मूर्ति पर लगा सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है

  1. नेताजी का चश्मा के एन सी ई आर टी प्रश्नों के उत्तर पढ़िए क्लास 10 हिंदी क्षितिज
  2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा
  3. नेताजी का चश्मा ( पाठ का सार, प्रश्न उत्तर ) class 10
  4. Class 10 Hindi A: पाठ
  5. Netaji Ka Chashma Class 10 Question Answer : नेताजी


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नेताजी का चश्मा के एन सी ई आर टी प्रश्नों के उत्तर पढ़िए क्लास 10 हिंदी क्षितिज

नेताजी का चश्मा स्वयं प्रकाश NCERT Exercise प्रश्न 1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? उत्तर: इसके बारे में कहानी में कोई भी बात नहीं बताई गई है। हम कुछ अनुमान लगा सकते हैं। हो सकता है कि चश्मेवाला कभी सेना में काम करता रहा होगा। हो सकता है कि वह आजाद हिंद फौज का हिस्सा रहा होगा। प्रश्न 2: हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा: • हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे? उत्तर: हवलदार साहब मूर्ति पर सरकंडे के चश्मे को देखकर पहले मायूस हो गए थे। उन्हें लगा होगा कि लोगों में अपने नायकों के लिए जरा सी भी इज्जत नहीं बची है। • मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है? उत्तर: सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि हम लाख उम्मीदें छोड़ दें लेकिन उम्मीद की किरण हमेशा बाकी रहती है। कोई न कोई कुछ अच्छा करने की जिम्मेदारी ले ही लेता है। • हालदार साहब इतनी बात पर भावुक क्यों हो उठे? उत्तर: हवलदार साहब उस व्यक्ति के बारे में सोचकर भावुक हो उठे होंगे जिसने नेताजी को चश्मा लगाया होगा। वह नेताजी की कुर्बानी को याद कर के भावुक हो गए होंगे। प्रश्न 3: आशय स्पष्ट कीजिए – “बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढ़ूँढ़ती है।“ उत्तर: आम आदमी अपनी रोजमर्रा के जीवन में इतना उलझ जाता है कि उसे अन्य किसी बात की सुध नहीं रहती। हम अपनी जिंदगी में इतने मशगूल हो जाते हैं कि अपने देश पर अपना पूरा जीवन न्योछावर करने वालों को भी भूल जाते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। सच्चा और अच्छा देश वही बनता है जहाँ के लोग अपने हीर...

हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा

हालदार साहब जब चौराहे से गुजरे तो न चाहते हुए भी उनकी नज़र नेता जी की मूर्ति पर चली गई। मूर्ति देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ था। सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब को यह उम्मीद हुई कि आज के बच्चे कल को देश के निर्माण में सहायक होंगे और अब उन्हें कभी भी चौराहे पर नेता जी की बिना चश्मे की मूर्ति नहीं देखनी पड़ेगी।

नेताजी का चश्मा ( पाठ का सार, प्रश्न उत्तर ) class 10

लेखक स्वयं प्रकाश जी के द्वारा नेताजी का चश्मा कहानी एक देश भक्ति से प्रेरित है। जिसमें कवि ने देश के निर्माण में सभी लोगों की भागीदारी को व्यक्त करने का प्रयत्न किया है, चाहे वह किसी भी उम्र के लोग क्यों ना हो। एक साधारण सा अपंग व्यक्ति भी देश भक्ति और राष्ट्र निर्माण का किस प्रकार भागीदारी है इस कहानी में लेखक ने व्यक्त करने का प्रयास किया है। प्रस्तुत लेख में आप लेखक का संक्षिप्त जीवन परिचय, पाठ का सार तथा परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नों का अभ्यास भी करेंगे। नेताजी का चश्मा पाठ का सार, महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर के साथ यह पाठ (नेताजी का चश्मा) दसवीं कक्षा जो सी.बी.एस.ई बोर्ड के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम है उसके तहत पढ़ाया जाता है। इसकी पुस्तक क्षितिज भाग 2 नाम से जानी जाती है। प्रस्तुत लेख मे हम पाठ से संबंधित सभी पहलुओं पर विस्तार से अध्ययन करेंगे। स्वयं प्रकाश के जीवन तथा उनके साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए 20 जनवरी 1947 को स्वयं प्रकाश जी का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ। इनका आरंभिक जीवन राजस्थान में बीता। मैकेनिकल इंजीनियरिंग मेंउच्च स्तर की पढ़ाई की। इसी पढ़ाई के माध्यम से उन्होंने एक प्रतिष्ठित औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी भी प्राप्त की। किंतु साहित्य में स्वतंत्र लेखन की रुचि रखने के कारण उन्होंने स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति भी प्राप्त की। यह भोपाल में रहते हुए ‘वसुधा’ पत्रिका का संपादन भी करते थे। इनकी स्वतंत्र लेखनी आज भी पाठकों को पढ़ने के लिए मिलती रहती है। स्वयं प्रकाश जी ने हिंदी विषय से m.a. किया तथा 1980 में पीएचडी की डिग्री भी प्राप्त की। उन्होंने विभिन्न प्रकार के साहित्य की रचना की जिसमें कहानी, उपन्यास, निबंध, नाटक, संपादन आदि सम्मिलित है। इ...

Class 10 Hindi A: पाठ

प्रश्न 1- सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? उत्तर- सेनानी न होते हुए भी लोग चश्मेवाले को कैप्टेन इसलिए कहते थे क्योंकि नेताजी की बिना चश्मे की मूर्ति उसे दुख पहुँचाती थी इसलिए वह नेताजी की प्रतिमा को बार-बार चश्मा पहनाकर उनके प्रति अपनी अगाध श्रद्‌धा प्रकट करता था। उसमें देशप्रेम एवं देशभक्ति का भाव कूट-कूटकर भरा था। देश के प्रति समर्पण की भावना उसके हृदय में किसी फ़ौजी से कम नहीं थी। चाहे लोगों ने उसे यह नाम व्यंग्य में दिया था पर उस पर ठीक लगता है। प्रश्न 2- हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा- (क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे? (ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है? (ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे? उत्तर- (क) हालदार साहब इसलिए मायूस हो गए थे क्योंकि वे सोच रहे थे कि कस्बे के चौराहे पर नेताजी की मूर्ति तो होगी पर उसकी आँखों पर चश्मा नहीं होगा क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया और चश्मा लगाने वाला देशभक्त कैप्टेन तो मर चुका है। वहाँ अब किसी में कैप्टेन जैसी देशप्रेम की भावना नहीं है। (ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि अभी लोगों में देशभक्ति एवं स्वतंत्रता सेनानियों के लिए सम्मान की भावना मरी नहीं है। भावी पीढ़ी इस धरोहर को सँभाले हुए है। बच्चों के अंदर देशप्रेम का जज़्बा है, उनमें राष्ट्र प्रेम के बीज अंकुरित हो रहे हैं। अतः देश का भविष्य सुरक्षित है, उज्ज्वल, है। (ग) हालदार साहब सोच रहे थे कि कैप्टन के न रहने से नेताजी की मूर्ति चश्माविहीन होगी परंतु जब उन्होंने यह देखा कि मूर्ति की आँखों पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ है तो उनकी निरा...

Netaji Ka Chashma Class 10 Question Answer : नेताजी

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