महाराणा प्रताप का इतिहास चित्तौड़गढ़

  1. महाराणा प्रताप का सम्पूर्ण इतिहास (Maharana Pratap History In Hindi).
  2. महाराणा प्रताप का इतिहास चित्तौड़गढ़,और परिचय जानिये – mGL
  3. 15+ चित्तौड़गढ़ में घूमने की जगह, खर्चा और जाने का समय (2023)
  4. महाराणा प्रताप का इतिहास Maharana Pratap History in Hindi
  5. महाराणा प्रताप का इतिहास
  6. महाराणा प्रताप : मुगुलों को छटी का दूध याद दिलाने वाले वीर राजपूत देशभक्त
  7. महाराणा प्रताप का जीवन परिचय, इतिहास, कहानी और उनकी मृत्यु
  8. History Of Maharana Pratap In Hindi
  9. महाराणा प्रताप की कहानी
  10. महाराणा प्रताप की कहानी (कथा)


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महाराणा प्रताप का सम्पूर्ण इतिहास (Maharana Pratap History In Hindi).

महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का नाम सुनते ही हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्हें शीश कटाना मंजूर था लेकिन किसी के सामने झुकाना नहीं. चित्तौड़गढ़ के सिसोदिया वंश में जन्म लेने वाले महाराणा प्रताप का नाम इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में हमेशा के लिए अंकित रहेगा. सभी देश प्रेमी आज भी प्रातः उठकर महाराणा प्रताप की वंदना करते हैं. देशप्रेम, स्वाधीनता, दृढ़ प्रतिज्ञा, निर्भिकता और वीरता महाराणा प्रताप की रग-रग में मौजूद थी. मुगल आक्रांता अकबर ने महाराणा प्रताप को झुकाने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया लेकिन दृढ़ प्रतिज्ञा के धनी महाराणा प्रताप तनिक भी ना झुके. महाराणा प्रताप का पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया था. स्वाधीनता और स्वाभिमान का दूसरा नाम थे महाराणा प्रताप जो कभी किसी के सामने झुके नहीं चाहे परिस्थितियाँ कुछ भी हो, मुग़ल आक्रांता अबकर भी शोकाकुल हो उठा जब उसने वीर महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर सुनी. 14 महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर जब अकबर तक पहुंची! महाराणा प्रताप का इतिहास, जन्म और माता-पिता (Maharana Pratap History In Hindi) महाराणा प्रताप का पूरा नाम (Full name of Maharana Pratap) महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया (Maharana Pratap Singh Sisodiya) अन्य नाम (Other Name Of Maharana Pratap) हिंदुआ सूरज। महाराणा प्रताप का जन्म स्थान (Birth place of Maharana Pratap) कुम्भलगढ़ दुर्ग। महाराणा प्रताप का जन्म तिथि (date of birth of maharana pratap) 9 मई, 1540 ईस्वी ( विक्रम संवत 1597 ज्येष्ठ सुदी ३, इतवार) महाराणा प्रताप का मृत्यु स्थान (Death place of Maharana Pratap) चावंड (उदयपुर, राजस्थान)...

महाराणा प्रताप का इतिहास चित्तौड़गढ़,और परिचय जानिये – mGL

महाराणा प्रताप एक प्रसिद्ध राजपूत योद्धा थे। वह भारत में राजस्थान के मेवाड़ के राजा थे। महाराणा प्रताप को सबसे महान राजपूत योद्धाओं में से एक माना जाता है, जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर को अपने राज्य को जीतने के प्रयासों का विरोध किया था। क्षेत्र के अन्य राजपूत शासकों के विपरीत, महाराणा प्रताप ने बार-बार मुगलों के सामने झुकने से इनकार कर दिया और अपनी अंतिम सांस तक बहादुरी से लड़े। वह पहले राजपूत योद्धा थे जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर की ताकत का सामना किया। वें राजपूत की वीरता, परिश्रम और शौर्य के प्रतीक थे। राजस्थान में उन्हें उनकी वीरता, बलिदान के लिए एक नायक के रूप में जाना जाता है। महाराणा प्रताप कौन थे IN HINDI? महाराणा प्रताप सिंह उत्तर भारत के दक्षिण पूर्वी राजस्थान के मेवाड़ के एक योद्धा थे। वह एक राजपूत योद्धा थे। वह एक बहुत मजबूत योद्धा थे और मेवाड़ में राज करने वाले सिसोदिया राजपूतों के परिवार से सम्बंध रखते थे। बचपन से ही महाराणा प्रतापनिडर थे और ये भी कहा जाता है कि उन्होंने बहुत कम उम्र में एक बाघ को लात मारी थी और फिर अपने भाई शक्ति सिंह को बचाने के लिए अपने खंजर से वार कर दिया था। महाराणा प्रतापभीलों मेवाड़ की एक जनजाति के बीच पले-बढ़े। महाराणा प्रताप – जन्म 9मई 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ जिले में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह और माता का नाम जयवंता बाई था।परिवार मैं वे सबसे बड़े थे उनके बचपन का नाम कीका था, बचपन से ही महाराणा प्रताप बहुत बहादुर और दृढ़ निश्चयी थे। पढ़ाई से ज्यादा उन्हें खेलकूद और हथियार बनाना पसंद था। उनको धन-दौलत से ज्यादा मान सम्मान की परवाह थी। उन्होने धन -दौलत छोड़ दिया लेकिन अपना सिर कभी नहीं झुकने दिया |...

15+ चित्तौड़गढ़ में घूमने की जगह, खर्चा और जाने का समय (2023)

Chittorgarh Me Ghumne ki Jagah: आप भारत भ्रमण या राजस्थान भ्रमण पर निकले हैं और चित्तौड़गढ़ की बात ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। राजस्थान के उदयपुर से लगभग 111 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चित्तौड़गढ़ यहां आने वाले पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। चित्तौड़गढ़ अपने किले के लिए काफी मशहूर है। इसके अलावा यहां के भव्य महल और मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को दर्शाते है। इसके अलावा यहां स्थित वन्यजीव अभयारण्य भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। आज हम आपको अपनी इस लेख में चित्तौड़गढ़ और वहां स्थित पर्यटन स्थलों (places to visit in chittorgarh) से संबंधित सारी जानकारी इस आर्टिकल में देने वाले हैं। आइए बिना समय गवाएं इस आर्टिकल को पढ़ते हैं और चित्तौड़गढ़ में घूमने की जगह से संबंधित सारी जानकारी प्राप्त करते हैं। चित्तौड़गढ़ में घूमने की जगह | Chittorgarh Me Ghumne ki Jagah Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • चित्तौड़गढ़ के बारे में कुछ रोचक तथ्य • एक समय चित्तौड़गढ़ मेवाड़ की राजधानी हुआ करती थी, जहां के राजा वीर महाराणा प्रताप थे। • चित्तौड़गढ़ किला लगभग 700 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। इस किले की लंबाई 3 किलोमीटर लंबी है, वहीं इस किले की परिधि 13 किलोमीटर लम्बी है। • चित्तौड़गढ़ को महाराणा प्रताप का गढ़ या जोहर गढ़ भी कहा जाता है। • राजस्थान राज्य में जौहर प्रथा काफी ज्यादा प्रचलित है। यह प्रथा वहां के राजाओं के समय काफी ज्यादा प्रचलित थी। यह बिल्कुल सती प्रथा की तरह ही है, जिसमें महिलाएं आग में कूद जाती है। लेकिन जौहर महिला तब करती थी जब उनके पति युद्ध में हार जाते थे और फिर दुश्मन राजा के हाथ से बचने के लिए और अपने सम्मान को बचाने ...

महाराणा प्रताप का इतिहास Maharana Pratap History in Hindi

Life History of Maharana Pratap in Hindi महाराणा प्रताप ने कभी मुगलों की पराधीनता स्वीकार नहीं की और अकबर जैसे शासक को नाकों चने चबवा दिए| महाराणा प्रताप का इतिहास इस बात का गवाह है कि भारतमाता ने ऐसे अनेक वीरों को जन्म दिया है जिन्होंने मरते दम तक अपने देश की रक्षा की है। महाराणा प्रताप का नाम भारत में जन्म लेने वाले शूरवीरों में सबसे ऊपर आता है। महाराणा प्रताप ने जीवनभर संघर्ष किया और सालों तक जंगलों में रहकर जीवन व्यतीत किया, घास की रोटियां खायीं और गुफा में सोये लेकिन मुगलों की पराधीनता कभी स्वीकार नहीं की। महाराणा को वीरता और स्वाभिमान की प्रतिमूर्ति माना जाता है। उन्होंने आखिरी सांस तक मेवाड़ की रक्षा की। महाराणा की बहादुरी को देखकर उनका सबसे बड़ा दुश्मन अकबर भी उनका कायल हो गया था। महाराणा का जन्म 9 मई सन 1540 को मेवाड़ के कुम्भलगढ दुर्ग में हुआ था। महाराणा की माता का नाम जैवन्ताबाई और पिता का नाम उदय सिंह था। महाराणा के बचपन का नाम “कीका” था। आगे चलकर महाराणा को मेवाड़ का साम्राज्य सौंप दिया गया। महाराणा का सबसे बड़ा दुश्मन अकबर – उन दिनों अकबर मुगल साम्राज्य का शासक था। अकबर उस समय सबसे शक्तिशाली सम्राट भी था। अकबर के आगे कई राजपूत राजा पहले ही घुटने टेक चुके थे इसलिए अकबर अपनी मुग़ल सेना को अजेय मानता था। अकबर पूरे भारत पर राज करना चाहता था। इसलिए उसने कई राजपूत राजाओं को हराकर उनका राज्य हथिया लिया तो वहीं कई राजाओं ने मुग़ल सेना के डर से आत्मसमर्पण कर दिया। अकबर ने महाराणा प्रताप को भी 6 बार संधि वार्ता का प्रस्ताव भेजा था लेकिन महाराणा ने अकबर के आगे झुकने से मना कर दिया और महाराणा के पास अकबर की सेना की तुलना में आधे ही सिपाही थे लेकिन फिर भी उन्होंने अकबर के दांत ख...

महाराणा प्रताप का इतिहास

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • महाराणा प्रताप का इतिहास | History of Maharana Pratap in Hindi प्रिय पाठको आज हम जानेंगे महाराणा प्रताप का इतिहास के बारे में की महाराणा प्रताप का जन्म कब एवं कहा हुआ था | और उसके परिवार के बारे में एवं प्रताप के घोड़े के बारे में और उसके जीवनी के बारे महाराणा प्रताप का इतिहास के आज हम अध्धयन करेंगे | ये भी पढ़े : – महाराणा प्रताप का इतिहास महाराणा प्रताप का इतिहास | History of Maharana Pratap महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई 1540 ईस्वी में हुआ था | उसके बचपन का नाम किका था | प्रताप के पिता का नाम उदय सिंह था एवं माता का नाम जयंता बाई था | प्रताप राणा सांगा के पौत्र थे | राजस्थान राज्य के उदयपुर जिले में मेवाड़ में राजपूतो का महत्वपूर्ण स्थान है | इस वीर भूमि पर महाराणा प्रताप जैसे वीर योध्धा का जन्म हुआ था | महाराणा प्रताप उदयपुर के मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के राजा थे | उसके कुल देवता एकलिंग महादेव थे | मेवाड़ के संस्थापक गौरव बाप्पा रावल ने इस मंदिर का निर्माण 8 वी शताब्दी में करवाया था | एकलिंग महादेव का मंदिर राजस्थान राज्य के उदयपुर जिले में स्थित है | महाराणा प्रताप का राज्य अभिषेक ( महाराणा प्रताप का इतिहास ) महाराणा प्रताप का राज्य अभिषेक गोगुन्दा में हुआ था | युद्ध की विभीषिका के बिच राणा उदयपुर ने चित्तोड़ छोड़कर अरावली पर्वत पर शहर बचाया | उसका नाम उदयपुर रखा गया | जो मेवाड़ की राजधानी बनी | राणा उदय सिंह ने अपनी मृत्यु के समय भटियानी रानी के छोटे पुत्र जगमाल के राजा बनाया था | महाराणा प्रताप का इतिहास महाराणा प्रताप बड़े पुत्र थे | और वे स्वाभाविक उत्तराधिकारी थे | राणा उदय सिंह के जगमाल को राजा बनाने पट सरदारों...

महाराणा प्रताप : मुगुलों को छटी का दूध याद दिलाने वाले वीर राजपूत देशभक्त

लेख सारिणी • • • • • • • • • • • महाराणा प्रताप का इतिहास – Maharana Pratap History महाराणा प्रताप के नाम से भारतीय इतिहास गुंजायमान हैं. यह एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने मुगुलों को छटी का दूध याद दिला दिया था. इनकी वीरता की कथा से भारत की भूमि गोरवान्वित हैं. महाराणा प्रताप मेवाड़ की प्रजा के राणा थे. वर्तमान में यह स्थान राजिस्थान में आता हैं.प्रताप राजपूतों में सिसोदिया वंश के वंशज थे.यह एक बहादुर राजपूत थे जिन्होंने हर परिस्थिती में अपनी आखरी सांस तक अपनी प्रजा की रक्षा की. इन्होने सदैव अपने एवम अपने परिवार से उपर प्रजा को मान दिया.एक ऐसे राजपूत थे जिसकी वीरता को अकबर भी सलाम करता था.महाराणा प्रताप युद्ध कौशल में तो निपूर्ण थे ही लेकिन वे एक भावुक एवम धर्म परायण भी थे उनकी सबसे पहली गुरु उनकी माता जयवंता बाई जी थी. महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा उदयसिंह के पुत्र थे | महाराणा प्रताप बचपन से ही वीर और साहसी थे| उन्होंने जीवन भर अपनी मातृभूमि की रक्षा और स्वाभिमान के लिए संघर्ष किया | जब पूरे हिन्दुस्तान में अकबर का साम्राज्य स्थापित हो रहा था,तब वे 16वीं शताब्दी में अकेले राजा थे जिन्होंने अकबर के सामने खड़े होने का साहस किया| वे जीवन भर संघर्ष करते रहे लेकिन कभी भी स्वंय को अकबर के हवाले नहीं किया | यह भी जरूर पढ़े – महाराणा प्रताप का कद साढ़े सात फुट एंव उनका वजन 110 किलोग्राम था| उनके सुरक्षा कवच का वजन 72 किलोग्राम और भाले का वजन 80 किलो था| कवच, भाला, ढाल और तलवार आदि को मिलाये तो वे युद्ध में 200 किलोग्राम से भी ज्यादा वजन उठाए लड़ते थे| आज भी महाराणा प्रताप का कवच, तलवार आदि वस्तुएं उदयपुर राजघराने के संग्रहालय में सुरक्षित रखे हुए है| महाराणा प्रताप जीवन कहानी – Maharana P...

महाराणा प्रताप का जीवन परिचय, इतिहास, कहानी और उनकी मृत्यु

महाराणा प्रताप की कथा पढ़ने में आपको बेहद आनंद आयेगा| महाराणा प्रताप और मुगलों के बिच हुए घमासान युद्ध की कहानी में महाराणा प्रताप जी ने मुगलों को धुल चटाई थी जिसे आज पूरा भारतवर्ष अच्छी तरह जानता है. मेवाड़ के वीर योद्धा महाराणा प्रताप की बात ही निराली है| महाराणा प्रताप का जीवन परिचय हिंदी में महाराणा प्रताप का नाम इतना प्रसिद्ध है की हर जगह जब वीर योधाओं की बात होती है तो महाराणा प्रताप जी का भी नाम सामने आता है, महाराणा प्रताप की वीरता की कहानी से भारत की भूमि गर्व से हरी भरी है| महाराणा प्रताप मेवाड़ के प्रजा के राजा थे. महाराणा प्रताप एक ऐसे वीर योद्धा थे जो हमेशा अपनी प्रजा के हित के लिए सोचते थे और अपनी प्रजा की रक्षा के लिए हमेशा दुश्मनों से युद्ध करने लिए हमेशा तत्पर रहते थे. प्रजा उनके शाशन में हमेशा खुश रहती थी| महाराणा प्रताप ने मुगलों से कई बार युद्ध करा है| महाराणा प्रताप राजपूतों में सिसोदिया वंश के वशंज थे. महाराणा प्रताप बहादुर राजपूत थे जिनकी वीरता को पूरा देश भी सलाम करते थे| महाराणा प्रताप युद्ध कौशल में निपूर्ण थे ही लेकिन वे एक भावुक और धर्म की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे| महाराणा प्रताप की सबसे पहली गुरु उनकी माता जयवंता बाई जी थीं. महाराणा प्रताप का इतिहास – महाराणा प्रताप जयंती पूरा नाम : महाराणा प्रताप सिंह (राजपूत) महाराणा प्रताप के पिता का नाम : श्री राणा उदय सिंह जी महाराणा प्रताप की माता का नाम : श्रीमती जयवंता बाई जी महाराणा प्रताप की पत्नी का नाम : श्रीमती अजब्देह महाराणा प्रताप का जन्म : 09 मई 1540 को महाराणा प्रताप की मृत्यु : 29 जनवरी 1597 महाराणा प्रताप का पुत्र : श्री अमर सिंह और भगवान दास महाराणा प्रताप के घोडे का नाम : चेतक मह...

History Of Maharana Pratap In Hindi

भारत एक ऐसा महान देश है, जहां पर शूरवीरों की कोई कमी नहीं है। इतिहास के पन्नों को यदि उठाकर देखें तो ऐसे कई महान योद्धा मिल जायेंगे जिनका लोहा दुनिया आज भी मानती है और इनकी वीरता का डंका दूर दूर तक बजा करता था। महाराणा प्रताप भी एक ऐसे ही योद्धा हैं जिनके पराक्रम की गाथा इतिहास के पन्नों पर अमर है। महाराणा प्रताप का इतिहास (history of Maharana Pratap in hindi) जानने के लिए लोग आज भी उत्सुक रहते है। महाराणा प्रताप का इतिहास (history of maharana pratap in hindi) इसको लेकर कई फिल्में, सीरियल्स और पुस्तकें भी लिखी गयी है तथा आज भी लोग उनकी गाथाओं को बड़ी उत्सुकता से सुनते और देखते है। यदि आप भी जानना चाहते है कि महाराणा प्रताप कौन थे और उन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए किस तरह अपना योगदान दिया ? तो इस लेख के जरिये आपको इसकी जानकारी मिल सकेगी। जानते है महाराणा प्रताप का इतिहास (history of Maharana Pratap in hindi) विस्तार से। महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) महाराणा प्रताप का इतिहास (history of Maharana Pratap in hindi) पराक्रम, शौर्य और साहस से भरा हुआ है। महाराणा प्रताप युद्ध कौशल में निपुण थे जिसके चलते उन्होंने कई युद्ध जीते। वह जिस भी कार्य को करने का संकल्प लेते, उसे पूरा किये बिना पीछे नहीं हटते थे। महाराणा प्रताप का इतिहास जानने से पहले यह जान लेते है कि वह कौन थे ? और कहाँ राज्य करते थे ? महाराणा प्रताप कौन थे? Maharana Pratap Kaun The? महाराणा प्रताप उदयपुर मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे, जो अपनी वीरता और शौर्य के लिए जाने जाते थे। महाराणा प्रताप ने अपने युद्ध कौशल से मुगलों को अनेकों बार पराजित किया है । महाराणा प्रताप के शासन काल में दिल्ली पर अकबर का शासन था। अक...

महाराणा प्रताप की कहानी

3/5 - (2 votes) Maharana Pratap In Hindi : महाराणा प्रताप उत्तर-पश्चिमी भारत के एक प्रसिद्ध राजपूत योद्धा (Rajput Warrior) और राजस्थान में स्थित मेवाड़ (Mewar) के राजा थे। वे सबसे महान राजपूत योद्धाओं में से एक थे जो अपने क्षेत्र को जीतने के लिए मुगल शासक अकबर के प्रयासों को असफल करने के लिए पहचाने जाते हैं। अन्य पड़ोसी राजपूत शासकों के विपरीत, महाराणा प्रताप ने बार-बार शक्तिशाली मुगलों से संधि करने से मना कर दिया और अंतिम सांस तक (Last Breath) वे साहसपूर्वक लड़ते रहे। वे परिश्रम और राजपूत वीरता (Rajput Gallantry) के प्रतीक माने जाने वाले एकमात्र राजपूत योद्धा थे, जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर से लोहा लिया। उन्हें राजस्थान में एक नायक के रूप में सम्मानित किया जाता है। Tabel Content • • • • • • • 1. महाराणा प्रताप का बचपन और प्रारंभिक जीवन – Childhood And Early Life Of Maharana Pratap In Hindi महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ किले (Kumbhalgarh Fort) में जयवंता बाई और उदय सिंह द्वितीय के यहाँ हुआ था। उनके तीन छोटे भाई और दो सौतेले भाई थे। उनके पिता, उदय सिंह द्वितीय, मेवाड़ के राजा (King Of Mewar) थे और उनकी राजधानी (Capital) चित्तौड़ थी। 1567 में, मुगल सेनाओं ने मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ को घेर लिया। मुगल सेनाओं से लड़ने के बजाय, उदय सिंह ने राजधानी छोड़ दी और अपने परिवार को गोगुंडा (Gogunda) स्थानांतरित कर दिया। हालाँकि प्रताप ने इस फैसले का विरोध (Resist) किया और वापस आने पर जोर दिया, लेकिन उनके बुजुर्गों ने उन्हें समझाया कि वह जगह छोड़ना सही निर्णय था। 1572 में, उदय सिंह के निधन (Demise) के बाद, रानी धीर बाई (Rani Dheer Bai) ने जोर देकर कहा कि उदय सिंह के बड़े ...

महाराणा प्रताप की कहानी (कथा)

महाराणा प्रताप को राजपूत वीरता, शिष्टता और दृढ़ता की एक मिसाल माना जाता है। दुश्मनों के सामने सिर्फ महाराणा प्रताप का नाम लेने भर से सेना के पसीने छूट जाते थे। एक ऐसा राजा जो विषम से विषम परिस्थिति में किसी के आगे झुका नहीं। महाराणा प्रताप को जितना उनकी बहादुरी के लिए जाना जाता है, उतनी ही उनकी दरियादिली और प्रजा व राज्य से उनका प्रेम जगजाहिर है। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि प्रताप निहत्थे दुश्मन के लिए भी एक तलवार रखते थे। महाराणा प्रताप (महाराणा प्रताप की कहानी इन हिंदी) पर बहुत सी फिल्में और धारावाहिक बने। कई शोध हुए और उन पर किताबें भी लिखी गई। आज भी प्रताप की गौरव गाथा बच्चों को पढ़ाई जाती है। ताकि उनकी भी रगों में महाराणा प्रताप की तरह देशभक्ति और बहादुरी का प्रवाह बना रहे। आइए नजर डालते हैं भारत का वीर पुत्र कहा जाने वाले महाराणा प्रताप की जीवन कथा हिंदी में (maharana pratap ki kahani)। तो चलिए जाने महाराणा प्रताप की कहानी इन हिंदी और उनकी शौर्य गाथा से जुड़ें विचारों के बारे में। Table of Contents • • • • • • • • • महाराणा प्रताप कौन थे महाराणा प्रताप (maharana pratap itihas) मेवाड़ के महान हिंदू शासक थे। वे उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। वे अकेले ऐसे वीर थे, जिसने मुग़ल बादशाह अकबर की अधीनता किसी भी प्रकार स्वीकार नहीं की। वे हिन्दू कुल के गौरव को सुरक्षित रखने में सदा तल्लीन रहे। वीरता और आजादी के लिए प्यार तो राणा के खून में समाया था क्योंकि वह राणा सांगा के पोते और उदय सिंह के पुत्र थे। राजस्थान के मध्यकालीन इतिहास का सबसे चर्चित युद्ध हल्दीघाटी का युद्ध था जो मुगल बादशाह अकबर और महराणा प्रताप के बीच हुआ था। अकबर और महाराणा प्रताप (maharana pratap ...