नरेगा राजस्थान भीलवाड़ा

  1. भारत: कमजोर व असुरक्षित समुदायों को आहत करता इंटरनेट शटडाउन


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भारत: कमजोर व असुरक्षित समुदायों को आहत करता इंटरनेट शटडाउन

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा), जिसमें मजदूरी भुगतान के लिए इंटरनेट जरूरी है, के तहत राजस्थान के एक गांव में कार्यस्थल पर काम करती महिलाएं, सितंबर 2022. © 2022 जयश्री बाजोरिया/ह्यूमन राइट्स वॉच • भारत द्वारा इंटरनेट पर मनमानी पाबंदियों से भोजन और आजीविका के लिए सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर निर्भर गरीब समुदायों को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. • "डिजिटल इंडिया" के युग में, जहां सरकार जीवन के हर पहलू के लिए इंटरनेट को बुनियादी ज़रूरत बनाने पर जोर दे रही है, वहीं सरकारी तंत्र ने इंटरनेट शटडाउन को पुलिस कार्यप्रणाली का स्थायी हिस्सा बना लिया है. • सरकारी तंत्र को चाहिए कि देश की प्रतिष्ठा और यहां के लोगों, दोनों को गंभीर रूप से आघात पहुंचाने वाले इंटरनेट शटडाउन के दमनकारी तौर-तरीकों का इस्तेमाल करना बंद करे. (नई दिल्ली) - ह्यूमन राइट्स वॉच और इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन ने आज जारी एक रिपोर्ट में कहा कि 82 पन्नों की रिपोर्ट ह्यूमन राइट्स वॉच की एसोसिएट एशिया निदेशक ह्यूमन राइट्स वॉच ने जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड, असम, मणिपुर और मेघालय के साथ-साथ कई स्थानों पर इंटरनेट शटडाउन से सीधे प्रभावित लोगों सहित 70 से अधिक लोगों का साक्षात्कार लिया. शटडाउन पर किसी भी तरह के आधिकारिक आंकडें मौजूद नहीं होने के कारण इंटरनेट शटडाउन के लिए जवाबदेही तय करना ज्यादा मुश्किल हो गया है. भारत में राज्य सरकारों ने54मामलों में इंटरनेट शटडाउन का इस्तेमालविरोध प्रदर्शनों को रोकने या जवाबी कार्रवाई के रूपमेंकिया. इसके अलावा 37मामलों में स्कूल परीक्षाओं या सरकारी नौकरियों की प्रतियोगिता परीक्षाओं में नकल रोकने, 18मामलों मेंसांप्रदायिक हिंसा की रोकथाम और18अन्...