नटराज

  1. Shri Shiva Natraj Stuti ( श्री शिव नटराज स्तुति ) – Devshoppe
  2. “नटराज स्तुति” पढ़ें
  3. Nataraja Stotram (Patanjali Krutam)
  4. नर्तकी नटराज, ट्रांसजेंडर कलाकार
  5. राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (28
  6. कंपनी प्रोफाइल
  7. माहेश्वर सूत्र


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Shri Shiva Natraj Stuti ( श्री शिव नटराज स्तुति ) – Devshoppe

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“नटराज स्तुति” पढ़ें

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर नटराज स्तुति को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें स्तुति रोमन में– Read Natraj Stuti – Sat Srushti Tandav Rachayita sata sṛṣṭi tāṃḍava racayitā naṭarāja rāja namo namaḥ। he ādya guru śaṃkara pitā naṭarāja rāja namo namaḥ॥ gaṃbhīra nāda mṛdaṃganā dhabake ure brahmāḍanā । nita hota nāda pracaṃḍanā naṭarāja rāja namo namaḥ॥ śira jñāna gaṃgā caṃdramā cidbrahma jyoti lalāṭa māṃ । viṣanāga mālā kaṃṭha māṃ naṭarāja rāja namo namaḥ॥ tavaśakti vāmāṃge sthitā he caṃdrikā aparājitā । cahu veda gāe saṃhitā naṭarāja rāja namoḥ॥ सन्दीप शाह सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Nataraja Stotram (Patanjali Krutam)

अथ चरणशृंगरहित श्री नटराज स्तोत्रं सदंचित-मुदंचित निकुंचित पदं झलझलं-चलित मंजु कटकम् । पतंजलि दृगंजन-मनंजन-मचंचलपदं जनन भंजन करम् । कदंबरुचिमंबरवसं परममंबुद कदंब कविडंबक गलम् चिदंबुधि मणिं बुध हृदंबुज रविं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 1 ॥ हरं त्रिपुर भंजन-मनंतकृतकंकण-मखंडदय-मंतरहितं विरिंचिसुरसंहतिपुरंधर विचिंतितपदं तरुणचंद्रमकुटम् । परं पद विखंडितयमं भसित मंडिततनुं मदनवंचन परं चिरंतनममुं प्रणवसंचितनिधिं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 2 ॥ अवंतमखिलं जगदभंग गुणतुंगममतं धृतविधुं सुरसरित्- तरंग निकुरुंब धृति लंपट जटं शमनदंभसुहरं भवहरम् । शिवं दशदिगंतर विजृंभितकरं करलसन्मृगशिशुं पशुपतिं हरं शशिधनंजयपतंगनयनं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 3 ॥ अनंतनवरत्नविलसत्कटककिंकिणिझलं झलझलं झलरवं मुकुंदविधि हस्तगतमद्दल लयध्वनिधिमिद्धिमित नर्तन पदम् । शकुंतरथ बर्हिरथ नंदिमुख भृंगिरिटिसंघनिकटं भयहरम् सनंद सनक प्रमुख वंदित पदं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 4 ॥ अनंतमहसं त्रिदशवंद्य चरणं मुनि हृदंतर वसंतममलम् कबंध वियदिंद्ववनि गंधवह वह्निमख बंधुरविमंजु वपुषम् । अनंतविभवं त्रिजगदंतर मणिं त्रिनयनं त्रिपुर खंडन परम् सनंद मुनि वंदित पदं सकरुणं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 5 ॥ अचिंत्यमलिवृंद रुचि बंधुरगलं कुरित कुंद निकुरुंब धवलम् मुकुंद सुर वृंद बल हंतृ कृत वंदन लसंतमहिकुंडल धरम् । अकंपमनुकंपित रतिं सुजन मंगलनिधिं गजहरं पशुपतिम् धनंजय नुतं प्रणत रंजनपरं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 6 ॥ परं सुरवरं पुरहरं पशुपतिं जनित दंतिमुख षण्मुखममुं मृडं कनक पिंगल जटं सनक पंकज रविं सुमनसं हिमरुचिम् । असंघमनसं जलधि जन्मगरलं कवलयंत मतुलं गुणनिधिम् सनंद वरदं शमितमिंदु वदनं पर चिदंबर नटं हृदि भज ॥ 7 ॥ अजं क्षितिरथं भुजगपुंगवगुणं कनक शृंगि धनुषं करलसत् क...

नर्तकी नटराज, ट्रांसजेंडर कलाकार

नई दिल्ली: प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार (2019) प्राप्त करने वाली भरतनाट्यम नृत्यांगना, जिन्हें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रविवार को नॉमिनेट किया उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि चयन ‘न केवल LGBTQ+ समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में, बल्कि एक कलाकार के रूप में जिसने राज्य में कला और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है उसके लिया एक बड़ा सम्मान था.’ उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार है जब किसी कलाकार को सूची में शामिल किया गया है.’ नटराज, 11 साल की उम्र में सेक्सुअलिटी के कारण अपने परिवार द्वारा ‘अस्वीकार’ कर दी गई थी, ने कहा कि सलाहकार बोर्ड के सदस्य के रूप में, वह अन्य बातों के अलावा, ट्रांसजेंडर समुदाय को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख मुद्दों को उठाने का लक्ष्य रखेंगी- उचित स्वास्थ्य सुविधाएं और नौकरी के अवसर. नटराज ने दिप्रिंट को बताया, ‘कोविड -19 महामारी के बीच कई ट्रांसजेंडर महिलाओं ने उचित चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण अपनी जान गंवाई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि उनमें से ज्यादातर बेरोजगार हैं और अस्पतालों में समय पर इलाज नहीं करा सकते हैं.’ अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें. अभी सब्सक्राइब करें उन्होंने कहा कि ‘उन्हें नौकरी के अवसर प्रदान करने से न केवल वे आर्थिक रूप से स्थिर होंगे और उन्हें सम्मान मिलेगा, बल्कि ट्रांसजेंडर महिलाओं को एक ऐसे समाज के करीब भी लाया जाएगा जो अक्सर उन्हें शर्मिंदा और बहिष्कृत करता है.’ अपनी नियुक्ति से पहले ही, नटराज ने कहा कि वह ट...

राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (28

राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (28-September-2021)^भगवान नटराज^(Lord Nataraj ) Posted on September 28th, 2021 हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रधानमंत्री को 157 कलाकृतियों और पुरावशेषों को सौंपा, जिसमें नटराज की एक कांस्य मूर्ति भी शामिल थी। 10वीं शताब्दी में बने बलुआ पत्थर में रेवंता का बेस रिलीफ पैनल, 56 टेराकोटा के टुकड़े, कई कांस्य मूर्तियाँ तथा 11वीं और 14वीं शताब्दी से संबंधित ताँबे की वस्तुओं का एक विविध सेट भी इस मूर्ति के साथ भारत को सौंपा गया। सौंपी गई वस्तुओं की सूची में 18वीं शताब्दी की तलवार भी शामिल है, जिसमें फारसी में गुरु हरगोबिंद सिंह का उल्लेख है, इसके अतिरिक्त कुछ ऐतिहासिक पुरावशेषों में हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म से संबंधित मूर्तियाँ भी शामिल हैं। नटराज (नृत्य के भगवान), हिंदू भगवान शिव ब्रह्मांडीय नर्तक के रूप में, विशेष तौर पर दक्षिण भारत में कई शैव मंदिरों में धातु या पत्थर की मूर्तियों के रूप में पाए जाते हैं। यह चोल मूर्तिकला का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। नटराज के ऊपरी दाहिने हाथ में डमरूहै, जो सृजन की ध्वनि का प्रतीक है। सभी रचनाएँ डमरू की महान ध्वनि से निकलती हैं। ऊपरी बाएँ हाथ में शाश्वत अग्नि है, जो विनाश का प्रतीक है। विनाश सृष्टि का अग्रदूत और अपरिहार्य प्रतिरूप है। निचला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है जो आशीर्वाद का प्रतीक है और भक्त को न डरने के लिये आश्वस्त करता है। निचला बायाँ हाथ ऊपर उठे हुए पैर की ओर इशारा करता है और मोक्ष के मार्ग को इंगित करता है। शिव एक बौने की आकृति पर नृत्य कर रहे हैं। बौना अज्ञानता और व्यक्ति के अहंकार का प्रतीक है। भगवान शिव को ब्रह्मांड के भीतर सभी प्रकार की गति के स्रोत के रूप में दिखाया गया है और प्रलय के दिन ...

कंपनी प्रोफाइल

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माहेश्वर सूत्र

अनुक्रम • 1 उत्पत्ति • 2 सूत्र • 3 माहेश्वर सूत्र की व्याख्या • 3.1 प्रत्याहार • 4 प्रत्याहारों की संख्या • 5 महादेव • 6 बाहरी कड़ियाँ उत्पत्ति [ ] माहेश्वर सूत्रों की उत्पत्ति भगवान नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्। उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धान् एतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम् ॥ अर्थात:- "नृत्य (ताण्डव) के अवसान (समाप्ति) पर नटराज (शिव) ने डमरु के चौदह बार बजाने से चौदह सूत्रों के रूप में ध्वनियाँ निकली, इन्हीं ध्वनियों से सूत्र [ ] माहेश्वर सूत्रों की कुल संख्या १४ है जो निम्नलिखित हैं: १. अइउण्। २. ऋऌक्। ३. एओङ्। ४. ऐऔच्। ५. हयव रट्। ६. लण्। ७. ञमङणनम्। ८. झभञ्। ९. घढधष्। १०. जबगडदश्। ११. खफछठथचटतव्। १२. कपय्। १३. शषसर्। १४. हल् माहेश्वर सूत्र की व्याख्या [ ] उपर्युक्त्त १४ सूत्रों में संस्कृत भाषा के वर्णों (अक्षरसमाम्नाय) को एक विशिष्ट प्रकार से संयोजित किया गया है। फलतः, पाणिनि को शब्दों के निर्वचन या नियमों मे जब भी किन्ही विशेष वर्ण समूहों (एक से अधिक) के प्रयोग की आवश्यकता होती है, वे उन वर्णों (अक्षरों) को माहेश्वर सूत्रों से इन १४ सूत्रों में संस्कृत भाषा के समस्त वर्णों को समावेश किया गया है। प्रथम ४ सूत्रों (अइउण् – ऐऔच्) में स्वर वर्णों तथा शेष १० सूत्र व्यंजन वर्णों की गणना की गयी है। संक्षेप में स्वर वर्णों को अच् एवं व्यंजन वर्णों को हल् कहा जाता है। अच् एवं हल् भी प्रत्याहार हैं। प्रत्याहार [ ] मुख्य लेख: आदिरन्त्येन सहेता (१-१-७१): (आदिः) आदि वर्ण (अन्त्येन इता) अन्तिम इत् वर्ण (सह) के साथ मिलकर प्रत्याहार बनाता है जो आदि वर्ण एवं इत्संज्ञक अन्तिम वर्ण के पूर्व आए हुए वर्णों का समष्टि रूप में (collectively) बोध कराता है। उदाहरण: अच् = प्रथम माहेश्वर...