महात्मा गांधी नरेगा 2022

  1. राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (2


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राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (2

राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (2-February-2022)^मनरेगा^(MANREGA) Posted on February 2nd, 2022 नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) योजना के तहत काम की मांग पहले लॉकडाउन के दौरान चरम पर पहुँच गयी थी, जिसमे अब कमी आयी है, लेकिन यह अभी भी महामारी-पूर्व स्तर से अधिक है। इस योजना के तहत काम की सबसे ज्यादा मांग, कामगारों के मूल राज्यों की बजाय, आमतौर पर प्रवासी कामगारों के गंतव्य राज्यों में देखी गयी। संबंधित प्रकरण : ग्रामीण श्रमिकों के समर्थनकारियों का कहना है, मनरेगा योजना के तहत काम की मांग में गिरावट का प्रमुख कारण धन की कमी है, और इन्होने केंद्रीय बजट में योजना के लिए आवंटित राशि में वृद्धि किए जाने का आग्रह किया है। केंद्र सरकार द्वारा पहले लॉकडाउन की शुरुआत में ही योजना के लिए ₹40,000 करोड़ की अतिरिक्त राशि का आवंटन किया गया था। हालांकि, कई राज्यों के पास पहले से ही धन की कमी होने के कारण, वर्ष के अंत तक योजना के तहत कोई अतिरिक्त राशि नहीं बची, जिससे यथार्थ में, काम की मांग को कृत्रिम रूपं से कम करना पड़ा। ‘ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ’ (MGNREGA) : मनरेगा (MGNREGA) को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में एक सामाजिक उपाय के रूप में प्रस्तुत किया गया था। जिसके अंतर्गत ‘काम करने के अधिकार’ (Right to Work) की गारंटी प्रदान की जाती है। इस सामाजिक उपाय और श्रम कानून का मुख्य सिद्धांत यह है, कि स्थानीय सरकार को ग्रामीण भारत में न्यूनतम 100 दिनों का वैतनिक रोजगार प्रदान करना होगा ताकि ग्रामीण श्रमिकों के जीवन स्तर में वृद्धि की जा सके। प्रमुख उद्देश्य: मनरेगा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक परिवार के अकुशल श्र...