मनरेगा का शुभारंभ कब हुआ

  1. Manrega: मनरेगा मजदूरी के लिए परेशान मजदूर, अटके 9 करोड़ रुपये, जानें कब तक मिलेंगे पैसे
  2. ‘मनरेगा’ से हासिल हुआ सिर्फ भ्रष्टाचार, 10 साल पूरे हो हुए आज, खर्च हुए 3.13 लाख करोड़ रुपए
  3. मनरेगा योजना क्या है? इसकी शुरुआत कब और क्यों की गयी थी?
  4. पखांजुर: देवपुर पंचायत में मनरेगा कार्य का हुआ शुभारंभ, प्रत्येक मजदूरों को मिलेगा अब नया जॉबकार्ड
  5. मनरेगा अधिनियम कब लागू हुआ था? – ElegantAnswer.com
  6. मनरेगा योजना क्या है और इसका उद्देश्य क्या है? Mnrega Yojana


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Manrega: मनरेगा मजदूरी के लिए परेशान मजदूर, अटके 9 करोड़ रुपये, जानें कब तक मिलेंगे पैसे

नई दिल्ली: देशभर में फैली कोरोना वायरस की दूसरी लहर में सभी जगह कोहराम मचा हुआ है. सभी राज्य सरकारों ने अपने-अपने हिसाब से पाबंदी लगा दी है. इसके अलावा लॉकडाउन की वजह से मजदूरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद पड़ी हुई है. ऐसी स्थिति में मजदूरों के लिए मनरेगा ही एक सहारा बचा है. मनी कंट्रोल की खबर के मुताबिक, मनरेगा (manrega) के मजदूरों को 2 महीने से उनकी मजदूरी नहीं मिली है. आपको बता दें रांची के पश्चिम सिंहभूम में मजदूरों को कई महीने से पेमेंट नहीं दिया गया है. जिले के हर प्रखंड में 60-70 रुपये मजदूरों का पेमेंट बाकी है. मजदूरों को मेहनताना दिलाने के लिए सांसद गीता कोड़ा ने पहल की है. उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को पत्र लिखा है, जिसमें मजदूरों को जल्द ही बकाया पेमेंट करने की अपील की गई है. यह भी पढ़ें: PM Kisan: सरकार ने जारी कर दी किसान निधि की 8वीं किस्त, आपके खाते में पैसे आए या नहीं, इस तरह करें चेक 9 करोड़ रुपये का पेमेंट होना बाकी गीता कोड़ा के मुताबिक, 50 लाख से अधिक रकम मजदूरी के तौर पर फंसी हुई है. कुल मिलाकर करीब 9 करोड़ रुपये मजदूरी के तौर पर पेमेंट होना बाकी है. यह 2 महीने से पेमेंट नहीं हुआ है. बताया जा रहा है कि सूबे में मनरेगा मजदूरों को मार्च 2021 मजदूरी नहीं दी गई है. जल्द कर दिया जाएगा पेमेंट मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य में करीब एक महीने से आयुक्त का पद खाली था, जिसकी वजह से पेमेंट नहीं हुआ. वहीं, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कहा जा रहा है कि जल्द ही मजदूरों का पेमेंट कर दिया जाएगा. मजदूरी नहीं मिलने से मजदूर भी काम में रूचि नहीं ले रहे हैं. यह भी पढ़ें: Indian Railways: ट्रेन से सफर...

‘मनरेगा’ से हासिल हुआ सिर्फ भ्रष्टाचार, 10 साल पूरे हो हुए आज, खर्च हुए 3.13 लाख करोड़ रुपए

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के मंगलवार को 10 साल पूरे हो गए हैं। इस योजना पर अब तक 3.13 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, हालांकि उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, छत्तीसगढ़, मणिपुर जैसे कई राज्यों में इस योजना के कार्यान्वयन को लेकर भ्रष्टाचार और अनियमिताताओं की शिकायतें बाधक के रूप में उभरकर सामने आई हैं। सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2010-11 से 14 सितंबर 2015 के बीच करीब साढ़े पांच साल के दौरान देश के विभिन्न प्रदेशों में मनरेगा योजना के मद में 2.10 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए। इस अवधि में केंद्र की ओर से 1.84 लाख करोड़ रुपए जारी किए गए। मनरेगा के कार्यान्वयन के लिए संपूर्ण खर्च केंद्र और राज्य सरकार करती हैं। इसमें केंद्र और राज्य की देनदारियों का निर्धारण मनरेगा अधिनियम की धारा 22 के प्रावधानों के मुताबिक किया जाता है। आरटीआइ के तहत मिली जानकारी के मुताबिक मनरेगा के कार्यान्वयन को लेकर विभिन्न राज्यों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतें मिलीं। ग्रामीण विकास मंत्रालय से साल 2010 से 2015 के बीच मनरेगा योजना के मद में आबंटन और खर्च के साथ विभिन्न राज्यों में इसके अनुपालन के संबंध में मिली शिकायतों का ब्योरा मांगा गया था। आरटीआइ के तहत प्राप्त जानकारी के मुताबिक मनरेगा के तहत वित्त वर्ष 2010-11 में 39377 करोड़ रुपए, 2011-12 में 37072 करोड़ रुपए, 2012-13 में 39778 करोड़ रुपए, 2013-14 में 38601 करोड़ रुपए, 2014-15 में 36043 करोड़ रुपए और 2015-16 में 14 सितंबर 2015 तक 18780 करोड़ रुपए खर्च किए गए। मनरेगा के तहत देश के कई क्षेत्रों में काम ठेकेदारों के जरिए कराने की खबरों के बारे में एक सवाल के जवाब में म...

मनरेगा योजना क्या है? इसकी शुरुआत कब और क्यों की गयी थी?

|| मनरेगा योजना क्या है? | MNREGA yojana kya hai | MANREGA yojna ke bare mein bataiye | MANREGA yojna kya hai | MGNREGA full form in Hindi | MGNREGA scheme eligibility in Hindi | MGNREGA scheme benefits in Hindi | (MANREGA majduri kitni hai || MNREGA yojana kya hai :- मनरेगा भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जिसके तहत देश के गरीब वर्ग को मजबूत करने का कार्य किया जाता है। अब वैसे तो केंद्र सरकार व राज्य सरकार के द्वारा जनता के कल्याण के उद्देश्य से कई तरह की योजनाएं (MNREGA yojna in Hindi) बनाई जाती है किंतु उसमे से कुछ ही सफल हो पाती है या जमीन पर अपना असर दिखा पाती है। तो उसी में एक योजना है यह मनरेगा योजना जिसके बारे में लगभग हर किसी ने सुन रखा होगा। तो आज का हमारा लेख भी उसी पर ही (MANREGA yojna ke bare mein bataiye) आधारित है क्योंकि आज आपको मनरेगा योजना के बारे में शुरू से लेकर अंत तक सब जानकारी जानने को मिलेगी। मनरेगा एक ऐसी योजना है जिसे शुरू तो कांग्रेस सरकार ने किया था लेकिन इसे राष्ट्रीय स्तर पर हर राज्य की सरकार व बाद की भाजपा सरकार ने भी अपनाए रखा। अभी तक (MANREGA yojna kya h) देश के करोड़ो लोगों को इस योजना का लाभ मिल चुका है। तो आइए जाने यह मनरेगा आखिरकार है क्या और कैसे यह देश के नागरिकों का भला करती है। 1.15 प्रश्न: मनरेगा की 1 दिन की सैलरी कितनी है? मनरेगा योजना क्या है? (MNREGA yojana kya hai) अभी तक आपने कई बार इस मनरेगा योजना का नाम सुना होगा और आपको यह भी पता होगा की यह देश के गरीब वर्ग के लोगों के लिए ही बनाई जाती है किंतु इससे ज्यादा आपको इसके बारे में शायद ही कोई जानकारी हो। तो यहाँ हम आपको मनरेगा योजना के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी दे...

पखांजुर: देवपुर पंचायत में मनरेगा कार्य का हुआ शुभारंभ, प्रत्येक मजदूरों को मिलेगा अब नया जॉबकार्ड

पखांजुर,बिप्लब् कुण्डू। कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक अंतर्गत देवपुर पंचायत में पिछले कार्यकाल में पांच सालों से उपसरपंच द्वरा शासन की महत्वकाशी योजना मनरेगा के तहत आए हुए कार्यो का जॉब कार्ड एवं एटीएम कार्ड उपसरपंच मनोज मंडल के द्वरा रखा गया था एवं मनरेगा के तहत आये लाखो रुपये का बंदरबाट किया गया था। जिसमे फर्जी तरीके सचिव व सरपंच के हस्ताक्षर कर ग्रामीणों के कई फर्जी नाम से जॉब कार्ड बनाकर राशि का बंदरबाट उपसरपंच मनोज मंडल के द्वारा किया गया था जिसके चलते नाराज गरीब ग्रामीण मनरेगा के तहत आये किसी भी कार्य को नही करना चाहते थे। जिसके बाद तत्कालीन सरपंच एवं पांचों द्वरा ग्रामीणों के साथ इस समस्या को देखते हुए पखांजुर एसडीएम एवं जनपद पंचायत के पास उपसरपंच के खिलाफ शिकायत कर जॉब कार्ड हर हितग्राही को बापस करने की मांग की गई थी जिसपर पखांजुर एसडीएम निशा नेताम ने तत्काल नया जॉब कार्ड बनने का आदेश दिया एवं दोषी उपसरपंच पर धारा 40 के तहत करवाई करने की बात कही गई थी। जिसके चलते आज दुबारा देवपुर पंचायत में ग्रामीणों ने मनरेगा के कार्य को करने में अपनी इच्छा जाहिर की है बरहाल देवपुर सरपंच एवं जनपद सदस्य के हाथों नरियल फोड़कर मनरेगा के तहत कार्य का शुभारंभ करते हुए इंजीनियर के द्वरा लेआऊट दिया गया जिससे ग्रामीणों में काफी खुशी का माहौल दिखाई दिया ग्रामीणों ने सरपंच एवं जनपद सदस्य को फूल और मालाओं से नवाजा गया।

मनरेगा अधिनियम कब लागू हुआ था? – ElegantAnswer.com

मनरेगा अधिनियम कब लागू हुआ था? इसे सुनेंरोकेंयह योजना 2 फ़रवरी 2006 को 200 जिलों में शुरू की गई, जिसे 2007-2008 में अन्य 130 जिलों में विस्तारित किया गया और 1 अप्रैल 2008 तक अंततः भारत के सभी 593 जिलों में इसे लागू कर दिया गया। मनरेगा का क्या उद्देश्य है? इसे सुनेंरोकेंमनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण भारत में निवास करने वाले गरीब व कमजोर आय वर्ग के परिवारों को 100 दिनों की रोजगार प्रदान करना है ताकि वे अपनी आजीविका चला सकें। विकास कार्य के साथ साथ आर्थिक मजबूती प्रदान करना। ग्राम पंचायत स्तर पर रोजगार प्रदान करना जिससे रोजगार हेतु अन्य शहरों में होने वाले पलायन को रोका जा सकें। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की प्रमुख विशेषताएं क्या है? इसे सुनेंरोकें(ii) इस अधिनियम का नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम कर दिया गया हैं। (iii) यह अधिनियम प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है। बाद में इस योजना का विस्तार 600 जिलों में कर दिया जायेगा। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कितने जिले में लागू किया गया? इसे सुनेंरोकेंद्वारा 1991 में प्रस्तावित किया गया था। नरसिंह राव 2006 में, इसे संसद में अंत में स्वीकार किया गया और भारत के 625 जिलों में कार्यान्वित किया गया। मनरेगा में कितने दिन का रोजगार मिलता है 2021? इसे सुनेंरोकेंइस योजना के तहत जॉब कार्ड धारियों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों की रोजगार की गारंटी मिलती है। क्या है रोजगार गारंटी योजना? इसे सुनेंरोकेंग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के आजीविका की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक वित्तीय वर्ष में मजदूरी-रोजगार के स...

मनरेगा योजना क्या है और इसका उद्देश्य क्या है? Mnrega Yojana

मनरेगा योजना (MGNREGA Scheme) का पूरा नाम (Full Name) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम है। यहाँ योजना 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। जो भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है। मनरेगा योजना की शुरुआत 2 फ़रवरी 2006 मे आंध्र प्रदेश के बांदावली जिले के अनंतपुर नामक गाँव से हुई थी तब यह योजना 200 जिलों में शुरू की गई, बादमे जिसे 2007-2008 में अन्य 130 जिलों में विस्तारित किया गया और 1 अप्रैल 2008 तक पुरे भारत के सभी 593 जिलों में इसे लागू कर दिया गया। शुरुआत में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कर दिया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। मनरेगा का उद्देश्य क्या है। What is the purpose of MNREGA scheme ? • मनरेगा जिसे नरेगा के नाम से भी जाना जाता है यहाँ योजना गरीब लोगो को रोजीरोटी प्रदान करने के हेतु से लागु किया गया है। • मनरेगा योजना का मुख्य उद्देश्य यह है की ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ावा मिले और यह लोग बेरोजगार न रहे और अपना रोजगार पा सके। • विकास कार्य के साथ साथ आर्थिक मजबूती प्रदान करना। • गरीब परिवारों आजीविका को मजबूत करना और उनकी आय में वृद्धि करना। • मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण भारत में निवास करने वाले गरीब व कमजोर आय वर्ग के परिवारों को 100 दिनों की रोजगारी प्रदान करना है ताकि वे अपनी आजीविका चला सकें...