मुर्रा भैंस

  1. मुर्रा भैंस की खासियत और कैसे करें पहचान 2023
  2. मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo)
  3. Murrah Buffalo। मुर्रा भैंस के लक्षण, उपयोगिता और पहचान
  4. किसानों को मुर्रा भैंस खरीदने पर मिलेगी 50% सब्सिडी, दूध उत्पादन के साथ बढ़ेगी आय
  5. मुर्रा भैंस
  6. Murrah Buffalo: मुर्रा भैंस का फैन हुआ ब्राजील, हरियाणा सरकार से मांगा इस नस्ल का सीमेन
  7. भारत देगा नेपाल को 15 मुर्रा नस्ल की भैंस, नेपाली संसद में हंगामा


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मुर्रा भैंस की खासियत और कैसे करें पहचान 2023

Table of Contents • • • मुर्रा भैंस की क्या खासियत है, कैसे करें मुर्रा भैंस की पहचान यह भैंस, पालतू भैंस की एक विशेष नस्ल है जिसे ज्यादातर दूध उत्पादन के लिए पाला जाता है। यह पंजाब की एक नस्ल है जो कि अब अन्य राज्यों व विदेशों में भी पाली जा रही है। हरियाणा में इसे ‘काला सोना’ कहा जाता हैै। दूध में वसा उत्पादन के लिए यह सबसे अच्छी नस्ल है। इसके दूध में 7% वसा पाई जाती है। भैंस प्रतिदिन पांच किलो दलिया और दो किलो बिनौले की खल खाती है। दूध बहुत ताकत से निकालना पड़ता है। इसकी वजह दूध का गाढ़ा होना है। भैंस मुर्रा नस्ल की है। मुर्रा भैंस की कीमत अगर कीमत की बात करें तो 2023 में एक भैंस की कीमत 90 से 1.5 लाख के बीच है। अब अगर दूध पर ध्यान दें तो आपको इसकी ज्यादा कीमत का कारण सीधा नजर आ जायेगा। मुर्रा भैंस सबसे अधिक उत्पादन वाली भैंस की नस्ल है। हरियाणा की मुर्रा भैंस के सींग मुड़े हुए होते है। इस प्रजाति की भैंसे देशी और अन्य प्रजाति की भैंसों से दोगुना दूध देती है। यह प्रतिदिन 15 से 20 लीटर दूध आसानी से दे देती हैं। अब दूध की मात्रा और मुर्रा भैंस की कीमत तो आपको पता चल गयी है तो आइये एक नजर इसकी ख़ुराक पर भी डालते हैं. दुधारु भैंस की खुराक : भैंस से डेड़ गुना अधिक चारा खाती है। एक साधारण भैस को दाने का मिश्रण 1 किलो, सूखा चारा 8 किलो तथा हरा चारा 10-20 किलों प्रतिदिन मिलना चाहिए। इसके अलावा हर 2 किलो दूध के लिए 1 किलो दाना खिलाना चाहिए। मुर्रा भैंस की कैसे करें पहचान : • यह विश्व की सबसे अच्छी भैंस की दुधारू नस्ल है। यह भारत के सभी हिस्सों में पायी जाती है। इसका गृह क्षेत्र हरियाणा के रोहतक, हिसार, जिन्द ब करनाल जिले तथा दिल्ली व पंजाब हैं। • भैंस के सींग जलेबी आकार के होते ह...

मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo)

मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) मुर्रा भैंस, हरियाणा का ‘काला सोना’ कही जाती हैं । यानी ये विश्व की सबसे अच्छी भैंस की दुधारू नस्ल में से सबसे ऊपर है । मुर्रा भैंस दूध उत्पादन के लिए पाली जाती हैं । सबसे खास बात ये कि यह नस्‍ल भारत के सभी इलाकों में पायी जाती है, और आसानी से पाली जा सकती है । आपको जानकर हैरानी होगी कि पशुधन प्रजातियों में इस नस्‍ल की भैंस का योगदान 50 फीसदी है, जी हां भारत के कुल दुग्ध उत्पादन में लगभग 50 फीसदी इस्‍तेमाल मुर्रा नस्‍ल का ही है । इस भैंस के दूध की गुणवत्‍ता लाजवाब है । मुर्रा भैंस की उत्पत्ति इस भैंस का गृह क्षेत्र हरियाणा का रोहतक, हिसार, जीन्द और करनाल जिले हैं । इसके अलावा ये दिल्ली और पंजाब की भी मानी जाती है । सबसे खास बात जो शायद आप नहीं जानते होंगे वो ये कि भारत मूल की ये भैंसे इटली, बल्गेरिया, मिस्र आदि में भी पाली जाती हैं । मुर्रा भैंस प्रजाति के और नाम मुर्रा भैंसों को दिल्‍ली, कुंडी, काली नाम से बुलाया जाता है । जबकि सुमात्रा में ये कर्बन बनलेंग और मलेशिया में कर्बन शुंगई या कर्बन सापी के नाम से जानी जाती है । मुर्रा भैंस गाय की शारीरिक विशेषताएं रंग – मुर्रा भैंसों का रंग स्‍याह काला यानी जेट ब्‍लैक होता है । अप इसे गहरा ग्रे कलर भी मान सकते हैं । बड़ी-बड़ी आंखों वाली ये भैंसें देखने में मजबूत लगती हैं । इस नस्ल की मुख्य विशेषता है इसके छोटे मुड़े हुए सींग और इसके खुर व पूंछ के निचले हिस्से में सफेद धब्बे का होना । शरीर के मुकाबले इस नस्‍ल की भैंसों का सिर छोटा होता है । ऊंचाई मादा मुर्रा भैंस की बात करें तो इनकी ऊंचाई 140 सेमी के आस-पास होती है, वहीं नर मुर्रा की ऊंचाई करीब 143 सेमी तक हो सकती है । वजन मुर्रा भैंस का वजन लगभग 550 ...

Murrah Buffalo। मुर्रा भैंस के लक्षण, उपयोगिता और पहचान

मित्रों यह हम सब जानते हैं कि भैंसें हमारे कृषि जीवन में कितनी अहम भूमिका निभाती हैं और ये जो दूध देती हैं उसका अच्छा मूल्य भी लगता है क्योंकि इनके दूध में फैट प्रतिशत गायों के मुकाबले ज्यादा होता है. जब बात होती है भैंसों की तो उनमें भी कुछ ही अच्छी नस्लें होती हैं जिनसे हमें अच्छा रिटर्न मिल पाता है तो ऐसी ही एक भैंस है मुर्रा भैंस; जिस तरह गायों में साहीवाल नस्ल को अधिक पसंद किया जाता है उसी तरह भैंसों में Murrah नस्ल को अधिक पसंद किया जाता है. तो आइए इस पोस्ट में हम Murrah Buffalo या मुर्रा भैंस के बारे में हर एक जानकारी जानते हैं और अंत में यह भी जानेंगे कि आप इसको कहां से खरीद सकते हैं और कहां पर आपको सबसे शुद्ध नस्ल मिलेगी इसलिए इस पोस्ट को अंत तक पढ़ना बहुत जरुरी है. Murrah Buffalo: यह भैंस की सबसे महत्वपूर्ण नस्ल है लगभग पूरे उत्तर भारत में इस नस्ल को दूध और घी के लिए पाला जाता है और यही नहीं, अब तो देश के अन्य भागों में मुर्रा नस्ल की भैंसों को स्थानीय नस्लों में पशुओं को सुधारने के काम में लाया जा रहा है. Table of Contents • • • • Murrah Buffalo के शारीरिक लक्षण मुर्रा नस्ल के पशु स्याही रंग के होते हैं लेकिन इनके सिर, पैर और पूंछ पर सुनहरे रंग के बाल पाए जाते हैं इन पशुओं का सिर छोटा होता है और जो सींग होते हैं वो छल्ले के आकार में मुड़े होते हैं. इनका अयन सुविकसित होता है और पिछला भाग भी अच्छा खासा सुविकसित होता है तथा इनकी पूंछ भी लंबी होती है. Murrah Buffalo का दूध प्रोडक्शन मुर्रा भैंस में पहली ब्यांत की आयु लगभग 42 से 44 महीने है. इस नस्ल की भैंसों ने एक ब्यांत में लगभग 4600 किलोग्राम तक दूध दिया है इस नस्ल का औसत दूध का उत्पादन 1700-1800 किलोग्राम प्रति ब...

किसानों को मुर्रा भैंस खरीदने पर मिलेगी 50% सब्सिडी, दूध उत्पादन के साथ बढ़ेगी आय

भैंस खरीदने पर मिलेगी 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी - जानें पूरी जानकारी सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रही हैं। किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक नई योजना मध्यप्रदेश में शुरू की जा रही है। इसके तहत किसानों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर मुर्रा भैंस उपलब्ध कराई जाएगी ताकि राज्य में दूध उत्पादन के साथ ही किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हो सके। मुर्रा भैंस को लेकर क्या है मध्यप्रदेश सरकार की योजना दरअसल मध्यप्रदेश एक योजना लेकर आई हैं जिसे पहले कुछ जिलों में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा। यदि ये योजना सफल होती है तो उसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को राज्य सरकार की ओर से 50 प्रतिशत सब्सिडी पर हरियाणा की मुर्रा भैंस दी जाएगी। इसी के साथ किसानों को छह माह का चारा भी उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना को शुरू करने के पीछे सरकार का उद्देश्य प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही किसानों की आय में बढ़ोतरी करना है। किन जिलों में शुरू की जाएगी ये योजना मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य सरकार की ओर से इस योजना को शुरुआत में प्रयोग के तौर पर प्रदेश के तीन जिलों रायसेन, विदिशा और सीहोर में इसे पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा। यदि इन जिलों में ये योजना सफल रहती है तो इसे अन्य जिलों में लागू किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत छोटे किसानों से 50 फीसदी राशि लेने के बाद दो मुर्रा भैंस उपलब्ध कराई जाएंगी। हरियाणा से मंगवाई जाएंगी मुर्रा भैंस दुग्ध उत्पादन कि दृष्टि से हरियाणा की मुर्रा भैंस काफी अच्छी मानी जाती है। इसे देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ...

मुर्रा भैंस

चर्चित शब्द (संज्ञा) राजा जनक की पुत्री तथा राम की पत्नी। (संज्ञा) सेना का प्रधान और सबसे बड़ा अधिकारी। (संज्ञा) वह रोग जिसमें भोजन नहीं पचता। (विशेषण) जिसे बुद्धि न हो या बहुत कम हो या जो मूर्खतापूर्ण आचरण करता हो। (विशेषण) जो किसी क्रिया में लगा हुआ हो। (विशेषण) जो किसी वस्तु, स्थान आदि के मध्य या बीच में स्थित हो। (विशेषण) जो प्रशंसा के योग्य हो। (विशेषण) कहीं-कहीं पर होने वाला। (विशेषण) अच्छे चरित्रवाली। (संज्ञा) भोजन, वस्त्र आदि देकर जीवन रक्षा करने की क्रिया।

Murrah Buffalo: मुर्रा भैंस का फैन हुआ ब्राजील, हरियाणा सरकार से मांगा इस नस्ल का सीमेन

Murrah Buffalo: मुर्रा भैंस का फैन हुआ ब्राजील, हरियाणा सरकार से मांगा इस नस्ल का सीमेन ब्राजील दौरे पर गए हरियाणा सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल से वहां की एक प्रयोगशाला ने मुर्रा जर्मप्लाज्म (सीमेन) को लेने की इच्छा जताई है. जानिए इस नस्ल भैंस की क्या है खासियत. कृषि और पशुपालन मंत्री के साथ गई टीम ने मुर्रा जर्मप्लाज्म के निर्यात के तौर-तरीकों का लगाया पता. सबसे ज्यादा दूध देने वाली पशु नस्लों में शामिल मुर्रा भैंस के चर्चे कई देशों तक पहुंच चुके हैं. गुणवत्ता की वजह से इसे हरियाणा में काला सोना कहा जाता है. ब्राजील ने हरियाणा सरकार ने मुर्रा नस्ल का जर्मप्लाज्म यानी सीमेन ( Murrah Buffalo germplasm) मांगा है. हरियाणा के Milk Production) वाले पशुओं की नस्लों को तैयार कर सकें. वर्तमान में यह प्रयोगशाला जर्मप्लाज्म इटली से खरीद रही है. ज्यादा दूध देना मुर्रा भैंस की सबसे बड़ी खासियत है. यह रोजाना औसतन 20 लीटर दूध देती है. कई तो 35 लीटर तक दूध देने में सक्षम होती हैं. हरियाणा में पशुपालकों की यह पहली पसंद होती हैं. हरियाणा के कृषि एवं पशुपालन मंत्री दलाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल इन दिनों ब्राजील में अध्ययन दौरे पर है. इस प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को ब्राजील के उबेरबा में ब्राजीलियाई एसोसिएशन ऑफ जेबू ब्रीडर्स (एबीसीजेड) के मुख्यालय में एबीसीजेड के अध्यक्ष रिवाल्डो मचाडो बोर्गेस जूनियर से मुलाकात की. यह 22000 से अधिक डेयरी किसानों का ब्राजीलियाई डेयरी पशु किसान संघ है. बैठक में ब्राजील से स्वदेशी पशु जर्मप्लाज्म (Semen) की अच्छी गुणवत्ता लाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई. मुर्रा नस्ल के सीमेन एक्सपोर्ट की ली जानकारी दलाल ने बताया कि बैठक में ब्राजील के डेयरी किसानों द्वारा ...

भारत देगा नेपाल को 15 मुर्रा नस्ल की भैंस, नेपाली संसद में हंगामा

काठमांडू । भारत के दौरे से लौटे नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंज लगातार अपने देश में आलोचकों के निशाने पर हैं। कभी भारत के हाथों नेपाल को बेचने के विपक्ष की ओर से उनपर आरोप लगे हैं। वहीं अब प्रचंड अपने एक समझौते की वजह से विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। नेपाल और भारत ने एक समझौता किया है जिसके तहत नई दिल्ली काठमांडू को 15 मुर्रा नस्ल के भैंस देगा। भारत और नेपाल के बीच मुर्रा भैंस की डील पर नेपाली संसद में जमकर हंगामा हुआ है। विपक्ष ने कह दिया कि प्रचंड भारत से भैंस पर बैठकर वापस आए हैं। भारत सरकार की ओर से नेपाल सरकार को दिए जाने वाले 15 मुर्राह भैंसों का उपयोग कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से 100,000 से अधिक भैंसों में क्रॉसब्रीडिंग और दूध उत्पादन बढ़ाने पर होगा। कृषि और पशुधन विकास मंत्रालय ने कहा कि तीन साल बाद एक साल में 15 मुर्रा भैंस बैलों से 150,000 वीर्य के उत्पादन के बाद कम से कम 100,000 भैंसों पर कृत्रिम गर्भाधान से क्रॉसब्रीडिंग के माध्यम से दूध उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि होगी। उन्‍होंने कहा कि हम चाहते थे कि हमारे प्रधानमंत्री हाल ही में उद्घाटन हुए पोखरा एयरपोर्ट पर उतरेंगे, लेकिन दुर्भाग्‍य से वह भैंस पर बैठकर वापस लौटे हैं। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की हाल की भारत यात्रा के दौरान, नेपाल को मुर्रा भैंस बैल प्रदान करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि 2018 में हुई नेपाल-भारत संयुक्त कृषि समूह की बैठक के आधार पर अलग-अलग तारीखों में भारत के साथ नेपाल सरकार से मुर्राह भैंस बैल मांगे गए थे। बताया जाता है कि इसके तकनीकी पहलुओं के अवलोकन के लिए नेपाली विशेषज्ञों और तकनीशियनों के भारतीय खेतों में जाने की तैयारी...