महात्मा बुद्ध

  1. महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय
  2. गौतम बुद्ध पर निबंध Essay on Gautam Buddha in Hindi
  3. The Buddha
  4. बौद्ध दर्शन
  5. गौतम बुद्ध के उपदेश
  6. पुलिस सुरक्षा में महात्मा बुद्ध की प्रतिमा, ब्राह्मण समाज का कहना
  7. महात्मा गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी जो जीवन में एक महत्वपूर्ण संदेश देती है : Web Bharti » Web Bharti
  8. गौतम बुद्ध


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महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय

माता का नाम-महामाया महात्मा बुद्ध विश्व के प्रसिद्द धर्म सुधारकों एवं दार्शनिकों में अग्रणी महात्मा बुद्ध (जन्म 563 ईस्वी पूर्व) के जीवन की घटनाओं का विवरण अनेक बौद्ध ग्रन्थ जैसे- ललितबिस्तर, बुद्धचरित, महावस्तु एवं सुत्तनिपात से ज्ञात होता है। भगवान बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी वन में 563 ईस्वी पूर्व. में हुआ था। महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। महात्मा बुद्ध के पिता शुद्धोधन था जो शाक्य राज्य कपिलवस्तु के शासक थे। इनकी माता का नाम महामाया था जो देवदह की राजकुमारी थी। महात्मा बुद्ध अर्थात सिद्धार्थ (बचपन का नाम) के जन्म के सातवें दिन माता महामाया का देहान्त हो गया था , अतः उनका पालन-पोषण उनकी मौसी व विमाता प्रजापति गौतमी ने किया था। सिद्धार्थ बचपन से ही एकान्तप्रिय , मननशील एवं दयावान प्रवृत्ति के थे। जिस कारण इनके पिता बहुत चिन्तित रहते थे। उपाय स्वरूप सिद्धार्थ की 18 वर्ष की आयु में गणराज्य की राजकुमारी यशोधरा से शादी करवा दी गई। विवाह के कुछ वर्ष बाद एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम राहुल रखा गया। समस्त राज्य में पुत्र जन्म की खुशियां मनाई जा रही थी लेकिन सिद्धार्थ ने कहा , आज मेरे बन्धन की श्रृंखला में एक कडी और जुड गई। यद्यपि उन्हें समस्त सुख प्राप्त थे , किन्तु शान्ति प्राप्त नही थी। चार दृश्यों (पद्ध, रोगी, मतव्यक्ति एवं सन्यासी) ने उनके जीवन को वैराग्य के मार्ग की तरफ मोङ दिया। गौतम बुद्ध विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक बौद्ध धर्म के प्रवर्तक थे। शाक्य नरेश सिद्धार्थ विवाहोपरांत नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा , मरण और दु:खों से मुक्ती दिलाने के मार्ग की तलाश में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधन...

गौतम बुद्ध पर निबंध Essay on Gautam Buddha in Hindi

इस लेख में हमने गौतम बुद्ध पर निबंध (Essay on Gautam Buddha in Hindi) बेहद सरल व आकर्षक रूप से लिखा है। इसमें गौतम बुद्ध का जन्म,प्रारंभिक जीवन,शिक्षा दीक्षा,उपदेस,मृत्यु,तथा 10 लाइन के बरे मे लिखा गया है। भगवान बुद्ध ने मानव समाज को जीने की नई दिशा दिखाई इसलिए बुद्ध के जीवन पर निबंध कक्षा 5 से कक्षा 12 तक परीक्षाओं में विभिन्न रूपों से पूछ लिया जाता है। Table of Contents • • • • • • • • • प्रस्तावना गौतम बुद्ध पर निबंध (Essay on Gautam Buddha in Hindi) ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध के पीछे उनके भक्तों का एक जन सैलाब उमड़ पड़ा था जो आगे चलकर भिक्षु और उनके अनुयायियों में परिवर्तित हो गए और पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया। इसी कारण बोधिसत्व दुनिया के कई देशों में लोगों को जीवन जीने की कला सिखा रहा है। गौतम बुद्ध ने जब लोगों को कुरीति वश धर्म का आडंबर करते देखा तो उन्होंने कड़े शब्दों में कटाक्ष किया। एक बार महात्मा बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के लिए गांव गांव में विचरण कर रहे थे तभी उनकी नजर कुछ लोगों द्वारा दी जा रही उन लोगों ने उन्हें बताया की उनका ईश्वर उन्हें ऐसा करने के लिए कहता है। तब उन्होंने तुरंत कहा कि अगर तुम्हारा ईश्वर तुम्हें बेजुबान की जान लेना सिखाता है तो ऐसे ईश्वर को मानने की कोई जरूरत नहीं। आज भी दुनिया का एक बड़ा वर्ग ध्यान और साधना के लिए बौद्ध क्रियाकलापों को पसंद करता है क्योंकि इनमें भौतिक अवलंबन के स्थान पर आत्मा पर विश्वास की अधिकता होती है। गौतम बुद्ध का जन्म Birth of Gautam buddha in Hindi गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसवी पूर्व वर्तमान नेपाल के कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी में हुआ था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन था जो क्षत्रिय राजा थे। उनके जन...

The Buddha

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बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन (श्रावक - संस्कृत ) या सावक ( पाली ) का अर्थ है "सुनने वाला" या, अधिक सामान्यतः, "शिष्य"। इस शब्द का प्रयोग बौद्ध धर्म और जैन धर्म में किया जाता है ।' से अभिप्राय उस बुद्ध के उपदेश तीन पिटकों में संकलित हैं। ये सम्पूर्ण एशिया के देशों में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ। भगवान बुद्ध के अनुयायियों में मतभेद के कारण कई संप्रदाय बन गए। जो स्थविरवाद और महायान के रूप में विकसित हुए। सिद्धांतभेद के अनुसार बौद्ध परंपरा में चार दर्शन प्रसिद्ध हैं। इनमें वैभाषिक मत बाह्य वस्तुओं की सत्ता तथा स्वलक्षणों के रूप में उनका प्रत्यक्ष मानता है। अत: उसे बाह्य प्रत्यक्षवाद अथवा "सर्वास्तित्ववाद" कहते हैं। सैत्रांतिक मत के अनुसार पदार्थों का प्रत्यक्ष नहीं, अनुमान होता है। अत: उसे बाह्यानुमेयवाद कहते हैं। योगाचार मत के अनुसार बाह्य पदार्थों की सत्ता नहीं। हमे जो कुछ दिखाई देता है वह विज्ञान मात्र है। योगाचार मत विज्ञानवाद कहलाता है। माध्यमिक मत के अनुसार विज्ञान भी सत्य नहीं है। सब कुछ शून्य है। शून्य का अर्थ निरस्वभाव, नि:स्वरूप अथवा अनिर्वचनीय है। शून्यवाद का यह शून्य वेदांत के ब्रह्म के बहुत निकट आ जाता है। अनुक्रम • 1 संक्षिप्त परिचय • 1.1 वैभाषिक सम्प्रदाय (बाह्यार्थ प्रत्यक्षवाद) • 1.2 सौत्रान्तिक सम्प्रदाय (बाह्यार्थानुमेयवाद) • 1.3 योगाचार सम्प्रदाय (विज्ञानवाद) • 1.4 माध्यमिक सम्प्रदाय (शून्यवाद) • 1.5 क्षणिकवाद • 1.6 प्रतीत्यसमुत्पाद • 2 इन्हें भी देखें • 3 बाहरी कड़ियाँ संक्षिप्त परिचय [ ] बौद्ध दर्शन अपने प्रारम्भिक काल में 1. दुःख- संसार दुखमय है। 2. दुःखसमुदाय दर्शन- दुख उत्पन्न होने का कारण है (तृष्णा) 3. दुःखनिरोध- दुख का निवारण संभव है 4. दुःखनिरोधमार्ग- दुख निवारक मार्...

गौतम बुद्ध के उपदेश

महात्मा गौतम बुद्ध के उपदेश Gautam Buddha Quotes in Hindi अनुभव के आग में तप कर सामने आए हैं। इसीलिए गौतम बुद्ध के उपदेश Gautam Buddha Updesh in Hindi किसी खज़ाने से कम नहीं। गौतम बुद्ध विचार Gautam Buddha Thoughts in Hindi आज भी बेहद प्रासंगिक हैं। वे हमें इस संसार में राह दिखाते हैं। अगर हम महात्मा बुद्ध के उपदेश, Gautam Buddha Quotes Hindi, बुद्ध के विचार , Gautam Buddha Suvichar in Hindi को पढ़कर उन्हें अपने जीवन में अपनाएं तो अपना जीवन सफल बना सकते हैं। साथ ही हम बुद्धा कोट्स, Mahatma Budh ki Shiksha in Hindi, बुद्ध के उपदेश, Bhagwan Buddha ke Vichar के द्वारा हम दूसरों का भी कल्याण कर सकते हैं। तो फिर देर किस बात की, आप भी गौतम बुद्ध के उपदेश Gautam Buddha Quotes in Hindi को पढ़ें और इन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न करें। एक पल एक दिन को बदल सकता है, एक दिन एक जीवन को बदल सकता है, और एक जीवन इस दुनिया को बदल सकता है। क्रोध को प्यार से, बुराई को अच्छाई से, स्वार्थी को उदारता से और झूठे व्यक्ति को सच्चाई से जीता जा सकता है। जिस व्यक्ति का मन शांत होता है, जो व्यक्ति बोलते और अपना काम करते समय शांत रहता है, वह वही व्यक्ति होता है जिसने सच को हासिल कर लिया है और जो दुःख-तकलीफों से मुक्त हो चुका है। जो व्यक्ति अपना जीवन को समझदारी से जीता है उसे मृत्यु से भी डर नहीं लगता। अज्ञानी आदमी एक बैल के समान है। वह ज्ञान में नहीं, आकार में बढ़ता है। क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है, इसमें आप ही जलते हैं। ईर्ष्या और नफरत की आग में जलते हुए इस संसार में खुशी और हंसी स्थाई नहीं हो सकती। अगर आप अँधेरे में डूबे हुए हैं, तो आप रौश...

पुलिस सुरक्षा में महात्मा बुद्ध की प्रतिमा, ब्राह्मण समाज का कहना

जिला मुख्यालय पर अन्वेक्षण भवन के सामने स्थित पार्क में महात्मा बुद्ध की प्रतिमा को लेकर विवाद होने पर अब प्रतिमा पुलिस सुरक्षा में है। विवादित स्थल पर पुलिस गार्ड तैनात कर दिए गए है। इस मामले को लेकर एक पक्ष के ब्राह्मण समाज के लोगों ने गौतम आश्रम में बैठक कर प्रतिमा हटवाने की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। अनुसूचित जाति के विभिन्न संगठनों के लोगों ने अन्वेक्षण भवन के सामने स्थित पार्क में महात्मा बुद्ध की प्रतिमा स्थापित कर अनावरण की तैयारी कर ली थी। इसके लिए भारी संख्या में महात्मा बुद्ध के अनुयायी जमा हुए। इसका पता चलते ही ब्राह्मण समाज के लोगों ने भगवान परशुराम के नाम पर पार्क होने पर बुद्ध प्रतिमा अनावरण का विरोध किया तथा प्रतिमा को हटाने की प्रशासन से मांग की। दोनों ही पक्ष पार्क स्थल पर जमा हो गए और नारेबाजी करने लगे। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस पहुंची और दोनों पक्षों को बिठाकर बातचीत की। इसके बाद दोनों पक्षों को दस्तावेज पेश करने का समय देते हुए प्रशासन ने यथास्थिति रखते हुए पार्क को अपने कब्जे में ले लिया। इतना ही नहीं वहां पुलिस जाब्ता भी तैनात कर दिया। पुलिस 24 घंटे बुद्ध प्रतिमा की सुरक्षा में तैनात है। इस त्रिकोणीय पार्क में भगवान बुद्ध की प्रतिमा लगाने के विरोध में ब्राह्मण समाज के लोगों ने बजरिया स्थित गौतम आश्रम में बैठक का आयोजन किया। इसमें समाज के गणमान्य लोगों ने भाग लिया। इसके बाद पार्क से बुद्ध की प्रतिमा हटाने की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ब्राह्मण समाज में बताया कि 5 मार्च 2022 को नगर परिषद की साधारण सभा में सर्वसम्मति से भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापना एवं सर्किल का नाम परशुराम सर्किल प्रस्तावित है जो कि बोर्ड की प्रोस...

महात्मा गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी जो जीवन में एक महत्वपूर्ण संदेश देती है : Web Bharti » Web Bharti

मित्रों आज के इस लेख में महात्मा बुद्ध के दिए विचारों से सीखेंगे की जीवन में असंभव कुछ भी नहीं होता ! अगर जीवन में आपको लगने लगा है कि मैंने बहुत सारे बुरे कार्य किये है और अब इन गलतियों को सुधारा नहीं जा सकता है, तो एक बार आपको महात्मा गौतम बुद्ध के जीवन में घटित इस कहानी को एक बार जरूर पढ़नी चाहिए ! एक समय की बात है महात्मा बुद्ध श्रावस्ती के निकट एक गांव में भिक्षाटन के लिए पहुंचें ! जैसे ही गांव के अंदर प्रवेश किया तो देखा कि पूरे गांव में जैसे सन्नाटा सा छाया हुआ है ! आस-पास दूर-दूर तक एक भी व्यक्ति नहीं दिखाई दे रहा था ! महात्मा बुद्ध गांव के द्वार पर जा-जा कर भिक्षाम देही कहता है, परंतु भीतर से कोई भी व्यक्ति बाहर नहीं आता ! फिर बुद्ध दूसरे द्वार पर जाकर भिक्षाम देही कहता है, लेकिन कोई भी दरवाजा नहीं खोलता, फिर बुद्ध तीसरे घर जाता है वहाँ भी यही सिलसिला होता है, तभी अचानक एक दरवाजा खुलता है जिससे एक वृद्ध व्यक्ति बाहर निकलता है और बुद्ध का हाथ पकड़ कर अंदर की ओर ले जाता है और बुद्ध से कहता है की क्षमा करें तथागत। वह व्यक्ति बुद्ध से कहता है इस वक़्त मैं बाहर नहीं जा सकता क्योकिं उंगलिमाल को श्रावस्ती की सिमा के अंदर देखा गया है | जिसके डर से सभी गांव वाले डरकर अपने घरों में छिप गए है और खिड़की दरवाजे बंद कर रखें है ! तभी तथागत बुद्ध ने उस व्यक्ति से पूछा ये अंगुलिमाल कौन है ? जिसके डर से पुरे गांव वाले डरकर घर में छिपें हुए है, वृद्ध व्यक्ति कहता है कि उंगलिमाल एक खूंखार राक्षस है जिसके भय से सभी लोग अपने अपने घरों में छिपे हुए है ! उसके समीप जो भी मनुष्य मिलता है चाहे वह वृद्ध, बच्चा, स्त्री, पुरुष या सन्यासी कोई भी हो किसी को भी नहीं छोड़ता है | यहाँ तक की महाराजा प्रस...

गौतम बुद्ध

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