Mul prabhat kise kahate hain

  1. हिंदी का प्रथम प्रबंध काव्य किसे माना जाता है?
  2. प्रवास किसे कहते है ? प्रवास के कारण, परिणाम, वर्गीकरण।
  3. प्रत्यय किसे कहते है
  4. भिन्न किसे कहते हैं Bhinn की परिभाषा, प्रकार व महत्वपूर्ण तथ्य
  5. लागत किसे कहते है, लागत के तत्व
  6. मौलिक अधिकार ओर मौलिक कर्तव्य
  7. इतिहास किसे कहते हैं
  8. मूल प्रभात से क्या समझते हैं समझाइए? » Mul Prabhat Se Kya Samajhte Hain Samjhaiye


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हिंदी का प्रथम प्रबंध काव्य किसे माना जाता है?

मित्रों हिंदी साहित्य में प्रबंध काव्य की महत्वता एक अलग शिखर पर ही रहती है। इसीलिए जो भी कवि या रचयिता किसी प्रबंध काव्य की रचना करता है, उसे महान रचनाकार के तौर पर माना जाता है। इसीलिए काफी लोग यह जानना चाहते हैं कि हिंदी का प्रथम प्रबंध काव्य किसने लिखा था, और हिंदी का प्रथम प्रबंध काव्य किसे माना जाता है? | Hindi ka pratham prabandh kavya kise mana jata hai. यदि आप भी यह जानना चाहते हैं कि हिंदी के प्रथम प्रबंध काव्य के बारे में तो आज हम आपको विस्तार से जानकारी देते हुए बताएंगे कि Hindi ka pratham prabandh kavya kise mana jata hai । इसी के साथ हम आपको आज इस लेख में प्रबंध काव्य के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे। चलिए शुरू करते हैं:- प्रबंध काव्य क्या होता है ? | prabandh kavya kise kahate hain इसके अंतर्गत जो स्वरूप के आधार पर काव्य का निर्धारण किया जाता है उसे भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है – • श्रव्य काव्य • दृष्य काव्य श्रव्य काव्य वे काव्य होते है जिनका रसास्वादन किसी भी दूसरे व्यक्ति के द्वारा सुनकर या स्वयं से पढ़कर किया जाता है, जैसे कि रामायण, महाभारत इत्यादि। श्रव्य काव्य भी दो प्रकार होते हैं:- • प्रबंध काव्य • मुक्तक काव्य अब हम आपको बताते हैं कि प्रबंध काव्य किसे कहते हैं। मित्रों, प्रबंध काव्य एक प्रकार से एक ऐसा काव्य होता है जिसमें कोई कथा या कहानी क्रमबद्ध रूप से शुरू से लेकर अंत तक चलती रहती है, और बीच में कहीं भी नहीं टूटती है। हालांकि इसमें कोई दूसरी गौण कथाएं या कहानियां बीच-बीच में सहायक बन कर उभरा सकती है जैसे की रामचरितमानस। जब किसी काव्य में मूल रूप से कथा का सूत्र अलग-अलग प्रकार के छंदों के माध्यम से जुड़ा हुआ होता है, तो उसे प्रबंध का...

प्रवास किसे कहते है ? प्रवास के कारण, परिणाम, वर्गीकरण।

pravas kise kahate hain -किसी कारण बस व्यक्ति अपने पूर्व निवास स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर जाकर बसने की प्रक्रिया को प्रवास कहा जाता है। इसमें कुछ दुरी तय करना तथा निवास स्थान में परिवर्तन प्रमुख प्रक्रिया होता है। जन्म दर और मृत्यु दर के अतिरिक्त एक और कारक या घटक है। जो लोगों के आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक,राजनैतिक या, अन्य कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर बसना, या निवास करना प्रवास कहलाता है। इसमें निवास स्थान में परिवर्तन होना मुख्या कारक होता है। इसमें ‘सरकुलेशन'(Crculation), ‘कम्यूटिंग'(Cummuting ) और ‘ट्रांसह्यूमेन्स'(Trans-humence) को शामिल नहीं किया जाता है। क्योकि इन तीनो क्रियाओ में लोगो के निवास स्थान में कोई परिवर्तन नहीं होता है। सर्कुलेशन इसका संबंध किसी गाँव या शहर में, किसी कार्य के लिए क्षणिक समय के लिए इस गली से उस गली, मोहल्ले के जाना और शाम तक अपने निवास स्थल में वापस आ जाना सर्कुलेशन कहलाता है। कम्यूटिंग इसका का संबंध व्यक्ति अपने कार्य के लिए कार्यालय जाता है, बच्चे पढ़ने के लिए विद्यालय, महाविद्यालय जाते है, और मजदूर अपना कार्य के लिए शहर या अन्य जगह जाते है। और शाम तक वापस अपने निवास स्थान तक पहुँच जाते है इसको भी प्रवास के अंतर्गत नहीं रखा जाता है। ट्रांसह्यूमेन्स इसमे में लोग अपने पशुओ के समूह के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान आते-जाते है। पशुओ को चराने के लिए, पर्वतो के ऊपर निचे स्थनांतरित होते रहते है। इसी को ट्रांसह्यूमेन्स कहा जाता है। जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते है। तो वह स्थान जहाँ से लोग गमन करते है उदगम स्थान कहलाता है। और जिस स्थान में आगमन करते है वह गंतव्य स्थान कहलाता है। उदगम स्थान जनसंख्या में कमी को दर्शाता है। जबक...

प्रत्यय किसे कहते है

Table of Contents • • • • Pratyay Kise Kahate Hain In Hindi प्रत्यय किसे कहते हैं :- येे वेे शब्द होते हैं जो किसी शब्दांश या किसी अवयव के अंत में लगकर या जुड़कर एक नए शब्द का निर्माण करते है। उन्हें प्रत्यय कहते है। प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – प्रति + अय प्रति का अर्थ होता है। ‘साथ में, पर बाद में” और अय का अर्थ होता है “चलने वाला”, अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जैसे- लिख्+अक = लेखक राखन+हारा = राखनहारा घट+इया = घटिया Pratyay Kitne Prakar Ke Hote Hain प्रत्यय के प्रकार :- प्रत्यय के दो प्रकार है 1. कृत प्रत्यय 2. तद्धित प्रत्यय Kridant Pratyay 1. कृत प्रत्यय :- जो प्रत्यय क्रिया धातु रूप के बाद लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं उन्हें ‘कृत प्रत्यय’ कहते है| कृत प्रत्यय के योग से बने शब्दों को (कृत+अंत) कृदंत कहते हैं। हिंदी में कृत प्रत्ययों कीसंख्या28 है। जैसे – लिख्+अक = लेखक राखन+हारा = राखनहारा घट+इया = घटिया लिख+आवट = लिखावट ये प्रत्यय क्रिया या धातु को नया अर्थ देते है। कृत् प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण बनते है| कृदंत या कृत प्रत्यय के भेद :- कृत प्रत्यय के भेद के 5 भेद होते है| (1)कर्तृवाचक कृदंत (2)कर्मवाचक कृदंत (3)करणवाचक कृदंत (4)भाववाचक कृदंत (5)क्रियावाचक कृदंत • कर्तृवाचक कृदंत :- जिस प्रत्यय से बने शब्द से कार्य करने वाले अर्थात कर्ता का पता चलता हो, वह कर्तृवाचक कृदंत कहलाता है| जैसे- प्रत्यय धातु शब्द आलू झगड़ा झगड़ालू आक तैर तैराक हार हो होनहार अक लिख लेखक अक गै गायक • कर्मवाचक कृदंत :- जिस प्रत्यय से बने शब्द से किसी कर्म का पता चलता हो वह कर्मवाचक कृदंत कहलाता है। जैसे- प्रत्यय धातु शब्द नी जन जननी औना बि...

भिन्न किसे कहते हैं Bhinn की परिभाषा, प्रकार व महत्वपूर्ण तथ्य

6.2. 2. मिश्र भिन्न को अनुचित भिन्न में बदलना इस पोस्ट में हमनें Bhinn के बारे में बहुत सरल भाषा मे लिखने का प्रयास किया है। आपसे अनुरोध है कि आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ें ताकि भिन्नों के बारे में पूरी जानकारी आपको अच्छे से समझ आ सके। भिन्न किसे कहते हैं? – Bhinn Kise Kahte Hain जब किसी राशि को कुछ बराबर भागों में बांट दिया जाता है तब उस संख्या कुल भागों से उसके कुछ भागों की तुलना को भिन्न कहते हैं। जैसे अगर किसी सेब के 6 टुकड़े किये जायें और उसमें से 2 टुकड़े आपने ले लिए तब इसको भिन्न के रूप में कुछ ऐसे लिखेंगे 2/6। भिन्न की परिभाषा – Fraction Ki Definition In Hindi एक ऐसी संख्या जिसमें अंश तथा हर होता है वह संख्या भिन्न कहलाती है। भिन्न को इंग्लिश में Fraction कहते हैं। भिन्न को p/q के रूप में लिखा जाता है जहां q जीरो के बराबर नहीं हो सकता। भिन्न के भाग भिन्न के दो भाग होते हैं। अंश तथा हर। चलिए अब इनके बारे में जान लेते हैं- 1. अंश किसे कहते हैं? – Ansh kise kahate hain भिन्न में ऊपर लिखा जाने वाला भाग अंश कहलाता है। जैसे : 7/9 में 7 ऊपर लिखा हुआ है अन्तः 7 इस भिन्न का अंश है। 2. हर किसे कहते है? – Har kise kahate hain हर भिन्न का वह भाग होता है जो अंश के निचे लिखा जाता है।जैसे :7/9में 9 हर है क्योंकि यह अंश के नीचे लिखा हुआ है। भिन्न के प्रकार – Bhinn Ke Prakar भिन्न मुख्यतः आठ प्रकार के होते हैं संक्षिप्त भिन्न, उचित भिन्न, अनुचित भिन्न, मिश्रित भिन्न, मिश्र भिन्न, व्युत्क्रम भिन्न, दशमलव भिन्न तथा सतत् भिन्न। चलिए अब एक – एक करके इनके बारे में जानकारी हासिल करते हैं- 1. इकाई भिन्न किसे कहते हैं? – Ikai bhinn kise kahate hain जिस भिन्न का अंश एक हो उसे हम इकाई भिन्न कहते है...

लागत किसे कहते है, लागत के तत्व

लागत का अर्थ (lagat kise kahate hain) Lagat meannig in hindi;वस्तु की लागत मूल्य निर्धारण का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसमे वर्तमान एवं भावी दोनों ही लागते आती है। वर्तमान लागत का मूल्य निर्धारण से अभिप्राय है कि वर्तमान मे उस वस्तु की लागत क्या है एवं भावी लागत से तात्पर्य है कि भविष्य मे उस वस्तु की लागत क्या हो सकती है? मूल्य निर्धारण की नीति निर्माण करने एवं वास्तविक रूप से वस्तुओं का मूल्य निर्धारित करते समय लागत को ध्यान मे रखा जाता है। लागत की अवधारणा किसी वस्तु के उत्पादन या सेवा की प्रदायगी मे आने वाले सभी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्यय शामिल होते है। साथ ही उधमी को अपने निजी साधनों, पूँजी एवं स्वयं की योग्यता का पारिश्रमिक का मूल्य भी ध्यान मे रखना चाहिए। किसी वस्तु की लागत मे मुख्य रूप से दो प्रकार के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्यय एवं अदृश्य लागतें शामिल होती है इन्हें लागत के तत्व कहते है। लागत के तत्व (lagat ke tatva) 1. प्रत्यक्ष व्यय जो व्यय निश्चित रूप से वस्तु की विशेष इकाई से सम्बंधित हो, उन्हें प्रत्यक्ष व्ययों मे सम्मिलित करते है। प्रत्यक्ष व्यय उत्पादन की मात्रा के अनुपात मे घटते-बढ़ते है, इसलिए इनकी प्रकृति परिवर्तनशील होती है। इसमे निम्म को सम्मिलित करते है-- (अ) प्रत्यक्ष सामग्री यह वह सामग्री है, जो उत्पादन मे प्रत्यक्ष रूप मे प्रयोग की जाती है। जो साम्रगी उत्पादन मे अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेती है, उसे कारखाना व्यय मे सम्मिलित करते है। प्रत्यक्ष सामग्री मे साम्रगी की मूल कीमत, उसको क्रय करने के व्यय, आगत गाड़ी भाड़ा, राॅयल्टी, ऑक्ट्राय आदि व्यय जोड़े जाते है। जो सामग्री उत्पादन के लिए अनुपयुक्त रहती या बेच दी जाती है, उसे कम कर देते है। (ब) प्रत्यक्ष श्र...

मौलिक अधिकार ओर मौलिक कर्तव्य

भारत के मौलिक अधिकार ओर मौलिक कर्तव्य – आज हम आपको भारत के मौलिक अधिकार और भारतीय मौलिक कर्तव्य के बारे में पूरी जानकारी देना की कोशिस करेंगे. मौलिक अधिकार व मौलिक कर्तव्य यह दो अलग अलग बात है, मौलिक अधिकार भारत द्वारा भारत के नागरिको को आध्यात्मिक विकास के लिए दिये जाते ओर मौलिक कर्तव्य में भारत के प्रत्येक नागरिक को कुछ नियमो का पालन करना होता है. भारत में कुल 6 मौलिक अधिकार हे जो ये की भारत के संविधान के भाग III (अनुच्छेद 12 से 35) में निहित हैं ओर 11 मौलिक कर्तव्य का समावेश हे जो की संविधान के भाग IV-A में निहित हे. 6 मौलिक कर्तव्यों फायदे मौलिक अधिकार (Maulik adhikar kise kahate hain) आजादी से पहले भारत का मौलिक अधिकार , इंग्लैंड का बिल ऑफ राइट्स (1689), संयुक्त राज्य अमेरिका का बिल ऑफ राइट्स (1787) ओर फ्रांस के घोषणा पत्र जैसे ऐतिहासिक उदाहरणों से प्रेरित था. मौलिक अधिकारो का विकास भारत की संविधान सभा द्वारा किया गया था जो की दिसंबर 1946 को सच्चिदानंद सिन्हा की अस्थायी अध्यक्षता में संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी, उसके बाद राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष बनाया गया. उसके बाद विभिन्न व्यक्तियों को संविधान और राष्ट्रीय कानूनों के विकास के लिए जिम्मेदारी के पदों पर नियुक्त किया गया जिसमे भीमराव रामजी अम्बेडकर को ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया ओर जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल को विभिन्न विषयों के लिए जिम्मेदार समितियों और उप-समितियों का अध्यक्ष बनाया गया. मसौदा समिति द्वारा अंतिम ड्राफ्ट 26 जनवरी 1449 को तैयार किए गए था, जो की भारत संविधान का है. भारतीय मौलिक कर्तव्य – 26 जनवरी 1449 के सविधान ड्राफ्ट में मौलिक कर्तव्य का कोई उल्लेख नहीं मिलता है. ,मौलिक कर...

इतिहास किसे कहते हैं

इतिहास किसे कहते है – itihaas kise kahate hain इतिहास किसे कहते हैं(itihas kise kahate hain )अक्सर इस सवाल का उत्तर जानने की जिज्ञासा लाखों लोगों में होती है। तभी तो हजारों लोग इस प्रश्न का जवाव गूगल पर जानना चाहते हैं। इतिहास से अभिप्राय उने विगत घटनाओं से है। जिसमें देश समाज, ब्रह्मांड से जुड़ी हुई समस्त पिछली घटनाओ और उन घटनाओं के विषय में अवधारणाओं का उल्लेख किया जाता है। इतिहास किसे कहते हैं – ITIHAAS KISE KAHATE HAIN इतिहास का अर्थ – itihaas ka arth kya hai इतिहास का शाब्दिक अर्थ की बाद की जाय तो यह हिन्दी के दो शब्दों के मेल से बना है। इति और हास, इति का मतलब होता है बीती हुई और हास का मतलब कहानी से है। इस प्रकार इतिहास का अर्थ (itihas ka arth) होता है बीती हुई कहानी। इस प्रकार इसे इस रूप में समझा जा सकता है, की इतिहास वह शास्त्र है जिसमें विगत घटित घटनाओं के बारें में हमें जानकारी मिलती है। इतिहास के प्रकार ऊपर आपने इतिहास के अर्थ के बारें में जाना की इतिहास से क्या अभिप्राय है। अब हम इतिहास की उपयोगिता और इतिहास के प्रकार के बारें में जानते हैं। इतिहास को वर्गीकृत करना कठिन है। लेकिन सुविधा की दृष्टि से इतिहास को मुख्य रूप से भागों में बांटा जा सकता है। • प्राचीन इतिहास • मध्यकालीन इतिहास • आधुनिक इतिहास READ खूबसूरत सिटी पैलेस जयपुर का इतिहास | City palace Jaipur history in Hindi इस वर्गीकरण के अलावा भी इतिहास के और भी प्रकार हो सकते हैं। सामाजिक इतिहास, साँस्कृतिक इतिहास, राजनीतिक इतिहास, धार्मिक इतिहास, आर्थिक इतिहास इत्यादि। इतिहास क्या है परिभाषा– itihas ki paribhasha kya hai अक्सर लोग इतिहास की परिभाषा जानना चाहते हैं की इतिहास क्या है। इतिहास की परिभाषा इन ...

मूल प्रभात से क्या समझते हैं समझाइए? » Mul Prabhat Se Kya Samajhte Hain Samjhaiye

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। मोल प्रभाज से क्या समझते हैं समझाइए मैं आपको बताता हूं घनश्याम ऑल प्रवासी अमोल विंटर्लिन में किसी घटक के मोलो की संख्या तथा बिलियन में उपस्थित कुल वोटों की संख्या के अनुपात को उस घटक के मोल अंश कहते हैं धन्यवाद mole prabhaj se kya samajhte hain samjhaiye main aapko batata hoon ghanshyam all pravasi amol vintarlin me kisi ghatak ke molo ki sankhya tatha billion me upasthit kul voton ki sankhya ke anupat ko us ghatak ke mole ansh kehte hain dhanyavad मोल प्रभाज से क्या समझते हैं समझाइए मैं आपको बताता हूं घनश्याम ऑल प्रवासी अमोल विंटर्लिन म