नेताजी का चश्मा पाठ की विधा है

  1. Netaji Ka Chashma Class 10 Summary :नेताजी का चश्मा
  2. नेताजी का चश्मा क्लास 10 पाठ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी
  3. Netaji ka Chashma Class 10 Summary, Explanation, Question Answers
  4. Netaji ka chashma summary/नेताजी का चश्मा सार
  5. नेताजी का चश्मा


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Netaji Ka Chashma Class 10 Summary :नेताजी का चश्मा

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नेताजी का चश्मा क्लास 10 पाठ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

हिंदी के इस ब्लॉग में कक्षा 10 केNetaji ka chashma Class 10 की कहानी के लेखक परिचय और NCERT की पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर के बारे में जानेंगे।छात्रों के लिए10वीं क्लास सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, इसलिए NCERT अपने सिलेबस में उन टॉपिक को जरूर कवर करती है जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होती है। चलिए विस्तार से जानते हैं Netaji ka chashma Class 10 के बारे में। This Blog Includes: • • • • • • पाठ सारांश Netaji ka Chashma Class 10 के लिए पाठ सारांश नीचे दिया गया है- • हालदार साहब को हर पन्द्रहवें दिन कम्पनी के काम से एक छोटे कस्बे से गुजरना पड़ता था। उस कस्बे में एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक सीमेंट का कारखाना, दो ओपन सिनेमा घर तथा एक नगरपालिका थी। • नगरपालिका थी तो कुछ ना कुछ करती रहती थी, कभी सड़के पक्की करवाने का काम तो कभी शौचालय तो कभी कवि सम्मेलन करवा दिया। • एक बार नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने मुख्य बाज़ार के चैराहे पर सुभाषचन्द्र बोस की संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। चूँकि बजट ज्यादा नही था इसलिए मूर्ति बनाने का काम कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के शिक्षक को सौंपा गया। • मूर्ति सुन्दर बनी थी बस एक चीज़ की कमी थी, नेताजी की आँख पर चश्मा नहीं था। एक सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया। जब हालदार साहब आये तो उन्होंने सोचा वाह भई! यह आईडिया ठीक है। मूर्ति पत्थर की पर चश्मा रियल। • दूसरी बार जब हालदार साहब आये तो उन्हें मूर्ति पर तार का फ्रेम वाले गोल चश्मा लगा था। तीसरी बार फिर उन्होंने नया चश्मा पाया। इस बार वे पान वाले से पूछ बैठे कि नेताजी का चश्मा हरदम बदल कैसे जाता है। • पानवाले ने बताया की यह काम कैप्टन चश्मेवाला...

Netaji ka Chashma Class 10 Summary, Explanation, Question Answers

CBSE Class 10 Hindi Chapter 10 Netaji ka Chashma Summary, Explanation from Kshitij Bhag 2 Netaji ka Chashma Class 10 - Netaji ka Chashma Summary of CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag-2 Chapter 10 detailed explanation of the lesson along with meanings of difficult words. Here is the complete explanation of the lesson, along with all the exercises, Questions and Answers given at the back of the lesson. इस लेख में हम हिंदी कक्षा 10 - अ " क्षितिज भाग - 2 " के पाठ - 10 " नेता जी का चश्मा " पाठ के पाठ - प्रवेश , पाठ - सार , पाठ - व्याख्या , कठिन - शब्दों के अर्थ और NCERT की पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर , इन सभी के बारे में चर्चा करेंगे - • • • • • “ नेता जी का चश्मा ” लेखक परिचय - लेखक - स्वयं प्रकाश नेता जी का चश्मा पाठ प्रवेश (Netaji ka Chashma - Introduction to the chapter) केवल ऐसा भूभाग जो चारों ओर से सीमाओं से घिरा हुआ हो , उस भूभाग को देश का नाम नहीं दिया जा सकता। क्योंकि देश केवल भूभाग से नहीं बनता। देश बनता है उसमें रहने वाले सभी नागरिकों , नदियों , पहाड़ों , पेड़ - पौधों , वनस्पतियों , पशु - पक्षियों से। अर्थात सीमाएँ तो केवल किसी देश के विभाजन में सहायक होती हैं , देश को असल में परिभाषित करते हैं उस स्थान की प्रकृति , लोग और पशु - पक्षी। और इन सबसे प्रेम करने तथा इनकी समृद्धि के लिए , इनके विकास के लिए प्रयास करने का नाम देशभक्ति है। प्रस्तुत पाठ " नेताजी का चश्मा " कहानी भी देशभक्ति से जुड़ी हुई है जिसमें कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से देश के उन करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित किया गया है जो इस देश के निर्माण में अपने - अपने तरीके से सहयोग करते हैं।...

Netaji ka chashma summary/नेताजी का चश्मा सार

By Dec 25, 2020 Netaji ka chashma summary Netaji ka chashma summary? आज हम इस पाठ को सार या समरी के मध्यम से समझेंगे । NCERT CBSE कक्षा-10 विषय-हिंदी-अ क्षितिज भाग-2 गद्यखंड पाठ- नेताजी का चश्मा- लेखक स्वयं प्रकाश नेताजी का चश्मा एक कहानी है। कहानी किसे कहते हैं? पहले ये जान लेते हैं। कहानी- जिसमें जीवन के किसी एक घटना को पात्रों, संवाद एवं घटनाक्रम के माध्यम से नाटकीय रूप में अभिव्यक्ति दी जाती है, उसे कहानी कहते हैं। पाठ का सार पार्ट-1 कहानी कुछ इस प्रकार है कि हालदार साहब हर पन्द्रहवें दिन कंपनी के काम से एक छोटे से कस्बे से निकलते थे। उस कस्बे में एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक सीमेंट का कारखाना, दो ओपन सिनेमा तथा एक नगरपालिका थी। नगरपालिका थी तो कुछ ना कुछ करती रहती थी, कभी सड़के पक्की करवाने का काम तो कभी शौचालय तो कभी कवि सम्मलेन करवा दिया। पाठ का सार पार्ट-2 एक बार नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने मुख्य बाजार के चौराहे पर सुभाषचंद्र बोस की संगमरमर की मूर्ति लगवा दी। चूँकि बजट अधिक नहीं था इसलिए मूर्ति बनाने का काम कस्बे के एक ड्राइंग मास्टर को दे दिया जाता है। मूर्ति सुंदर बनी थी। लेकिन उसमें एक कमी थी। नेताजी की आँखों में चश्मा नहीं था। किसी ने मूर्ति को रियल का एक काला चश्मा पहना दिया था। जब हालदार साहब आए तो वे देखकर बोले, वाह भई ! क्या आइडिया है। मूर्ति पत्थर का और चश्मा रियल का। दूसरी बार जब हालदार साहब आए तो उन्होंने मूर्ति पर तार से बना गोल फ्रेम वाला चश्मा लगा देखा। पाठ का सार पार्ट-3 तीसरी बार फिर उन्होंने नया चश्मा देखा। इस बार उन्होंने पानवाले से पूछ लिया कि नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है? उसने बताया- यह काम कैप्टन चाश्मेंवाला करता ...

नेताजी का चश्मा

पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तरऔर सार- नेताजी का चश्मा क्षितिजभाग- 2 सार हालदार साहब को हर पन्द्रहवेंदिन कम्पनी के काम से एक छोटे कस्बे से गुजरना पड़ता था। उस कस्बे में एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक सीमेंट काकारखाना, दो ओपन सिनेमा घर तथा एक नगरपालिका थी। नगरपालिका थी तो कुछ ना कुछ करती रहती थी, कभी सड़के पक्की करवानेका काम तो कभी शौचालय तो कभी कवि सम्मेलन करवा दिया। एक बार नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने मुख्य बाज़ार के चैराहे पर सुभाषचन्द्र बोस की संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। चूँकि बजट ज्यादा नही था इसलिए मूर्ति बनाने का काम कस्बे के इकलौते हाई स्कूल केशिक्षक को सौंपा गया। मूर्ति सुन्दर बनी थी बस एक चीज़ की कमीथी, नेताजी की आँख पर चश्मा नहीं था। एक सचमुच के चश्मे का चौड़ा कालाफ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया। जब हालदार साहब आये तो उन्होंने सोचा वाह भई! यह आईडिया ठीक है। मूर्ति पत्थर की पर चश्मा रियल। दूसरी बार जबहालदार साहब आये तो उन्हें मूर्ति पर तार काफ्रेम वाले गोल चश्मा लगा था। तीसरी बार फिर उन्होंने नया चश्मा पाया। इस बार वे पानवाले से पूछ बैठे कि नेताजी का चश्मा हरदम बदल कैसेजाता है। पानवाले ने बताया की यह काम कैप्टन चश्मेवाला करता है। हालदार साहब को समझते देर न लगी की बिना चश्मे वाली मूर्ति कैप्टेन को ख़राब लगती होगी इसलिए अपने उपलब्ध फ्रेम में से एक को वह नेताजी के मूर्ति पर फिट कर देता होगा। जब कोई ग्राहक वैसे हीफ्रेम की मांग करता जैसा मूर्ति पर लगा है तो वह उसे मूर्ति से उतारकर ग्राहक को दे देता और मूर्ति पर नया फ्रेम लगा देता चूँकि मूर्ति बनाने वाला मास्टर चश्माभूल गया। हालदार साहब ने पानवाले जानना चाहा कि कैप्टेन चश्मेवाला नेताजी का साथी है या आजाद...