नाटक और एकांकी में अंतर pdf

  1. हिंदी गद्य साहित्य की प्रमुख विधाएँ ― निबंध, नाटक, एकांकी, उपन्यास, कहानी
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  5. एकांकी किसे कहते हैं? एकांकी और नाटक में अंतर क्या है?
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  8. नाटक और एकांकी में क्या अंतर होता है ?
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हिंदी गद्य साहित्य की प्रमुख विधाएँ ― निबंध, नाटक, एकांकी, उपन्यास, कहानी

Install - vidyarthi sanskrit dictionary app हिंदी गद्य साहित्य की प्रमुख विधाएँ ― निबंध, नाटक, एकांकी, उपन्यास, कहानी | hindi sahitya ki gadya vidhaye ― Essay, Drama, Ekanki, Novel, Story • BY:RF Temre • 9653 • 0 • Copy • Share हिंदी गद्य की प्रमुख विधायें― निबंध, नाटक, एकांकी, उपन्यास, कहानी निबंध- निबंध वह गद्य रचना है, जिसमें सीमित आकार में किसी विषय का प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, संगति व संबद्धता के साथ किया जाता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने स्पष्ट किया है― आधुनिक लक्षणों के अनुसार निबंध उसी को कहना चाहिए जिसमें व्यक्तित्व अर्थात् व्यक्तिगत विशेषता है। उन्होंने लिखा है, "यदि गद्य काव्य या लेखकों की कसौटी है, तो निबंध गद्य की कसौटी है।" बाबू गुलाब राय के अनुसार, "निबंध उस गद्य रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता, सौष्ठव और सजीव तथा आवश्यक संगति और संबद्धता के साथ किया गया हो।" निबंध के प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं― 1. वर्णनात्मक निबंध 2. विचार मूलक निबंध 3. भावात्मक या ललित निबंध 4. कथात्मक निबंध "निबंध को गद्य की कसौटी कहा गया है।" इस कथन का तात्पर्य है कि, पद्य की तुलना में गद्य रचना संपन्न करना दुष्कर कार्य है, क्योंकि अगर आठ पंक्तियों वाली कविता में यदि एक पंक्ति भी भावपूर्ण लिख जाती है तो कवि प्रशंसा का भागी होता है, परंतु गद्य के संदर्भ में ऐसा नहीं देखा जाता। गद्यकार को एक-एक वाक्य सुव्यवस्थित एवं सोच-विचारकर लिखना होता है। उसी स्थिति में गद्यकार प्रशंसनीय है। गद्य में निबंध लेखन बहुत ही दुष्कर कार्य है। निबंध को सुरुचिपूर्ण, आकर्षक एवं व्यवस्थित होना चाहिए। इसी हेतु निबंध की कसौटी कहा गया है। हि...

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नाटक और एकांकी में अंतर natak or ekanki me antar,नाटक और एकांकी में क्या अंतर है लिखिए,natak ki paribhasha,नाटककारों के नाम व नाटक का नाम,एकांकी की विशेषताए,ekanki ki paribhasha,एकांकी की परिभाषा इन हिंदी,एकांकी के कितने प्रकार होते हैं,हिंदी एकांकी की परिभाषा देते हुए उसके प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए, नाटक :- नाटक एक अभिनय परक एवं दृश्य काव्य विधा है जिसमें संपूर्ण मानव जीवन का रोचक एवं कुतूहलपूर्ण वर्णन होता है । नाटक के विकास क्रम को निम्न रूप में स्वीकार किया गया है - भारतेंदु काल - 1837 ई. से 1904 ई. तक सन्धि काल - 1904 ई. से 1915 ई. तक प्रसाद काल - 1915 ई. से 1933 ई. तक वर्तमान युग - 1933 ई. से आज तक नाटक के तत्व :- 1. कथावस्तु - कथावस्तु का अर्थ है नाटक में प्रस्तुत घटना चक्र अर्थात जो घटनाएं नाटक में घटित हो रही हैं। यह घटना चक्र विस्तृत होता है और इसकी सीमा में नाटक की स्थूल घटनाओं के साथ पात्रों के आचार विचारों का भी समावेश है। 2. पात्र या चरित्र चित्रण - वैसे तो और नाटक में पात्रों की संख्या बहुत अधिक होती है, किंतु सामान्यतः एक-दो पात्र एसी मुख्य होते हैं। किसी विषय नाटक एक प्रधान पुरुष पात्र होता है जिसे हम 'नायक' कहते हैं और इसके अलावा प्रधान या मुख्य स्त्री पात्र को हम 'नायिका' कहते हैं। किसी भी चरित्र प्रधान नाटक में नाटक की कथावस्तु एक ही पात्र के चारों ओर घूमती रहती है। 3. देशकाल या परिवेश - परिवेश का अर्थ होता है देश काल। किसी भी नाटक में उल्लेखित घटनाओं का संबंध किसी ना किसी स्थान एवं काल से होता है। नाटक में यथार्थता, सजीवता एवं स्वाभाविकता लाने के लिए यह आवश्यक है कि नाटककार घटनाओं का यथार्थ रूप से चित्रण करें। 4. संवाद और भाषा - नाटक के भिन्न-भिन्...

नाटक और एकांकी में अंतर

नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं नाटक क्या होता है और एकांकी क्या होती है। और इनमें क्या-क्या अंतर होते है। यह प्रश्न आपके कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के छात्रों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है। यह प्रश्न बोर्ड एग्जाम में हर साल पूछा जाता है। नाटक और एकांकी में विस्तार से जानने के लिए इस पोस्ट में विजिट कर सकते हैं। नाटक क्या है!! नाटक काव्य का हिस्सा है जो दृश्य काम में आता है यदि इसे आसान भाषा में समझा जाए तो जो लोग थिएटर, टीवी, रेडियो पर किसी कहानी को विस्तार में प्रस्तुत करते हैं वह भी अभिनय करते हुए उसे ही हम नाटक कहते हैं नाटक में कई पात्र होते हैं। जिन सभी के अपने नाम होते हैं। और उन्हें अपने अपने किरदार के अनुसार अभिनय करना होता है। यह सब लोग इस प्रकार से अभिनय करते हैं जैसे कि वह हमारे सामने ही घटित कहानी है। एकांकी क्या है!! एक अंक में समाप्त हो जाने वाले नाटक को एकांकी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे हम 'वन एक्ट प्ले' शब्द से जानते हैं। एक अंक वाले नाटकों को एकांकी कहते हैं। अंग्रेजी के 'वन ऐक्ट प्ले' शब्द के लिए हिंदी में 'एकांकी नाटक' और 'एकांकी' दोनों ही शब्दों का समान रूप से व्यवहार होता है। ... क्रमशः ये मोरैलिटी नाटकों से स्वतंत्र हो गए और अंत में उनकी परिणति व्यंग्य-विनोद-प्रधान तीन पात्रों के छोटे नाटकों में हुई। नाटक और एकांकी में अंतर- नाटक एकांकी 1. नाटक में कई अंक होते हैं। 1. एकांकी में मात्र एक होता है। 2. नाटक में अधिकारिक कथावस्तु के साथ-साथ अन्य प्रसांगिक कथाएं होती हैं। 2. एकांकी में अधिकारिक तथा (मूल कथा) होती है। 3. नाटक में पात्रों की संख्या अधिक होती है। 3. एकांकी में पात्रों की संख्या नाटक की अपेक्षा कम होती है। ...

15 + Ekanki Natak Pdf

2 एकांकी नाटक Pdf Download देवी प्रसाद और नीरजा की एक बेटी थी। उसका नाम अनामिका था। देवी प्रसाद मध्यम वर्ग के इंसान थे। न ही अति धनी थे और न ही अति गरीब, उनका जीवन सुखपूर्वक चल रहा था। उन्होंने अनामिका की परवरिश में कोई कमी नहीं होने दिया। सिर्फ एक बात का मलाल रह गया था कि वह अपनी बेटी को वकालत नहीं करा सके थे क्योंकि मध्यम वर्गीय किसी तरह अपना घर चला पाते है। ऊंची उड़ान भरने के लिए उनके पास समय नहीं होता है। सारा समय रोजी-रोटी की भेंट चढ़ जाता है। ऊपर से जिसके पास लड़की होती है उसे तो दिन रात चिंता खाए जाती है। क्योंकि शायद ही कोई लड़का वाला होगा जो ख़ुशी पूर्वक अपनी बहू ले आवे अन्य तो सुरसा की तरह मुंह खोले खड़े रहते है कि कब दहेज के रूप में उन्हें ग्रास मिले और वह उसे इस तरह निगल जाए कि डकार भी न आने पावे ? और यही चिंता उन्हें खाए जा रही थी। किस तरह से बेटी के हाथ पीले कर पाएगे ? लड़की वाला अपना सब कुछ दे देता है तब भी लड़के वालो की नाक टेढ़ी ही रहती है कुत्ते की दुम की तरह ? देवी प्रसाद के अथक प्रयास के बाद ही एक जगह दूर के रिश्ते में शादी की बात तय हो गई थी। आज के माहौल में घर में भी दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की प्रथा ने जोर पकड़ लिया है। यानी कि दूल्हा और उसका बाप तो कुछ नहीं कहेंगे लेकिन दूल्हे की माँ अपनी बहू का दहेज के लिए जीना दूभर कर देती है। अगर अपनी जाई कन्या हो तब उन्हें भी आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाए। यही हाल अनामिका का भी था। उसकी शादी प्रताप नाम के लड़के के साथ हो गई थी। ससुराल में अनामिका साथ तो कुछ दिन सब ठीक था लेकिन दिन के बाद उसकी सासु के शब्दबाण चलने लगे। अब तो प्रताप भी कोर्ट की खीझ अनामिका के ऊपर ही निकालने लगा। अनामिका सारा दिन सास के नखरे सहन करने क...

एकांकी किसे कहते हैं? एकांकी और नाटक में अंतर क्या है?

रंगमंचपरआपनेकईनाटकदेखेहोंगे।अबनाटकभीअलग-अलगतरहकेहोतेहैं, और एकांकीभीएकतरहकानाटकहीहै।औरआजहमइसीकेबारेमेंविस्तारसेबातकरेंगेकि एकांकीकिसेकहतेहैं?एकांकीऔरनाटकमेंअंतरक्याहोताहै, औरएकांकीकीविशेषताएँक्या-क्याहैं? सबसेपहलेहमजानतेहैंकि नाटकक्याहोताहै?तोअभिनयकेमाध्यमसेसमाजएवंव्यक्तिकेचरित्रोंकाप्रदर्शनही‘नाटक’है।परंपरागतरूपसेनाटककेमुख्यतःपाँचअंकहोतेहैं, जिसमेंआरम्भ, विकास, चरमऔरअंतदिखायाजाताहै। नाट्य-साहित्यकीपरंपरामेंएकांकीकाअस्तित्वनहींथा; यहबादमेंआयाहैइसलिएइसेएकस्वतंत्रविधाकेरूपमेंमानाजाताहै।यद्यपिएकांकीनाटककाहीछोटारूपहैतथापियहउससेअलगभीहै।इसमेंएकहीमुख्यघटनायाजीवनकीएकसंवेदनाकोदृश्यबद्धकियाजाताहै। एकांकीऔरनाटकमेंअंतरक्याहै? • नाटकमेंजहाँजीवनकाविस्तारएवंचित्रणकीविविधताहोतीहै, वहींएकांकीमेंजीवनकाएकपहलूहीउभरकरसामनेआताहै। • नाटकजहाँमंथरगतिसेचरमकीओरबढ़ताहै, वहींएकांकीबड़ीहीतीव्रगतिसेचरमएवंअंतकोबढ़तीहै।

एकांकी

एकांकी हिन्दी में ‘एकांकी’ जो अंग्रेजी ‘ वन एक्ट प्ले‘ के लिए प्रो. अमरनाथ के इस कथन- एकांकी नाटक हिन्दी में सर्वथा नवीनतम कृति है, “इसका जन्म हिन्दी साहित्य में अंग्रेजी के प्रभाव के कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ है।” डॉ. सरनाम सिंह का कथन है कि यह मानना कितना भ्रामक होगा कि हिन्दी एकांकी के सामने कोई भारतीय आदर्श ही न था। आधुनिक किस्म के हिन्दी एकांकी की पहली एक घूंट” को स्वीकार किया जाता है। एकांकी का स्वरूप एकांकी के आधुनिक स्वरूप का प्रारम्भ इंग्लैण्ड में 10वीं शती के अंत में ‘ कर्टेन रेजर‘ से मानी जाती है। धीरे-धीरे वह ‘कर्टेन रेजर’ इतना अधिक प्रसिद्ध हुआ कि इसने एक स्वतंत्र विधा का ही स्थान ले लिया। एकांकी का आधार एक मुख्य विचार अथवा सुनिश्चित लक्ष्य होना चाहिए। उसमें अनेक स्थलों, अनेक भावों और अनेक चित्रवृत्तियों के सम्मिश्रण से बचना चाहिए। यह भी आवश्यक है कि जीवन के जिस पक्ष, क्षण अथवा समस्या को एकांकीकार प्रस्तुत करना चाहता है सभी पात्र, कथोपकथन और वातावरण उसकी सफलता में सहयोग दें। सेठ गोविन्ददास के शब्दों में कहें तो सारे नाटक पर एकता का वायुमण्डल होना चाहिए। एकांकी यथासंभव संक्षिप्त होना चाहिए। 35-40 मिनट से अधिक के एकांकी अपना प्रभाव खो बैठते हैं। इसमें संकलनत्रय का पूर्ण निर्वाह होना चाहिए। इस संबंध में सेठ गोविंददास ने लिखा है-“वही संकलनत्रय कुछ फेरफार के साथ एकांकी नाटक के लिए जरूरी चीज है। संकलनत्रय में भी संकलन ऐक्य अर्थात् नाटक का ही एक समय की घटना तक परिमित रहना तथा एक ही कृत्य के संबंध में होना एकांकी के लिए अनिवार्य है। एकांकी की कथा गतिशील होनी चाहिए और उसे श्रीप्रगति से अपने चरमबिंदु की ओर बढ़ना चाहिए। उसमें आश्चर्य, कौतूहल और जिज्ञासा की स्थिति भी अनिवार्य...

नए मेहमान एकांकी.pdf

Page 1 : ड् “नए मेहमान 'एकांकी की मुख्य स्त्री पात्र कौन है? उसका चरित्रांकन कीजिए।, उ०- “नए मेहमान' एकांको को मुख्य स्त्री पात्र विश्वनाथ को पत्नी रेवती है। वह मध्यम वर्ग के परिवार की गृहस्वामिनी का, प्रतिनिधित्व करती है। उसके चरित्र को निम्नलिखित विशेषताएँ हैं, (अ) आवास की समस्या से पीड़ित- रेवती एक मध्यमवर्गीय सामान्य नारी है। उसका छोटा बच्चा बीमार है, मकान, छोटा एवं कम हवादार है। वह और उसका बच्चा तेज गर्मी से पीड़ित है। आवास की समस्या से पीड़ित होकर वह, झुँझला पड़ती है और कहती है - “जाने कब तक इस जेलखाने में सड़ना पड़ेगा।'!, , (ब) पति परायणा एवं सहनशील- अपनी वर्तमान समस्याओं से पीड़ित होते हुए भी वह अपने पति से अत्यंत प्रेम, करती है। वह खुद आँगन में लेटकर गर्मी में रात बिताने को तैयार है, परंतु पति को छत पर खुली हवा में सोने को, विवश करती है। वह चाहती है कि उसके पति को कोई परेशानी न हो। वह अत्यधिक गर्मी में भी कष्ट उठाकर, परिस्थितियों से समझौता कर लेती है। सहनशीलता उसका प्रमुख गुण है।, , (स) पड़ोसी के अशिष्ट व्यवहार से पीड़ित- रेवती के प्रति उसके पड़ोसियों का व्यवहार अच्छा नहीं है। वह अपनी, पड़ोसन लाला की औरत के विषय में अपने पति से शिकायत भी करती है। विश्वनाथ जब लाला से बात करने को, कहता है तो वह कहती है, “ क्‍या फायदा? अगर लाला मान भी जाए तो बह दुष्टा नहीं मानेगी।'', , (द) तुनकमिजाज और शंकालु- रेवती परिस्थिति के कारण तुनकमिजाज हो गई है। अपरिचित मेहमानों के आने पर, वह खाना नहीं बनाती और उनके प्रति शंका प्रकट करती हुई कहती है-“'दर्द के मारे सिर फटा जा रहा है, फिर, खाना बनाना, इनके लिए और इस समय? आखिर ये आए कहां से हैं?, , (य) समझदार स्त्री- रेवती एक समझदार स्त्री है। व...

नाटक और एकांकी में क्या अंतर होता है ?

Natak Aur Ekanki Me Antar :- 9वीं से लेकर 12वीं कक्षा तक हिंदी विषय में नाटक और एकांकी के ऊपर काफी सारे प्रश्न जाते हैं। जैसे कि नाटक क्या है ? एकांकी क्या है ? या फिर नाटक और एकांकी में अंतर क्या होता है ? लेकिन बच्चों को इनका जवाब नहीं पता होता है, इसलिए आज के इस लेख में हम आप लोगों को इन सभी प्रश्नों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करने वाले हैं। नाटक क्या है ? – Natak Kya Hai, Natak Kise Kahate Hain Natak Kise Kahate Hain :- नाटक शब्द “ नट ” से बना है, जिसका अर्थ भावों का अभिनय है, इस प्रकार नाटक का संबंध रंगमंच से है। इसमें रंगमंच और अभिनय का ध्यान रखा जाता है। नाटक का कथानक अंकों और दृश्य में विभाजित होता है। दोस्तों, यह तो हो गई नाटक की वह परिभाषा जो आप परीक्षा में लिख कर आएंगे। अब साधारण शब्दों में नाटक का मतलब जानते हैं :- टीवी पर या थिएटर पर किसी भी प्रकार की कोई Web Series ( जिसमें अनेक एपिसोड हो ) देखने को नाटक कहा जा सकता है। किसी भी प्रकार की कहानी को चित्रित करके या उसका अभिनय करके, एक से अधिक भागों में, जब किसी पर्दे पर दर्शकों को दिखाया जाता है, तो वह नाटक कहलाता है। दर्शक भी इस नाटक का भरपूर आनंद लेते हैं, साथ ही शिक्षा भी ग्रहण करते हैं। नाटक की विशेषताएं क्या क्या है ? • नाटक में एक मुख्य कथा के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक कथाएं होती हैं। • नाटक में अनेक घटनाएं होती है। • नाटक में अनेक अंक होते हैं। • नाटक में विस्तार होता है। एकांकी क्या है ? – Ekanki Kya Hai, Ekanki Kise Kahate Hain Ekanki Kise Kahate Hain :- एक अंक वाले नाटक को “ एकांकी ” कहते हैं। एकांकी नाटक का एक प्रकार है, यह आकार में छोटी होती है तथा आधे घंटे में समाप्त हो जाती है। OR एकांक...

नाटक और एकांकी में अंतर

एकांकी किसे कहते हैं एक अंक के नाटक को एकांकी कहा जाता है। इसमें किसी घटना-विशेष की प्रस्तुति की जाती है। नाटक और एकांकी में अंतर | Natak Aur Ekanki Mein Antar नाटक और एकांकी में प्रमुख अंतर निम्नलिखित इस प्रकार है – क्रमांक नाटक एकांकी 1. नाटक में अनेक अंक होते है। एंकाकी में केवल एक अंक होते है। 2. नाटक में अधिक पात्र होते है। और देश – काल विस्तृत होता है। एकांकी में कम पात्र होते है देश – काल सिमित होता है। 3. नाटक में एक मुख्य कथा तथा अनेक अंत: कथाएँ होती है। एकांकी में एक घटना पर ही आधरित होता है। 4. नाटक बड़ा होने के कारण अधिक समय में अभिनीत होता हैं। एकांकी संक्षिप्त होने के कारण कम समय में अभिनीत होता है। 5. नाटक साहित्य की वह दृश्य विधा है, जिसमे अभिनय, नृत्य, संवाद, आकृति वेशभूषा और संगीत के माध्यम से अलौकिक आनन्द की अनुभूति की जाती हैं। एकांकी में एक ही अंक होता है इसमे किसी व्यक्ति घटना या प्रसंग का वर्णन न होकर उसके किसी एक अंश – विशेष का वर्णन होता है। यह भी देखें,