतीक, सिसोदिया वंश के सूर्य, भारत भूमि के गौरव महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई 1540 को मेवाड़ प्रान्त में हुआ था। महाराणा प्रताप की वीरता, युद्ध कौशल, अपार शक्ति के धनी एवं उनके युद्ध कौशल में प्रवीण सहयोगी चेतक को दुनिया आज भी सलाम करती है। सम्पूर्ण मुग़ल सल्तनत एवं मुग़ल सम्राट अकबर भी महाराणा प्रताप की वीरता के प्रशंसक थे। महाराणा प्रताप का जीवन परिचय एवं महाराणा प्रताप का चरित्र चित्रण इतिहास कुछ इस प्रकार से है-Itihas ke amar saput Maharana Pratap:- महाराणा प्रताप की जीवनी महाराणा प्रताप का संक्षिप्त इतिहास वास्तविक नाम महाराणा प्रताप बचपन का नाम कीका जन्मतिथि 9 मई 1540 (शुक्ल पक्ष तृतीया रविवार विक्रम संवत 1597) जन्म स्थान उदयपुर, मेवाड कुम्भलगढ दुर्ग परिवार पिता महाराणा उदयसिंह माता महारानी जैवन्ताबाई महाराणा प्रताप की 11 पत्नियां एवं पुत्रों का विवरण 1. महारानी अजब्दे पंवार :- अमरसिंह और भगवानदास 2. अमरबाई राठौर :- नत्था 3. शहमति बाई हाडा :-पुरा 4. अलमदेबाई चौहान:- जसवंत सिंह 5. रत्नावती बाई परमार :-माल,गज,क्लिंगु 6. लखाबाई :- रायभाना 7. जसोबाई चौहान :-कल्याणदास 8. चंपाबाई जंथी :- कल्ला, सनवालदास और दुर्जन सिंह 9. सोलनखिनीपुर बाई :- साशा और गोपाल 10. फूलबाई राठौर :-चंदा और शिखा 11. खीचर आशाबाई :- हत्थी और राम सिंह मरण प्रताप की प्रथम पत्नी महारानी अजब्दे पंवार महाराणा प्रताप के पुत्र जगमाल, शक्ति सिंह, सागर सिंह कुल/वंश सिसोदिया राजबंश धर्म सनातन राज्याभिषेक गोगुन्दा में शारीरिक आँकड़े और अधिक सेंटीमीटर - 222 मीटर -2....

‘शौर्य, साहस, स्वाभिमान के प्रतीक थे महाराणा प्रताप’

महाराणा प्रताप परम प्रतापी, प्रचंड शक्तिशाली और सिसौदिया वंश के सूर्य व भारत भूमि के गौरव थे। महाराणा प्रताप की वीरता, युद्ध कौशल की चर्चा चारों ओर फैली हुई थी। संपूर्ण मुगल सल्तनत एवं मुगल सम्राट भी महाराणा प्रताप की वीरता के प्रशंसक थे। महाराणा प्रताप का चरित्र चित्रण, वीरता अद्वितीय है, जो इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। आज हमें भी इन जैसे राष्ट्रभक्त बनने और युवाओं को इनके जैसा बनाने की आवश्यकता है। यह बात विधायक दिलीपसिंह परिहार ने कही। गुरुवार को ग्वालटोली स्थिति महाराणा प्रताप सर्कल पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि मनाई गई। महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर पुष्पमाला अर्पित कर उन्हें नमन किया गया। आयोजित श्रृद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक दिलीपसिंह परिहार ने कहा कि महाराणा प्रताप को दुनिया भर में वीर योद्धा और शौर्य के प्रतीक के तौर पर आज भी याद किया जाता है और सदियों तक याद किया जाता रहेगा। कार्यक्रम को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित करते हुए महाराणा प्रताप के बताए पदचिन्हों पर चलकर राष्ट्रसेवा करने की बात कहीं। इस अवसर पर भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हेमंत हरित, मंडल अध्यक्ष मोहन सिंह राणावत, योगेश जैन, अर्जुनसिंह सिसोदिया, सांसद प्रतिनिधि वीरेंद्र पाटीदार, पार्षद योगेश कवीश्वर, कमल शर्मा, रामचंद्र धनगर, आलोक शर्मा, लोकेश चांगल, सतीश हांस सहित कार्यकर्ता व गणमान्यजन उपस्थित थे।

महाराणा प्रताप का इतिहास

महाराणा प्रताप का इतिहास की जानकारी | Maharana Pratap History In Hindi: वो आजादी का रखवाला महाराणा प्रताप ही थे जिन्होंने अपनी मायड धरा मेवाड़ की स्वतंत्रता की खातिर जीवनभर संघर्ष करते रहे, मगर कभी मुगलों की गुलामी को स्वीकार नही किया. राजस्थान के महान सपूतों में महाराणा प्रताप का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. राजीय एशो आराम की बजाय जंगल में भूखे प्यासे भटकने वाले महाराणा प्रताप अपने और मेवाड़ धरा के स्वाभिमान के रखवाले थे. इनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह था. Maharana Pratap History In Hindi इतिहास बिंदु महाराणा प्रताप इतिहास पिता राणा उदयसिंह माता जैवन्ता बाई सोनगरा पत्नी अजब दे जन्म 9 मई 1540 मृत्यु 29 जनवरी 1597 पुत्र अमर सिंह घोड़ा चेतक समाधि चावंड Story Biography Jivani History Of Maharana Pratap In Hindi: महाराणा प्रताप का इतिहास, जीवन परिचय, जीवनी, कहानी, फोटो, वीडियो, जयंती, मेवाड़ का इतिहास जानने के लिए हमे यह पूरा लेख पढ़ना पड़ेगा. अनूठी आन बान और शान वाला या राजस्थान प्रान्त शक्ति, भक्ति और अनुरक्ति की त्रिवेणी माना जाता हैं. यहाँ का इतिहास और शौर्य एवं औदार्य के लिए विश्वविख्यात हैं. ऐसी देशभक्ति और वीरता से कुटकुट भरी मेवाड़ धरा पर स्वतन्त्रता प्रेमी और महान नायकमहाराणा प्रताप का जन्म भूमि रही हैं. इस प्रदेश में जान तथा प्राण से बढ़कर प्रण की शाश्वत परम्परा रही हैं. राजस्थान की इसी तपोभूमि कुछ ऐसी विशेषताएं रही हैं, जो अन्यत्र दुर्लभ हैं. यहाँ के वीरो ने धरती, धर्म, स्त्री और असहायों की रक्षार्थ मरने को मंगल माना, यहाँ की विरागनाओ ने अपनी कंचन जैसी काया का मोह त्यागते हुए अपने हाथों अपना शीश काटकर अपने पतियों का प्रण पालन किया हैं. Telegram Group यहाँ के संतो ...