नागमणि नाटक

  1. लघुकथा : नागमणि
  2. स्कन्दगुप्त नाटक (Skandagupt natak)
  3. फिर लौट आई नागिन
  4. Naagmani Facts: क्या है नागमणि का रहस्य? जानें इससे जुड़ी ये अनसुनी 10 रोचक बातें


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लघुकथा : नागमणि

~ कात्यायन~ – किम्बदन्ती थियो कि, पशुपतिनाथको मन्दिरमा बहुमूल्य गर-गहनाहरू; स्वर्ण-रत्न-मणि-माणिक्य आदिका आभूषणहरू थियो’रे | – अमूल्य नागमणिहरू पनि थियो’रे | – ती नागमणिहरू अब स्वदेशमा छन् कि विदेशमा छन् कसैलाई थाहा छैन’अरे | – अलि फरकखालको नागमणि बिभिन्न दरबारहरूमा सुशोभित हुँदै अहिले एक विशाल जन सभा भवनमा प्रतिस्थापना गरिएकोछ’अरे | – नागमणिको संरक्षण हेतु चौतर्फी प्रतिनिधित्व हुने गरी सर्व जात-जातीका नाग र सर्पहरू छनौट गरिएका थिए … – पन्यूँको पासो जस्तै टाउकाहरू भएका; टाँस्सिएर हिंड्न पर्ने पौनीसाँपहरू थिए | – रिसले फणा फांचिलो पार्ने काला-खैरा सुन्दर तर विखालु गोमनहरू थिए | – गोमन झैं सुन्दर देखिने तर फणा नभएका सर्प-भक्षी विषाक्त करेतहरू थिए | – वर्षा-याममा हरियो-लतामा मात्र बस्न रुचाउने विषयुक्त हरेउहरू पनि थिए | – विषरहित पानी सर्पाहरूको त के वर्णन गर्नु ! – यी बाहेक अनेक वर्ण-रंग-स्वभावका सर्पहरू पनि थिए | मणिबिहिन थिए; प्राणरहित देखिन्थे ! र, सबैको लक्ष्य एकै थियो कि कसरि त्यो नागमणि प्राप्त गर्ने ? – कसैले आफूलाई वसुकी नाग हूँ’भन्थे | कसैले विष्णुको शैय्या शेष-नाग हूँ’भनी गर्ब गर्थे त कसैले आफूहरूलाई पुन्नाग; कसैले नाग-केशर त कसैले नागराज हूँ’भन्दै हजार जिव्हाहरू सप्त रंगहरू दलेर देखाउँथे | – एक-अर्कासंग लठ्ठारिंदै-बट्टारिंदै-बज्जारिंदै विदेशी र सात-समुन्द्रपारिका भनेर नागफणि बजाइरहेका थिए | युध्दकालागि नागपाश/वरुणपाश आदि अस्त्र प्रहार गरिरहेका थिए | – नागरा स्वभावका नागहरू मध्ये कुनै न कुनै नागराहरूले त्यो नागमणि हडप्ने सुनियोजित नै प्रायस: हुने गर्थ्यो | – अन्तत: जुनकुनै नागहरूले उक्त नागमणि हत्याउन सफल भए पनि त्यस अमूल्य मणिमा “एन्टी स्नेक भेनम” लेप लगाइएको ती न...

स्कन्दगुप्त नाटक (Skandagupt natak)

💐💐 स्कंदगुप्त नाटक 💐💐 ◆ प्रकाशन :- 1928 ई. ◆ जयशंकर प्रसाद की सबसे प्रौढ़ रचना है। ◆ आलोचकों ने प्रसाद के इस नाटक को शास्त्रीय दृष्टि से उत्तम माना है। ◆ 140 पृष्ठ का नाटक ◆ अंक :- पाँच अंक ◆ शेक्सपियर के नाटकों में भी पाँच अंकों की परम्परा मिलती हैं। ◆ कुल दृश्य :- 33 दृश्य(इसके पाँच अंक क्रमशः 7, 7, 6, 7 तथा 6 दृश्यों में विभक्त है।) ◆ कुल :- 17 गीत ◆ स्कन्दगुप्त नाटक भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण कालखंड गुप्त साम्राज्य की ऐतिहासिक घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया एक ऐतिहासिक नाटक है। ◆ यह नाटक गुप्त वंश के प्रसिद्ध सम्राट स्कन्दगुप्त के जीवन पर आधारित है जिन्होंने पांचवी सदी में उज्जैन पर शासन किया और भारत के उत्तर तथा पश्चिम के क्षेत्रों से विदेशी आक्रमणकारियों, शकों और हूणों के साम्राज्य को समाप्त किया । ◆ स्कन्दगुप्त के शासनकाल में विदेशी आक्रान्ताओं का आतंक और ब्राह्मण और बौद्ध धर्म के बीच संघर्ष चरम पर था। प्रसाद जी के समय भी वही समस्याएँ थीं। यहाँ विदेशी आक्रमणकारी अंग्रेज़ थे और ब्राह्मण और बौद्ध की जगह हिन्दू मुस्लिम थे । ◆ नाटक का उद्देश्य :- ★ ‘स्कन्दगुप्त’ नाटक का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीयता की भावना का प्रचार । ★ विश्व-प्रेम, मानवता, लोक कल्याण, सहिष्णुता तथा क्षमाशीलता का प्रचार भी प्रस्तुत नाटक में किया है। ★ ‘स्कन्दगुप्त’ नाटक में देशभक्ति का स्वर अधिक मुखरित हुआ है। ◆ नाटक के पात्र :- ★ पुरुष पात्र :- 1. स्कंदगुप्त – युवेराज (विक्रमादित्य ) 2. कुमारगुप्त (मगध का सम्राट) 3. गोविन्दगुप्त (कुमारगुप्त का भाई) 4. पर्णदत्त (मगध का महानायक) 5. चक्रपालित (पद का पुत्र) 6. बन्धुवर्मा (मालव का राजा) 7. भीमवर्मा (बन्धुवर्मा का भाई) 8. मातृगुप्त (काव्यकर्त्ता कालिदास )...

फिर लौट आई नागिन

फिर लौट आई नागिन शैली सितारे निकिता शर्मा जतिन भारद्वाज निर्माण का देश मूल भाषा(एं) सत्र संख्या 2 प्रकरणों की संख्या 100 निर्माण निर्माता निखिल सिन्हा सुहाना सिन्हा संपादक सत्या शर्मा स्थल प्रसारण अवधि 25 मिनिट निर्माण कंपनी ट्रायंगल फिल्म कंपनी प्रसारण मूल चैनल छवि प्रारूप मूल प्रसारण 2 सितंबर 2019 – 17 जनवरी 2020 अनुक्रम • 1 सारांश • 1.1 नौ साल बाद • 2 कलाकार • 3 संदर्भ सारांश [ ] शिवानी एक नागिन है, जो आनंद के घर में शहर में अपने प्यार को खोजने के लिए 12 साल बाद लौटी है, जिसका एक संयुक्त परिवार है। उनके गुरु ने बताया कि उनके नागराजा जो नागमणि के लिए मारे गए, ने आनंद के घर में अपना पुनर्जन्म किया। तो शिवानी एक 12 साल की लड़की के रूप में अपने नागराज को खोजने के लिए वहां गई। वहाँ उसे पता चलता है कि दो लड़कों राज और रोहित का जन्म एक ही दिन हुआ था, जिससे वह भ्रमित हो जाती है। इसलिए वह अपने गुरु से अपील करती है जो कहता है कि वह केवल अपने नागराज को पहचान सकती है। तो उसे याद आता है कि एक दिन नागराज ने उसे अपने तिल पर नक्षत्र चिन्ह के बारे में बताया था जो उस के शरीर पर होगा, यहां तक ​​कि वह 100 जन्म लेता है। तो इसी की मदद से वो उसे ढूंढने की कोशिश करती सकती है लेकिन कई बार असफल हो जाती है. इस बीच, आनंद ने पाया कि एक छोटी लड़की के रूप में एक नागिन एक ऋषि की मदद से उसके घर के आसपास है। आनंद अपने दोस्तों की मदद से , और उसके ड्राइवर लक्ष्मण ने नागराज को नागमणि के लिए मार डाला। तब उसे एहसास हुआ कि नागिन उसे मारने आई है। नौ साल बाद [ ] नागमणि की शक्ति से आनंद दुनिया के सबसे धनी लोगों में से एक बन गया। उन्होंने घोषणा की कि उनके बेटे रोहित प्रेस मीट में अपना नया प्रोजेक्ट लेंगे। जमीन से...

Naagmani Facts: क्या है नागमणि का रहस्य? जानें इससे जुड़ी ये अनसुनी 10 रोचक बातें

वृहत्ससंहिता ग्रंथ में नागमणि के होने का वर्णन मिलता है. नागमणि की चमक अग्नि के समान तेज प्रकाशवान होती है. नागमणि नाग के सिर में पाई जाती है, जो बेहद दुर्लभ होती है. Naagmani Interesting Facts: नागमणि का रहस्य अब तक कोई नहीं जान पाया है, लेकिन धर्म ग्रंथों में नागमणि को लेकर कई किस्से, कहानियां मिलते हैं. कई लोग मणिधर नाग देखने का दावा करते हैं तो भगवान श्रीकृष्ण और मणिधर नाग की पौराणिक कथाओं का भी जिक्र मिलता है. कहते हैं कि जिस भी व्यक्ति के नागमणि हाथ लग जाती है, उसकी किस्मत चमक उठती है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि नागमणि का रहस्य अभी अनसुलझा है, लेकिन वृहत्ससंहिता में नागमणि को लेकर कई बातों का उल्लेख मिलता है. चलिए जानते हैं नागमणि से जुड़ी रोचक बातें. -नागमणि नाग के सिर में पाई जाती है, जो बेहद ही दुर्लभ होती है. -नागमणि की चमक बेहद तेज होती है. इसकी चमक की तेज रोशनी दूर तक फैलती है. -कहते हैं कि नागमणि मोर के कंठ के समान होती है और इसकी चमक अग्नि के समान होती है. -नागमणि अपने आप में अलौकिक होती है, जो अन्य मणियों से अधिक प्रभावशाली होती है. मान्यता है कि जिसके पास मणि होती है उस पर नाग के विष का प्रभाव नहीं होता है. -वृहत्ससंहिता ग्रंथ में वर्णन मिलता है कि जिस भी राजा के पास यह मणि थी, उसने शत्रुओं पर हमेशा विजय प्राप्त की है और इनके राज्य में हमेशा खुशहाली रही है. -कहा जाता है कि स्वाति नक्षत्र में होने वाली बरसात की बूंदे जब नाग के मुंह में जाती है तो नागमणि बनती है. हालांकि, इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता है. ज्योतिषशास्त्र ग्रंथ वृहत्ससंहिता में इस बात का उल्लेख मिलता है. यह भी पढ़ें – ग्रंथ पुराणों में नागमणि के अलावा पारस मणि, नीलमणि, कौस्तुभ मणि, चंद्रक...