ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई

  1. ऑल इंडिया रेडियो का नाम आकाशवाणी कब रखा गया?
  2. ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई थी
  3. ऑल इंडिया रेडियो
  4. अभिव्यक्ति और माध्यम – डॉ. नीरज दइया
  5. आल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई थी
  6. NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core


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ऑल इंडिया रेडियो का नाम आकाशवाणी कब रखा गया?

Explanation : ऑल इंडिया रेडियो का नाम आकाशवाणी 1957 में रखा गया। आकाशवाणी की स्थापना 23 जुलाई 1927 को हुई थी। तब इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा रखा गया था। 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा। 1936 में मैसूर के धाक़ड़ विद्वान और चिंतक एम.वी.गोपालस्वामी ने इस शब्द को गढ़ा। आकाशवाणी का अर्थ है आकाश से मिला संदेश। पंचतंत्र की कथाओं में इस शब्द का जिक्र मिलता है। फिलहाल इसके 420 स्टेशन हैं, जिनसे 23 भाषाओं और 146 बोलियों में प्रसारण होता है। Tags :

ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई थी

ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई थी – रेडियो मनोरंजन का एक अच्छा माध्यम है। लेकिन मोबाइल, इंटरनेट आदि के आ जाने से इसका प्रचलन कम हो गया है। लेकिन आज भी बहुत से लोग रेडियो सुनना पसंद करते हैं। रेडियो पर आपको नए पुराने गाने के साथ-साथ कई ऑडियो प्रोग्राम भी सुनने को मिलते हैं। आज के इस लेख में हम बात करने जा रहे भारत के पहले रेडियो ऑल इंडिया रेडियो के बारे में। तो चलिए शुरू करते है – ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई थी हिंदी में (All India Radio Ki Sthapna Kab Hui Thi) ऑल इंडिया रेडियो जिसे आकाशवाणी के नाम से भी जानते है, दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो नेटवर्क है। 1936 में ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना हुई थी। ऑल इंडिया रेडियो भारत की सरकारी रेडियो सेवा है। रेडियो प्रसारण की शुरुआत भारत में 1920 के दशक में हुई थी। 1923 में पहला कार्यक्रम मुंबई के रेडियो क्लब द्वारा प्रसारित किया गया था। इसके बाद 1927 में मुंबई और कोलकाता में दो निजी स्वामित्व वाले ट्रांसमीटरों के साथ प्रसारण सेवा की स्थापना की गई। 1930 में, सरकार ने इन ट्रांसमीटरों को अपने नियंत्रण में ले लिया और उन्हें भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से संचालित करना शुरू कर दिया। 1936 में इसका नाम ऑल इंडिया रेडियो रखा गया और 1957 में इसे आकाशवाणी कहा गया। ऑल इंडिया रेडियो की कई भाषाओं में अलग-अलग सेवाएं हैं जो देश भर के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं। जब ऑल इंडिया रेडियो शुरू हुआ, तो इसका उद्देश्य किसानों, ड्राइवरों, मजदूरों और छात्रों के लिए कार्यक्रम प्रसारित करना था। आकाशवाणी यानी ऑल इंडिया रेडियो का संचालन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय करता है। ऑल इंडिया रेडियो का इतिहास (All India Radio Ka Itihas) - Advertisement - 23 जुला...

ऑल इंडिया रेडियो

भारत जैसे विशाल और विविध देश के लिए, ऑल इंडिया रेडियो या एआएआर देश के आधिकारिक और एकमात्र रेडियो समाचार प्रदाता के रूप में अद्वितीय स्थान रखता है। एफएम रेडियो स्टेशनों को कानून द्वारा समाचार प्रसारित करने की अनुमति नहीं है जबकि वह अपने प्रसारण के एक हिस्से के रूप में आकाशवाणी समाचार फ़ीड का उपयोग कर सकते हैं। ऑल इंडिया रेडियो एक सार्वजनिक प्रसारण सेवा है इसके पूरे देश में स्थित 470 प्रसारण केंद्र का एक नेटवर्क शामिल है और देश के 92% क्षेत्र और कुल आबादी का 99.19% शामिल है। ऑल इंडिया रेडियो 23 भाषा और 179 बोलियों में प्रोग्रामिंग करता है। अखिल भारतीय रेडियो को भाषाओं की संख्या, सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विविधता के मामले में दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण संगठनों में से एक बनाना उदेश्य है। प्रसार भारती के स्वामित्व में ऑल इंडिया रेडियो भारत में आधिकारिक और एकमात्र रेडियो समाचार प्रसारक है। प्रसार भारती सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला देश का एक सार्वजनिक सेवा प्रसारक है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के कार्य को मोटे तौर पर तीन प्रभागों में विभाजित किया गया है। मंत्रालय का सूचना विभाग, मीडिया, प्रिंट और डिजिटल मीडिया, मंत्रालय का प्रसारण विभाग प्रसार भारती के संचालन का पर्यवेक्षण करता है और निजी चैनलों की सामग्री को नियंत्रित करता है। मंत्रालय का फिल्म डिवीजन फिल्मों के सर्टिफिकेशन में दिखता है। भारतीय राज्य प्रसारण सेवा भारत में रेडियो, और ऑल इंडिया रेडियो की उत्पत्ति का इतिहास मिलाजुला है। रेडियो क्लब ऑफ बॉम्बे 1923 में पहली बार कार्यक्रम प्रसारित करने का मौका मिला। कुछ महीने बाद कलकत्ता रेडियो क्लब लॉन्च किया गया था। 1924 में, ब्रॉडकास्टिंग सेवा का उद्घाटन मद्रास...

अभिव्यक्ति और माध्यम – डॉ. नीरज दइया

• • • • • • • • • • • • • • • • कुछ विशेष ध्यान देने योग्य बातें : • एक-एक अंक के पांच प्रश्न बोर्ड परीक्षा में आते हैं जिनका संक्षेप में सारगर्भित उत्तर देना चाहिए। • पांच में से पांच अंक प्राप्त करने के लिए कुछ बातों का यदि हम ध्यान रखें तो यह बहुत आसान है। • प्रश्न विशेष रूप से तथ्यपरक होते हैं, अत: उत्तर लिखते समय सही तथ्यों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। तथ्यों तथा विचारों की पुनरावृत्ति नहीं करनी चाहिए। • उत्तर बिंदुवार लिखें , मुख्य बिंदु को सबसे पहले लिखें। • शुद्ध वर्तनी का ध्यान रखें। • उत्तर साफ-सुथरा बिना काट-छांट के पठनीय होना चाहिए। • उत्तर में अनावश्यक बातें नहीं लिखनी चाहिए। • सी.बी.एस.ई. परीक्षा में प्रत्येक प्रश्न-पत्र के तीन सेट होते हैं, जिनमें प्रायः सभी प्रश्न-पत्रों में जनसंचार माध्यम के पांच प्रश्न अलग-अलग होते हैं। कभी तीनों सेट में सभी प्रश्न एक जैसे हो सकते हैं, अथवा उनमें आंशिक समानता/ भिन्नता भी हो सकती है। • बहुत बार देखा गया है कि गत वर्षों के प्रश्न-पत्रों से कुछ प्रश्न अगले वर्षों के प्रश्न-पत्रों में दे दिए जाते हैं। अतः यहां कुछ स्थानों पर प्रश्नोत्तर की पुरनावृति देखी जा सकती है। • साफ-सफाई के कोई अतिरिक्त अंक नहीं है, फिर भी इसका प्रभाव अंकों पर अवश्य पड़ता है। अतः पांचों प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखेंगे तथा प्रत्येक उत्तर के बाद एक अथवा दो पंक्तियां छोड़कर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखेंगे। जनसंचार माध्यम और लेखन PPT जनसंचार माध्यम • संचार : ‘संचार’ शब्द चर् धातु के साथ सम् उपसर्ग जोड़ने से बना है- इसका अर्थ है चलना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना। संचार संदेशों का आदान-प्रदान है। सूचनाओं, विचारों और भावनाओं का लिखित, मौखिक या दृश्य-...

आल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई थी

आल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई थी |all india radio ki sthapna kab hui thi | रेडियो का इतिहास | आकाशवाणी का इतिहास –आज हम जिस दौर में हैं. हमारे पास मनोरंजन के विभिन्न साधन उपस्थित है. इंटरनेट के आते ही यह साधन भी बहुत बढ़ गए हैं. आधुनिक समय में हमारे टेलीविजन में भी हजारों चैनल प्रसारित होते हैं. लेकिन भारत के आजादी के समय स्थिति ऐसी नहीं हुआ करती थी. उस समय मनोरंजन का सिर्फ एक ही साधन था जिसे रेडियो कहा जाता है. अनुक्रम • • • • • • • आल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई थी | all india radio ki sthapna kab hui thi आल इंडिया रेडियो की स्थापना 23 जुलाई, 1927 में हो गई थी. लेकिन इसका सार्वजनिकरण 1930 में किया गया था. तब इसका नाम बदल कर ‘भारतीय प्रसारण सेवा’ गया. जिसे बाद में 1950 में नाम बदल कर ‘आकाशवाणी’ रखा गया. इसे अंग्रेजी में आल इंडिया रेडियो (All india radio) भी कहा जाता हैं. बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे | श्रीकृष्ण सिंह का जीवन परिचय आकाशवाणी की जानकारी आकाशवाणी का अंग्रेजी और पुराना नाम में ऑल इंडिया रेडियो (All india radio) है. यह भारत सरकार का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा संचालित सरकारी रेडियो प्रसारण सेवा है. आकाशवाणी की शुरुआत भारत में विभिन्न प्रकार की जानकारी और सरकारी निर्देश जनता तक पहुंचाने के लिए हुई थी. जब इसकी शुरुआत हुई थी तब आकाशवाणी मनोरंजन का साधन नहीं था. आकाशवाणी को शुरुआत करने के पीछे उद्देश्य किसान, विधार्थियों, और मजदूरों के हित में कार्यक्रम प्रसारित करना था. अभिलेख किसे कहते हैं | अभिलेख की परिभाषा आकाशवाणी की शुरुआत | आकाशवाणी का इतिहास हमारे देश में रेडियो का प्रसारण कोलकाता और मुंबई में सन 1927 में दो निजी ट्रांसमीटर से हुआ था. 193...

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core – जनसंचार माध्यम और लेखन – जनसंचार माध्यम पाठ के इस खंड में हम पढ़ेंगे और जानेंगे • संचार परिभाषा और महत्व संचार क्या है? • संचार के तत्त्व स्रोत, एनकोडिंग, संदेश, माध्यम, प्राप्तकर्ता, फ़ीडबैक और शोर • संचार के प्रकार सांकेतिक संचार मौखिक और अमौखिक संचार अंतःवैयक्ति संचार अंतरवैयक्ति संचार समूह संचार जनसंचार • जनसंचार की विशेषताएँ • संचार के कार्य • जनसंचार के कार्य सूचना देना, शिक्षित करना, मनोरंजन करना एजेंडा तय करना निगरानी करना विचार-विमर्श के मंच • भारत के जनसंचार माध्यमों का विकास समाचार-पत्र-पत्रिकाएँ रेडियो टेलिविज़न सिनेमा इंटरनेट • जनसंचार माध्यमों का प्रभाव संचार एक परिचय संचार के बिना जीवन संभव नहीं है। मानव सभ्यता के विकास में संचार की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है। संचार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचनाओं, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान है। इस तरह संचार एक प्रक्रिया है जिसमें कई तत्व शामिल हैं। संचार के कई प्रकार हैं जिनमें मौखिक और अमौखिक संचार के अलावा अंत:वैयक्तिक, अंतरवैयक्तिक, समूह संचार और जनसंचार प्रमुख हैं। जनसंचार कई मामलों में संचार के अन्य रूपों से अलग है। जनसंचार सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के अलावा एजेंडा तय करने का काम भी करता है। भारत में जनसंचार के विभिन्न माध्यमों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। जनसंचार माध्यमों का लोगों पर सकारात्मक के साथ-साथ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। इन नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों का सचेत होना बहुत जरूरी है। संचार-परिभाषा और महत्व हम अधिकांश समय अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने या अपनी भावनाओं और विचारपों कों प्रकट करने के लिए एक-दूसरे से या समूह में बातचीत या संचार क...