मोहम्मद रफी के mp3 गाने

  1. पुराने हिंदी गाने की सर्श्रेष्ठ सूची
  2. मोहम्मद रफी के बेस्ट गाने जो उन्होंने अपने करियर की शुरुआत से लेकर आखिरी तक गाए
  3. Mohammed Rafi Throat Started Bleeding While Recording O Duniya Ke Rakhwale Song After 15 Days Of Rehearsal


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पुराने हिंदी गाने की सर्श्रेष्ठ सूची

आज कल के समय में बहुत से नए गाने रिलीज़ हो रहे हैं। लेकिन पुराने हिंदी गाने का मुकाबला वे नहीं कर सकते हैं। पुराने गानों की मांग भी नये गानों की तरह बढ़ती जा रही है क्योंकि आज कल के बिजी और स्ट्रेस्फुल लाइफ स्टाइल में पुराने गाने हमें सकूं और आराम की अनुभूति देते हैं। साथ ही इन गानों का म्यूजिक इतना सॉफ्ट होता है जो गानों की लाइन से मिल कर अलग ही एहसास देता है। भारत में पुराने हिंदी गायकों की कमी नहीं रही है। बहुत से गायकों ने भारतीय सिनेमा के लिए अपनी आवाज दी है। उनकी आवाज गानों के रूप में उनके चले जाने के बाद भी लोगों के दिल में जिन्दा हैं। पुराने गायक जैसे किशोर कुमार ,मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, आशा भोंसले, मुकेश, मन्ना डे ने हज़ारों गाने गाये है जो कि आज तक लोगों के होंठों पर हैं। पुराने हिंदी गाने के बारे में सबसे ज्यादा पसंदनीय बात यह है कि म्यूजिक सॉफ्ट होने के साथ साथ उनके लिरिक्स भी आसानी से समझने वाले होते हैं। बोटी ने पुराने हिंदी गाने की सूची बोटी म्यूजिक पर बनाई है। जिसमें पुरानी फिल्मों के सभी हिट और सबसे ज्यादा सुने जाने वाले गाने मौजूद हैं। आप इन गानों को फ्री में सुन सकते हो। ये रही बोटी म्यूजिक पर मौजूद पुराने हिंदी गाने की सूची।

मोहम्मद रफी के बेस्ट गाने जो उन्होंने अपने करियर की शुरुआत से लेकर आखिरी तक गाए

मोहम्मद रफी साहब फिल्मी जगत के ध्रुव तारे है जो सदा चमकते रहेंगे। वो जो हमेशा हमारे दिल मे बस चुके है उनकी खूबसूरत आवाज़ के साथ। वो दौर ही बहुत नसीबोंवाला होगा जिनमें मोहम्मद रफी साहब गाया करते थे। उनके गाने केवल बॉलीवुड में ही नही लेकिन उन्होंने जितनी भी भाषाओं में गाने गाए है बहुत ही प्रसिद्ध हुए है। उन्होंने हिंदी के साथ गुजराती, बंगाली, मलयालम, भोजपुरी, आसामी, ओड़िया, मराठी, पंजाबी, सिंधी, मगाई, मैथिली, तेलगु, तमिल। उनका जन्म पंजाब में 24 दिसंबर 1924 में हुआ और उन्हें बचपन में ही गाने का बहुत ही शौक थस इस शौक के चलते वे आ पहुंचे मुंबई में और मुंबई के भिंडी बज़ार में रेहने लगें। उन्हें पहली बार गाने म मौका मिला नौशाद के साथ हिंदुस्तान के है हम और एक वर्ष के बर्फ उन्होंने गाया गाँव की गोरी फ़िल्म में गाना अजी दिल हो काबू में। रफ़ि साहब ने अपने आवाज़ सर देखते ही देखते धूम मचा दी जिसे देखो वो उनके गाने गुनगुना रहा होता था। रफी साहब ने बहुत सारे बेहतरीन गाने देने का सिलसिला शुरू काट दिया। उन्होंने बहुत बी पुरस्कार भी जीते 21 फ़िल्म फेर अवार्ड्स जीते, उन्होंने नेशनल फ़िल्म फेर अवार्ड भी जीत 1977 में और 1967 में उन्हें पद्म श्री से भी नवाज़ा गया। मोहम्मद रफी साहब ने अपना अंतिम गाना गाया जो था तेरे आने की आस है दोस्त शाम फिर क्यों उदास है दोस्त। गाना सिर्फ दो पंक्तियों के था लेकिन उससे सुनकर मन भावुक हो उठा हर एक रफी साहब के प्रशंसकों का। जे ओमप्रकाश जो इस गाने की फ़िल्म के निर्माता थे उन्होंने आदर प्रकट किया रफी साहब को ये गाना अर्पण करके। रफी साहब जिन्होंने प्यार से भरे गाने, मस्तिवाले या कोई पार्टी या भजन क़वाली ही क्यों न हो हर गानों में अपनी छाप छोड़ी है। उन्हें उनकी आवाज़ सर सदियों त...

Mohammed Rafi Throat Started Bleeding While Recording O Duniya Ke Rakhwale Song After 15 Days Of Rehearsal

Mohammed Rafi Throat Bleeding: मोहम्मद रफी भले ही अब इस दुनिया में न हों, लेकिन उनके गाए गाने आज भी सदाबहार हैं. मोहम्मद रफी ने अपने करियर में हजारों सुपरहिट गाने गाए. मोहम्मद रफी से जुड़े कई किस्से आपको सोशल मीडिया पर सुनने और पढ़ने को मिल जाएंगे. ऐसे में आज हम आपके लिए सिंगर से जुड़ा एक ऐसा किस्सा लेकर आए हैं, जिससे शायद आप अनजान होंगे. मोहम्मद रफी को पहला ब्रेक पंजाबी फिल्म 'गुलबलोच' में मिला था. नौशाद और हुस्नलाल भगतराम ने रफी के टैलेंट को पहचान लिया और खय्याम ने फिल्म 'बीवी' में उन्हें चांस दिया. बैजू बावरा ने बदली किस्मत बीबीसी के एक लेख के मुताबिक, मोहम्मद रफी को याद करते हुए खय्याम ने बताया था, "1949 में मेरी उनके साथ पहली गजल रिकॉर्ड हुई जिसे वली साहब ने लिखा था- 'अकेले में वह घबराते तो होंगे, मिटाके वह मुझको पछताते तो होंगे'. रफी साहब की आवाज के क्या कहने! जिस तरह मैंने चाहा उन्होंने उसे गाया". बैजू बावरा फिल्म में गाने के बाद रफी की किस्मत पलट गई और उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. केएल सहगल अपने जमाने के जाने-माने सिंगर थे, कहते हैं कि एक स्टेज शो के दौरान बिजली जाने की वजह से जब उन्होंने गाने से मना कर दिया था, तब वहां मौजूद 13 साल के रफी ने स्टेज संभाला था. यहीं से मोहम्मद रफी की किस्मत के दरवाजे खुले थे. इस गाने को गाने में निकला गले से खून शायद आपको मोहम्मद रफी के एक गाने के बारे में हैरान कर देने वाला किस्सा नहीं पता होगा. फिल्म बैजू बावरा का गाना 'ओ दुनिया के रखवाले' काफी पसंद किया गया था. इस गाने को गाने के लिए मोहम्मद रफी ने 15 दिन तक रियाज किया था. उन्होंने कई टेक में गाना रिकॉर्ड किया और जब फाइनली गाना पूरा हुआ उनकी आवाज इस कदर टूट गई थी कि लोग ये ...