नर्सरी यादव का बिरहा

  1. गाहे बगाहे: कहु धौं छूत कहां सों उपजी, तबहि छूत तुम मानी
  2. Farmers are preparing paddy nursery by irrigation
  3. फल व सब्जी की नर्सरी तैयार करने के बताए गए तरीके
  4. अबिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव के तैल चित्र व 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण [साहित्य समाचार]
  5. अबिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव के तैल चित्र व 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण [साहित्य समाचार]
  6. गाहे बगाहे: कहु धौं छूत कहां सों उपजी, तबहि छूत तुम मानी
  7. फल व सब्जी की नर्सरी तैयार करने के बताए गए तरीके
  8. Farmers are preparing paddy nursery by irrigation
  9. फल व सब्जी की नर्सरी तैयार करने के बताए गए तरीके
  10. अबिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव के तैल चित्र व 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण [साहित्य समाचार]


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गाहे बगाहे: कहु धौं छूत कहां सों उपजी, तबहि छूत तुम मानी

नसुड़ी यादव बिरहा गायन के इतिहास के सबसे अलग, विलक्षण और बोल्ड गायक थे। वे बिरहा के आदि विद्रोही थे और उन्होंने पूर्वांचल के समाज में व्याप्त सांस्कृतिक जड़ता, अज्ञानता, धार्मिक अंधविश्वासों और मिथकों पर इतना जोरदार प्रहार किया कि खुद मूर्तिभंजन के एक मिथक बन गए। अपने जीवनकाल में ही वे किम्वदंती हो गए थे। जितनी वास्तविकता और आंच उनकी आवाज में थी उससे अधिक उनके किस्से हवा में थे। आज वह कहां गाने वाले हैं और कल कहां गोली चलते-चलते रह गई थी, इसकी कहानियां हर कहीं उनके पहुँचने से पहले पहुँच जाती थीं। उनको सुनने वालों का एक विशाल हुजूम हमेशा उनका इंतजार करता था। वह हुजूम न केवल उन्हें रात-रात भर एकटक सुनता बल्कि अपना प्यार और पैसा भी उनके ऊपर ख़ुशी-ख़ुशी लुटाता। कंजूस से कंजूस व्यक्ति भी किसी न किसी मोड़ पर नसुड़ी की कला पर मुग्ध होकर अपने खलीते में हाथ डाल ही देता। बदले में नसुड़ी अपने श्रोताओं के हुजूम के भीतर एक असहजता, बेचैनी और तर्कशीलता बो देते। नसुड़ी जनता के गायक थे और किस्सागो थे। वे असाधारण और साहसी वक्ता थे। जो भी अतार्किक होता था वे उसके विरुद्ध बोलते और गाते थे। उनका मकसद लोगों का मनोरंजन करना नहीं बल्कि उनके भीतर इंसानियत और बराबरी की भावना भरना था। वे चातुर्वर्ण्य की थियरी के संहारक थे और ब्राह्मणों के तथाकथित ज्ञान और क्षत्रियों की नकली वीरता के मिथकों को नोचकर फेंक देते थे। सही मायने में वे किसानों के गायक थे। मजदूरों और चरवाहों के गायक थे। वे ‘बेद’ की धज्जियाँ उड़ाने वाले गायक थे इसलिए जनता उन्हें ‘लबेद’ का महान गायक मानती थी। जिस तरह बनारस में कबीर का मान था उसी तरह नसुड़ी का मान था। उनके जाने के बरसों बाद भी उनकी जगह भरी नहीं जा सकी है और अभी बिरहा विधा की ज...

Farmers are preparing paddy nursery by irrigation

बैकुंठपुर। एक संवाददाता। मौसम की बेरुखी से किसान माथा पीट रहे हैं। खेतों की जुताई करने के बाद सिंचाई कर किसान धान की नर्सरी तैयार करने के लिए बीज गिरा रहे हैं। किसानों का कहना है कि यदि एक सप्ताह के अंदर बारिश नहीं हुई तो धान के बिचड़े खेतों में ही नष्ट हो सकते हैं। 90 प्रतिशत किसान अब तक नर्सरी के लिए बीज नहीं डाल सके हैं। कृषि विभाग के अनुसार धान की रोपनी के लिए 20 जून से 30 जून तक का समय बेहतर माना जाता है। लेकिन इस वर्ष बिचड़े तैयार नहीं होने से खेती में देरी हो सकती है। सरकारी स्तर पर अनुदानित बीज का वितरण अभी भी प्रखंड मुख्यालयों में किया जा रहा है। बीज वितरण की रफ्तार भी पिछले वर्ष की अपेक्षा धीमी है।

फल व सब्जी की नर्सरी तैयार करने के बताए गए तरीके

प्रशिक्षक डॉ शेष नारायण सिंह ने पौधशाला की तैयारी, नर्सरी बेड का आकार, नर्सरी बेड (पौधशाला) में भरने के लिए मिश्रण तैयार करना, नर्सरी बेड को भरना, नर्सरी बेड में बीज गिराना, नर्सरी बेड में बीज गिराने के उपरांत देखभाल आदि बिदुओं पर महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई गईं। डॉ मार्कंडेय सिंह चर्चा में बताया की नर्सरी लगाते व लगाने के बाद फल व सब्जियों में लगने वाले कीट व रोग के बारे में सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है, रोग से बचाव के बारे में भी जानकारी दी गई। डॉ एस के मिश्रा ने नर्सरी स्थापित करने हेतु कंपोस्ट खाद तैयार करने के बारे में विस्तृत चर्चा की। प्रशिक्षण में कुल 35 प्रशिक्षणार्थी सम्मिलित हुए।

अबिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव के तैल चित्र व 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण [साहित्य समाचार]

लोकगीतों में बिरहा को विधा के तौर पर हीरालाल यादव ने दिलाई पहचान - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव भारतीय संस्कृति में लोकचेतना का बहुत महत्त्व है और लोकगायक इसे सुरों में बाँधकर समाज के विविध पक्षों को सामने लाते हैं। लोकगीतों में बिरहा की अपनी एक समृद्ध परम्परा रही है, जिसे हीरालाल यादव ने नई उँचाइयाँ प्रदान कीं। हीरालाल की गायकी राष्ट्रीयता से ओतप्रोत होने के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों से लड़ने की अपील भी करती थी। डिजिटल होते दौर में उनके बिरहा गायन को संरक्षित करके आने वाली पीढ़ियों हेतु भी जीवंत रखना जरुरी है। किसान फाउण्डेशन, उत्तर प्रदेश व नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में लोकगीत बिरहा के संवाहक पद्मश्री हीरालाल यादव की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में उक्त विचार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल एवं चर्चित साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव ने व्यक्त किये। इस अवसर पर स्वर्गीय हीरालाल यादव के तैल चित्र एवं लोक साहित्य पर केंद्रित 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हीरालाल यादव ने बिरहा विधा न सिर्फ विशेष विधा के तौर पर पहचान दिलाई, बल्कि राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे लोकप्रिय बनाया। उन्हें इसके लिए संगीत नाटक अकादमी सम्मान, यश भारती, भिखारी ठाकुर सम्मान से लेकर पद्मश्री तक से नवाजा गया। ऐसे में बनारस के तमाम स्थापित साहित्यकारों के चित्रों के बीच नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी में 'बिरहा सम्राट' के चित्र को शामिल किया जाना एक नई परम्परा को जन्म देगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरिराम द्विवेदी (हरी भैया) ने कहा कि नागरी पत्रिका लोक विधा की कुंजी है, जिसमें ल...

अबिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव के तैल चित्र व 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण [साहित्य समाचार]

लोकगीतों में बिरहा को विधा के तौर पर हीरालाल यादव ने दिलाई पहचान - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव भारतीय संस्कृति में लोकचेतना का बहुत महत्त्व है और लोकगायक इसे सुरों में बाँधकर समाज के विविध पक्षों को सामने लाते हैं। लोकगीतों में बिरहा की अपनी एक समृद्ध परम्परा रही है, जिसे हीरालाल यादव ने नई उँचाइयाँ प्रदान कीं। हीरालाल की गायकी राष्ट्रीयता से ओतप्रोत होने के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों से लड़ने की अपील भी करती थी। डिजिटल होते दौर में उनके बिरहा गायन को संरक्षित करके आने वाली पीढ़ियों हेतु भी जीवंत रखना जरुरी है। किसान फाउण्डेशन, उत्तर प्रदेश व नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में लोकगीत बिरहा के संवाहक पद्मश्री हीरालाल यादव की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में उक्त विचार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल एवं चर्चित साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव ने व्यक्त किये। इस अवसर पर स्वर्गीय हीरालाल यादव के तैल चित्र एवं लोक साहित्य पर केंद्रित 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हीरालाल यादव ने बिरहा विधा न सिर्फ विशेष विधा के तौर पर पहचान दिलाई, बल्कि राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे लोकप्रिय बनाया। उन्हें इसके लिए संगीत नाटक अकादमी सम्मान, यश भारती, भिखारी ठाकुर सम्मान से लेकर पद्मश्री तक से नवाजा गया। ऐसे में बनारस के तमाम स्थापित साहित्यकारों के चित्रों के बीच नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी में 'बिरहा सम्राट' के चित्र को शामिल किया जाना एक नई परम्परा को जन्म देगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरिराम द्विवेदी (हरी भैया) ने कहा कि नागरी पत्रिका लोक विधा की कुंजी है, जिसमें ल...

गाहे बगाहे: कहु धौं छूत कहां सों उपजी, तबहि छूत तुम मानी

नसुड़ी यादव बिरहा गायन के इतिहास के सबसे अलग, विलक्षण और बोल्ड गायक थे। वे बिरहा के आदि विद्रोही थे और उन्होंने पूर्वांचल के समाज में व्याप्त सांस्कृतिक जड़ता, अज्ञानता, धार्मिक अंधविश्वासों और मिथकों पर इतना जोरदार प्रहार किया कि खुद मूर्तिभंजन के एक मिथक बन गए। अपने जीवनकाल में ही वे किम्वदंती हो गए थे। जितनी वास्तविकता और आंच उनकी आवाज में थी उससे अधिक उनके किस्से हवा में थे। आज वह कहां गाने वाले हैं और कल कहां गोली चलते-चलते रह गई थी, इसकी कहानियां हर कहीं उनके पहुँचने से पहले पहुँच जाती थीं। उनको सुनने वालों का एक विशाल हुजूम हमेशा उनका इंतजार करता था। वह हुजूम न केवल उन्हें रात-रात भर एकटक सुनता बल्कि अपना प्यार और पैसा भी उनके ऊपर ख़ुशी-ख़ुशी लुटाता। कंजूस से कंजूस व्यक्ति भी किसी न किसी मोड़ पर नसुड़ी की कला पर मुग्ध होकर अपने खलीते में हाथ डाल ही देता। बदले में नसुड़ी अपने श्रोताओं के हुजूम के भीतर एक असहजता, बेचैनी और तर्कशीलता बो देते। नसुड़ी जनता के गायक थे और किस्सागो थे। वे असाधारण और साहसी वक्ता थे। जो भी अतार्किक होता था वे उसके विरुद्ध बोलते और गाते थे। उनका मकसद लोगों का मनोरंजन करना नहीं बल्कि उनके भीतर इंसानियत और बराबरी की भावना भरना था। वे चातुर्वर्ण्य की थियरी के संहारक थे और ब्राह्मणों के तथाकथित ज्ञान और क्षत्रियों की नकली वीरता के मिथकों को नोचकर फेंक देते थे। सही मायने में वे किसानों के गायक थे। मजदूरों और चरवाहों के गायक थे। वे ‘बेद’ की धज्जियाँ उड़ाने वाले गायक थे इसलिए जनता उन्हें ‘लबेद’ का महान गायक मानती थी। जिस तरह बनारस में कबीर का मान था उसी तरह नसुड़ी का मान था। उनके जाने के बरसों बाद भी उनकी जगह भरी नहीं जा सकी है और अभी बिरहा विधा की ज...

फल व सब्जी की नर्सरी तैयार करने के बताए गए तरीके

प्रशिक्षक डॉ शेष नारायण सिंह ने पौधशाला की तैयारी, नर्सरी बेड का आकार, नर्सरी बेड (पौधशाला) में भरने के लिए मिश्रण तैयार करना, नर्सरी बेड को भरना, नर्सरी बेड में बीज गिराना, नर्सरी बेड में बीज गिराने के उपरांत देखभाल आदि बिदुओं पर महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई गईं। डॉ मार्कंडेय सिंह चर्चा में बताया की नर्सरी लगाते व लगाने के बाद फल व सब्जियों में लगने वाले कीट व रोग के बारे में सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है, रोग से बचाव के बारे में भी जानकारी दी गई। डॉ एस के मिश्रा ने नर्सरी स्थापित करने हेतु कंपोस्ट खाद तैयार करने के बारे में विस्तृत चर्चा की। प्रशिक्षण में कुल 35 प्रशिक्षणार्थी सम्मिलित हुए।

Farmers are preparing paddy nursery by irrigation

बैकुंठपुर। एक संवाददाता। मौसम की बेरुखी से किसान माथा पीट रहे हैं। खेतों की जुताई करने के बाद सिंचाई कर किसान धान की नर्सरी तैयार करने के लिए बीज गिरा रहे हैं। किसानों का कहना है कि यदि एक सप्ताह के अंदर बारिश नहीं हुई तो धान के बिचड़े खेतों में ही नष्ट हो सकते हैं। 90 प्रतिशत किसान अब तक नर्सरी के लिए बीज नहीं डाल सके हैं। कृषि विभाग के अनुसार धान की रोपनी के लिए 20 जून से 30 जून तक का समय बेहतर माना जाता है। लेकिन इस वर्ष बिचड़े तैयार नहीं होने से खेती में देरी हो सकती है। सरकारी स्तर पर अनुदानित बीज का वितरण अभी भी प्रखंड मुख्यालयों में किया जा रहा है। बीज वितरण की रफ्तार भी पिछले वर्ष की अपेक्षा धीमी है।

फल व सब्जी की नर्सरी तैयार करने के बताए गए तरीके

प्रशिक्षक डॉ शेष नारायण सिंह ने पौधशाला की तैयारी, नर्सरी बेड का आकार, नर्सरी बेड (पौधशाला) में भरने के लिए मिश्रण तैयार करना, नर्सरी बेड को भरना, नर्सरी बेड में बीज गिराना, नर्सरी बेड में बीज गिराने के उपरांत देखभाल आदि बिदुओं पर महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई गईं। डॉ मार्कंडेय सिंह चर्चा में बताया की नर्सरी लगाते व लगाने के बाद फल व सब्जियों में लगने वाले कीट व रोग के बारे में सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है, रोग से बचाव के बारे में भी जानकारी दी गई। डॉ एस के मिश्रा ने नर्सरी स्थापित करने हेतु कंपोस्ट खाद तैयार करने के बारे में विस्तृत चर्चा की। प्रशिक्षण में कुल 35 प्रशिक्षणार्थी सम्मिलित हुए।

अबिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव के तैल चित्र व 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण [साहित्य समाचार]

लोकगीतों में बिरहा को विधा के तौर पर हीरालाल यादव ने दिलाई पहचान - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव भारतीय संस्कृति में लोकचेतना का बहुत महत्त्व है और लोकगायक इसे सुरों में बाँधकर समाज के विविध पक्षों को सामने लाते हैं। लोकगीतों में बिरहा की अपनी एक समृद्ध परम्परा रही है, जिसे हीरालाल यादव ने नई उँचाइयाँ प्रदान कीं। हीरालाल की गायकी राष्ट्रीयता से ओतप्रोत होने के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों से लड़ने की अपील भी करती थी। डिजिटल होते दौर में उनके बिरहा गायन को संरक्षित करके आने वाली पीढ़ियों हेतु भी जीवंत रखना जरुरी है। किसान फाउण्डेशन, उत्तर प्रदेश व नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में लोकगीत बिरहा के संवाहक पद्मश्री हीरालाल यादव की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में उक्त विचार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल एवं चर्चित साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव ने व्यक्त किये। इस अवसर पर स्वर्गीय हीरालाल यादव के तैल चित्र एवं लोक साहित्य पर केंद्रित 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हीरालाल यादव ने बिरहा विधा न सिर्फ विशेष विधा के तौर पर पहचान दिलाई, बल्कि राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे लोकप्रिय बनाया। उन्हें इसके लिए संगीत नाटक अकादमी सम्मान, यश भारती, भिखारी ठाकुर सम्मान से लेकर पद्मश्री तक से नवाजा गया। ऐसे में बनारस के तमाम स्थापित साहित्यकारों के चित्रों के बीच नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी में 'बिरहा सम्राट' के चित्र को शामिल किया जाना एक नई परम्परा को जन्म देगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरिराम द्विवेदी (हरी भैया) ने कहा कि नागरी पत्रिका लोक विधा की कुंजी है, जिसमें ल...