महर्षि वाल्मीकि किस जाती के थे

  1. Valmiki Jayanti 2017: महर्षि वाल्मीकि ने की थी संस्कृत के पहले श्लोक की रचना, जानिए क्या है पहला श्लोक
  2. Valmiki Jayanti 2019: कौन थे महर्षि वाल्मीकि और किसके कहने पर उन्होंने लिखी थी रामायण, जानिए उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें
  3. महर्षि वाल्मीकि जयंती 2022
  4. रामायण रचयिता महर्षि वाल्मीकि जीवनी व रोचक तथ्य Maharishi Valmiki in Hindi
  5. महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय ( वाल्मीकि जयंती )


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Valmiki Jayanti 2017: महर्षि वाल्मीकि ने की थी संस्कृत के पहले श्लोक की रचना, जानिए क्या है पहला श्लोक

एक पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि बनने से पहले वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था। एक बार रत्नाकर अपने परिवार के पोषण के लिए जंगलों में भटक रहे थे तब उनकी मुलाकात नारद मुनि से हुई। इसके बाद नारद मुनि से रत्नाकर को ज्ञान दिया लेकिन वो समझ नहीं पाए, नारद मुनि ने उन्हें कुछ ऐसी बातें कही कि वो परेशान हो गए। इसके बाद असमंजस में पड़े रत्नाकर ने नारद मुनि को पास ही एक पेड़ से बांधा और अपने घर उस प्रश्न का उत्तर जानने हेतु पहुंच गए| उन्हें जानकर बहुत ही निराशा हुई कि उनके परिवार का एक भी सदस्य उनके कर्मों का उत्तरदायी बनने को तैयार नहीं था। सबने कहा कि कर्म वो कर रहे हैं तो उत्तरदायी भी वही होंगे। घरवालों काे जवाब सुनने के बाद रत्नाकर वापस लौटे, नारद मुनि को खोला और उनके चरणों पर गिर गए। तत्पश्चात नारद मुनि ने उन्हें सत्य के ज्ञान से परिचित करवाया और उन्हें परामर्श दिया कि वह राम-राम का जाप करें। राम नाम जपते-जपते ही रत्नाकर महर्षि बन गए और आगे जाकर महान महर्षि वाल्मीकि के नाम से विख्यात हुए। महर्षि वाल्मीकि भारतीय महाकाव्य रामायण का रचयिता हैं। माना जाता है कि संस्कृत के पहले श्लोक की रचना महर्षि वाल्मीकि ने ही की थी। महर्षी वाल्मीकि के काव्य रचना की प्रेरणा के बारे में उन्होंने खुद लिखा है। हुआ यूँ कि एक बार महर्षि क्रौंच पक्षी के मैथुनररत जोड़े को निहार रहे थे। वो जोड़ा प्रेम में लीन था तभी उनमें से एक पक्षी को किसी बहेलिये का तीर आकर लग गया और उसकी वहीं मृत्यु हो गई। ये देख महर्षि बहुत ही दुखी और क्रोधित हुए। इस पीड़ा और क्रोध में अपराधी के लिए महर्षि के मुख से एक श्लोक फूटा जिसे संस्कृत का पहला श्लोक माना जाता है। वो श्लोक नीचे यूं है- मां निषाद प्रतिष्ठां त्वगम: शाश्वती: समा: । यत्क्र...

Valmiki Jayanti 2019: कौन थे महर्षि वाल्मीकि और किसके कहने पर उन्होंने लिखी थी रामायण, जानिए उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें

Valmiki Jayanti 2019: कौन थे महर्षि वाल्मीकि और किसके कहने पर उन्होंने लिखी थी रामायण, जानिए उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें हर साल आश्विन महीने की शरद पूर्णिमा को वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है. इस साल वाल्मीकि जयंती 13 अक्टूबर को पड़ रही है. क्या आप जानते हैं कि विश्व के पहले महाकाव्य रामायण की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि असल कौन थे, कैसे वो एक आम व्यक्ति से महर्षि वाल्मीकि कहलाए और किसके कहने पर उन्होंने रामायण की रचना की थी. Valmiki Jayanti 2019: वैदिक काल के महान ऋषि महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki) का जन्म शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को हुआ था, इसलिए हर साल आश्विन महीने की शरद पूर्णिमा को वाल्मीकि जयंती (valmiki Jayanti) मनाई जाती है. इस साल वाल्मीकि जयंती 13 अक्टूबर को पड़ रही है. मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का भी प्राकट्य हुआ था. कई भाषाओं के प्रकांड ज्ञानी कहे जाने वाले महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की थी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि विश्व के पहले महाकाव्य वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayan) की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि असल कौन थे, कैसे वो एक आम व्यक्ति से महर्षि वाल्मीकि कहलाए और किसके कहने पर उन्होंने रामायण की रचना की थी. वाल्मीकि जयंती के अवसर पर चलिए जानते हैं महान ऋषि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें. कौन थे महर्षि वाल्मीकि? महर्षि वाल्मीकि के जन्म से जुड़ी ज्यादा जानकारी तो नहीं है, लेकिन प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वे ब्रह्मा जी के मानस पुत्र प्रचेता के पुत्र थे. हालांकि बचपन में ही एक भीलनी ने उनका अपहरण कर लिया था और उनका पालन-पोषण भील परिवार में हुआ था. भील परिवार में परवरिश होने के का...

महर्षि वाल्मीकि जयंती 2022

महर्षि वाल्मीकि सनातन धर्म के प्रमुख ऋषियों में से एक है और हिंदू धर्म का प्रमुख महाकाव्य रामायण की रचना इनके द्वारा ही की गयी थी। पौराणिक कथाओं के आधार अनुसार इनका जन्म आश्विन माह की शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इन्हीं पौराणिक कथाओं से यह भी ज्ञात होता है कि महर्षि बनने से पहले उनका नाम रत्नाकर हुआ करता था। विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों तथा पुराणों की रचना करके उन्होंने जो विशेष योगदान दिया है उसी के कारण हर वर्ष आश्विन माह की शरद पूर्णिमा के दिन को महर्षि वाल्मीकि जयंती के रुप में मनाया जाता है। महर्षि वाल्मीकि जयंती 2023 (Maharshi Valmiki Jayanti 2023) वर्ष 2023 में वाल्मीकि जयंती का पर्व 28 अक्टूबर, शनिवार के दिन मनाया जायेगा। महर्षि वाल्मीकि जयंती क्यों मनाई जाती है? महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है प्रथम काव्य का रचियता। उन्हें आदिकवि कहकर इसलिए संबोंधित किया जाता है क्योंकि उनके द्वारा ही रामायण जैसे प्रथम महाकाव्य की रचना की गई थी। एक महाकवि होने के साथ ही महर्षि वाल्मीकि एक परम ज्ञानी भी थे क्योंकि रामायण में अनेक जगहों पर उन्होंने सूर्य, चंद्रमा तथा नक्षत्रों की सटीक गणना की है। जिससे पता चलता है कि उन्हें ज्योतिष विद्या और खगोल शास्त्र का भी बहुत अच्छा ज्ञान था। कथाओं के अनुसार महर्षि बनने से पहले वाल्मीकि जी का नाम रत्नाकर था और वह एक डाकू थे। एक बार जब उनका सामना नारद मुनि से हुआ और उनकी बांते सुनकर रत्नाकर की आंखे खुल गयी तथा उन्होंने सत्य और धर्म के मार्ग को अपना लिया। अपने घोर परिश्रम तथा तपस्या के बल पर वह रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि बन गये। उनके जीवन की यह कहानी हमें सीख देती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां क्यों ना हो यदि व्...

रामायण रचयिता महर्षि वाल्मीकि जीवनी व रोचक तथ्य Maharishi Valmiki in Hindi

आदि कवी रामायण रचयिता महर्षि वाल्मीकि का जीवन बड़ा ही रोचक व प्रेरणादायक है। आइये आज इस लेख में हम जानें कि कैसे वे डाकू रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि बन गए और रामायण जैसे महाकाव्य की रचना कर डाली। • ज़रूर पढ़ें: महर्षि वाल्मीकि संक्षेप में नाम महर्षि वाल्मीकि जन्म त्रेता युग (भगवान् राम के काल में) अन्य नाम रत्नाकर, अग्नि शर्मा पिता / माता प्रचेता / चर्षणी उपलब्धि आदि कवी, वाल्मीकि रामयण के रचयिता विशेष देवऋषि नारद के कारण डाकू का जीवन त्याग कर कठोर तप किया और डाकू से महर्षि बन गए. वाल्मीकि जयंती तिथि / Maharishi Valmiki Jayanti in Hindi वाल्मीकि जयंती हिन्दू पंचांग अनुसार आश्विनी माह की पुर्णिमा के दिन बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। महर्षि वाल्मीकि आदिकवि के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। उन्हे यह उपाधि सर्वप्रथम श्लोक निर्माण करने पर दी गयी थी। वैसे तो वाल्मीकि जयंती दिवस पूरे भारत देश में उत्साह से मनाई जाता है परंतु उत्तर भारत में इस दिवस पर बहुत धूमधाम होती है। उत्तरभारतीय वाल्मीकि जयंती को ‘ प्रकट दिवस’ रूप में मनाते हैं। वाल्मीकि ऋषि का इतिहास और बाल्यकाल माना जता है कि वाल्मीकि जी महर्षि कश्यप और अदिति के नौंवे पुत्र प्रचेता की संतान हैं. उनकी माता का नाम चर्षणी और भाई का नाम भृगु था. बचपन में उन्हे एक भील चुरा ले गया था। जिस कारण उनका लालन-पालन भील प्रजाति में हुआ। इसी कारण वह बड़े हो कर एक कुख्यात डाकू – डाकू रत्नाकर बने और उन्होंने जंगलों में निवास करते हुए अपना काफी समय बिताया। वाल्मीकि ऋषि परिचय वाल्मीकि ऋषि वैदिक काल के महान ऋषि बताए जाते हैं। धार्मिक ग्रंथ और पुराण अनुसार वाल्मीकि नें कठोर तप अनुष्ठान सिद्ध कर के महर्षि पद प्राप्त किया था। परमपिता ब्रह्मा जी की प्रेरणा और ...

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय ( वाल्मीकि जयंती )

महर्षि वाल्मीकि का संपूर्ण जीवन परिचय आज हम यहां लिखने जा रहे हैं। वाल्मीकि जयंती भारत में महत्त्वपूर्ण दिनों में से एक है और इसी की पूरी जानकारी हम यह उपलब्ध कर रहे हैं। तो आप पढ़ें और अपने विचार नीचे प्रकट करें कमेंट बॉक्स में | भारत ऋषि-मुनियों और संतों तथा महान पुरुषों का देश है। भारत की भूमि पर अनेक महावीर और पराक्रमीयों ने जन्म लेकर भारत की भूमि को गौरवान्वित किया है। भारत की विद्वता इसी बात से सिद्ध होती है कि भारत को सोने की चिड़िया और विश्व गुरु आदि नाम से भी जाना जाता है। यही कारण है कि भारत की शिक्षा, ज्ञान का अनुकरण देश-विदेश में किया जाता रहा है। आदिकाल से ही भारत – भूमि पर ऐसे ऐसे महाकाव्य अथवा ग्रंथों की रचना हुई है, जिसका कोई सानी नहीं है तथा उसके समानांतर कोई साहित्य भी नहीं है। Table of Contents • • • • • • • • महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय महर्षि वाल्मीकि भी एक विद्वान पंडित के रूप में प्रतिष्ठित हैं। जिन्हें अकस्मात ज्ञान की देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है और संस्कृत के श्लोक उनके जिह्वा से प्रस्फुट होने लगती है। ब्रह्मा जी के आग्रह पर बाल्मीकि जी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन से जुड़ा महाकाव्य लिखने के लिए प्रेरित होते हैं। उन्होंने संस्कृत के श्लोकों से रामायण नामक ग्रंथ की रचना की जो देश ही नहीं अपितु विदेश में भी पढ़ा जाता है। रामायण मर्यादित समाज व आत्म संयम , परिवार व समाज निर्माण आदि की शिक्षा देता है। राम चरित्र मानस श्री राम के जीवन का महाकाव्य है। श्री राम अवतारी पुरुष होते हुए भी अपनी मर्यादा का कभी उल्लंघन नहीं करते। शक्ति संपन्न होते हुए भी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कभी नहीं करते। गुरु की आज्ञा व उनके प्रत्येक शब्दों का अक्षरसः पा...