मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल किससे संबंधित है

  1. Ozone Layer Is Improving Because Of This Know What Is Montreal Protocol
  2. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल क्या है ? [यूपीएससी पर्यावरण और पारिस्थितिकी]
  3. प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल: पृथ्वी शिखर सम्मेलन, क्योटो प्रोटोकॉल और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
  4. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
  5. पर्यावरण से संबंधित प्रमुख सम्मेलन
  6. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल किससे संबंधित है?


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1. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल निम्नलिखित कथनों पर विचार करें • ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, ओजोन परत के संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि है, जिसमें मानव निर्मित रसायनों के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाता है। • इस संधि को हस्ताक्षर के लिए 16 सितंबर 1987 को खोला गया था और यह 1 जनवरी 1989 में प्रभावी हुई, जिसके बाद इसकी पहली बैठक मई, 1989 में हेलसिंकी में हुई। • भारत 19 जून 1994 को ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का एक पक्षकार बन गया था और तभी से भारत ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में संशोधनों की पुष्टि की है। ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा सही है/हैं 4. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन–पाम ऑयल में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें- • यह केंद्र द्वारा प्रायोजित एक नई योजना है और इसका फोकस पूर्वोत्तर के क्षेत्रों तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर है। • खाद्य तेलों की निर्भरता बड़े पैमाने पर आयात पर टिकी है, इसलिये यह जरूरी है कि देश में ही खाद्य तेलों के उत्पादन में तेजी लाई जाये। इसके लिये पाम ऑयल का रकबा और पैदावार बढ़ाना बहुत अहम है। • इस योजना में पहली बार विशेष ध्यान दिया गया केंद्र सरकार इन एफएफबी की कीमत के लिए किसानों को आश्वासन दे रही है। यह व्यवहार्यता मूल्य (वीपी) कहलाएगा, यानी किसानों को कोई घाटा नहीं होने दिया जाएगा। इसके जरिये सीपीओ की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव से किसानों के हितों की रक्षा की जाएगी। ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा सही है/हैं 5. पीएम केयर्स फंड में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें • COVID-19 महामारी के बाद भारत के नागरिकों को सहायता प्रदान करने के लिए 27 मार्च, 2020 को...

Ozone Layer Is Improving Because Of This Know What Is Montreal Protocol

ओजोन परत जो हमारी पृथ्वी को सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी किरणों से बचाती है, उसमें साल 1980 के दशक की शुरुआत में वैज्ञानिकों को अंटार्कटिका के ऊपर एक छेद दिखाई दिया. देखते ही देखते यह छेद बड़ा होने लगा और बाद में इसकी वजह से स्थिति इतनी भयावह हो गई कि अंटार्कटिका के आसपास की जलवायु में गंभीर परिवर्तन देखने को मिलने लगे. जब दुनिया भर के लोगों को इसके नुकसान का असर समझ आने लगा तो तमाम जिम्मेदार एजेंसियां और सरकारों ने मिलकर फैसला किया कि इस पर किसी भी तरह से कंट्रोल किया जाए. इसी के लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल लागू किया गया. क्या होता है मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल दरअसल, ओजोन परत में छेद जब बढ़ने लगा तब दुनिया भर के देशों ने मिलकर एक मॉन्ट्रियल सम्मेलन किया. इस सम्मेलन में नियम बनाए गए कि उन सभी पदार्थों के उत्पादन और उससे संबंधित उपकरणों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, जिसकी वजह से ओजोन परत में छेद हो रहा है. इसे साल 1989 में लागू कर दिया गया और इसी को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल कहा गया. किस वजह से होता है ओजोन परत में छेद वैज्ञानिक मानते हैं कि जब साल 1980 में अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छेद दिखा, उसके बाद कहीं जाकर दुनिया भर के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च करने में दिलचस्पी दिखाने लगे कि आखिर यह हो क्यों रहा है. रिसर्च में पता चला कि यह एक प्रकार के रसायन की वजह से हो रहा है, जिसे ओजोन डिप्लीडिंग सब्सटेंस यानी ओडीएस कहते हैं. इसमें जो प्रमुख होता है वह क्लोरोफ्लोरोकार्बन होता है, इसी की वजह से ओजोन परत में छेद होता है. ओजोन परत का छेद छोटा हो रहा है ओजोन परत को लेकर एक नई रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक, अब उसका छेद धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है यानी कि उसमें सुधार हो रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके ...

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल क्या है ? [यूपीएससी पर्यावरण और पारिस्थितिकी]

Montreal Protocol [UPSC Environment & Ecology] मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल [यूपीएससी पर्यावरण और पारिस्थितिकी] ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक महत्वपूर्ण बहुपक्षीय समझौता है जो ओजोन-क्षयकारी पदार्थों (ओडीएस) के उत्पादन, खपत और उत्सर्जन को नियंत्रित करता है। यह अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलनों और प्रोटोकॉल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह लेख मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की पृष्ठभूमि देता है, ओजोन परत पर कुछ विवरण साझा करता है, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर महत्वपूर्ण बिंदु, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल से जुड़ी सफलताएं, और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के साथ भारत का जुड़ाव। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ओजोन-क्षयकारी पदार्थों के नियमन से संबंधित है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल वर्ष, 1987 में हस्ताक्षर किए, 1989 में लागू हुआ 1970 के दशक के अंत तक, वैज्ञानिक यह साबित करने में सक्षम थे कि एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर और एयरोसोल के डिब्बे में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थ ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रहे थे। 1985 में, अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में एक विशाल छेद की खोज की गई थी। इस छेद ने पराबैंगनी (यूवी) विकिरण के खतरनाक स्तर को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने दिया। 1985 में ओजोन परत के संरक्षण के लिए वियना कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे जिसके तहत संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने ओजोन परत को होने वाले नुकसान को रोकने के महत्व को मान्यता दी थी। कन्वेंशन के प्रावधानों के अनुसार, वियना कन्वेंशन के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए देश मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को अपनाने के लिए सहमत हुए। ओजोन परत क्या है? यह पृथ्वी के समताप मंडल की एक परत है जिसमें ओजोन का उच्च स्तर होता है। यह परत सूर्य की हानिकार...

प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल: पृथ्वी शिखर सम्मेलन, क्योटो प्रोटोकॉल और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल

प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल: पृथ्वी शिखर सम्मेलन, क्योटो प्रोटोकॉल और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल तीन प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल इस प्रकार हैं: वैश्विक शिखर सम्मेलन: पृथ्वी शिखर सम्मेलन में संबोधित मुद्दे हैं: मैं। उत्पादन के पैटर्न की व्यवस्थित जांच, विशेष रूप से विषाक्त घटकों का उत्पादन, जैसे कि गैसोलीन में सीसा, या रेडियोधर्मी रसायनों सहित जहरीला कचरा ii। जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बदलने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन से जुड़े हैं iii। वाहनों के उत्सर्जन, शहरों में भीड़ और प्रदूषित हवा और स्मॉग के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों पर नई निर्भरता iv। पानी की बढ़ती किल्लत पृथ्वी शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षर के लिए जैविक विविधता पर कन्वेंशन खोला गया था, और पैसे की आपूर्ति के उपायों को फिर से परिभाषित करने की दिशा में एक शुरुआत की गई, जो स्वाभाविक रूप से प्राकृतिक इको क्षेत्रों के विनाश और तथाकथित आर्थिक विकास को प्रोत्साहित नहीं करती थी। द अर्थ समिट में निम्नलिखित दस्तावेज सामने आए: ए। पर्यावरण और विकास पर रियो घोषणा ख। कार्यसूची सी। जैविक विविधता पर कन्वेंशन घ। वन सिद्धांत ई। जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC)। जलवायु परिवर्तन पर जैविक विविधता और फ्रेमवर्क कन्वेंशन पर दोनों कन्वेंशन कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौतों के रूप में निर्धारित किए गए थे। क्योटो प्रोटोकोल: क्योटो प्रोटोकॉल यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC या FCCC) का एक प्रोटोकॉल है, जिसका उद्देश्य लड़ाई के दौरान गर्म पानी से लड़ना है। UNFCCC एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि है जो वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस सां...

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल

अनुक्रम • 1 इस संधि के नियम तथा उद्देश्य • 1.1 (क्लोरोफ्लोरोकार्बन सीएफसी (CFCs) चरणबद्ध प्रतिबंध (फेज़ आउट) प्रबंधन योजना • 1.2 हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs) चरणबद्ध प्रतिबंध प्रबंधन योजना (HPMP) • 2 इतिहास • 3 मान्यता • 4 प्रभाव • 5 इन्हें भी देखें • 6 सन्दर्भ • 7 बाहरी कड़ियाँ इस संधि के नियम तथा उद्देश्य [ ] यह संधि प्रत्येक समूह के लिए, संधि एक समय सीमा निर्धारित करती है जिसमे उन पदार्थों का उत्पादन चरणबद्ध रूप से कम होना चाहिए और अंततः समाप्त हो जाना चाहिए. (क्लोरोफ्लोरोकार्बन सीएफसी (CFCs) चरणबद्ध प्रतिबंध (फेज़ आउट) प्रबंधन योजना [ ] संधि के घोषित उद्देश्य के अनुसार हस्ताक्षर करने वाला कहता है: : ...यह मानते हुए कि इस प्रकार के पदार्थों का वैश्विक उत्सर्जन निश्चित रूप से ओज़ोन परत को क्षीण कर सकता है या उसमे इस प्रकार के बदलाव ला सकता है जिसके कारण मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है,... एहतियाती उपायों द्वारा उन पदार्थों के वैश्विक उत्सर्जन पर समान रूप से नियंत्रण करके, जो इसे कमज़ोर करते हैं, ओज़ोन परत का बचाव करने की ठान ली है, तथा अंतिम उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान के विकास के आधार पर इनका उन्मूलन करना है।.. यह स्वीकार करते हुए कि विकासशील देशों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए विशेष प्रावधान की आवश्यकता है।..' • 1991 से 1992 तक, अनुबंध A के ग्रुप I में शामिल नियंत्रित पदार्थों की खपत का स्तर और उत्पादन, 1986 में इन पदार्थों की हुई गणना के अनुसार उत्पादन के स्तर और खपत के 150 प्रतिशत से अधिक न हो; • 1994 से अनुबंध A के ग्रुप I में शामिल नियंत्रित पदार्थों की खपत का स्तर और उत्पादन, 1986 में इन पदार्थों की हुई गणना के अनुसार उत्पादन ...

पर्यावरण से संबंधित प्रमुख सम्मेलन

पर्यावरण से संबंधित प्रमुख सम्मेलन (Major Environmental Conferences) सम्मेलन विशेषता स्टॉकहोम सम्मेलन (Stockholm Convention) • स्टॉकहोम सम्मेलन का आयोजन 5 जून 1972 को स्वीडन के स्टॉकहोम शहर में किया गया था। • स्टॉकहोम सम्मेलन की वर्षगांठ के तौर पर प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का निर्णय 1972 में लिया गया। • स्टॉकहोम सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ जिसका वर्तमान मुख्यालय केन्या देश के नैरोबी शहर में स्थित है। • यह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को स्‍थायी कार्बनिक प्रदूषक (POPs) से बचाने के लिये एक वैश्विक संधि है। • भारत ने 13 जनवरी, 2006 को स्टॉकहोम समझौते की पुष्टि की थी। हेलसिंकी सम्मेलन (Helsinki Convention) • हेलसिंकी सम्मेलन का आयोजन फिनलैंड देश के हेलसिंकी शहर में 1974 में किया गया था। • इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘समुद्री पर्यावरण की रक्षा करना’ रखा गया था। • इस सम्मेलन के विषय (समुद्री पर्यावरण की रक्षा करना) को स्पष्ट रूप से परिभाषित न किये जाने के कारण यह सम्मेलन असफल हो गया। लंदन सम्मेलन (London Convention) • लंदन सम्मेलन का आयोजन ब्रिटेन के लन्दन शहर में 1975 में किया गया था। • इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘समुद्री कचरे का निस्तारण’ रखा गया था। • जिसके अंतर्गत कहा गया कि बाह्य सभी स्रोत्तों से आने वाले कचरे को बहार ही रोका जायेगा और समुद्र में विद्यमान कचरे का प्रभावी निस्तारण किया जायेगा। वियना सम्मेलन ( Vienna Convention ) • वियना सम्मेलन यह ओज़ोन परत के संरक्षण के लिए एक बहुपक्षीय पर्यावरण समझौता है। • 1985 के वियना सम्मेलन में सहमति बनी और 1988 में यह लागू किया गया। • इस सम्मेलन में मानव स्वास्थ्य और ओज़ोन परत...

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल किससे संबंधित है?

Explanation : मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ओजोन परत के क्षय को रोकना से संबंधित है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987)-ओजोन परत के क्षरण को रोकने के लिए 16 सितंबर, 1987 को कनाडा के मॉन्ट्रियल में अग्रणी अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का सम्मेलन हुआ। इसके साथ ही क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस के उत्पादन में अगले दस वर्षों में कटौती करने तथा हैलोजन गैस के उत्पादन को पूर्णतया समाप्त करने पर सहमति बनी थी। वियतनाम के नए राष्ट्रपति वो वान थुओंग (Vo Van Thuong) है। फरवरी 2023 में एक व्यापक भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के बीच तत्कालीन राष्ट्रपति गुयेन जुआन फुक के अचानक इस्तीफा देने के बाद थुओंग को चुना गया। 13 दिसम्बर 1970 को जन्में वो वान थुओंग पार्टी के पोल • वर्तमान में फिलीपींस के राष्ट्रपति कौन हैं 2023