Mukti divas se aap kya samajhte hain

  1. मुक्ति दिवस से आप क्या समझते हैं / Mukti Divas Se Aap Kya Samajhte Hain?
  2. योग का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, प्रकार और महत्व
  3. I want at least 30 questions answers on jansanchar in Hindi
  4. भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ
  5. व्यक्तित्व (व्यक्तित्व का विकास, अर्थ और परिभाषा)
  6. संप्रेषण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, मॉडल एवं प्रक्रिया
  7. मुद्रास्फीति क्या है? मुद्रास्फीति के कारण एवं प्रभाव
  8. सतत विकास क्या है? सतत विकास की परिभाषा, सिद्धांत
  9. I want at least 30 questions answers on jansanchar in Hindi
  10. व्यक्तित्व (व्यक्तित्व का विकास, अर्थ और परिभाषा)


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मुक्ति दिवस से आप क्या समझते हैं / Mukti Divas Se Aap Kya Samajhte Hain?

मुक्ति दिवस से आप क्या समझते हैं? मुक्ति दिवस (Liberation Day) – दोस्तों, मुक्ति दिवस एक दिन है. और यह एक स्वतंत्रता दिवस के समान एक स्थान की मुक्ति का प्रतीक है. ऐसा कहा जाता हैं की कांग्रेसी सरकारों ने विश्वयुद्ध के बाद देश को स्वतंत्र करने की मांग रखी पर अंग्रेजों द्वारा इसे अनसुना कर दिया गया था. जिसके पश्चात मुस्लिम लीग के नेताओं ने 22 दिसंबर 1939 को देश भर में मुक्ति दिवस मनाने का एलान किया. क्लिक करे • • • मुक्ति दिवस से आप क्या समझते हैं – mukti divas se aap kya samajhte hain मुक्ति दिवस क्या है – mukti divas kya hai मुक्ति दिवस का क्या महत्व है – mukti divas ka kya mahatva hai मुक्ति दिवस कब मनाया जाता है – mukti divas kab manaya jata hai मुक्ति दिवस पर हम क्या करते हैं – mukti divas par ham kya kar sakte hain निष्कर्ष– दोस्तों आपको यह “मुक्ति दिवस से आप क्या समझते हैं – Mukti Divas Se Aap Kya Samajhte Hain” का आर्टिकल कैसा लगा? निचे हमे कमेंट करके जरुर बताये. साथ ही इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर जरुर करे. लेटेस्ट अपडेट्स पाने के लिए Techly360 को Facebook, Twitter और Instagram पर फॉलो करे. और वीडियोज देखने के लिए YouTube पर सब्सक्राइब करे.

योग का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, प्रकार और महत्व

योग शब्द का शाब्दिक अर्थ जोड़ना या मिलन कराना है। योग शब्द के इस अर्थ का भारतीय संस्कृति में बहुत अधिक प्रयोग किया गया है। जैसे गणित शास्त्र में दो या दो से अधिक संख्याओं के जोड़ का योग कहते है। चिकित्सा शास्त्र में विभिन्न औषधियों के मिश्रण को योग कहते है, ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की विभिन्न स्थितियों को योग कहते है। इस प्रकार से बहुत से अन्य क्षेत्रों में योग शब्द का विभिन्न अर्थों में प्रयोग किया गया है। किन्तु हम आध्यात्मिक क्षेत्रों में इस शब्द के अर्थ पर विचार करते है तो वहाँ उसका अर्थ अपने आप से युक्त होना अर्थात् अपने स्वरूप में स्थिर हो जाना या जीवात्मा का परमात्मा से मिलन योग कहा जाता है। अधिकतर विद्वानों ने आध्यात्मिक क्षेत्र में योग शब्द का अर्थ प्रथम ‘‘धातु’’ युज समाधौ से ही निष्पन्न हुआ माना है। महर्षि व्यास भी योग शब्द का अर्थ करते हुए कहा है कि समाधि को ही योग कहते है।‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के युजिर् धातु से हुई है, जिसका अर्थ है-’सम्मिलित होना’ या‘एक होना’। इस एकीकरण का अर्थ जीवात्मा तथा परमात्मा का एकीकरण अथवा मनुष्य के व्यक्तित्व के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक पक्षों के एकीकरण से लिया जा सकता है। ‘योग’ शब्द ‘युज’ धातु से बना है। संस्कृत व्याकरण में दो युज् धातुओं का उल्लेख है, जिनमें एक का अर्थ जोड़ना तथा दूसरे का मन: समाधि, अर्थात् मन की स्थिरता है। अर्थात् सामान्य रीति से योग का अर्थ सम्बन्ध करना तथा मानसिक स्थिरता करना है। इस प्रकार लक्ष्य तथा साधन के रूप में दोनों ही योग हैं। शब्द का उपयोग भारतीय योग दर्शन में दोनों अर्थों में हुआ है। महर्षि पतंजलि ने योग शब्द को समाधि के अर्थ में प्रयुक्त किया है। व्यास जी ने‘योग: समाधि:’ ...

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The Bolivian water war showed that even the elected government can sometimes go astray and can oppress people through many ways.The popular struggle against the privatisation of water showed that the real power lies in the masses and if masses become aware then it could lead to good governance and will lay down the solid foundations of true democracy. 1- प्रिंटमाघ्यमकिसेकहतेहैं ? ->छपेंहुएमाघ्यमकोयामुदृतमाघ्यमकोप्रिंटमाघ्यमकहतेहैं। 2- Patrkarita kise kehte hai ? -> Patrkaaro dwaara pratidin vishv bhar see suchnaao ko ekatr kr unhe smaachar ke roop me dhaalkr prastut krne ki prakriya ko patrkarita kehte hai . 3- Samachar Kisse kehte hain ? ->. Samachar kisi bhi taajaa ghatna vichar ki report hai jis mein adhik se adhik logo ki ruchi ho . 4- Ek Dainik Samachar Patra ke liye kaun si ghatnae samachar hogi ? -> Ek Dainik Samachar Patra ke liye vigat 24 ghante mein ghatit ghatnae samachar hogi. Patrakarita main dwarpal ki se kehte hain 5-. Patrakarita Mein dwarpal Kise kehte hain ? -> Samachar Sangathano Mein Sampadak, Sahsampadak, Upsampadak, arthaat, Sampadak Mandal hi Patrkarita me dwarpaal hote hain. 6-. Live kisse kehte hain ? ->. Ghatit ghatna ka television ke parde par sidha prasaran live kehlata hai. 7-. Encoding (kuttikrit) se kya aashay hai ? ->. Kisi bhi Bhasha ko code (kutt) bhasha mein chinho ke madhyam se prakat karna kuttikrit ya encoding kehlata hai. Isme code chinho ka gyan sandesh bhejne wale (Sanchark) tathaa Sandesh prapt Karne Wale Ko hona chahiye. 8-. Decod...

भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ

विषय सूची • 1 संस्कृति की विशेषताएँ • 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 3 बाहरी कड़ियाँ • 4 संबंधित लेख भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- प्राचीनता - निरन्तरता - भारतीय संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि हज़ारों वर्षों के बाद भी यह संस्कृति आज भी अपने मूल स्वरूप में जीवित है, जबकि लचीलापन एवं सहिष्णुता - भारतीय संस्कृति की सहिष्णु प्रकृति ने उसे दीर्घ आयु और स्थायित्व प्रदान किया है। संसार की किसी भी संस्कृति में शायद ही इतनी सहनशीलता हो, जितनी भारतीय संस्कृति में पाई जाती है। भारतीय ग्रहणशीलता - भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता एवं उदारता के कारण उसमें एक ग्रहणशीलता प्रवृत्ति को विकसित होने का अवसर मिला। वस्तुत: जिस संस्कृति में लोकतन्त्र एवं स्थायित्व के आधार व्यापक हों, उस संस्कृति में ग्रहणशीलता की प्रवृत्ति स्वाभाविक रूप से ही उत्पन्न हो जाती है। हमारी संस्कृति में यहाँ के मूल निवासियों ने समन्वय की प्रक्रिया के साथ ही बाहर से आने वाले भारत में इस्लामी संस्कृति का आगमन भी अरबों, तुर्कों और आध्यात्मिकता एवं भौतिकता का समन्वय - भारतीय संस्कृति में आश्रम - व्यवस्था के साथ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चार पुरुषार्थों का विशिष्ट स्थान रहा है। वस्तुत: इन पुरुषार्थों ने ही भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता के साथ भौतिकता का एक अदभुत समन्वय कर दिया। हमारी संस्कृति में जीवन के ऐहिक और पारलौकिक दोनों पहलुओं से धर्म को सम्बद्ध किया गया था। धर्म उन सिद्धान्तों, तत्त्वों और जीवन प्रणाली को कहते हैं, जिससे मानव जाति परमात्मा प्रदत्त शक्तियों के विकास से अपना लौकिक जीवन सुखी बना सके तथा मृत्यु के पश्चात् जीवात्मा शान्ति का अनुभव कर सके। शरीर नश्वर है, आत्मा अमर है, ...

व्यक्तित्व (व्यक्तित्व का विकास, अर्थ और परिभाषा)

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • व्यक्तित्व (Personality) मनोविज्ञान के क्षेत्र में विकास के कारण व्यक्तित्व की पुरानी विचार को बदल दिया गया है। अब व्यक्ति का आधार क्या होना चाहिए, यह प्रश्न मनोवैज्ञानिकों के लिए एक जटिल समस्या बन गई थी। उन्होंने इसके सुधार के लिए विभिन्न व्यक्ति को अध्ययन किया और उनके विभिन्न रूपों और दृष्टिकोण को देखते हुए व्यक्तित्व की पुरानी विचार को खत्म कर नए विचार स्थापित किया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्तित्व परिभाषा प्रोफेसर गौरिसन, प्रोफेसर कार्ल सी. और अन्य महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक प्रोफेसरों ने कहा है कि “व्यक्तित्व संपूर्ण मनुष्य है उसकी स्वभाविक अभिरुचि तथा क्षमता और उसके भूतकाल में अर्जित किए गए ज्ञान, इन कारकों का संगठन तथा समन्वय प्रतिमान, आदर्श, मूल्यों तथा अपेक्षाओं की विशेषता से पूर्ण होता है।” “Personality is a complete human being characterized by his natural aptitudes and abilities and knowledge acquired in the past, the organization and coordination of these factors, characterized by norms, ideals, values and expectations.” व्यक्तित्व का कोई स्थाई विचार नहीं होता है, समय समय पर लोगों का व्यक्तित्व बदलता रहता है। असल में व्यक्तित्व का स्वरूप वैसा होता है जैसे कि कोई व्यक्ति किसी वातावरण के अनुकूल खुद को ढालने की प्रक्रिया होती है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि यदि किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व पूरी तरह से उसके वातावरण पर निर्भर करता है तो उसका व्यक्तित्व भी अच्छा हो सकता है। जब उसके आसपास का वातावरण अनुकूल और अच्छा हो। अलग-अलग लोगों का व्यक्तित्व भी अलग होता है, क्योंकि जिस वातावरण में वे रहते हैं, वह भी अलग होता है। जि...

संप्रेषण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, मॉडल एवं प्रक्रिया

संप्रेषण के लिए अंग्रेजी भाषा में 'Communication' शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसकी उत्पत्ति लेटिन भाषा के 'Communis' शब्द से हुई है। 'Communis' शब्द का अर्थ है‘जानना या समझना। 'Communis' शब्द को 'Common' शब्द से लिया गया है संप्रेषणका अर्थ है किसी विचार या तथ्य को कुछ व्यक्तियों में सामान्तया 'Common' बना देना इस प्रकार एडविन बी0 फिलप्पों के शब्दों में संदेश संप्रेषण या संचार अन्य व्यक्तियों को इस तरह प्रोत्साहित करने का कार्य है, जिससे वह किसी विचार का उसी रूप में अनुवाद करे जैसा कि लिखने या बोलने वाले ने चाहा है।” अत: संप्रेषण एक ऐसी कला है जिसके अन्र्तगत विचारों, सूचनाओं, सन्देशों एवं सुझावों का आदान प्रदान चलता है। संप्रेषण की विशेषताएँ • संप्रेषण द्विमार्गी प्रक्रिया है जिसमें विचारों का आदान प्रदान होता है। • संप्रेषण का लक्ष्य सम्बन्धित पक्षकारों तक सूचनाओं को सही अर्थ में सम्प्रेषित करना होता है। • संप्रेषण द्वारा विभिन्न सूचनाएँ प्रदान कर पक्षकारों के ज्ञान में अभिवृद्धि की जाती है। • संप्रेषण का आधार व्यक्तिगत समझ और मनोदशा होती है। • संप्रेषण में दो या अधिक अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं। • संप्रेषण वैयक्तिक और अवैयक्तिक दोनों प्रकार से किया जा सकता है। • संप्रेषण निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। • संप्रेषण एक चक्रिय-प्रक्रिया है जो प्रेषक से प्रारम्भ होकर प्रतिपुष्टि प्राप्ति के बाद प्रेषक पर ही समाप्त होती है। • संप्रेषण में संकेत, शब्द व चिन्हों का प्रयोग होता है। संप्रेषण क्रियाओं का वह व्यवस्थित क्रम व स्वरूप जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को, एक समूह दूसरे समूह को एक विभाग दूसरे विभाग को एक संगठन बाहरी पक्षकारों को विचारों सूचनाओं, भावनाओं व द...

मुद्रास्फीति क्या है? मुद्रास्फीति के कारण एवं प्रभाव

अर्थव्यवस्था में जब मुद्रा की मात्राबढ़ जाती है और उसका मूल्य कम हो जाता है और साथ ही साथ मूल्य स्तर भी बढ़ता है तो मुद्रा स्फीति की स्थिति पैदा हो जाती है। कीमत स्तर में होने वाली लगातार वृद्धि को मुद्रा स्फीति कहते है। ऐसे में सरकारी बजट में लगातार घाटा रहता है। बहुत अधिक भाग होने पर वस्तुओं एवं सेवाओं की पूर्ति उसे पूरा नहीं कर पाती तो कीमतों पर इसका प्रभाव पड़ने लगता है। कीमतों में इस लगातारवृद्धि को मुद्रास्फीति कहा जाता है। • खुली मुद्रास्फीति • दबी मुद्रास्फीति • युद्धकालीन मुद्रास्फीति • युद्धोत्तर मुद्रास्फीति • शांतिकालीन मुद्रास्फीति • रेंगती मुद्रास्फीति • चलती मुद्रास्फीति • दौड़ती मुद्रास्फीति • सरपट दौड़ती मुद्रास्फीति या अति मुद्रास्फीति • क्षेत्रीय या विकीर्ण मुद्रास्फीति • व्यापक मुद्रास्फीति • मजदूरी प्रेरित मुद्रास्फीति • लाभ प्रेरित या‘मार्क अप’ मुद्रास्फीति • अवरोध गति मुद्रास्फीति • अवरोध गति मुद्रास्फीति 1. खुली मुद्रास्फीति - खुली मुद्रास्फीति वह स्थिति है जिसमें कीमतों में होने वाली वृद्धि को नियन्त्रित करने के लिये कोई उपाय नहीं अपनाए जाते। मिल्टन फ्रीडमैन के अनुसार, ‘‘खुली मुद्रास्फीति वह प्रक्रिया है जिसमें कीमतों को बिना सरकारी नियन्त्रणों के या इसी प्रकार की तकनीकों के, बढ़ने दिया जाता है।’’ खुली मुद्रास्फीति में कीमत संयंत्रा वस्तुओं के वितरण का कार्य करता है। जर्मनी में प्रथम महायुद्ध के पश्चात होने वाली, मुद्रास्फीति, खुली मुद्रास्फीति का महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। 2. दबी मुद्रास्फीति - जब बढ़ती हुई कीमतों को प्रशासनिक उपायों जैसे-राशनिंग, कीमत नियन्त्रण इत्यादि द्वारा सरकार दबा देती है अर्थात् कीमतों को नहीं बढ़ने देती तो इसे दबी मुद्रास्फीति...

सतत विकास क्या है? सतत विकास की परिभाषा, सिद्धांत

सतत विकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है, कि वर्तमान पीढी की आवश्यकताओं को पूरा करनें के साथ- साथ भावी सन्तति की आकांक्षाओं और आवश्यकताओं की पूर्ति में कठिनाई न हो। आज सतत विकास अति आधुनिक और महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस मुद्दे से सम्बन्धित आज विश्व में अनेक कार्यक्रम कार्यान्वित किये गये हैं। • क्या इससे जैव विविधता को कोई खतरा तो नहीं है। • इससे मिटटी का कटाव तो नहीं होगा। • क्या यह जनसंख्या वृद्धि को कम करने में सहायक है। • क्या इससे वन क्षेत्रों को बढानें में प्रोत्साहन मिलेगा। • क्या यह हानिकारक गैसों के निकास को कम करेगी। • क्या इससे अपशिष्ट उत्पादन की कमी होगी। • क्या इससे सभी को लाभ पहुंचेगा अर्थात सभी के लिए लाभप्रद है। ये सभी तथ्य या घटक सतत विकास के परिचालक हैं और इनको अनदेखा नहीं किया जा सकता। अब हमने जो देखा है, कि विकास मनुष्य पर केन्द्रित रहा है और वह भी गिने चुने राष्ट्रों में अर्थात विकसित राष्ट्रों में। परन्तु इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता, कि किस कीमत पर वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के आधार पर अभूतपूर्व प्रगति की है। इस 5 प्रगति से हवा पानी और भोजन तीनों प्रदूषित हुए हैं और हमारे प्राकृतिक संसाधनों का निर्दयता से शोषण हुआ है। अगर इस प्रकार से यह प्रक्रिया जारी रही तो फिर एक दिन ऐसा आयेगा जब हम मीडोस की विश्व प्रसिद्ध रिपोर्ट ‘विकास की सीमाएं’ में वर्णित, साक्षात रूप से प्रलय की गोद में होंगे। यह नियन्त्रण रहित विकास का ही परिणाम होगा, कि इस पृथ्वी और इससे सम्बन्धित सभी तत्वों का सन्तुलन बुरी तरह टूट जाएगा या फिर बिगड जाएगा। मनुष्य का ध्यान इस नियन्त्रण रहित विकास की ओर 70 के दशक में चला था परन्तु यह अन्तराष्ट्रीय स्तर पर परिचर्या ...

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The Bolivian water war showed that even the elected government can sometimes go astray and can oppress people through many ways.The popular struggle against the privatisation of water showed that the real power lies in the masses and if masses become aware then it could lead to good governance and will lay down the solid foundations of true democracy. 1- प्रिंटमाघ्यमकिसेकहतेहैं ? ->छपेंहुएमाघ्यमकोयामुदृतमाघ्यमकोप्रिंटमाघ्यमकहतेहैं। 2- Patrkarita kise kehte hai ? -> Patrkaaro dwaara pratidin vishv bhar see suchnaao ko ekatr kr unhe smaachar ke roop me dhaalkr prastut krne ki prakriya ko patrkarita kehte hai . 3- Samachar Kisse kehte hain ? ->. Samachar kisi bhi taajaa ghatna vichar ki report hai jis mein adhik se adhik logo ki ruchi ho . 4- Ek Dainik Samachar Patra ke liye kaun si ghatnae samachar hogi ? -> Ek Dainik Samachar Patra ke liye vigat 24 ghante mein ghatit ghatnae samachar hogi. Patrakarita main dwarpal ki se kehte hain 5-. Patrakarita Mein dwarpal Kise kehte hain ? -> Samachar Sangathano Mein Sampadak, Sahsampadak, Upsampadak, arthaat, Sampadak Mandal hi Patrkarita me dwarpaal hote hain. 6-. Live kisse kehte hain ? ->. Ghatit ghatna ka television ke parde par sidha prasaran live kehlata hai. 7-. Encoding (kuttikrit) se kya aashay hai ? ->. Kisi bhi Bhasha ko code (kutt) bhasha mein chinho ke madhyam se prakat karna kuttikrit ya encoding kehlata hai. Isme code chinho ka gyan sandesh bhejne wale (Sanchark) tathaa Sandesh prapt Karne Wale Ko hona chahiye. 8-. Decod...

व्यक्तित्व (व्यक्तित्व का विकास, अर्थ और परिभाषा)

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • व्यक्तित्व (Personality) मनोविज्ञान के क्षेत्र में विकास के कारण व्यक्तित्व की पुरानी विचार को बदल दिया गया है। अब व्यक्ति का आधार क्या होना चाहिए, यह प्रश्न मनोवैज्ञानिकों के लिए एक जटिल समस्या बन गई थी। उन्होंने इसके सुधार के लिए विभिन्न व्यक्ति को अध्ययन किया और उनके विभिन्न रूपों और दृष्टिकोण को देखते हुए व्यक्तित्व की पुरानी विचार को खत्म कर नए विचार स्थापित किया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्तित्व परिभाषा प्रोफेसर गौरिसन, प्रोफेसर कार्ल सी. और अन्य महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक प्रोफेसरों ने कहा है कि “व्यक्तित्व संपूर्ण मनुष्य है उसकी स्वभाविक अभिरुचि तथा क्षमता और उसके भूतकाल में अर्जित किए गए ज्ञान, इन कारकों का संगठन तथा समन्वय प्रतिमान, आदर्श, मूल्यों तथा अपेक्षाओं की विशेषता से पूर्ण होता है।” “Personality is a complete human being characterized by his natural aptitudes and abilities and knowledge acquired in the past, the organization and coordination of these factors, characterized by norms, ideals, values and expectations.” व्यक्तित्व का कोई स्थाई विचार नहीं होता है, समय समय पर लोगों का व्यक्तित्व बदलता रहता है। असल में व्यक्तित्व का स्वरूप वैसा होता है जैसे कि कोई व्यक्ति किसी वातावरण के अनुकूल खुद को ढालने की प्रक्रिया होती है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि यदि किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व पूरी तरह से उसके वातावरण पर निर्भर करता है तो उसका व्यक्तित्व भी अच्छा हो सकता है। जब उसके आसपास का वातावरण अनुकूल और अच्छा हो। अलग-अलग लोगों का व्यक्तित्व भी अलग होता है, क्योंकि जिस वातावरण में वे रहते हैं, वह भी अलग होता है। जि...

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