महात्मा गांधी का चित्र वीडियो

  1. गांधी और उनके विचार
  2. गृह मंत्री अमित शाह ने महात्मा गांधी के एक भित्ति चित्र का किया अनावरण
  3. क्यों महात्मा गांधी ने नंगे पैर की थी नोआखली यात्रा, पहुंचने पर मुस्लिम बनाने लगे थे टूटे मंदिर, दुर्लभ Video
  4. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवनी Mahatma Gandhi Biography in Hindi
  5. महात्मा गांधी का जीवन मूल्य
  6. महात्मा गांधी का दिल्ली से नाता : अंतिम उपवास तथा शिक्षक गांधी
  7. महात्मा गांधी सामान्य ज्ञान Mahatma Gandhi GK Question Answer
  8. महात्मा गांधी के अस्थिकलश को रामेश्वरम ले जाने वाला वीडियो मिला
  9. साबरमती के संत महात्मा गांधी के आश्रम का इतिहास


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गांधी और उनके विचार

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में महात्मा गांधी और उनके विचारों का उल्लेख किया गया है। साथ ही वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता पर भी चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। जो बदलाव तुम दुनिया में देखना चाहते हो, वह खुद में लेकर आओ -महात्मा गांधी महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि “भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।” गांधी के विचारों ने दुनिया भर के लोगों को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि करुणा, सहिष्णुता और शांति के दृष्टिकोण से भारत और दुनिया को बदलने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने समस्त जीवन में सिद्धांतों और प्रथाओं को विकसित करने पर ज़ोर दिया और साथ ही दुनिया भर में हाशिये के समूहों और उत्पीड़ित समुदायों की आवाज़ उठाने में भी अतुलनीय योगदान दिया। साथ ही महात्मा गांधी ने विश्व के बड़े नैतिक और राजनीतिक नेताओं जैसे- मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा आदि को प्रेरित किया तथा लैटिन अमेरिका, एशिया, मध्य पूर्व तथा यूरोप में सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलनों को प्रभावित किया। महात्मा गांधी - परिचय गांधी जी का जन्म पोरबंदर की रियासत में 2 अक्तूबर, 1869 में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी, पोरबंदर रियासत के दीवान थे और उनकी माँ का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। मात्र 13 वर्ष की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा कपाड़िया से कर दिया गया। गांधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट से प्राप्...

गृह मंत्री अमित शाह ने महात्मा गांधी के एक भित्ति चित्र का किया अनावरण

Gujarat | Union Home Minister Amit Shah unveils the mural of Mahatma Gandhi at the Sabarmati Riverfront, Ahmedabad महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर अमित शाह का ट्वीट - महात्मा गांधी जी ने हर भारतीय के हृदय में स्वदेशी, स्वभाषा और स्वराज की अलख जगाई। उनके विचार और आदर्श सदैव हर भारतवासी को राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे। आज पूज्य बापू की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि देता हूँ। Janta Se Rishta is a leading company in Hindi online space. Launched in 2013, jantaserishta.com is the fastest growing Hindi news website in India, and focuses on delivering around the clock Local,national and international news and analysis, business, sports, technology entertainment, lifestyle and astrology.

क्यों महात्मा गांधी ने नंगे पैर की थी नोआखली यात्रा, पहुंचने पर मुस्लिम बनाने लगे थे टूटे मंदिर, दुर्लभ Video

• • Special Hindi • क्यों महात्मा गांधी ने नंगे पैर की थी नोआखली यात्रा, पहुंचने पर मुस्लिम बनाने लगे थे टूटे मंदिर, दुर्लभ Video क्यों महात्मा गांधी ने नंगे पैर की थी नोआखाली यात्रा, पहुंचने पर कैसे मुस्लिम बनाने लगे थे टूटे मंदिर, दुर्लभ Video 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती है. इस मौके पर पीआईबी ने महात्मा गांधी एक ऐसा वीडियो शेयर किया है जो बेहद दुर्लभ है. नोआखाली में मौजूद महात्मा गांधी Mahatma Gandhi 150th Birth Anniversary : दिन तय नहीं था, लेकिन ये निश्चित था कि जल्द ही भारत को अंग्रेज़ों से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन इस दिन को देखने से पहले भारत में जो हो रहा था उसकी खुद महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) या किसी और ने शायद ही कल्पना की थी. अंग्रेज़ों की ‘फूट डालो और राज करो’ की योजना अपनी चरम कामयाबी की ओर थे. मोहम्मद अली जिन्ना (Mohammad Ali Jinnah) की अलग देश की मांग ने देश के हिंदू और मुस्लिमों को एक दूसरे की जान का दुश्मन बना दिया था. और इसका सबसे पहला शिकार बना था पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) का नोआखली जिला. Also Read: • • • अलग देश के लिए जिन्ना द्वारा सीधी कार्रवाई का फरमान जारी करने के बाद हालात बिगड़ गए. और सबसे पहले इसका नतीजा नोआखली (Noakhali) में देखने को मिला. महात्मा गांधी आज़ादी के बीच जिन रक्त स्नान जैसी आशंकाओं से घिरे थे, उसकी पहली तस्वीर इसी इलाके में सामने आई. आज़ादी से करीब साल भर पहले 1946 में नोआखली में हिंदू-मुस्लिम के बीच सबसे पहले भिड़ंत हुई. ऐसी भिड़ंत जिसने लाशें ही लाशें बिखेर कर रख दीं. हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय की बड़े पैमाने पर जनहानि हुई. कई दिन तक मार काट मची रही. लोग एक दूसरे की जान के दुश्मन हो गए. The finest hour: archival...

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवनी Mahatma Gandhi Biography in Hindi

Table of Content • • • • • • • • • • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवनी Mahatma Gandhi Biography in Hindi भविष्य में जब कभी भी भारतीय आंदोलनों की बात की जाएगी, तो उसमें महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। लगभग सभी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी एक महत्त्वूर्ण चेहरा रहे हैं। उन्होंने न केवल हिंदुस्तान में बल्कि पूरे विश्व में अपने संघर्षों से एक मिसाल कायम किया है। महात्मा गांधी को अहिंसा का पुजारी भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अहिंसात्मक आंदोलन को एक नया दृष्टिकोण दिया। महात्मा गांधी की याद में पूरे भारत में 2 अक्टूबर को ‘ न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में गांधी जी को एक महापुरुष के रूप में देखा जाता है। आजादी के बाद से भारतीय मुद्राओं पर भी गांधी जी की ही फोटो छपी है। [amazon bestseller=”mahatma gandhi books” items=”2″] महात्मा गांधी का प्रारम्भिक जीवन Early Life of Mahatma Gandhi in Hindi मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में एक बहुत ही साधारण हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद्र गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। मोहनदास अपने सभी भाई बहनों में सबसे छोटे थे। जिसके कारण उन्हें बहुत प्यार से पाला पोसा गया था। करमचंद्र जी ब्रिटिश जमाने में गुजरात राज्य के पोरबंदर में दीवान नियुक्त किए गए थे। पुतलीबाई करमचंद्र जी की चौथी पत्नी थी, क्योंकि उनकी तीन पत्नियों की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। मोहनदास के अलावा उनके दो बड़े भाई भी थे, जिनका नाम लक्ष्मीदास और करसनदास था। उनकी एक बहन भी थी, जिनका नाम रालियात बेन था। महात्मा गांधी का शुरुआती जीवन बहुत साधारण रूप से गुज़रा। पुतली बाई घर में धर्म कर्म के कार्य और उप...

महात्मा गांधी का जीवन मूल्य

गांधी एक सृजनशील पाठक थे। उन्होंने अपने समय में प्रचलित सभी धर्म- सिद्धांतों का गहन अध्ययन करते हुए युगधर्म के अनुकूल जीवन- मूल्यों का नवनीत तैयार किया था। इस नवनीत को तैयार करने के दौरान उन्हें पीड़ा और दुविधा के साथ- साथ विपरीत परिस्थितियों से मुक़ाबला करना पड़ा था। वे कष्ट- सहन की प्रक्रिया से गुजरे, साहसिक और कल्पनाशील प्रयोग किए, उनके परिणामों पर चिंतन किया और उससे प्राप्त सहज अंतर्दृष्टि को जीवन- मूल्य के रूप में व्यवस्थित किया। इसमें उनकी सहायता कर रही थी भारतीय आर्ष- दृष्टि जो अपने प्रस्थान बिन्दु पर ही ‘सत्येन धर्म: प्रतिष्ठित:’ का उद्घोष करती है। गांधी के सचिव महादेव देसाई ने 1940 में एक अवसर पर उनसे प्रश्न किया कि हथियारों से लैस शत्रु से आप बिना सैन्य- सेना के कैसे लड़ेंगे? गांधी ने मुस्कराते हुए मानस के लंकाकाण्ड में वर्णित स्यंदन- प्रसंग के जरिये अपनी सेना और जीवन- मूल्य की ओर संकेत किया और कहा – “सौरज धीरज तेहि रथ चाका। सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका।। बल बिबेक दम परहित घोरे। छमा कृपा समता रजु जोरे।। सखा धर्ममय अस रथ जाकें। जीतन कहं न कतहुं रिपु ताकें।।” यह एक सच्चाई है कि गांधी को समझने की असल कुंजी-‘सत्य- अहिंसा और अभय’ इन पंक्तियों में ही छुपी है। इन्हीं के व्याज से हम गांधी के जीवन- मूल्य को समझ सकते हैं। मानस के इस प्रसंग के महज सवा दो सौ शब्दों में ही हमें गांधी की मूल्य- दृष्टि और जीवन- दृष्टि के सूत्र देख सकते हैं। गांधी एक प्रयोगधर्मी व्यक्ति थे। उन्होंने अपने व्यक्तिगत, पेशेवर और राजनीतिक जीवन में अनेक प्रयोग किए। वकालत पेशे में उनका प्रयोग अद्भुत था। उन्होंने तय किया कि वे अदालत में झूठ नहीं बोलेंगे, न्यायाधीश को धोखा नहीं देंगे, गलत मुकदमों को हाथ नहीं ल...

महात्मा गांधी का दिल्ली से नाता : अंतिम उपवास तथा शिक्षक गांधी

महात्मा गांधी के नोआखाली और कोलकाता में सांप्रदायिक दंगों को खत्म करवाने के बारे में बार-बार लिखा जाता है। पर उन्होंने यही काम दिल्ली में भी किया था। अजीब बात है कि इसकी अधिक चर्चा नहीं होती। इसके साथ ही वे दिल्ली में शिक्षक भी बने। उन्होंने दिल्ली के बच्चों को पढ़ाया भी। बाकी शायद ही कहीं वे किसी जगह पर मास्टर जी बने हों! दरअसल, 9 सितंबर, 1947 को गांधी जी शाहदरा रेलवे स्टेशन पहुँचते हैं। वे उसके बाद कभी दिल्ली से गए नहीं। वे पहली बार राजधानी में 12 अप्रैल 1915 को आए थे। तब वे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरे थे। शाहदरा रेलवे स्टेशन में देश के गृह मंत्री सरदार पटेल और स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर उन्हें लेने आए थे। उस वक्त सारे वातावरण में तनाव और निराशा फैली हुई थी। कारण यह था कि देश आजाद होने के साथ-साथ बँटा भी था। बँटने के कारण अनेक शहरों में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे। दिल्ली भी दंगों से अछूती नहीं रही थी।पहाड़गंज,करोलबाग,दरियागंज, महरौली वगैरह को दंगों ने हिला कर रखा दिया था। गांधी जी को शाहदरा रेलवे स्टेशन पर ही सरदार पटेल ने बता दिया कि अब उनका पंचकुईयां रोड की वाल्मीकि बस्ती के वाल्मीकि मंदिर में रहना सुरक्षित नहीं होगा। बापू वहां पर पहले रह चुके थे। नहीं थम रहे थे दंगे बापू को यह भी बताया गया कि अब वाल्मीकि बस्ती में पाकिस्तान से आए शरणार्थी ठहरे हैं। इसलिये उनके लिये वहॉं स्पेस भी नहीं है। पंडित नेहरू भी यही चाहते थे कि बापू किसी सुरक्षित जगह पर ठहरें क्योंकि दिल्ली में दंगे-फसाद थम ही नहीं रहे थे। तब बापू अलबुर्कर रोड (अब तीस जनवरी) पर स्थित बिड़ला हाउस में ठहरने के लिये तैयार हुए। शाहदरा से बिड़ला हाउस तक के सफर में गांधी जी ने जलती दिल्ली को देख लिया थ...

महात्मा गांधी सामान्य ज्ञान Mahatma Gandhi GK Question Answer

Mahatma Gandhi MCQ GK Important Questions | History Gk in hindi | Modern History | UPSC, PSC, Bank, SSC, Railway, NTPC, and Other Competitive Exams महामहात्मा गाँधी से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न | Latest Update 2022 • महात्मा गांधी का जन्म दिवस किस तिथि को मनाया जाता है- 2 अक्टूबर1869 में • महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या है – मोहन दास करमचंद गांधी • साबरमती आश्रम की स्थापना गांधीजी ने कहाँ की थी अहमदाबाद (1917 में) • गांधीजी अपना राजनीतिक गुरू किसको मानते थे- गोपाल कृष्ण गोखले • गांधीजी जी दक्षिण अफ्रीका से कब लौटे थे- 1915 में • गांधी जी का भारत में सर्वप्रथम आंदोलन कौन-सा था – चम्पारण आन्दोलन • गांधी जी को महात्मा की उपाधि किसने दी थी- रवीद्रनाथ टैगोर • महात्मा गांधी कब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे 1924 में • 1915 ई० में गांधीजी को ब्रिट्रिश सरकार ने किस उपाधि से सम्मानित किया था – कैसर-ए-हिन्द • महात्मा गांधी को ‘अर्धनग्न फकीर’ किसने कहा था – चर्चिल ने • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी को क्या कहा गया था – रिकूटिंग सार्जेन्ट • महात्मा गांधी को सर्वप्रथम किसने राष्ट्रपिता ( Father of the nation) कहकर सम्बोधित किया था – सुभाष चन्द्र बोस • महात्मा गांधी ने सत्याग्रह’ के हथियार का सर्वप्रथम प्रयोग कहाँ किया था – दक्षिण अफ्रीका में • महात्मा गांधी ने भारत में सत्याग्रह’ सबसे पहले कहाँ किया था- चम्पारण में • महात्मा गांधीजी के सत्याग्रह का प्रमुख अस्त्र क्या है- अहिंसा • महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम किस आन्दोलन के दौरान भूख हड़ताल को अपना अस्त्र बनाया- अहमदाबाद आन्दोलन • गांधीजी ने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना कब की थी- 1932 में • यंग इंडिया (पत्र...

महात्मा गांधी के अस्थिकलश को रामेश्वरम ले जाने वाला वीडियो मिला

पुणे. नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया (NFAI) ने शुक्रवार को कहा कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के जीवन और मृत्यु से जुड़ी 30 रील मिली हैं, जो कई घंटे के असंपादित फुटेज हैं. एनएफएआई ने कहा कि फुटेज करीब 6 घंटे के हैं, जिसे पारामाउंट, पाथे, वार्नर, यूनिवर्सल, ब्रिटिश मूवीटोन, वाडिया मूवीटोन जैसे महत्वपूर्ण फिल्म स्टूडियो ने फिल्माए हैं. एक विजुअल में महात्मा गांधी के अस्थिकलश को (तत्कालीन) मद्रास से रामेश्वरम ले जाया जा रहा है. एक अन्य विजुअल में महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी वर्धा के सेवाग्राम आश्रम में दिख रहे हैं. एनएफएआई के निदेशक प्रकाश मगदूम ने कहा, ‘‘यह एनएफएआई के लिए वास्तव में आश्चर्यजनक प्रगति है और ऐसे समय में यह हुआ है जब पूरी दुनिया महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रही है.’’ मगदूम ने कहा कि फुटेज निजी स्रोतों से हासिल किया गया है जिसमें शौकिया संग्रहकर्ताओं से हासिल किए गए फुटेज भी शामिल हैं. दुर्लभ है नम आंखों से महात्मा गांधी के अस्थिकलश के दर्शन कर रहे लोगों का विजुअल प्रकाश मगदूम ने कहा कि खोज का बड़ा पहलू आधे घंटे का फुटेज है जिसमें विशेष ट्रेन के विजुअल्स हैं. इसमें गांधी के अस्थिकलश को (तत्कालीन) मद्रास से रामेश्वरम ले जाया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘विस्मयकारी विजुअल्स में तमिलनाडु के चेट्टीनाड, शिवगंगा, चिदंबरम, मनामादुरई स्टेशन, रामनाड और पुडुकोट्टई स्टेशनों पर हजारों लोगों के उमड़ने के दृश्य हैं. लोगों के हाथ जुड़े हुए हैं और वे नम आंखों से महात्मा गांधी के अस्थिकलश का दर्शन कर रहे हैं.’’ एक विजुअल में दिखे महात्मा गांधी के दूसरे बेटे मगदूम ने कहा कि फुटेज में मरीना बीच पर हजारों लोग महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित हुए हैं और वे झ...

साबरमती के संत महात्मा गांधी के आश्रम का इतिहास

आश्रम परिचय : अहमदाबाद की साबरमती नदी के किनारे लगभ 36 एकड़ में फैले इस आश्रम को देखने दुनियाभर के लोग आते हैं। साबरमती आश्रम 365 दिन खुला रहता है, जहां लोग सुबह 8:30 बजे से शाम 7:30 बजे के बीच कभी भी जा सकते हैं। इस आश्रम के आसपास तीन महत्वपूर्ण स्थल है। एक ओर विशाल पवित्र साबरमती नदी, दूसरी ओर श्मशान घाट और तीसरी ओर जेल है। जब महात्मा गांधीजी अफ्रीका से भारत वापस आ गए तो उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ज्वाइन की और वे अपनी पत्नी के साथ गुजरात में रहना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने अपने मित्र जीवनलाल देसाई के कहने पर उनके कोचरब बंगला में 25 मई 1915 सत्याग्रह आश्रम का निर्माण करवाया। गांधी अपनी पत्नी और करीबियों के साथ यहां रहने लगे। रहने के हिसाब से अच्छा तो था लेकिन यहां खेतवाड़ी, पशु पालन, गैशाला, ग्रामोउद्योग का निर्माण जैसी गतिविधियां करना संभव नहीं था। आश्रम में पहले 40-50 लोगों का गुजारा मुश्किल से होता था लेकिन धीरे-धीरे स्थिति में सुधार होता गया और लोगों की संख्या के साथ सुख-सुविधा बढ़ती गई। यहां शिक्षा के साथ ही कृषि से जुड़ी बातें, मानव श्रम की महत्ता से लोगों को अवगत कराया जाता था। इसके साथ ही गांधीजी ने ग्रामोद्योग और खादी के प्रचलन को बढ़ाने के लिए बहुत कार्य किया। इस आश्रम में गांधीजी चरखा चलाकर खादी के वस्त्र बनाते थे, साथ ही दूसरों को सिखाते भी थे। 12 मार्च 1930 को गांधीजी ने साबरमती आश्रम से लगभग 78 लोगों के साथ दांडी यात्रा की शुरुवात की थी। इस आंदोलन को 'नमक सत्याग्रह' कहा गया। दांडी यात्रा इसलिए कहते हैं क्योंकि साबरमती आश्रम से समुद्र के किनारे बसे शहर दांडी तक उन्होंने यह यात्रा की थी, जो लगभग 241 किलोमीटर की थी। नमक कानून के खिलाफ यह यात्रा उन्होंने 2...