Mrida pradushan

  1. Mérida, Yucatán
  2. Hindi Essay on “Mrida Pradushan”, “मृदा प्रदूषण” Hindi Essay for Class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes Exams.
  3. University of Allahabad
  4. मृदा प्रदूषण


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Mérida, Yucatán

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Hindi Essay on “Mrida Pradushan”, “मृदा प्रदूषण” Hindi Essay for Class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes Exams.

मृदा प्रदूषण Mrida Pradushan मिट्टी इस धरती पर मौजूद सभी जीव-जन्तुओं के जीवन के लिये बेहद आवश्यक है। लेकिन इंसान अपनी कुछ स्वार्थी गतिविधियों से इसकी गुणवत्ता को बड़े स्तर पर प्रभावित कर रहा है। उपजाऊ भूमि की मिट्टी में अत्यधिक सघनता में जहरीले रसायनों (प्रदूषक या दूषणकारी तत्व भी कहा जाता है) की मौजूदगी के कारण प्रदूषित मिट्टी को मृदा प्रदूषण कहते हैं। कुछ संदूषक प्राकृतिक रुप से आ जाते हैं हालांकि ज्यादातर औद्योगिकीकरण और मानव क्रियाओं से उत्पन्न होती है। मृदा प्रदूषण आमतौर पर दो तरीके के होते हैं- जैविक और अजैविक चाहे वो प्राकृतिक या मनुष्यों द्वारा छोड़े गये हों। मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण आकस्मिक लीकेज़, छलकन, निर्माण प्रक्रियाओं में, क्षेपण आदि है। मानव द्वारा छोड़े गये जहरीले रसायन से कुल मृदा जहरीलेपन स्तर में बढ़ौतरी हो रही है। सभी मृदा प्रदूषक उपजाऊ भूमि से मिल जाते हैं और प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रुप से कई प्रकार की बिमारियों का कारण बनती है जैसे साँस संबंधी बीमारी, ब्रोंकाइटिन, अस्थमा, कैंसर आदि। वयस्कों से अधिक बच्चे प्रदूषक मिट्टी से जुड़े होते हैं क्योंकि वो उसी मिट्टी में खेलते हैं जिससे वो कई सारी बिमारियों से ग्रसित हो जाते हैं खासतौर से साँस संबंधी गड़बड़ियों से। बढ़ती जनसंख्या को अधिक अनाज की जरुरत है इसलिये इस जरुरत को पूरा करने के लिये लोग फसल उत्पादन में सुधार के लिये अत्यधिक सघन खाद का प्रयोग कर रहें हैं जो अंतत: भोजन के माध्यम से शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। मृदा प्रदूषण मिट्टी को जहरीला करने का एक धीमी प्रक्रिया है। हमें मिट्टी की उर्वरता को बरकरार रखने और इसको सुरक्षित रखने के लिये उचित कदम उठाने की आवश्यकता है, जिससे आने वाली पीढ़ी और विभिन्न ज...

University of Allahabad

Title of the Book Author(s) Name of the Publisher Year ISBN Dr. Pramod Katara Nova Science Publishers, Inc. NY, USA 2020 ISBN: 978-1-53617-941-5 Emerging Trends in Science, Social Science, Engineering and Management- A Multidisciplinary Approach Rahul kanaoujiya Research Circle 2022 978-93-5546-016-5 Biochemical Studies on Some Biomarkers of Xenobiotic Exposure Vivek Kumar Gupta and Bechan Sharma Nova Science Publishers, Inc. NY, USA. 2021 978-1-53619-381-7. Environmental Damage to DNA and the Protective Effects of Phytochemicals Bechan Sharmaand Nitika Singh CRC Press, Taylor & Francis Group 2021 9780367358228 Biotechnological Advances, Phytochemical Analysis and Ethnomedical Implications of Sapindus species Springer Verlag, Singapore. 2020 2020 ISBN-10 ‏: ‎9813291885; ISBN-13 ‏: ‎978-9813291881 Techniques for Disaster Risk Management and Mitigation S K Singh, P K Srivastava, U C Mohanty, T Murty John Wiley & Sons. USA 2020 978-1-119-35919-7 Swarun Min Hayate Ummahatul Moamineen(A glimpse into the life of the wives of the Prophet). Revised and Edited: Dr.Mahmood Hafiz Abdul Rub Mirza Al- Noor Publications, Darya Ganj, New Delhi 2020 819393777-5 Urja Aur Satat Vikas (Hindi) Prof. Dinesh Mani Kaumudi Publications, 139, Purani Anarkali, Gali No. 4, Delhi. 2020 978-81-904903-6-8 Science And Spirituality (English) Prof. Dinesh Mani The Aatmic Science Foundation, 26-D/1, Pannalal Road, Allahabad. 2020 978-81-935761-6-8 Money, Banking & Foreign Exchange Dr.Akhilesh Chandra Pande...

मृदा प्रदूषण

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 कारण • 2.1 खनन • 2.2 औद्योगिक कचरा • 2.3 जैव स्त्रोत द्वारा मृदा प्रदूषण • 3 प्रभाव • 3.1 पर्यावरण पर • 3.2 मनुष्यों पर प्रभाव • 4 सन्दर्भ • 5 बाहरीकड़ियाँ परिचय [ ] भूमि पर्यावरण की आधारभूत इकाई होती है। यह एक स्थिर इकाई होने के नाते इसकी वृद्धि में बढ़ोत्तरी नहीं की जा सकती हैं। बड़े पैमाने पर हुए औद्योगीकरण एंव नगरीकरण ने नगरों में बढ़ती जनसंख्या एवं निकलने वाले द्रव एंव ठोस अवशिष्ट पदार्थ मिट्टी को प्रदूषित करने के कारण आज भूमि में प्रदूषण अधिक फैल रहा है। ठोस कचरा प्राय: घरों, मवेशी-गृहों, उद्योगों, कृषि एवं दूसरे स्थानों से भी आता है। इसके ढेर टीलों का रूप ले लेते हैं क्योंकि इस ठोस कचरे में राख, काँच, फल तथा सब्जियों के छिल्के, कागज, कपड़े, प्लास्टिक, रबड़, चमड़ा, इंर्ट, रेत, धातुएँ मवेशी गृह का कचरा, गोबर इत्यादि सम्मिलित हैं। हवा में छोड़े गये खतरनाक रसायन सल्फर, सीसा के यौगिक जब मृदा में पहुँचते हैं तो यह प्रदूषित हो जाती है। भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई भी अवाछिंत परिवर्तन, जिसका प्रभाव मनुष्य तथा अन्य जीवों पर पड़ें या जिससे भूमि की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो मृदा-प्रदूषण कहलाता है। भूमि पर उपलब्ध भू-सतह का लगभग ५० प्रतिशत भाग ही उपयोग के लायक है और इसके शेष ५० प्रतिशत भाग में पहाड़, खाइयां, दलदल, मरूस्थल और पठार आदि हैं। यहाँ यह बताना अति आवश्यक है कि विश्व के ७९ प्रतिशत खाद्य पदार्थ मिट्टी से ही उत्पन्न होते हैं। इस संसाधन (भूमि) की महत्ता इसलिए और भी बढ़ जाती है कि ग्लोब के मात्र २ प्रतिशत भाग में ही कृषि योग्य भूमि मिलती है। अत: भूमि या मिट्टी एक अतिदुर्लभ (अति सीमित) संसाधन है। निवास एवं खाद्य पदार्थ...