नया साल कब है

  1. 1 जनवरी को क्यों मनाया जाता है नया साल, कब और कैसे हुई नववर्ष की शुरुआत, भारत में नववर्ष, हिन्दू नव वर्ष कब शुरू होता है, हिंदू नववर्ष का महत्व, New Year Kyu Manaya Jata Hai, Hindu Nav Varsh Date In Hindi, Hindu Nav Varsh Kab Hota Hai
  2. Grahan 2023:साल 2023 में कब
  3. Happy New year 2022: why new year celebrated on january 1 know history why does new year start on january 1
  4. Poila Baishakh 2023 When Is Bengali New Year Know Date History Rituals And Significance
  5. नया साल क्यों मनाया जाता है?
  6. Hindu New Years For Marathi Gujrati Bengala Marwari
  7. नया साल कब है?


Download: नया साल कब है
Size: 48.55 MB

1 जनवरी को क्यों मनाया जाता है नया साल, कब और कैसे हुई नववर्ष की शुरुआत, भारत में नववर्ष, हिन्दू नव वर्ष कब शुरू होता है, हिंदू नववर्ष का महत्व, New Year Kyu Manaya Jata Hai, Hindu Nav Varsh Date In Hindi, Hindu Nav Varsh Kab Hota Hai

कब और कैसे हुई नववर्ष मनाने की शुरुआत ऐसा माना जाता है कि नव वर्ष आज से लगभग 4,000 वर्ष पहले बेबीलीन नामक स्थान से मनाना शुरू हुआ था.एक जनवरी को मनाया जाने वाला नया वर्ष ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है.इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई.इस कैलेंडर की शुरूआत 15 अक्टूबर 1582 में हुई. इस कैलेंडर की शुरूआत ईसाइयों ने की थी. इस पारंपरिक रोमन कैलेंडर का नया वर्ष 1 मार्च से शुरू होता है. ग्रिगोरियन कैलेंडर आने से पहले रूस का जूलियन कैलेंडर था. इसमें केवल 10 महीने ही थे, लेकिन रोमन के प्रसिद्ध सम्राट जूलियस सीजर ने 46 वर्ष ईसा पूर्व में इस कैलेंडर में परिवर्तन किया था.इसमें उन्होंने जुलाई का महीना और इसके बाद अपने भतीजे के नाम पर अगस्त का महीना जोड़ दिया.अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने नया कैलेंडर पेश किया . इस कैलेंडर में 1 जनवरी को पहला दिन था. तभी से यह कैलेंडर पूरी दुनिया में प्रचलित हो गया. और दुनियाभर में तब से लेकर आज तक नया साल 1 जनवरी को मनाया जाता है. भारत में नववर्ष/ भारत में इस दिन से होता है नए साल का आरंभ हिन्दू धर्म में नववर्ष का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है.हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी इसलिए इस दिन से नए साल का आरंभ भी होता है.इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को नया साल हिजरी शुरू होता है. वैसे ही भारत में नया साल सभी स्थानों पर अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है.ज्यादातर ये तिथियां मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती हैं.पंजाब में नया साल बैशाखी के रूप में 13 अप्रैल को मनाया जाता है.सिख धर्म को मानने वाले इसे नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मार्च में होली के दूसरे...

Grahan 2023:साल 2023 में कब

Grahan 2023 in India Date and Time: आज से नया साल 2023 शुरू हो गया है। आने वाले साल को लेकर लोग भी काफी उत्साहित हैं। हर कोई अभी से जानना चाह रहा है कि आने वाले साल में क्या नया होने वाला है। साल 2023 में कौन-सा त्योहार कब है। इसके अलावा लोग इस बात को भी लेकर काफी उत्सुक हैं कि नए साल में कब और कितने ग्रहण लगेंगे। भारत में कितने ग्रहण दिखाई देंगे। ऐसे में ज्योतिषीय गणना के आधार पर आइए जानते हैं कि साल 2023 में कितने सूर्य और कितने चंद्र ग्रहण लगेंगे और ग्रहण कब-कब देखने को मिलेंगे... साल 2023 में ग्रहण ज्योतिषीय गणना के अनुसार साल 2023 में कुल मिलाकर 4 ग्रहण लगेंगे। दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण होंगे।

Happy New year 2022: why new year celebrated on january 1 know history why does new year start on january 1

नई दिल्ली: कुछ दिनों में हम नए साल 2022 में प्रवेश कर जाएंगे. आज से 10 दिन बाद 2021 को अलविदा कहते हुए पूरी दुनिया नए साल 2022 का खुले दिल से स्वागत करेगी. सभी की यही चाहत होगी कि नया साल खुशियां लेकर आए. साथ ही लोगों की यह मनोकामना जरूर होगी कि कोरोना महामारी का 2022 में अंत हो जाए. पूरी दुनिया 31 दिसंबर को मध्यरात्रि 12 बजे के बाद पुराने साल को अलविदा करते हुए नए साल का स्वागत करती है. अब यहां पर यह जान लेना भी जरूरी है कि हम हर साल जनवरी में ही नया साल क्यों मनाते हैं. आइये आपको बताते हैं इसके पीछे का इतिहास... आपको बता दें कि सदियों तक नया साल 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता था. यह कभी 25 मार्च तो कभी 25 दिसंबर को मनाया जाता था. सबसे पहले रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किए थे. कैलेंडर में जनवरी को पहला माना गया. इस बदलाव से पहले तक मार्च को पहला महीना माना जाता था. जनवरी महीने का नाम कैसे पड़ा? अब आपको बताते हैं जनवरी महीने का नाम कैसे पड़ा. जनवरी का नाम जानूस ( Janus) पर रखा गया है. जानूस को रोम में शुरुआत का देवता माना जाता है. मार्च के नाम के पीछे का इतिहास मार्च का नाम मार्स ( mars) पर पड़ा है. मार्स को युद्ध का देवता माना गया है. सबसे पहले इजाद हुए कैलेंडर में सिर्फ 10 महीने ही होते थे. वहीं, एक साल में 310 दिन होते थे, सप्ताह भी 8 दिनों का होता था. 310 की जगह 365 दिन रोमन कैलेंडर में रोम के अगले शासक जूलियस सीजर ने कुछ बदलाव किए. उन्होंने 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की. जूलियस कैलेंडर में साल में 12 महीने किए गए. जूलियस सीजर ने खगोलविदों से मुलाकात के बाद जाना कि पृथ्वी 365 दिन और छह घंटे में सूर्य की परिक्रमा लगाती है. इसे ध्यान में रखते हुए जूलिय...

Poila Baishakh 2023 When Is Bengali New Year Know Date History Rituals And Significance

Poila Baishakh 2023, Bengali New Year Date and Importance: अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार विश्वरभर में 1 जनवरी के दिन को नए साल के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. लेकिन इसके अलावा भारत के विभिन्न राज्यों और समुदाय के लोग अपनी-अपनी संस्कृति व परपंराओं के अनुसार नया साल मनाते हैं. बंगाली समुदाय के लोग पोइला बोइशाख के दिन को नए साल के रूप में मनाते हैं. इस दिन लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई व शुभकामनाएं देते हैं और परिवार के सदस्यों और दोस्तों के बीच इस दिन का जश्न मनाते हैं. घर के सभी लोग इस दिन नए-नए कपड़े पहनकर पूजा-पाठ करते हैं और विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इस साल पोइला बोइशाख या बंगाली नववर्ष शनिवार 15 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा. जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्व. पोइला बोइशाख का इतिहास (Poila Baishakh 2023 History) बंगाली नववर्ष के इतिहास को लेकर अलग-अलग विचार और मत हैं. मान्यता है कि बंगाली युग की शुरुआत 7वीं शताब्दी में राजा शोशंगको के समय हुई थी. इसके अलावा दूसरी ओर यह भी मत है कि चंद्र इस्लामिक कैलेंडर और सूर्य हिंदू कैलेंडर को मिलाकर ही बंगाली कैलेंडर की स्थापना हुई थी. वहीं इसके अलावा कुछ ग्रामीण हिस्सों में बंगाली हिंदू अपने युग की शुरुआत का श्रेय सम्राट विक्रमादित्य को भी देते हैं. इनका मानना है कि बंगाली कैलेंडर की शुरुआत 594 सीई. में हुई थी. पोइला बोइशाख का महत्व (Poila Baishakh 2023 Importance) बंगाली समुदाय के लोगों के बीच पोइला बोइशाख का दिन बहुत खास होता है. इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान कर पूजा-पाठ करते हैं. घर की साफ-सफाई कर अल्पना बनाया जाता है. मंदिर जाकर नए साल के पहले दिन भगवान का आशीर्वाद लिया जाता है. इसके बाद विशेष व्यजंन तैयार किए ज...

नया साल क्यों मनाया जाता है?

आज हम बात करेंगे नय साल (New Year) के बारे में यह मनाया क्यूँ जाता हैं, कब मनाया जाता है, ओर कैसे मनाया जाता है? आपको बता दें कि सबसे पहले नया साल (New Year) मनाने की यह परंपरा ग्रिगोरियन कैलेंडर से शुरू हुई थी। इसकी शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 में हुई। इस कैलेंडर की शुरुआत ईसाइयों ने की थी. ग्रिगोरियन कैलेंडर आने से पहले रूस का जूलियन कैलेंडर था। इसमें केवल 10 महीने ही थे। साथ ही इस कैलेंडर में क्रिसमस की तारीख भी हर साल बदलती रहती थी। अमेरिका नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने नया कैलेंडर पेश किया। इस कैलेंडर में 1 जनवरी को पहला दिन था। तभी से यह कैलेंडर पूरी दुनिया में प्रचलित हो गया और 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा। भारत में नया साल कब मानते है? (When is the New Year celebrated in India?) भारत में नया साल विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 दिसंबर को साल का अंत होने के बाद 1 जनवरी को नए साल की शुरुआत होती है और यह पुरे भारत के अलावा पूरी दुनिया के लोगो के द्वारा मनाया जाता है। नया साल पुरानी चीजों को पीछे छोड़कर एक नयी शुरुआत करने का समय होता है। भारत में रहने वाले हर धर्म के लोगो के द्वारा नए साल पर तैयारियां की जाती है। पंजाब में नया साल बैशाखी के रूप में 13 अप्रैल को मनाया जाता है। सिख धर्म को मानने वाले इसे नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मार्च में होली के दूसरे दिन मनाते हैं। जैन धर्म के लोग नववर्ष को दिवाली के अगले दिन मनाते हैं। यह भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है। साल पर सभी दुकानें भीड़ से भरी रहती हैं। जनवरी में भारत में नए साल का उत्सव भोजन, फोल और अनुष्ठान से भरपूर होता है। नय...

Hindu New Years For Marathi Gujrati Bengala Marwari

नई दिल्ली: भारतीय पंचांग में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नए साल का आरंभ माना जाता है, जिसे हिंदू नववर्षोत्सव भी कहा जाता है. यह गणना विक्रम संवत के अनुसार है, जो ईसा पूर्व 57 में आरंभ हुआ था. विक्रम संवत 2075 रविवार को आरंभ हो रहा है. लेकिन शास्त्रों के मुताबिक भगवान ब्रह्मा ने चैत्र शुल्क प्रतिपदा को ही सृष्टि की रचना की थी और कलयुग का आरंभ भी इसी दिन हुआ था. इसलिए यह सृष्टि की रचना का उत्सव है. युगादि पर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही मनाया जाता है. वैसे व्यापारिक व फसली वर्ष के मुताबिक पूरे भारत में अलग-अगल त्यौहारों के साथ नया साल मनाने की परंपरा है, लेकिन वैदिक काल से चली आ रही काल गणना पद्धति के मुताबिक, चैत्र में ही वर्ष का आरंभ माना जाता है क्योंकि इस महीने में प्रकृति में आधुनिकता का संचार होता है. भारतीय महीनों के नामकरण को लेकर भी एक विधान है कि जिस महीने की पूर्णिमा के दिन जो नक्षत्र होता है उसी के नाम पर उस महीने का नाम होता है. चूकि चैत्र महीने में पूर्णिमा के दिन चित्रा नक्षत्र रहता है इसलिए महीने का नाम चित्रा है. संस्कृत के प्रोफेसर देवानंद झा ने कहा कि वैदिक काल गणना के मुताबिक, युग चार होते हैं- सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग और कलियुग. चार युगों का एक महायुग होता है और 71 महायुगों का एक मन्वंतर. इसी प्रकार 14 मंवतरों का एक कल्प होता जो ब्रह्मा का एक दिन कहलाता है. ब्रह्मा की आयु एक सौ वर्ष है. कलियुग की कालावधि 4,32,000 वर्ष है. वर्तमान में कलियुग की 52वीं सदी चल रही है. एक जनवरी को जो हम नया साल मनाते हैं वह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार है. दुनिया के देशों में ग्रेगोरियन के अलावा कई अन्य कैलेंडर भी काफी प्रचलित हैं. हिजरी संवत को छोड़कर सभी कैलेंडर में जनवरी ...

नया साल कब है?

• • • • नया साल कब है? – Naya Saal Kab Hai? नववर्ष को एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि नया साल कब है? अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार पूरे विश्व मे नए साल का उत्सव प्रतिवर्ष 1 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन यह नववर्ष पाश्चात्य संस्कृति एवं पाश्चात्य सभ्यता का सूचक है. भारतवर्ष में हिन्दू नववर्ष को मनाने का अलग दिन निर्धारित है और यह दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार ही निर्धारित होता है. इस साल हिन्दू नववर्ष नवसंवत्सर 2079, 2 अप्रैल 2022, दिन शनिवार को आरंभ हो रहा है. नववर्ष के साथ ही सभी शुभ मांगलिक कार्य भी आरंभ हो जाते हैं. हिन्दू नव वर्ष कब मनाया जाता है?– Hindu Nav Varsh Kab Manaya Jata Hai? सनातन धर्म एवं भारतीय हिन्दू पंचांग के अनुसार, हिन्दू नवर्ष का प्रारंभ चैत्र मास में होता है जिसे नव संवत्सर या विक्रम संवत् भी कहा जाता है. इसका प्रारंभ सम्राट विक्रमादित्य ने कियाथा. अंग्रेजी कैलेंडर में चैत्र मास को मार्च या अप्रैल का महीना कहा जाता है. हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानि पहली तारीख़ से होता है. इस साल हिन्दू नववर्ष ( Hindu Nav Varsh 2079) का प्रारंभ 02अप्रैल दिन शनिवार को चैत्र नवरात्रि से हो रहा है. नवसंवत्सर को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है, जैसे- महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा, पंजाब में बैसाखी, आंध्र प्रदेश में उगादी, केरल में विशु तथा तमिलनाडु में पोंगल के नाम से जाना जाता है. घरों एवं मंदिरों की सफ़ाई करके रंगोली व फूलों से सजाया जाता है. कहीं कहीं पर तो कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्रा, यज्ञ, हवन एवं माहाआरती का आयोजन भी किया जाता है. हिन्दू नववर्ष का महत्व क्या है...