नॉर्मल डिलीवरी के टांके टूट जाए तो क्या करें

  1. नॉर्मल डिलीवरी के टांके कितने दिन में ठीक होते हैं
  2. नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण क्या होते है ? जानकारी हिंदी में
  3. नॉर्मल डिलीवरी में दर्द का कारण व उपाय
  4. नॉर्मल डिलीवरी के उपाय
  5. नॉर्मल डिलिवरी के फायदे क्या हैं ? जानिए यहां
  6. 7 Easy Tips For Having Normal Delivery
  7. Cesarean Delivery Side Effects Can Be Bother Mothers For Long Time
  8. नॉर्मल डिलीवरी के टांके कैसे लगाए जाते हैं? – Expert
  9. नॉर्मल डिलीवरी (सामान्य प्रसव) के लिए 11 टिप्स


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नॉर्मल डिलीवरी के टांके कितने दिन में ठीक होते हैं

जब किसी महिला की गर्व अवस्था का पूरा दिन समाप्त हो जाता है तो महिला कई कारणों से चिंतित होती है। उसे प्रसव के दौरान होने वाले पीड़ा और नॉर्मल डिलीवरी के बाद लगाए जाने वाले टांके के बारे में ज्यादा चिंता होती है। कई महिलाओं के मन में यह सवाल भी उठता है कि आखिर normal delivery ke taanke kitne din me thik hote hai क्योंकि जब तक यह टांके पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। आइए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बिल्कुल अच्छे से बताते हैं कि • • Table of Contents • • • • • डिलीवरी के टांके कितने दिन में ठीक होते है? जब कोई महिला अपने बच्चे को जन्म देती है तो उस दौरान उस महिला का पेरिनियम फट जाता है जिसके कारण डॉक्टरों द्वारा कुछ टांके दिए जाते हैं और उस घाव को भरने का प्रयास किया जाता है। डॉक्टरों द्वारा जो टांके लगाए जाते हैं वह लगभग 2 से 3 सप्ताह के अंदर ठीक होने की संभावना रहती है। किसी महिला के घाव के अनुसार यह समय ज्यादा या कम हो सकता है। यानी अगर किसी महिला का घाव कम है तो उसके टांके दो या तीन हफ्तों से कम में भी ठीक हो सकते हैं और किसी महिला को अगर ज्यादा टांके लगाए गए हैं तो उसे ठीक होने में 3 सप्ताह से भी ज्यादा का समय लग सकता है। डॉक्टरों द्वारा ज्यादातर यही देखा गया है कि डिलीवरी के दौरान लगाए गए टांके 2 से 3 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। नॉर्मल डिलीवरी के टांके कैसे ठीक करें? डॉक्टरों का मानना है कि नॉर्मल डिलीवरी के दौरान दिए गए टांके एक निश्चित समय के बाद अपने आप ठीक होना शुरू हो जाते हैं। लेकिन अगर कोई महिला अपने डिलीवरी के दौरान दिए गए टांके को जल्द से जल्द ठीक करना चाहती है तो उन्हें ध्यान रखना होगा कि वह ज्यादा देर...

नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण क्या होते है ? जानकारी हिंदी में

[responsivevoice_button voice="Hindi Female" buttontext="सुनने के लिए"] नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण बहुत सारी महिलाएं ऐसी होती हैं जिन्हें नॉर्मल डिलीवरी होने की आशा होती है और देखा जाए तो नॉर्मल डिलीवरी बच्चा पैदा करने के लिए सही तरीका होता है, लेकिन कुछ वर्षों से महिला की डिलीवरी के लिए ऑपरेशन कराना बहुत ही आम बात हो चुका है | डॉक्टर जानते हुए भी कि सिजेरियन डिलीवरी में मां और बच्चे के लिए रिस्की होता है तो भी सिजेरियन डिलीवरी की जाती है | दोस्तों आप ही सोचो नाइनटीस के दिनों में कभी भी सिजेरियन डिलीवरी नहीं होती थी | क्योंकि तब यह तंत्रज्ञान बिल्कुल नहीं था, हर मां को बच्चा पैदा करने के लिए नॉर्मल डिलीवरी ही की जाती थी | सिजेरियन डिलीवरी करने से मां को रिकवर होने के लिए बहुत ज्यादा वक्त लगता है, इसलिए ज्यादातर महिलाएं चाहती हैं कि उनकी डिलीवरी नार्मल हो | आज हम जानेंगे नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण क्या होते हैं | नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण क्या होते है : • ९ महीने जब आपके पेट में आपका बच्चा बढ़ रहा होता है, तब पहले ३ महीने गर्भावस्था के सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं | पहले ३ महीनो में डॉक्टर और घर वालों को प्रेग्नेंट महिला को कई तरह की सावधानियां बरतने के लिए कहना पड़ता है | क्योंकि हम हमेशा देखते हैं प्रेग्नेंट महिला को कोई भी हर बार कहता है कि ज्यादा वजन ना उठाना, खानपान का विशेष ध्यान रखना, हर रोज व्यायाम करना, यह बुजुर्ग लोग प्रेग्नेंट महिला को अक्सर कहते रहते हैं | • प्रेग्नेंट महिलाओं को बुजुर्ग लोग यह सोच समझकर कहते हैं, क्योंकि यह सब अगर प्रेग्नेंट महिला ने अच्छी तरह से किया तो महिला आसानी से नार्मल डिलीवरी हो सकती है | कोई भी बात कहने के पीछे कोई तो ...

नॉर्मल डिलीवरी में दर्द का कारण व उपाय

प्रसव के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियों में संकुचन और गर्भाशय ग्रीवा पर दबाव पड़ने के कारण दर्द होता है. इस दर्द को महिलाएं पेट, कमर और पीठ में तेज ऐंठन के साथ-साथ महसूस कर सकती हैं. कुछ महिलाओं को अपने साइड व जांघों में भी दर्द का अनुभव हो सकता है. (और पढ़ें - myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। प्रेगनेंसी के शुरुआत से ही महिला निम्न बातों पर ध्यान देकर लेबर पेन को कुछ कम कर सकती है - नियमित व्यायाम : गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की सलाह पर (और पढ़ें - जानकारी जुटाएं : आजकल कई महिलाएं अपने आप को प्रसव के लिए तैयार करने के लिए क्लास भी लेती हैं. इन क्लासेज में गर्भवती को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रसव के लिए, शिशु की देखभाल के लिए और गर्भावस्था से लेकर पेरेंट्स बनने तक के अनुभव के बारे में जानकारी दी जाती है. ऐसे में इस तरह के क्लासेज से महिला को अपने आप को तैयार करने में मदद मिल सकती है. (और पढ़ें - पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थ : गर्भवती को सभी महत्वपूर्ण (और पढ़ें - डिलीवरी के दौरान दर्द को कम करने के लिए महिला इनमें से कोई भी विकल्प चुन सकती है - ब्रीदिंग तकनीक : डिलीवरी के समय सांस लेने के तरीके में बदलाव करें, जैसे-जैसे डॉक्टर सांस लेने के लिए कहे आप उसी पैटर्न को फॉलो करते हुए सांस लें. साथ ही अपना पूरा ध्यान अपनी सांसों पर रखें. (और पढ़ें - पानी : आजकल (और पढ़ें - मसाज : डिलीवरी के समय (और पढ़ें - म्यूजिक : लेबर पेन के दौरान हल...

नॉर्मल डिलीवरी के उपाय

नॉर्मल डिलीवरी के उपाय इन हिंदी – Pregnancy tips for normal delivery in ninth month in hindi : आजकल के हुए बदलते लाइफस्टाइल के कारण प्रेग्नेंट लेडी के लिए बच्चे को नॉर्मल डिलीवरी से जन्म देना और भी मुश्किल भरा हो गया है। प्रेगनेंसी के दौरान हर गर्भवती चाहती है कि उसकी डिलीवरी नॉर्मल तरीके से ही हो पर कई बार परिस्थितियां कुछ ऐसी बन जाती हैं कि नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो पाती और ऑपरेशन करवाना पड़ता है। तनाव में बहुत सी महिलाएं गर्भधारण करने में ही परेशानी का सामना करती हैं. ऐसे में ज्यादातर मामलों में बच्चे की डिलीवरी नॉर्मल होने के बजाए सिजेरियन हो रही है और इसके कई सारे कारण हैं | प्रेगनेंसी के दौरान ही नहीं बल्कि कंसीव करने के दौरान और प्रेग्नेंट होने की सोचने से ही महिलाओं को अपनी डाइट पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। अगर आपका शरीर स्वस्थ होगा और बॉडी में प्रेगनेंसी एवं शिशु के लिए जरूरी हार्मोन बनेंगे तो आपकी प्रेगनेंसी नॉर्मल रहेगी। आज इस लेख में हम जानेंगे नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करें , नॉर्मल डिलीवरी के उपाय ,pregnancy ke 9 month mein normal delivery tips for pregnant lady in hindi. नॉर्मल डिलीवरी का सबसे पहला फायदा तो ये है की महिला को रिकवर होने में अधिक समय नहीं लगता पर सिजेरियन डिलीवरी के बाद मां को काफी वक़्त तक अपना ख्याल रखना पड़ता है। अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो यहाँ बताये हुए उपायों को अपनाकर नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ा सकती हैं। • जाने स्वस्थ और सेहतमंद रहने के तरीके नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है Contents • • • • • • • • • प्रेग्नेंट लेडी की डिलीवरी दो तरीके से हो सकती है सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी। नॉर्मल तरीके से डिलीवरी होने पर माँ जल्दी स्वस्थ हो जाती है औ...

नॉर्मल डिलिवरी के फायदे क्या हैं ? जानिए यहां

बच्चे के जन्म के समय यानी डिलिवरी के दौरान कौन सी विधि अपनाई जाएगी? ये महिलाओं के बीच उत्सुकता का विषय होता है। कई बार महिलाएं ये सोचकर रखती हैं कि नॉर्मल या सी-सेक्शन ही उनके लिए बेस्ट डिलिवरी प्रॉसेस रहेगी। आपको डिलिवरी के दौरान अपनाई जा रही विधियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। डिलिवरी के लिए उपयोग की जाने वाली सामान्य प्रक्रिया के अपने अलग फायदे होते हैं। हो सकता है कि आपको इस बारे में अधिक जानकारी न हो। आप “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल के माध्यम से नॉर्मल डिलिवरी के फायदे (Benefits of normal delivery) के बारे में जान सकती है और साथ ही अपनी दोस्तों से भी शेयर कर सकती हैं। नॉर्मल डिलिवरी के फायदे (Benefits of normal delivery) लेबर पेन से गुजरना और नॉर्मल डिलीवरी होना एक लंबी प्रक्रिया है जो शारीरिक रूप से बहुत कठिन हो सकती है। लेकिन नॉर्मल डिलिवरी के फायदे (Benefits of normal delivery) भी कई हैं जिनको अनदेखा नहीं किया जा सकता है। नॉर्मल डिलिवरी के फायदे (Benefits of normal delivery) इस प्रकार हैं- डिलिवरी के तुरंत बाद बच्चे को फीड कराना नॉर्मल डिलिवरी के फायदे (Benefits of normal delivery) में ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्तनपान को सबसे पहले शामिल किया जाता है क्योंकि गर्भ से बाहर आने के बाद बच्चे को मां अगर बच्चे को दूध नहीं पिला पा रही है तो दूध को अलग से निकाल कर रुई या छोटे चम्मच की सहायता से फीड कराया जा सकता है। अगर बच्चा मां के साथ चिपककर थोड़ी देर लेटेगा और फिर उसे फीड कराया जाए तो बेहतर रहेगा। इससे मां और बच्चे के बीच जल्दी और अच्छी बॉन्डिंग बनेगी। सामान्य रूप से प्रसव के बाद मां को रिकवर होने में ज्यादा समय नहीं लगता है। इस दौरान महिलाओं में ऑक्सिटोसिन का लेवल हाई ...

7 Easy Tips For Having Normal Delivery

नई दिल्ली: आजकल का लाइफस्टाइल थकान भरा है. कई कामों को एक साथ करते-करते उम्र से पहले ही शरीर बूढ़ा होने लगा है. इस वजह से कई हेल्थ परेशानियां तो हो ही रही हैं, लेकिन महिलाओं के लिए और भी ज़्यादा दिक्कतें हो गई हैं. इसी बिज़ी वक्त में खुद को स्वस्थ्य रख पाना उनके लिए मुश्किल हो गया है और पहले की तरह नॉर्मल डिलीवरी करना नामुमकिन. क्योंकि पूरी प्रेग्नेंसी में महिलाओं को सभी काम करने पड़ते हैं, जिस वजह से वो फिजिकली और मेंटली नॉर्मल डिलीवरी नहीं कर पाती. डॉक्टर भी दर्द के बचाने के लिए ऑपरेशन करते हैं. आपको बता दें कि ऑपरेशन उस वक्त तो दर्द से बचा लेता है, लेकिन बाद में जोड़ों में दर्द और पेट की तमाम परेशानियां दे जाता है. इसीलिए यहां आपको ऐसे 7 टिप्स बता रहे हैं जिन्हें आप अपने रोज़ाना के कामों के साथ अपनाकर नॉर्मल डिलीवरी कर पाएंगी. 1. प्रेग्नेंसी एजुकेशन सबसे पहले आप प्रेग्नेंसी से जुड़ी सारी जानकारियां इकट्ठी करें. क्योंकि आपको किताबों और गूगल पर कई ऐसा बातों के बारे में पता लगेगा, जिनसे आपको डिलीवरी में बहुत मदद मिलेगी. 2. डाइट प्रेग्नेंसी में सबसे ज़रूरी है अच्छी डाइट. आप जितना हेल्दी खाएंगी, उतना ही आपके और आपके बच्चे के लिए बेहतर होगा. ध्यान रखें कि इस दौरान ओवरइटिंग ना करें, इससे आपका वज़न और बढ़ सकता है, जिससे नॉर्मल डिलवरी के चांसेस कम हो जाएंगे. 3. स्ट्रेस ना लें प्रेग्नेंसी के दौरान कभी भी स्ट्रेस और टेंशन ना लें. चाहे कितनी भी परेशानियां आ जाएं खुद को खुश रखें. किताबें पढ़ें, दूसरों से बात करें और हमेशा अच्छा सोचें. 4. हाइड्रेट रहें पानी हर किसी के लिए ज़रूरी है, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान ये और भी ज़रूरी हो जाता है. इससे आपको लेबर के दौरान होने वाले दर्द को सहने ...

Cesarean Delivery Side Effects Can Be Bother Mothers For Long Time

सिजेरियन डिलवरी जल्दी तो होती है लेकिन मां के शरीर पर छोड़ जाती है ये साइड इफेक्ट्स, जानें नॉर्मल डिलीवरी क्यों है बेहतर डिलीवरी के बाद मां के शरीर को सिजेरियन ऑपरेशन(cesarean delivery side effects)के कई साइड इफेक्ट झेलने पड़ते हैं. चलिए जानते हैं कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद मां को क्या क्या साइड इफेक्ट झेलने पड़ते हैं. Cesarean delivery SideEffects:मां (Mother)बनने का सुख एक मां से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता है. मां बनने की प्रक्रिया में सिजेरियन तकनीक (cesarean delivery)ने बहुत सहयोग किया है. प्रसव के कई प्रकार के जोखिमों के चलते जिन महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी में मां या बच्चे की जान को खतरा था, सिजेरियन ने उन खतरों को कम कर दिया है. लेकिन आजकल लोग दर्द से बचने या फिर तय तारीख पर प्रसव की प्रियारिटीज के चलते सिजेरियन पर ज्यादा जोर देते हैं. लेकिन सिजेरियन डिलीवरी के भी अपने कुछ नुकसान हैं. नॉर्मल डिलीवरी की अपेक्षा इसमें लेबर पेन के बिना बच्चे का जन्म तो हो जाता है लेकिन डिलीवरी के बाद मां के शरीर को सिजेरियन ऑपरेशन (cesarean delivery side effects)के कई साइड इफेक्ट झेलने पड़ते हैं. चलिए जानते हैं कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद मां को क्या क्या साइड इफेक्ट झेलने पड़ते हैं. होती है स्लो रिकवरी देखा जाए तो सिजेरियन डिलीवरी में वक्त बहुत कम लगता है लेकिन इसके बाद एक मां को अपने शरीर को वापस सामान्य अवस्था में लाने यानी रिकवरी करने में काफी वक्त लगता है. सिजेरियन सेक्शन में सर्जरी के बाद लगने वाले टांके ठीक होने में कई सप्ताह लग जाते हैं. ये टांके काफी दर्दभरे होते हैं और मां को इस दौरान उठने बैठने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार टांके पक जाते हैं जिससे मां को बहुत सा...

नॉर्मल डिलीवरी के टांके कैसे लगाए जाते हैं? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • नॉर्मल डिलीवरी के टांके कैसे लगाए जाते हैं? नॉर्मल डिलीवरी के दौरान वजाइना की दीवार हल्‍की सी टियर (छिल) हो जाती है और इसकी टियरिंग को बढ़ने से रोकने और इंफेक्‍शन को दूर करने के लिए टांके लगाए जाते हैं। आमतौर पर शुरुआत में टांकों में दर्द होता है और इनके भरने की प्रक्रिया शुरू होने पर, इनमें खुजली भी हो सकती है। डिलीवरी के बाद कितने दिनों तक आराम करना चाहिए? शरीर को आराम दें शुरुआती 40 दिनों में महिला को पूरी तरह आराम करना चाहिए. 40 दिन का समय इसलिए निर्धारित किया गया है क्योंकि तब तक महिला का शरीर काफी हद तक रिकवर हो जाता है. ऐसा नहीं कि इस बीच आराम का मतलब हर वक्त लेटे रहना है. डिलीवरी के बाद पहले सप्‍ताह में तो बिस्‍तर पर ही पूरी तरह आराम करें. डिलीवरी के बाद टांके टूट जाए तो क्या करें? इसे सैनिटरी पैड पर रखकर प्रभावित हिस्से पर रखें। इससे आपको घाव जल्दी सही करने में मदद मिलेगी। पेशाब के दौरान चीरे वाले घाव में बहुत दर्द होता है। दर्द कम करने के लिए पेशाब करते समय योनि पर गर्म पानी डालते रहें। ऑपरेशन के टांके कितने दिन में ठीक हो जाता है? डॉक्टरों के मुताबिक 6 से 7 दिन में टांके ठीक हो जाते हैं। टांके में दर्द क्यों होता है? टांके पकने की मुख्य वजह संक्रमण है। यह अस्पताल में गंदगी, सर्जरी के दौरान औजार की साफ-सफाई में कमी या उसकी मैटल की गुणवत्ता अच्छी न होने या ठीक तरह से सफाई न होने, सर्जरी के बाद किसी बीमार व्यक्ति या जगह के संपर्क में आने आदि से हो सकता है। READ: जैव विविधता के संरक्षण से क्या आशय है? डिलीवरी होने के कितने दिन बाद संबंध बना सकते हैं? फेमस गायनोकॉलजिस्ट डॉक्टर रेणु कहती हैं कि चाहे डिलीवरी नॉर्मल हो या सीजेरियन, ...

नॉर्मल डिलीवरी (सामान्य प्रसव) के लिए 11 टिप्स

Image: Shutterstock • नॉर्मल डिलीवरी क्या है? • नॉर्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ाने वाले कारक • नॉर्मल डिलीवरी के संकेत और लक्षण • नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है? • नॉर्मल डिलीवरी का पहला चरण : • नॉर्मल डिलीवरी का दूसरा चरण – बच्चे का बाहर आना • नॉर्मल डिलीवरी का तीसरा चरण – गर्भनाल का बाहर आना • नॉर्मल डिलीवरी में कितना समय लगता है? • नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ाने के लिए 11 टिप्स • नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करें और क्या न करें? • नॉर्मल डिलीवरी के लिए खानपान की चीजों से जुड़े टिप्स • नॉर्मल डिलीवरी के लिए व्यायाम से जुड़े टिप्स • नॉर्मल डिलीवरी के लिए योगासन से जुड़े टिप्स • पेरिनियल मालिश कब शुरू करें? • नॉर्मल डिलीवरी का विकल्प क्यों चुनना चाहिए? • अक्सर पूछे जाने वाले सवाल हर गर्भवती महिला को चिंता होते है कि उसकी नॉर्मल डिलीवरी होगी या सिजेरियन। आमतौर पर डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी कराने की ही सलाह देते हैं। वहीं, नॉर्मल डिलीवरी में होने वाले दर्द के मद्देनजर बीते कुछ वर्षों में गर्भवती महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प चुन रही हैं। नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे (वर्ष 2015-16) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 सालों में शहरी इलाकों में 28.3 प्रतिशत महिलाओं ने सी-सेक्शन के जरिए डिलीवरी कराने का विकल्प चुना। वहीं गांव-देहात में 12.9 प्रतिशत महिलाओं ने सी-सेक्शन से डिलीवरी कराई, जबकि साल 2005-06 में कुल सिजेरियन डिलीवरी (शहर और गांव दोनों जगहों पर हुई सिजेरियन डिलीवरी) का आंकड़ा महज 8.5 प्रतिशत था मॉमजंक्शन के इस लेख में हम नॉर्मल डिलीवरी के संबंध में ही बात करेंगे। आइए, लेख की शुरुआत करते हैं और नॉर्मल डिलीवरी की परिभाषा को समझते हैं। नॉर्मल डिलीवरी क्या है? यह प्रसव या डिलीवरी की ऐ...