नटराज पेंसिल कंपनी कांटेक्ट नंबर

  1. तीन दोस्तों ने जर्मनी से सीखकर मुंबई में शुरू किया बिजनेस; आज 50 देश खरीदते हैं हिंदुस्तान की पेंसिल
  2. नटराज और अप्सरा पेंसिल की कहानी:
  3. पेंसिल कंपनी के इस कदम ने जीता सबका दिल
  4. पतंजलि में जॉब चाहिए 2023
  5. जिओ टावर कंपनी फ़ोन नंबर


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तीन दोस्तों ने जर्मनी से सीखकर मुंबई में शुरू किया बिजनेस; आज 50 देश खरीदते हैं हिंदुस्तान की पेंसिल

बचपन की कुछ यादें मिटाई नहीं जा सकतीं। नटराज पेंसिल का ये ऐड उन्हीं में से एक है। बड़े होने पर अब भले ही पेंसिल से दूरी बन गई हो, लेकिन अपनी फेवरेट पेंसिल की कहानी आप आज भी जानना चाहेंगे। तो चलिए, शुरू से शुरू करते हैं... भारत में था विदेशी पेंसिलों का दबदबा गुलामी के दिन थे। सूई से लेकर रेल तक विदेशों से बनकर आते थे। पेंसिल भी उन्हीं में से थी। 1939-40 के दौरान भारत में करीब 6.5 लाख रुपए की पेंसिल UK, जर्मनी और जापान जैसे देशों से इम्पोर्ट की जाती थीं। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के बाद अचानक सप्लाई थम गई। ऐसे में कुछ देसी कारोबारियों ने पेंसिल बनाने का फैसला किया। कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में कई कारखाने लगाए गए। सरकार की मदद से पनपे देसी निर्माता द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद विदेशी सप्लाई एकबार फिर शुरू हो गई। उनके सामने देसी पेंसिलें कहीं नहीं टिकती थीं। ऐसे में धंधा चौपट होने लगा तो सभी पेंसिल निर्माताओं ने सरकार से मदद की गुहार लगाई। आजादी के बाद सरकार ने पेंसिल के आयात पर कुछ प्रतिबंध लगाए, जिससे देसी निर्माताओं को पनपने का मौका मिला। हालांकि, देसी पेंसिलों से कंज्यूमर संतुष्ट नहीं थे। विदेशी पेंसिलों के मुकाबले ये कमजोर और महंगी होती थीं। 1958 में नटराज पेंसिल की शुरुआत बीजे सांघवी, रामनाथ मेहरा और मनसूकनी नाम के तीन दोस्त थे। इन्होंने मिलकर 1958 में हिंदुस्तान पेंसिल्स नाम की कंपनी शुरू की। पेंसिल के बिजनेस को इन्होंने जर्मनी जाकर समझा था। कंपनी का पहला प्रोडक्ट नटराज पेंसिल ही थी। विदेश से सीखकर आने की वजह से इन्होंने मजबूत और किफायती पेंसिल बनाई। धीरे-धीरे ये पेंसिल लोगों को पसंद आने लगी। बाद में सांघवी ने फैक्ट्री का कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया। नट...

नटराज और अप्सरा पेंसिल की कहानी:

शुरू हुई पेंसिलों की दौड़, और ये देखिए दूसरी पेंसिलों का हाल। जीत की तरफ बढ़ती हुई नटराज पक्की पेंसिल…और नटराज फिर चैंपियन। बचपन की कुछ यादें मिटाई नहीं जा सकतीं। नटराज पेंसिल का ये ऐड उन्हीं में से एक है। बड़े होने पर अब भले ही पेंसिल से दूरी बन गई हो, लेकिन अपनी फेवरेट पेंसिल की कहानी आप आज भी जानना चाहेंगे। तो चलिए, शुरू से शुरू करते हैं… भारत में था विदेशी पेंसिलों का दबदबा गुलामी के दिन थे। सूई से लेकर रेल तक विदेशों से बनकर आते थे। पेंसिल भी उन्हीं में से थी। 1939-40 के दौरान भारत में करीब 6.5 लाख रुपए की पेंसिल यूके, जर्मनी और जापान जैसे देशों से इम्पोर्ट की जाती थी। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के बाद अचानक सप्लाई थम गई। ऐसे में कुछ देसी कारोबारियों ने पेंसिल बनाने का फैसला किया। कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में कई कारखाने लगाए गए। सरकार की मदद से पनपे देसी निर्माता द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद विदेशी सप्लाई एकबार फिर शुरू हो गई। उनके सामने देसी पेंसिलें कहीं नहीं टिकती थी। ऐसे में धंधा चौपट होने लगा तो सभी पेंसिल निर्माताओं ने सरकार से मदद की गुहार लगाई। आजादी के बाद सरकार ने पेंसिल के आयात पर कुछ प्रतिबंध लगाए जिससे देसी निर्माताओं को पनपने का मौका मिला। हालांकि देसी पेंसिलों से कंज्यूमर संतुष्ट नहीं थे। विदेशी पेंसिलों के मुकाबले ये कमजोर और महंगी होती थीं। 1958 में नटराज पेंसिल की शुरुआत बीजे सांघवी, रामनाथ मेहरा और मनसूकनी नाम के तीन दोस्त थे। इन्होंने मिलकर 1958 में हिंदुस्तान पेंसिल्स नाम की कंपनी शुरू की। पेंसिल के बिजनेस को इन्होंने जर्मनी जाकर समझा था। कंपनी का पहला प्रोडक्ट नटराज पेंसिल ही थी। विदेश से सीखकर आने की वजह से इन्होंने मजबूत और किफायती ...

पेंसिल कंपनी के इस कदम ने जीता सबका दिल

मुंबई. बच्चों के लिए पेंसिल उनकी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा है. ये ठीक वैसा ही है जैसा बड़ों के लिए पेन उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा होता है. पेंसिल इस्तेमाल करने वाले अप्सरा और नटराज के नाम से जरूर परिचित होंगे. इन पेंसिल ने न जाने कितने मासूम सपनों को पंख दिए हैं. अप्सरा और नटराज पेंसिल हर बच्चे की जिंदगी का अहम हिस्सा रही हैं. हर इंसान इन पेंसिल से भावनात्मक जुड़ाव महसूस करता है. करोड़ों बच्चे इन पेंसिल का इस्तेमाल कई सालों से कर रहे हैं. इस बार इन पेंसिल के निर्माता ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने लोगों का दिल जीत लिया. दरअसल पेंसिल को छीलने के लिए शार्पनर का इस्तेमाल बच्चे करते हैं. मार्केट में मौजूद सभी शार्पनर की बनावट दाहिने हाथ के बच्चों के लिए ज्यादा आरामदायक होती है. ये शार्पनर इस तरह बने होते है कि दाहिने हाथ से काम करने वाले बच्चे इनको आराम से इस्तेमाल कर सकें लेकिन एक मां ने जिनकी बच्ची बाएं हाथ से लिखती थी यानि वो लेफ्टी थी उसे शार्पनर का इस्तेमाल करने में काफी दिक्कत होती थी. उस बच्ची की मां ने बच्ची की समस्या बताते हुए कंपनी को चिट्टी लिखी और कंपनी से अपील की कि वो उनकी बच्ची जो कि लेफ्ट हैंडर है उसकी जरूरतों का ख्याल रखते हुए क्या शार्पनर बना सकती है. कंपनी ने उस मां की चिंता को तवज्जो देते हुए न सिर्फ विशेष रूप से पांच शार्पनर बनाकर बच्ची को उपहार के तौर पर दिए बल्कि उस बच्ची की मां को भरोसा भी दिलाया कि कंपनी बकायदा रिसर्च करेगी कि कैसे उन बच्चों के लिए विशेष रूप से शार्पनर बनाया जाय जो कि बायां हाथ इस्तेमाल करते हैं. कंपनी के इस कदम की जमकर तारीफ न सिर्फ लेफ्ट हैंड इस्तेमाल करने वाली बच्ची के परिजनों ने की बल्कि इस घटना की सोशल मीडिया पर खबर आने के बाद से ही लोगों...

पतंजलि में जॉब चाहिए 2023

4/5 - (7 votes) पतंजलि जॉब कांटेक्ट नंबर | पतंजलि में जॉब चाहिए 2023 | पतंजलि कंपनी जॉब | पतंजलि कंपनी में नौकरी: अगर आपको प्राइवेट नौकरी चाहिए और प्राइवेट लिमिटेड जॉब की तलाश में है तो Patanjali Job Vacancy आपके लिए है। पतंजलि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के बारे में इंड़िया का हर एक बच्चे को भी पता है कि पतंजलि कम्पनीक्या काम करती है। और पतंजलि कम्पनी में कई सारे जॉब के वेकन्सी भी निकलते रहते है अगर आपको जानना है कि Baba Ramdev Patanjali Jobs यानि Patanjali Company Job Contact Number कैसे मिलेगा, Patanjali Job 8th Pass और Patanjali Me Job Kaise Paye तो इस लेख को पूरा पढ़े। Patanjali Jobs Bharti 2023: आपने कभी न कभी टी.वी या सोशल मीडिया पर पतंजलि के बारे जरूर सुना होगा, और तो और आपने पतंजलि की दुकाने भी देखी होगी जहां पर दवाईयां, कोस्मेटिक सामान, खाने का सामान इत्यादि अनेक चीज़े मिलती है। देखा जाए तो पतंजलि भारत देश की बहुत बड़ी आयुर्वेदिक दवाईयां बनाने वाली कंपनी है। अब यह कंपनी इतनी ज्यादा बड़ी है कि पतंजलि कंपनी नौकरीयों की डिमांड हमेशा रहती है। पतंजलि कंपनी में ज्यादातर सैल्समैन की ज्यादा डिमांड रहती है, इसके अलावा पतंजलि ड्राइवर जॉब, पतंजलि सिक्योरिटी गार्ड भर्ती 2023, “ Patanjali Marketing Job” इत्यादि की मांग रहती है। हालांकि पतंजलि मैं आपको लगभग सभी तरह की अगर आपको पतंजलि कंपनी में नौकरी चाहिए तो आपको एक पतंजलि जॉब ऑनलाइन फॉर्म भरना पड़ेगा, और साथ ही आपको अपना एक Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • पतंजलि कंपनी के बारे में पतंजलि एक ऐसी कंपनी है जो भारत में ही नही बल्कि विदेशो में भी फैली हुई है। इस कंपनी की शुरूआत 2006 में रामदेव बाबा और आचार्...

जिओ टावर कंपनी फ़ोन नंबर

नमस्कार, क्या आप जिओ कम्पनी के टावर लगवाने का नंबर ढूंढ रहे है, क्या आप जिओ का टावर लगवाना चाहते है, क्या आप जिओ टावर लगवाने के लिए कंपनी में संपर्क करना चाहते है, तो ये आर्टिकल केवल आपके लिए लिखी गयी है, इस आर्टिकल में आप Jio Tower Number जान पाएंगे, और संपर्क करने का विभिन्न तरीको के बारे में विस्तार से जान पाएंगे। दोस्तों आज के जमाने में हर कोई चाहता है की वह घर बैठे पैसे कमा पाए, बेरोज़गारी की संख्या इतनी तेज़ी से बढ़ गयी है की रोज़गार का कोई पता ही नहीं चल रहा तो ऐसे जमाने में लोग पैसे कमाने का कोई alternate तरीका धुंध रहे हैं जिससे उनका घर अच्छे से चल पाए, दोस्तों मोबाइल टावर आजके जमाने में सबसे बेहतरीन तरीका है पैसे कमाने का, अगर आपके पास भी कोई खाली प्लाट है तो आप भी जिओ मोबाइल टावर लगवा के अच्छे पैसे कमा सकते है, मैंने एक अन्य पोस्ट में बताया है की जिओ टावर कैसे लगवाएं ऐसे आप निचे दिए हुए लिंक से पढ़ सकते है। जिओ भारत की सबसे बड़ी jio tower helpline phone number JIO Tower Installation Number 1860-893-3333 JIO Office Contact Number 198 JIO Tower Helpline Number 1860-893-3333 JIO Tower Mobile Number 199 जिओ टावर कंपनी एड्रेस नंबर ट्विटर पर संपर्क करें – ट्विटर सबसे अच्छा तरीका है जिओ वालो से कांटेक्ट करने का असल में अभी हाल ही मेरे एक दोस्त में जिओ टावर अपने गावंमें लगवाया था, जब मैंने उससे पूछा की उसने ये टावर कैसे लगवाया और जिओ वालो तक कैसे पंहुचा, तो हस्ते हुए उसने खा की भाई ट्विटर पता है, बस वहां से, में हैरान था तकनीक के इस बदलते दुनिया को देखकर, फिर उसने मुझे और अच्छे से बताया की कैसे क्या करना है, और ट्विटर से कैसे जिओ वालो तक संपर्क करें, मैंने उसकी हर बात को ध्या...