नवरात्र स्थापना का शुभ मुहूर्त

  1. Navratri 2022 Kalash Sthapana Vidhi: कब है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और नवरात्रि में क्या है कलश का महत्व
  2. नवरात्रि 2022 : कलश स्थापना के लिए बहुत कम समय है शुभ, नोट कर लें मुहूर्त
  3. Shardiye Navaratri Pujan Vidhi Mahatva Shubh Muhurat Facts
  4. नवरात्र में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि
  5. मां शैलपुत्री को समर्पित है प्रथम नवरात्र, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत और पूजन का महत्व
  6. Ashadha Gupt Navratri 2023 June: इस दिन शुरू हो रही गुप्त नवरात्रि, जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त व महत्व


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Navratri 2022 Kalash Sthapana Vidhi: कब है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और नवरात्रि में क्या है कलश का महत्व

डीएनए हिंदी : Navratri 2022 Kalash Sthapana Muhurat and Vidhi-हिंदू धर्म में मान्यता है कि कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले या फिर कोई पूजा पाठ त्योहार शुरू होने से पहले घट यानी कलश की स्थापना (Kalash Sthapana) की जाती है, इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और काम अच्छे से संपन्न होता है. नवरात्रि में भी कलश स्थापना का एक खास महत्व है, कलश स्थापना के दिन से ही नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है. मान्यता है कि कलश में सभी ग्रह,नक्षत्रों और तीर्थों का निवास होता है. इनके अलावा कलश में भगवान ब्रह्मा,विष्णु,शिव समेत सभी नदियों,धार्मिक स्थानों और तैतीस कोटि देवी-देवता कलश में विराजते हैं. इसलिए इसकी स्थापना के बाद ही नवरात्रि के व्रत शुरू होते हैं. पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022 End Date) खत्म होते ही नवरात्रि शुरू हो रहे हैं. 26 सितंबर को नवरात्र के कलश की स्थापना की जाएगी. कलश स्थापना का महत्व (Significance of Kalash Sthapana) हिंदू धर्म में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान और विशेष अवसरों पर कलश स्थापना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. घर में प्रवेश करने से पहले भी कलश की स्थापना और पूजा होती है. नवरात्रि के पहले दिन यानि प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ देवी का आह्वान करते हुए 9 दिनों की पूजा शुरू हो जाती है. कलश स्थापना से घर में फैली सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और पूजा अच्छे से संपन्न होती है. यह भी पढ़ें- कलश स्थापना का शुभ समय और मुहूर्त (Kalash Sthapana Shubh Muhurat or Timing) इस साल आश्विन नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 27 सितंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में इस शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा की कृ...

नवरात्रि 2022 : कलश स्थापना के लिए बहुत कम समय है शुभ, नोट कर लें मुहूर्त

26 सितंबर 2020 से नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो रहा है। इन नौ दिनों में माता दुर्गा की पूजा होगी और जगह जगह लगे पांडालों में गरबा उत्सव होगा। क्या है शारदीय नवरात्रि 2022 में घट स्थापना और कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त? किस शुभ योग संयोग मुहूर्त में करें कलश स्थापना? इस बार नवरात्र का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। नोट कर लें सभी शुभ मुहूर्त का समय।

Shardiye Navaratri Pujan Vidhi Mahatva Shubh Muhurat Facts

नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। इसमें 9 दिनों तक तीनों देवियों महालक्ष्मी, सरस्वती, मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। सभी भक्तों को नवरात्रि का इंतजार रहता है। नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा की जाती है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी,सिद्धिदात्री, कुष्मांडा मां की पूजा की जाती है। नवरात्रि में 9 दिन घर में माता रानी का आसन सजाकर और कलश स्थापना करके कलश के आस-पास जौ की खेती की जाती है। उपवास रखते हैं। तथा लहसुन, प्याज, का परित्याग करते हैं तथा मास, मदिरा आदि घर में निषेध रहता है। और दशमी के दिन इसका समापन करते हैं। अच्छे पकवान बनाते हैं, मीठा बनाते हैं। क्योंकि मां दुर्गा का पूरे 9 दिन राक्षस राजा महिषासुर से विकराल युद्ध हुआ था, और दशमी वाले दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया। महिषासुर एक ऐसा राक्षस है जो ना देवताओं से मर रहा था, ना अपने प्रतिद्वंदी किसी अन्य राक्षस जाति से, न देव से, ना किन्नर से किसी से भी महिषासुर पराजित नहीं हो रहा था। क्योंकि उसको एक वरदान मिला था कि जैसे ही उसका सर काटा जाएगा और उसका रक्त भूमि पर कहीं भी गिरेगा रक्त के प्रत्येक बूंद के साथ एक नया महिषासुर उत्पन्न हो जाएगा। अन्यथा मां दुर्गा अपनी खप्पर में महिषासुर के रक्त को समेटती हैं। और धरा पर नहीं गिरने देती हैं। और महिषासुर का वध कर देती है। समस्त धरा को उसके आतंक से मुक्त करा देती हैं। इसका एक आध्यात्मिक अर्थ यह भी है कि यह हमारे शरीर के भीतर आंतरिक जगत की ओर संकेत करता है। हमारे शरीर में 9 द्वार होते हैं। दो आंखों के, दो कानों के,दो नशीकाछिद्र के, एक मुख का और दो उत्सर्जन और प्रजनन की क्रिया होती है। जब तक हम इन 9 द्वारों का संसार में विचरण...

नवरात्र में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि

ज्योत‌िषशास्‍त्र के अनुसार नवरात्र में कलश बैठाने का समय सूर्योदय से 4 घंटे तक शुभ होता है इसके बाद अभ‌िज‌ित मुहूर्त में घट स्‍थापन क‌िया जा सकता है। इस बार शन‌िवार के द‌िन घट स्‍थापन होने के कारण द‌िल्ली में घट स्‍थापन का शुभ मुहूर्त 6 बजकर 28 म‌िनट से 7बजकर 28 म‌िनट तक द्व‌िस्वभाव लग्न कन्या में होगा। अन्य क्षेत्रों में घट स्‍थापना के ल‌िए 6 बजकर 15 म‌िनट से 7 बजे तक का समय शुभ रहेगा।

मां शैलपुत्री को समर्पित है प्रथम नवरात्र, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत और पूजन का महत्व

Shardiya Navratri 2022 Ghatasthapana Muhurat: आज से पवित्र शारदीय नवरात्र शुरु हो रहे हैं. अश्विनी माह की प्रतिपदा से लेकर नौ दिनों तक नवरात्र का व्रत और उत्सव मनाया जाता है. इस बार ये नवरात्र 5 अक्टूबर को खत्म हो रहे हैं. इन दिनों में मां आदि शक्ति के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्र का पहला दिन मां शक्ति के शैलपुत्री स्वरूप को समर्पित है. इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री माना जाता है. मां शैलपुत्री का नाम उनके जन्म से जुड़ा हुआ है. मां शैलपुत्री का जन्म हिमालय राज के घर में हुआ था वैदिक शास्त्रों में बताया गया है कि मां शैलपुत्री का जन्म हिमालय के राजा के घर में एक शैल यानी पत्थर पर हुआ था, जिसकी वजह से ही मां का नाम शैलपुत्री पड़ गया. मां शैलपुत्री की पूजा में श्वेत यानी सफेद रंग का विशेष स्थान है. ऐसा माना जाता है कि मां शैलपुत्री को श्वेत रंग बहुत ही पसंद है. इसलिए पहले नवरात्र में पूजन के लिए सफेद रंग के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही भोग में सफेद रंग की भोजन या व्यंजन चढ़ाया जाता है. इसके साथ ही मां शैलपुत्री को सफेद चंदन, पान, सुपारी, नारियल, लौंग, कुमकुम और सौलह श्रृंगार की अर्पित किये जाते हैं. पूजन से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं पूजन के दौरान मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:’ मंत्र का जाप किया जाता है. आमतौर पर इस मंत्र को भक्त श्रद्धा के साथ कितनी भी बार बोल सकते हैं, लेकिन यदि इस मंत्र का 108 बार जाप किया जाए तो उस व्यक्ति पर मां शैलपुत्री की विशेष कृपा बरसती है और मां शैलपुत्री अपने भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं. मां शैलपुत्री की पूजा करने ...

Ashadha Gupt Navratri 2023 June: इस दिन शुरू हो रही गुप्त नवरात्रि, जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त व महत्व

मैनपुरी में 8 साल का बच्चा नानी को बता रहा पत्नी, पूर्वजन्म का किया जा रहा दावा © Zee News हिन्दी द्वारा प्रदत्त Ashadha Gupt Navratri 2023 June: हिंदू पंचाग के अनुसरा साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है. साल में पड़ने वाली चारों नवरात्रि मां दुर्गा की पूजा उपासना के लिए बहुत शुभ मानी गई है. आषाढ़ का महीना चल रहा है. इस महीने शु्क्ल पक्ष में गुप्त नवरात्रि पड़ती है. इस साल आषाढ़ में कब शुरू हो रही गुप्त नवरात्रि और कब है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त आइए जानते हैं. कब शुरू हो रही आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 18 जून रविवार को सुबह 10 बजकर 06 मिनट से शुरू हो रही है. यह तिथि यानी सोमवार 19 जून को सुबह 11 बजकर 25 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि अनुसार प्रतिपदा तिथि 19 जून को मान्य है. इसलिए गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से हो रही है. इसका समापन 28 जून को होगी. गुप्त नवरात्र कलश स्थापना शुभ मुहूर्त गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून को हो रही है. इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 जून सोमवार को सुबह 05 बजकर 23 मिनट से लेकर 07 बजकर 27 मिनट तक है. इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक है. हाथी की सवारी कर आ रही मां दुर्गा धार्मिक मान्यतानुसार नवरात्रि के समय मां दुर्गा नवरात्रि के समय मां दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन होता है. मां दुर्गा की सात दिन की सात सवारी होती है. इस बार मां दुर्गा हाथी की सवारी से आ रही है ऐसे में ज्योतिष की मानें तो मां दुर्गा का हाथी पर आगमन अत्यधिक बारिश का संकेत देता है. बता दें कि नवरात्रि यदि सोमवार या रविवार से शुरू होती है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं. गुप्त नवरात्रि का महत्...