Mishrit krishi ki kinhi char faslon ke naam likhiye

  1. Hindi Mind
  2. कृषि ऋण प्रदान करने वाले चार संस्थाओं के नाम लिखिए। Krishi Rin Pradan Karne Wali Char Sansthaon Ke Naam Likhiye
  3. भारत के राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के नाम तथा स्थापना वर्ष की सूची
  4. छायावादी युग के कवि और उनकी रचनाएं


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कृषि ऋण प्रदान करने वाले चार संस्थाओं के नाम लिखिए। Krishi Rin Pradan Karne Wali Char Sansthaon Ke Naam Likhiye

कृषि ऋण (agricultural loan) प्रदान करने वाली चार मुख्य संस्थाओं के नाम निम्नलिखित हैं— • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक • सहकारी समितियाँ • सहकारी भूमि विकास बैंक • राष्ट्रीय बैंक इनके अतिरिक्त स्वयं सहायता समूह, पैक्सों का गठन, किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से किसानों को वित्तीय मदद उपलब्ध करायी जाती है। by AnjaliYadav

भारत के राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के नाम तथा स्थापना वर्ष की सूची

✕ • जीके हिंदी में • इतिहास • भूगोल • राजनीति • अर्थशास्त्र • विज्ञान • खेल • पुरस्कार और सम्मान • संगठन • भारत • विश्व • महत्वपूर्ण दिवस • सरकारी योजनाएं • आज का इतिहास • करेंट अफेयर्स • जीवनी • प्रसिद्ध आकर्षण • देशों की जानकारी • इतिहास वर्षवार • अंग्रेजी शब्दावली • एसएससी प्रश्नोत्तरी • मौखिक तर्क प्रश्नोत्तरी • गैर-मौखिक तर्क प्रश्नोत्तरी • प्रसिद्ध व्यक्तियों के जन्मदिन • About us • Privacy Policy • YoDiary राजनीतिक दल किसे कहते है? भारत में बहुदलीय प्रणाली बहु-दलीय पार्टी व्यवस्था है जिसमें छोटे क्षेत्रीय दल अधिक प्रबल हैं। राष्ट्रीय पार्टियां वे हैं जो चार या अधिक राज्यों में मान्यता प्राप्त हैं। उन्हें यह अधिकार भारत के चुनाव आयोग द्वारा दिया जाता है, जो विभिन्न राज्यों में समय समय पर चुनाव परिणामों की समीक्षा करता है। इस मान्यता की सहायता से राजनीतिक दल कुछ पहचानों पर अपनी स्थिति की अगली समीक्षा तक विशिष्ट स्वामित्व का दावा कर सकते हैं जैसे की पार्टी चिन्ह। राजनीतिक दलों का पंजीकरण कौन करता है? राजनीतिक दलों का पंजीकरण बाद में 1 दिसम्बर, 2000 को निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन), 1968 में संशोधन की घोषण करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी को राष्ट्रीय दल की मान्यता प्रदान कर दी। इस प्रकार वर्तमान में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की संख्या बढ़कर 5 और राज्य स्तरीय राजनीतिक दल की संख्या 47 हो गई है। इनके अतिरिक्त भारत में पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त 612 राजनीतिक दल हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को मान्यता कैसे प्रदान होती है? राजनीतिक दलों को मान्यता निर्वाचन आयोग द्वारा इसके लिए घोषित "निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) आदेश, 1968 के ...

छायावादी युग के कवि और उनकी रचनाएं

छायावादी कवि और उनकी रचनाएँ छायावाद की कालावधि 1920 या 1918 से 1936 ई. तक मानी जाती है। वहीं इलाचंद्र जोशी, शिवनाथ और प्रभाकर माचवे ने छायावाद का आरंभ लगभग 1912-14 से माना है। द्विवेदी युगीन काव्य की प्रतिक्रिया में छायावाद का जन्म हुआ था।रामचंद्र शुक्ल ने भी लिखा है की ‘छायावाद का चलन द्विवेदी-काल की रुखी इतिवृत्तात्मकता की प्रतिक्रिया के रूप में हुआ था।’ छायावाद का सर्वप्रधान लक्षण आत्माभिव्यंजना है। लिखित रूप में छायावाद शब्द के प्रथम प्रयोक्ता मुकुटधर पांडेय थे, इन्होंने ‘हिंदी में छायावाद’ लेख में सर्वप्रथम इसका प्रयोग किया। यह लेख जबलपुर से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘श्री शारदा’ (1920 ई.) में चार किस्तों में प्रकाशित हुआ था। सुशील कुमार ने भी सरस्वती पत्रिका (1921 ई.) में ‘हिन्दी में छायावाद’ शीर्षक लेख लिखा था। यह लेख मूलतः संवादात्मक निबंध था, इस संवाद में सुशीला देवी, हरिकिशोर बाबू, चित्राकार, रामनरेश जोशी, पंत ने भाग लिया था। आचार्य शुक्ल ने छायावाद का प्रवर्तक मुकुटधर पांडेय और मैथिलीशरण गुप्त को मानते हैं और नंददुलारे वाजपेयी पंत तथा उनकी कृति ‘उच्छ्वास’(1920) से छायावाद का आरंभ माना है। वहीं इलाचंद्र जोशी और शिवनाथ ने ‘जयशंकर प्रसाद’ को छायावाद का जनक मानते हैं। विनयमोहन शर्मा,प्रभाकर माचवे ने ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ को छायावाद का प्रवर्तक माना है। छायावादी युग के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ 1.जयशंकर प्रसाद(1889-1936) छायावादी रचनाएं: झरना (1918), आंसू (1925), लहर (1933), कामायनी (1935) अन्य रचनाएं: उर्वशी (1909), वन मिलन (1909), प्रेम राज्य (1909), अयोध्या का उद्धार (1910), शोकोच्छवास (1910), वभ्रुवाहन (1911), कानन कुसुम (1913), प्रेम पथिक (1913), करुणालय (1913), ...