मत

  1. उतनी दूर मत ब्याहना बाबा!
  2. मतदान
  3. NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core
  4. मत कर माया को अहंकार mat kar maya ko ahankar lyrics
  5. बौद्ध दर्शन
  6. Nirmala Putul


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उतनी दूर मत ब्याहना बाबा!

us ghar se mat joDna mera rishta jis mein baDa sa khula angan na ho murghe ki bang par hoti nahin ho jahan subah aur sham pichhwaDe se jahan pahaDi par Dubta suraj na dikhe mat chunna aisa war jo pochi aur haDiya mein Duba rahta ho aksar kahil nikamma ho mahir ho mele se laDkiyan uDa le jane mein aisa war mat chunna meri khatir

मतदान

• दे • वा • सं मतदान (voting) निर्णय लेने या अपना विचार प्रकट करने की एक विधि है जिसके द्वारा कोई समूह (जैसे कोई निर्वाचन क्षेत्र या किसी मिलन में इकट्ठे लोग) विचार-विनिमय तथा बहस के बाद कोई निर्णय ले पाते हैं। मतदान की व्यवस्था के द्वारा किसी वर्ग या समाज का सदस्य राज्य की संसद या विधानसभा में अपना प्रतिनिधि चुनने या किसी अधिकारी के निर्वाचन में अपनी इच्छा या किसी प्रस्ताव पर अपना निर्णय प्रकट करता है। इस दृष्टि से यह व्यवस्था सभी चुनावों तथा सभी संसदीय या प्रत्यक्ष विधिनिर्माण में प्रयुक्त होती है। अधिनायकवादी सरकार में अधिनायक द्वारा पहले से लिए गए निर्णयों पर व्यक्ति को अपना मत प्रकट करने के लिये कहा जा सकता है, परंतु अपने निर्णयों को आरोपित करने के अधिनायक के विभिन्न ढंग इस प्रकार के मतदान को केवल औपचारिक प्रविधि तक समीती कर देते ह अनुक्रम • 1 इतिहास • 2 महत्त्व • 3 इन्हें भी देखें • 4 बाहरी कड़ियाँ इतिहास [ ] महत्त्व [ ] आधुनिक जनतंत्रों के मतदान के महत्त्व तथा उसकी प्रणाली के संबंध में विभिन्न सिद्धांत प्रतिपादित किए गए हैं। इन सिद्धांतों के फलस्वरूप, आवश्यकता के समय संघर्ष निवारण की सामाजिक प्रविधि के रूप में; शासन सत्ता के प्रति अनुवृत्ति प्राप्त करने के ढंग के रूप में; सामाजिक संघर्ष के बीच सामंजस्य स्थापित करने के साधन के रूप में; ठीक परिस्थितियों में ठीक निर्णय प्राप्त करने की पद्धति के रूप में, सामाजिक आवश्यकताओं तथा असंतोषों को अनावृत्ति की व्यवस्था के रूप में; तथा अल्पसंख्यकों को राज्य के लाभों से वंचित रखने की व्यवस्था से बचाने के ढंग के रूप में, मतदान को मान्यता प्राप्त हुई है। हाल में, इस समस्या पर यथेष्ट ध्यान दिया जाने लगा है कि जिन्हें मताधिकार प्राप्त...

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core – काव्य भाग – हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर कवयित्री परिचय • जीवन परिचय-इतिहास में शैव आदोलन से जुड़े कवियों और रचनाकारों की लंबी सूची है। अक्क महादेवी इस आंदोलन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कवयित्री थीं। इनका जन्म कर्नाटक के उडुतरी गाँव जिला-शिवमोगा में 12वीं सदी में हुआ। इनके आराध्य चन्नमल्लिकार्जुन देव अर्थात् शिव थे। इनके समकालीन कन्नड़ संत कवि बसवन्ना और अल्लामा प्रभु थे। कन्नड़ भाषा में अक्क शब्द का अर्थ बहिन होता है। अक्क महादेवी अपूर्व सुंदरी थीं। वहाँ का राजा इनके अद्भुत अलौकिक सौंदर्य को देखकर मुग्ध हो गया तथा इनसे विवाह हेतु इनके परिवार पर दबाव डाला। अक्क महादेवी ने विवाह के लिए राजा के सामने तीन शतें रखीं। विवाह के बाद राजा ने उन शतों का पालन नहीं किया, इसलिए महादेवी ने उसी क्षण राज-परिवार को छोड़ दिया। अक्क ने इसके बाद जो किया, वह भारतीय नारी के इतिहास की एक विलक्षण घटना बन गई। इससे उनके विद्रोही चरित्र का पता चलता है। अक्क ने सिर्फ राजमहल नहीं छोड़ा, वहाँ से निकलते समय पुरुष वर्चस्व के विरुद्ध अपने आक्रोश की अभिव्यक्ति के रूप में अपने वस्त्रों को भी उतार फेंका। वस्त्रों का उतार फेंकना केवल वस्त्रों का त्याग नहीं, बल्कि एकांगी मर्यादाओं और केवल स्त्रियों के लिए निर्मित नियमों का तीखा विरोध था। स्त्री केवल शरीर नहीं है, इसके गहरे बोध के साथ महावीर आदि महापुरुषों के समक्ष खड़े होने का प्रयास था। इस दृष्टि से देखें तो मीरा की पंक्ति तन की आस कबहू नहीं कीनी ज्यों रणमाँही सूरो अक्क पर पूर्णत: चरितार्थ होती है। अक्क के कारण शैव आदोलन से बड़ी संख्या में स्त्रियाँ जुड़ीं जिनमें अधिकतर निचले तबकों से थीं और अपने संघर्ष...

मत कर माया को अहंकार mat kar maya ko ahankar lyrics

mat kar maya ko ahankar lyrics मत कर माया को अहंकार मत कर काया को अभिमान काया गार से कांची मत कर काया को अभिमान काया गार से कांची हो काया गार से कांची रे जैसे ओस रा मोती झोंका पवन का लग जाए झपका पवन का लग जाए काया धूल हो जासी काया तेरी धूल हो जासी ऐसा सख्त था महाराज जिनका मुल्कों में राज जिन घर झूलता हाथी जिन घर झूलता हाथी हो जिन घर झूलता हाथी उन घर दिया ना बाती झोंका पवन का लग जाए झपका पवन का लग जाए काया धूल हो जासी काया तेरी धूल हो जासी खूट गया सिन्दड़ा रो तेल बिखर गया सब निज खेल बुझ गयी दिया की बाती हो बुझ गयी दिया की बाती रे जैसे ओस रा मोती झोंका पवन का लग जाए झपका पवन का लग जाए काया धूल हो जासी काया तेरी धूल हो जासी झूठा माई थारो बाप झूठा सकल परिवार झूठी कूटता छाती झूठी कूटता छाती हो झूठी कूटता छाती रे जैसे ओस रा मोती बोल्या भवानी हो नाथ गुरुजी ने सर पे धरया हाथ जिनसे मुक्ति मिल जासी जिनसे मुक्ति मिल जासी बोल्या भवानी हो नाथ गुरुजी ने सिर पे धरया हाथ जिनसे मुक्ति हो जासी जिनसे मुक्ति हो जासी हो जिनसे मुक्ति मिल जासी रे जैसे ओस रा मोती झोंका… झोंका… मत कर माया को अहंकार मत कर काया को अभिमान काया गार से कांची हो काया गार से कांची रे जैसे ओस रा मोती झोंका पवन का लग जाए झपका पवन का लग जाए काया धूल हो जासी काया तेरी धूल हो जासी काया तेरी धूल हो जासी काया तेरी धूल हो जासी काया धूल हो जासी

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन (श्रावक - संस्कृत ) या सावक ( पाली ) का अर्थ है "सुनने वाला" या, अधिक सामान्यतः, "शिष्य"। इस शब्द का प्रयोग बौद्ध धर्म और जैन धर्म में किया जाता है ।' से अभिप्राय उस बुद्ध के उपदेश तीन पिटकों में संकलित हैं। ये सम्पूर्ण एशिया के देशों में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ। भगवान बुद्ध के अनुयायियों में मतभेद के कारण कई संप्रदाय बन गए। जो स्थविरवाद और महायान के रूप में विकसित हुए। सिद्धांतभेद के अनुसार बौद्ध परंपरा में चार दर्शन प्रसिद्ध हैं। इनमें वैभाषिक मत बाह्य वस्तुओं की सत्ता तथा स्वलक्षणों के रूप में उनका प्रत्यक्ष मानता है। अत: उसे बाह्य प्रत्यक्षवाद अथवा "सर्वास्तित्ववाद" कहते हैं। सैत्रांतिक मत के अनुसार पदार्थों का प्रत्यक्ष नहीं, अनुमान होता है। अत: उसे बाह्यानुमेयवाद कहते हैं। योगाचार मत के अनुसार बाह्य पदार्थों की सत्ता नहीं। हमे जो कुछ दिखाई देता है वह विज्ञान मात्र है। योगाचार मत विज्ञानवाद कहलाता है। माध्यमिक मत के अनुसार विज्ञान भी सत्य नहीं है। सब कुछ शून्य है। शून्य का अर्थ निरस्वभाव, नि:स्वरूप अथवा अनिर्वचनीय है। शून्यवाद का यह शून्य वेदांत के ब्रह्म के बहुत निकट आ जाता है। अनुक्रम • 1 संक्षिप्त परिचय • 1.1 वैभाषिक सम्प्रदाय (बाह्यार्थ प्रत्यक्षवाद) • 1.2 सौत्रान्तिक सम्प्रदाय (बाह्यार्थानुमेयवाद) • 1.3 योगाचार सम्प्रदाय (विज्ञानवाद) • 1.4 माध्यमिक सम्प्रदाय (शून्यवाद) • 1.5 क्षणिकवाद • 1.6 प्रतीत्यसमुत्पाद • 2 इन्हें भी देखें • 3 बाहरी कड़ियाँ संक्षिप्त परिचय [ ] बौद्ध दर्शन अपने प्रारम्भिक काल में 1. दुःख- संसार दुखमय है। 2. दुःखसमुदाय दर्शन- दुख उत्पन्न होने का कारण है (तृष्णा) 3. दुःखनिरोध- दुख का निवारण संभव है 4. दुःखनिरोधमार्ग- दुख निवारक मार्...

Nirmala Putul

बाबा! मुझे उतनी दूर मत ब्याहना जहाँ मुझसे मिलने जाने की ख़ातिर घर की बकरियाँ बेचनी पड़ें तुम्हें मत ब्याहना उस देश में जहाँ आदमी से ज़्यादा ईश्वर बसते हों जंगल नदी पहाड़ नहीं हों जहाँ वहाँ मत कर आना मेरा लगन वहाँ तो क़तई नहीं जहाँ की सड़कों पर मान से भी ज़्यादा तेज़ दौड़ती हों मोटर-गाड़ियाँ ऊँचे-ऊँचे मकान और दुकानें हों बड़ी-बड़ी उस घर से मत जोड़ना मेरा रिश्ता जिस घर में बड़ा-सा खुला आँगन न हो मुर्ग़े की बाँग पर जहाँ होती ना हो सुबह और शाम पिछवाड़े से जहाँ पहाड़ी पर डूबता सूरज ना दिखे। मत चुनना ऐसा वर जो पोचाई और हण्डिया में डूबा रहता हो अक्सर काहिल निकम्मा हो माहिर हो मेले से लड़कियाँ उड़ा ले जाने में ऐसा वर मत चुनना मेरी ख़ातिर कोई थारी लोटा तो नहीं कि बाद में जब चाहूँगी, बदल लूँगी अच्छा-ख़राब होने पर जो बात-बात में बात करे लाठी-डण्डे की निकाले तीर-धनुष कुल्हाड़ी जब चाहे चला जाए बंगाल, आसाम, कश्मीर ऐसा वर नहीं चाहिए मुझे और उसके हाथ में मत देना मेरा हाथ जिसके हाथों ने कभी कोई पेड़ नहीं लगाया फ़सलें नहीं उगायीं जिन हाथों ने जिन हाथों ने नहीं दिया कभी किसी का साथ किसी का बोझ नहीं उठाया और तो और जो हाथ लिखना नहीं जानता हो ‘ह’ से हाथ उसके हाथ में मत देना कभी मेरा हाथ ब्याहना तो वहाँ ब्याहना जहाँ सुबह जाकर शाम को लौट सको पैदल मैं कभी दुःख में रोऊँ इस घाट तो उस घाट नदी में स्नान करते तुम सुनकर आ सको मेरा करुण विलाप महुआ का लट और खजूर का गुड़ बनाकर भेज सकूँ सन्देश तुम्हारी ख़ातिर उधर से आते-जाते किसी के हाथ भेज सकूँ कद्दू-कोहड़ा, खेखसा, बरबट्टी, समय-समय पर गोगो के लिए भी मेला हाट जाते-जाते मिल सके कोई अपना जो बता सके घर-गाँव का हाल-चाल चितकबरी गैया के ब्याने की ख़बर दे सके जो कोई उधर से...