महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 पर लेख लिखिए

  1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)
  2. मनरेगा पर निबंध Essay on MGNREGA in Hindi
  3. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
  4. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)
  5. Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act, 2005
  6. राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, २००५


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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (या, एनआरईजीए 42, बाद में इसे “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ‘, एमजीएनआरईजीए के नाम से बदल दिया गया), एक भारतीय श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा उपाय है जिसका उद्देश्य’ कार्य करने का अधिकार ‘है। इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की रोज़गार प्रदान करने के लिए हर परिवार के लिए है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल मैनुअल काम करते हैं। अधिनियम पहली बार पी.व्ही. द्वारा 1991 में प्रस्तावित किया गया था। नरसिंह राव 2006 में, इसे संसद में अंत में स्वीकार किया गया और भारत के 625 जिलों में कार्यान्वित किया गया। इस पायलट अनुभव के आधार पर, एनआरईजीए को 1 अप्रैल, 2008 से भारत के सभी जिलों में शामिल करने के लिए तैयार किया गया था। इस क़ानून को सरकार द्वारा “दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्वाकांक्षी सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक कार्य कार्यक्रम” कहा जाता है। विकास रिपोर्ट 2014, विश्व बैंक ने इसे “ग्रामीण विकास का तारकीय उदाहरण” कहा। मनरेगा को “एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जिसके लिए प्रत्येक परिवार के वयस्क सदस्यों को अकुशल मैनुअल काम करने के लिए स्वयंसेवा किया गया था।” मनरेगा का एक और उद्देश्य है टिकाऊ संपत्तियां (जैसे सड़कों, नहरों, तालाबों, कुओं) का निर्माण करें आवेदक के निवास के 5 किमी के भीतर रोजगार उपलब्ध कराया जाना है, और न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करना है। यदि आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर काम नहीं किया गया है, तो आवेदक बेरोजगार...

मनरेगा पर निबंध Essay on MGNREGA in Hindi

मनरेगा पर निबंध Essay on MGNREGA in Hindi महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (National Rural Employment Guarantee Act, 2005 mgnrega) हैं. जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रो में हर वयस्क को आवेदन करने पर 15 दिनों के अन्दर स्थानीय सार्वजनिक कार्यो में काम दिया जाना हैं. मनरेगा पर निबंध Essay on MGNREGA in Hindi इसी कड़ी में भारत सरकार ने एक जनकल्याण योजना आरम्भ की जिन्हें महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना यानि मनरेगा (MNREGA) कहा जाता हैं. प्रत्येक आम नागरिक को इस योजना के तहत उनकी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर संभव हो पाए हैं. भारत में अपराध की जड़ बेरोजगारी को समझा जाता हैं, एक बेरोजगार व्यक्ति से समाज के लिए अच्छे कार्य की उपेक्षा नही की जा सकती हैं, इस दिशा में मनरेगा बेहद कारगार साबित हुई हैं. तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह नेमहात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत 2 फरवरी 2006 को आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले से शुभारम्भ की.महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के कार्य को कई चरणों के तहत आरम्भ किया गया, जिसका पहला चरण सत्र 2006-07 से शुरू हुआ, जिनमे देश के 27 राज्यों के ऐसे 200 जिलो का चयन किया गया. जहाँ रोजगार की बदहालात थे. Telegram Group अगले ही वर्ष महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना का दूसरा चरण सत्र 2007-08 से आरम्भ किया गया. इस बार देशभर के 130 शहरों को इसके लिए चुना गया. वर्ष 2008 मेंमहात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना एक योजना की बजाय एक अधिनियम के रूप में पारित करवाया गया, जिनके तहत अब न सिर्फ ये एक कार्यक्रम रहा बल्कि लोगों को गारंटी के साथ रोजगार अवसर उपलब्ध करवाने का कार्य किया गया. इन नए प्रावधानों को जोड़ने के साथ ही 2 अक्टूबरः 2009 को इस य...

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए था। [1] इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों। नियत कार्य बल का करीब एक तिहाई महिलाओं से निर्मित है। सरकार एक कॉल सेंटर खोलने की योजना बना रही है, जिसके शुरू होने पर शुल्क मुक्त नंबर 1800-345-22-44 पर संपर्क किया जा सकता है। [2] शुरू में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुनः नामकरण किया गया।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)

टैग्स: • • • • • • • प्रिलिम्स के लिये: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम (1948). मेन्स के लिये: गरीबी, सरकार की नीतियाँ और हस्तक्षेप, विकास से संबंधित मुद्दे, MGNREGA और संबंधित मद्दे चर्चा में क्यों? अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा चार राज्यों (बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश) में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने कोविड-19 प्रेरित लॉकडाउन के कारण हुए आय नुकसान में 20-80% की भरपाई करने में मदद की। • हालाँकि, सर्वेक्षण किये गए 39% परिवारों को कोविड-19 वर्ष में एक भी दिन का काम नहीं मिला, क्योंकि पर्याप्त कार्य का सृजन नहीं हो रहा था। मनरेगा: • परिचय: मनरेगा दुनिया के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है। • योजना का प्राथमिक उद्देश्य किसी भी ग्रामीण परिवार के सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देना है। • वर्ष 2022-23 तक मनरेगा के तहत 15.4 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं। • कार्य का कानूनी अधिकार: पहले की रोज़गार गारंटी योजनाओं के विपरीत मनरेगा का उद्देश्य अधिकार-आधारित ढाँचे के माध्यम से चरम निर्धनता के कारणों का समाधान करना है। • लाभार्थियों में कम-से-कम एक-तिहाई महिलाएँ होनी चाहिये। • मज़दूरी का भुगतान न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948के तहत राज्य में कृषि मज़दूरों के लिये निर्दिष्ट वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी के अनुरूप किया जाना चाहिये। • मांग-प्रेरित योजना: मनरेगा की रूपरेखा का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग यह है कि इसके तहत किसी भी ग्रामीण वयस्क को मांग करने के 15 ...

Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act, 2005

[ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम], 2005 (2005 का अधिनियम संख्यांक 42) [5 सितम्बर, 2005] देश के ग्रामीण क्षेत्रों में गृहस्थियों की आजीविका की सुरक्षा को, प्रत्येक गृहस्थी को, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम सौ दिनों का गारंटीकृत मजदूरी नियोजन उपलब्ध कराकर, वर्धित करने तथा उससे संसक्त या उसके आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए अधिनियम भारत गणराज्य के छप्पनवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो: - अध्याय 1 प्रारंभिक 1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम 1महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम], 2005 है । (2) इसका विस्तार । । । सम्पूर्ण भारत पर है । (3) यह उस तारीख- को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करे ; और विभिन्न राज्यों या किसी राज्य में विभिन्न क्षेत्रों के लिए विभिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी तथा ऐसे किसी उपबंध में, इस अधिनियम के प्रारंभ के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह, यथास्थिति, ऐसे राज्य या ऐसे क्षेत्र में उस उपबंध के प्रवृत्त होने के प्रति निर्देश है : परन्तु यह अधिनियम उस सम्पूर्ण राज्यक्षेत्र को, जिस पर इसका विस्तार है, इस अधिनियम के अधिनियमन की तारीख से पांच वर्ष की कालावधि के भीतर लागू होगा । 2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,- (क) वयस्क" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अठारह वर्ष की आयु पूरी कर ली है ; (ख) आवेदक" से किसी गृहस्थी का प्रमुख या उसके अन्य वयस्क सदस्यों में से कोई अभिप्रेत है, जिसने स्कीम के...

राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, २००५

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (जुलाई 2016) स्रोत खोजें: · · · · भारतीय राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, २००५ योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार शुरु करने के लिए प्रारम्भ की गई। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) 2005 सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है जो गरीबों की जिंदगी से सीधे तौर पर जुड़ा है और जो व्यापक विकास को प्रोत्साहन देता है। यह अधिनियम विश्व में अपनी तरह का पहला अधिनियम है जिसके तहत अभूतपूर्व तौर पर रोजगार की गारंटी दी जाती है। इसका मकसद है ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढाना। इसके तहत हर घर के एक वयस्क सदस्य को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का रोजगार दिए जाने की गारंटी है। यह रोजगार शारीरिक श्रम के संदर्भ में है और उस वयस्क व्यक्ति को प्रदान किया जाता है जो इसके लिए राजी हो। इस अधिनियम का दूसरा लक्ष्य यह है कि इसके तहत टिकाऊ परिसम्पत्तियों का सृजन किया जाए और ग्रामीण निर्धनों की आजीविका के आधार को मजबूत बनाया जाए। इस अधिनियम का मकसद सूखे, जंगलों के कटान, मृदा क्षरण जैसे कारणों से पैदा होने वाली निर्धनता की समस्या से भी निपटना है ताकि रोजगार के अवसर लगातार पैदा होते रहें। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) को तैयार करना और उसे कार्यान्वित करना एक महत्त्वपूर्ण कदम के तौर पर देखा गया है। इसका आधार अधिकार और माँग को बनाया गया है जिसके कारण यह पूर्व के इसी तरह के कार्यक्रमों से भिन्न हो गया है। अधिनियम के बेजोड़ पहलुओं में समयबध्द रोजगार गारंटी और 15 दिन के भीतर मजदूरी का भुगतान आदि शामिल हैं। इसके अंतर्गत राज्य...