नवरात्र का पांचवा दिन

  1. fifth day of Navratri goddess is Skandmata : blessings and mantras
  2. नवरात्रि का पांचवा दिन मां दुर्गा पांचवा स्वरूप रूप "माँ स्कंदमाता"
  3. Shardiya Navratri 2022 Day 5 नवरात्र के पांचवें दिन करें स्कंदमाता की पूजा जानिए शुभ मुहूर्त पूजन विधि मंत्र और भोग
  4. Chaitra Navratri 2021:नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को है समर्पित, इन मंत्रों से करें मां की स्तुति, पूजा विधि, मंत्र, आरती
  5. नवरात्रि का पांचवा दिन स्कंदमाता की पूजा विधि मंत्र, भोग और कथा जानें - Kasturi News
  6. Sawan 2023: इस बार का श्रावण है अद्भुत! दो महीने का श्रावण और पड़ेंगे 8 सोमवार, 19 साल बाद बना ऐसा संयोग


Download: नवरात्र का पांचवा दिन
Size: 79.64 MB

fifth day of Navratri goddess is Skandmata : blessings and mantras

नवरात्र का पांचवां दिन(रविवार), 29मार्च 2020 को स्कंदमाता की उपासना का दिन है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। मां अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंदमाता। नवरात्रि में पांचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है।

नवरात्रि का पांचवा दिन मां दुर्गा पांचवा स्वरूप रूप "माँ स्कंदमाता"

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि में पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्र बताते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से भी जाना जाता है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। इस देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी लिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है। स्कंदमाता जी प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा विधि • ज्योतिषाचार्य का कहना है किसबसे पहले चौकी (बाजोट) पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। • इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। • चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। • इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्...

Shardiya Navratri 2022 Day 5 नवरात्र के पांचवें दिन करें स्कंदमाता की पूजा जानिए शुभ मुहूर्त पूजन विधि मंत्र और भोग

Shardiya Navratri 2022 Day 5: नवरात्र के पांचवें दिन करें स्कंदमाता की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, मंत्र और भोग Shardiya Navratri 2022 Day 5 नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। माना जाता है कि स्कंदमाता संतान देने के साथ सभी इच्छाएं पूरी करती हैं। जानिए मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप की कैसे करें पूजा। नई दिल्ली, Shardiya Navratri 2022 Day 5: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन के साथ शारदीय नवरात्र का पांचवा दिन है। नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि स्कंदमाता की विधिवत पूजा करने से सुख-समृद्धि के साथ-साथ संतान प्राप्ति होती है। जानिए नवरात्र के पांचवें दिन कैसे करें स्कंदमाता की पूजा, साथ ही जानिए शुभ मुहूर्त, भोग और मंत्र। राहुकाल- सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक कैसा है मां स्कंदमाता का स्वरूप स्कंदमाता की स्वरूप काफी प्यारा है। मां दुर्गा की स्वरूप स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, जिसमें दो हाथों में कमल लिए हैं, एक हाथ में कार्तिकेय बाल रूप में बैठे हुए हैं और एक अन्य हाथ में मां आशीर्वाद देते हुए नजर आ रही हैं। बता दें कि मां का वाहन सिंह है, लेकिन वह इस रूप में कमल में विराजमान है। स्कंदमाता का पूजा विधि नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा की पूजा करने से पहले कलश की पूजा करें। इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूप की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले जल से आचमन करें। इसके बाद मां को फूल, माला चढ़ाएं। इसके बाद सिंदूर, कुमकुम, अक्षत आदि लगाएं। फिर एक पान में सुपारी, इलायची, बताशा और लौंग रखकर चढ़ा दें। इसके बाद मां स्कंदमाता को भोग में फल में केला और इसके अलावा मि...

Chaitra Navratri 2021:नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को है समर्पित, इन मंत्रों से करें मां की स्तुति, पूजा विधि, मंत्र, आरती

Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि 17 अप्रैल को है। यह नवरात्र का पांचवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता का पूजन होता है। धार्मिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों की समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्ंकदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। माता को लाल रंग प्रिय है इसलिए इनकी आराधना में लाल रंग के पुष्प जरूर अर्पित करना चाहिए। ऐसे करें पूजा • सबसे पहले मां स्कंदमाता को नमन करें। • पूजा में कुमकुम,अक्षत,पुष्प,फल आदि से पूजा करें। • चंदन लगाएं, माता के सामने घी का दीपक जलाएं। • मां को केले का भोग लगाएं। • मंत्र सहित मां की आराधना करें। • मां स्कंद माता की कथा पढ़ें या सुनें • मां की आरती गाएं। • अंत में प्रसाद ब्राह्मण को दें। पौराणिक कथा के अनुसार, कहते हैं कि एक तारकासुर नामक राक्षस था। जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय का दूसरा नाम) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप लिया और उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षिण लेने के पश्चात् भगवान स्कन्द ने तारकासुर का वध किया।

नवरात्रि का पांचवा दिन स्कंदमाता की पूजा विधि मंत्र, भोग और कथा जानें - Kasturi News

आज नवरात्रि का पांचवां दिन है और आज स्‍कंदमाता की पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि स्‍कंदमाता की पूजा करने से मंदबुद्धि भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार यानी स्‍वामी कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम कहा जाता है। स्‍कंदमाता की गोद में उनके पुत्र स्‍कंद शोभायमान हैं। स्‍कंदमाता को मां दुर्गा का ममतामयी रूप माना गया है। ऐसा माना जाता है नवरात्र में मां इस का रूप की पूजा करने से मां संतान सुख का आशीर्वाद देती हैं। ऐसा है स्‍कंदमाता का स्‍वरूप स्‍कंदमाता के विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में लिए हैं और नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प सुशोभित है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में है और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम श्‍वेत और ये स्‍वयं कमल के आसन पर विराजमान हैं। इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है। यह भी पढ़ें 👉 Aaj Ka Rashifal, 14 June 2023: गजकेसरी और ग्रहण योग का बना संयोग, जानें कैसा बीतेगा आपका दिन शास्त्रों में स्‍कंदमाता की पूजा का महत्‍व कुछ इस प्रकार बताया गया है कि इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांति प्राप्‍त करता है। ऐसे प्रकट हुईं स्‍कंदमाता पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार स्‍कंदमाता मां पार्वती का ही रौद्र रूप हैं। इस संबंध में यह कथा बताई गई है कि एक बार कुमार कार्तिकेय की रक्षा के लिए जब माता पार्वती क्रोधित होकर आदिशक्ति रूप में प्रगट हुईं तो इंद्र भय से कांपने लगे। इंद्र अपने प्राण बचाने के ल...

Sawan 2023: इस बार का श्रावण है अद्भुत! दो महीने का श्रावण और पड़ेंगे 8 सोमवार, 19 साल बाद बना ऐसा संयोग

सावन मास 2023 कब से शुरू होगा? हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष यानी 2023 में श्रावण मास का आरंभ 4 जुलाई से होगा जो 31 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान कुल 8 सोमवार पड़ेंगे। पहला सोमवार 10 जुलाई को पड़ेगा और आठवां सोमवार 28 अगस्त को पड़ेगा। सावन सोमवार 2023 की तिथियां पहला सोमवार - 10 जुलाई दूसरा सोमवार - 17 जुलाई तीसरा सोमवार - 24 जुलाई चौथा सोमवार - 31 जुलाई पांचवा सोमवार - 07 अगस्त छठा सोमवार - 14 अगस्त सातवां सोमवार - 21 अगस्त आठवां सोमवार - 28 अगस्त सावन सोमवार का महत्व शिव के बारे में कहा जाता है कि राम भी उनका और रावण भी उनका। इसका मतलब हुआ कि वो भक्तो में भेदभाव नहीं करते हैं, जो सच्चे मन से शिव को भजता है शिव प्रसन्न होकर उसकी मनोकामना पूरी करते हैं, चाहे वो कोई असुर ही क्यों ना हो। खास तौर पर श्रावण मास में शिव सुलभ होते हैं, ऐसी मान्यता है। वो अपने भक्तों की प्रार्थना को इस मास में जल्दी सुनते हैं। और श्रावण में भी अगर सोमवार के दिन भोले बाबा को याद किया जाये तो और भी जल्दी सुनते हैं। इसलिए सावन के सोमवार का बहुत ज्यादा महत्व है। हलाहल को कंठ में धारण किये शिव इस मास में जलाभिषेक से बहुत प्रसन्न होते हैं इसलिए अगर पूरे मास शिवलिंग पर जलाभिषेक संभव ना हो पाए तो कम से कम सोमवार के दिन जल जरुर चढ़ाएं।