नई आर्थिक नीति क्या है

  1. नयी आर्थिक नीति १९९१
  2. नई आर्थिक नीति क्या है ? विवेचना करें
  3. नई आर्थिक नीति की प्रमुख विशेषता क्या है?
  4. आर्थिक सुधार (Economic Reforms) क्या हैं? परिचय और अर्थ
  5. नई आर्थिक नीति
  6. Finance ministry on same page with RBI for FY24 growth forecast CEA


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नयी आर्थिक नीति १९९१

इस लेख में अतिरिक्त संदर्भ अथवा स्रोतों की आवश्यकता है। कृपया विश्वसनीय स्रोत जोड़कर (फ़रवरी 2022) स्रोत खोजें: · · · · 1990 के दशक में इससे पहले देश एक गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था और इसी संकट ने भारत के नीति निर्माताओं को नयी औद्योगिक नीति को लागू के लिए मजबूर कर दिया था । संकट से उत्पन्न हुई स्थिति ने सरकार को मूल्य स्थिरीकरण और संरचनात्मक सुधार लाने के उद्देश्य से नीतियों का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया। स्थिरीकरण की नीतियों का उद्देश्य कमजोरियों को ठीक करना था, जिससे राजकोषीय घाटा और विपरीत नई आर्थिक नीति के ३ प्रमुख घटक या तत्व थे- अनुक्रम • 1 नई आर्थिक नीति के मुख्य उद्देश्य • 2 नयी आर्थिक नीति 1991 की विशेषताएं इस प्रकार हैं' • 2.1 उदारीकरण • 2.2 निजीकरण • 2.3 वैश्वीकरण • 3 व्यापार पर आर्थिक नीति में परिवर्तन या उदारीकरण और वैश्वीकरण के प्रभाव का प्रभाव • 4 इन्हेंभीदेखें • 5 बाहरी कड़ियाँ • 6 सन्दर्भ नई आर्थिक नीति के मुख्य उद्देश्य [ ] वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा नई आर्थिक नीति आरम्भ करने के पीछे मुख्य उद्देश्य थे, वे निम्नलिखित हैं • (१) भारतीय अर्थव्यवस्था को ' • (२) मु • (३) • (४) आर्थिक स्थिरीकरण को प्राप्त करने के साथ-साथ सभी प्रकार के अनावश्यक आर्थिक प्रतिबंधों को हटाना। अर्थव्यवस्था के लिए बाजार अनुरूप एक आर्थिक परिवर्तिन लाना। • (५) प्रतिबंधों को हटाकर, माल, सेवाओं, पूंजी, मानव संसाधन और प्रौद्योगिकी के अन्तरराष्ट्रीय प्रवाह की अनुमति प्रदान करना। • (६) अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाना। इसी कारण सरकार के लिए आरक्षित क्षेत्रों की संख्या घटाकर 3 कर दिया गया। नयी आर्थिक नीति 1991 की विशेषताएं इस प्रकार ह...

नई आर्थिक नीति क्या है ? विवेचना करें

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नई आर्थिक नीति की प्रमुख विशेषता क्या है?

१९९० के दशक में भारत सरकार ने आर्थिक संकट से बाहर आने के क्रम में अपने पिछले आर्थिक नीतियों से विचलित और निजीकरण की दिशा में सीखने का फैसला किया और अपनी नई आर्थिक नीतियों को एक के बाद एक घोषित करना शुरू कर दिया। आगे चलकर इन नीतियों के अच्छे परिणाम देखने को मिले और भारत के आर्थिक इतिहास में ये नीतियाँ मील के पत्थर सिद्ध हुईं। उस समय पी वी नरसिंह राव भारत के प्रधानमंत्री थे और मनमोहन सिंह वित्तमंत्री थे। Table of Contents Show • • • • • • • • • इससे पहले देश एक गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था और इसी संकट ने भारत के नीति निर्माताओं को नयी आर्थिक नीति को लागू के लिए मजबूर कर दिया था । संकट से उत्पन्न हुई स्थिति ने सरकार को मूल्य स्थिरीकरण और संरचनात्मक सुधार लाने के उद्देश्य से नीतियों का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया। स्थिरीकरण की नीतियों का उद्देश्य कमजोरियों को ठीक करना था, जिससे राजकोषीय घाटा और विपरीत भुगतान संतुलन को ठीक किया सके। नई आर्थिक नीति के ३ प्रमुख घटक या तत्व थे- उदारीकरण, निजीकरण , वैश्वीकरण । नई आर्थिक नीति के मुख्य उद्देश्य[संपादित करें] वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा नई आर्थिक नीति आरम्भ करने के पीछे मुख्य उद्देश्य थे, वे निम्नलिखित हैं[1]- • (१) भारतीय अर्थव्यवस्था को 'वैश्वीकरण' के मैदान में उतारने के साथ-साथ इसे बाजार के रूख के अनुरूप बनाना। • (२) मुद्रास्फीति की दर को नीचे लाना और भुगतान असंतुलन को दूर करना। • (३) आर्थिक विकास दर को बढ़ाना और विदेशी मुद्रा के पर्याप्त भंडार का निर्माण करना । • (४) आर्थिक स्थिरीकरण को प्राप्त करने के साथ-साथ सभी प्रकार के अनावश्यक आर्थिक प्रतिबंधों को हटाना। अर्थव्यवस्था के लिए बाजार अनुरूप एक आर्थिक परिवर...

आर्थिक सुधार (Economic Reforms) क्या हैं? परिचय और अर्थ

परिचय; पिछले एक दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। यह लेख आर्थिक सुधार (Economic Reforms) और उनके विषयों परिचय और अर्थ के बारे में बताता है। यह आंशिक रूप से चल रहे आर्थिक सुधार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। 1991 के बाद से, भारत सरकार ने देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने और विकास दर में तेजी लाने के लिए विविध Economic Reforms पेश किए हैं। आर्थिक सुधार (Economic Reforms) – परिचय और अर्थ 1.1. आर्थिक सुधार का अर्थ: रिफ़ार्म/सुधार ने देश की अर्थव्यवस्था के लगभग सभी पहलुओं को अपनाया है। औद्योगिक लाइसेंसिंग, व्यापार और विदेशी निवेश से संबंधित नीतियों में बड़े बदलाव हुए हैं। इसके अलावा, महत्वपूर्ण समष्टि आर्थिक समायोजन भी हुए हैं। आर्थिक संस्थानों में भी महत्वपूर्ण बदलाव आया है; बैंकिंग क्षेत्र और पूंजी बाजार, विशेष रूप से, परिवर्तन के प्रमुख लक्ष्य रहे हैं। और अंत में, सब्सिडी, मूल्य तंत्र और सार्वजनिक क्षेत्र जैसे क्षेत्रों को कवर करने वाले संरचनात्मक समायोजन भी हुए हैं। सामूहिक रूप से, ये रिफ़ार्म देश की औद्योगिक प्रणाली के आधुनिकीकरण, अनुत्पादक नियंत्रण को हटाने, निजी निवेश को मजबूत करने, विदेशी निवेश और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ भारत की अर्थव्यवस्था के एकीकरण सहित उद्देश्य हैं। एक शब्द में, यह कहा जा सकता है कि देश की अर्थव्यवस्था का चौतरफा उद्घाटन सुधार का सार रहा है। इन सभी Economic Reforms को नई आर्थिक नीति के रूप में जाना जाता है। तदनुसार, नई आर्थिक नीति जुलाई 1991 के बाद से शुरू किए गए उन सभी अलग-अलग Economic Reforms या नीतिगत उपायों और परिवर्तनों को संदर्भित करती है जिनका उद्देश्य अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाकर उत्पादकता औ...

नई आर्थिक नीति

आर्थिक सुधारों का अर्थ एवं नई आर्थिक नीति आर्थिक सुधारों से अभिप्राय ऐसी आर्थिक नीतियों के एक समूह से है जो समृद्धि तथा विकास की दर को तीव्र करती है अर्थव्यवस्था को सन 1990 के आर्थिक संकट से निकालने के लिए सन 1991 में भारत सरकार ने कई आर्थिक नीति बनाए जिसे ( NEP ) कहा जाता है New economic policy नई आर्थिक नीति या आर्थिक सुधारों की आवश्यकता इन्हीं कारणों से नई आर्थिक नीति की आवश्यकता महसूस किया 1) उच्च राजकोषीय घाटा राजकोषीय घाटे से अभिप्राय 1 वर्ष के दौरान आय पर व्ययो की अधिकता के कारण सरकार द्वारा लिए गए उधार से है राजकोषीय घाटा वर्ष 1981- 82 में सकल घरेलू उत्पाद का 5. 4 प्रतिशत का अनुमान था 1990- 91 में बढ़कर GDP का 8.4 प्रतिशत हो गया यह लगभग सरकार के लिए ' ऋण जाल ' की स्थिति थी 2) विदेशी विनिमय भंडारों में कमी सन 1990- 91 में, भारत के विदेशी विनय में कोष इतने कम हो गए कि वे 10 दिन के आयात के बिल का भुगतान करने के लिए भी काफी कम था सन 1986-87 में 8151 करोड़ के थे वे 1989-90 में 6252 करोड़ रह गए 3) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का और संतोषजनक निष्पादन सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की वृद्धि एवं विकास पर कई हजार करोड़ रुपए की सार्वजनिक पूंजी लगी है लेकिन इनमें से अधिकतर भ्रष्टाचार के प्रजनन केंद्र बन गए इसके कारण भारी हानि हुई है इस प्रवृत्ति को उलट ने के लिए नई आर्थिक नीति की जरूरत पड़ी थी उदारीकरण का अर्थ है सरकार द्वारा लगाए गए प्रत्यक्ष या भौतिक नियंत्रण से उत्पादक इकाइयों की मुक्ति सन 1991 से पहले सरकार ने घरेलू अर्थव्यवस्था में निजी उद्यमों पर कई प्रकार के नियंत्रण लगाए थे जैसे- औद्योगिक लाइसेंस आयात लाइसेंस सरकार ने यह अनुमान किया कि इन नियंत्रण के फल स्वरुप अर्थव्यवस...

Finance ministry on same page with RBI for FY24 growth forecast CEA

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के वृद्धि पूर्वानुमानों को लेकर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की राय एक है। दोनों ने 6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया है। नागेश्वरन ने कहा कि वित्त मंत्रालय और आरबीआई, दोनों ने चालू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया है। घरेलू आर्थिक वृद्धि की गति बाहरी जोखिमों पर काबू पाने के लिए काफी मजबूत है। उन्होंने कहा कि हमें तेल की कम कीमतों और समग्र घरेलू व्यापक आर्थिक स्थिरता से भी लाभ मिल रहा है। सीईए ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत थी, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में दर्ज 9.1 प्रतिशत से कम थी। नागेश्वरन ने कहा कि हालांकि, मुझे लगता है कि पिछले वित्त वर्ष की वृद्धि दर 7.2 फीसदी से कहीं ज्यादा रहेगी। वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि अप्रैल में सभी उच्च-आवृत्ति मापदंडों के साथ भारत ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक तेजी से वृद्धि दर्ज की है, जो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि, नागेश्वरन ने कृषि के बारे में कहा कि अल नीनो प्रभाव के बारे में चिंताएं हैं, लेकिन देश के जलाशयों में पर्याप्त पानी है और बीज तथा खाद भी पर्याप्त रूप से उपलब्ध है।